कंटेनर या गमले में उगाएं पोषक राजगिरा: घर बैठे सीखें पूरी विधि – How To Grow Ramdana At Home In Pots In Hindi

How To Grow Rajgira Plant At Home In Pots In Hindi: घर पर रामदाना (जिसे राजगीरा भी कहा जाता है) उगाना एक आसान, हेल्दी और स्पेस-फ्रेंडली तरीका है, जिससे आप अपने घर में पौष्टिक अनाज का छोटा-सा टेरेस या किचन गार्डन तैयार कर सकते हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि रामदाना या राजगिरा का पौधा कैसे लगाएं, तो अच्छी बात यह है कि इसे गमले या कंटेनर में भी आसानी से उगाया जा सकता है। हल्की, नरम मिट्टी और मध्यम धूप में यह पौधा तेज़ी से बढ़ता है और ज्यादा देखभाल भी नहीं मांगता। आगे आप यह भी जान पाएंगे कि गमले में उगाए पौधे को हेल्दी बनाए रखने के लिए राजगिरा के पौधे की देखभाल कैसे करें, ताकि इसके पत्ते और बीज दोनों ही भरपूर पोषण दे सकें। इस आर्टिकल में हम गमले में रामदाना/राजगिरा उगाने की सही और आसान विधि बताने वाले हैं।

रामदाना बोने का सही समय  Right Time To Sow Ramdana In Hindi

राजगीरा यानि रामदाना बोने का सबसे बेहतर समय गर्मियों की शुरुआत मानी जाती है, यानी फरवरी के अंतिम सप्ताह से लेकर अप्रैल तक। इस अवधि में तापमान लगभग 20–30 डिग्री रहता है, जो बीज अंकुरण और शुरुआती ग्रोथ के लिए बिल्कुल सही माना जाता है। यदि आप ठंडे इलाकों में रहते हैं, तो मार्च–अप्रैल का समय सबसे बेहतर होता है क्योंकि हल्की गर्माहट में बीज तेज़ी से अंकुरित होते हैं। बहुत ज्यादा गर्मी आने से पहले पौधा मजबूत हो जाता है और बाद के महीनों में अच्छी तरह बढ़ पाता है। सही मौसम में बोने से पौधे की ग्रोथ, पत्तियों की गुणवत्ता और कुल उत्पादन काफी बढ़ जाता है।

रामदाना/राजगिरा के बीज बोने से पहले क्या करना चाहिए?

बोने से पहले बीज हल्की धूप में 2–3 घंटे सुखा लेना चाहिए ताकि नमी निकल जाए और बीज जल्दी अंकुरित हों। मिट्टी को अच्छी तरह भुरभुरी, साफ़ और जैविक खाद से भरपूर बनाएं। बीजों को बोने से पहले मिट्टी में नमी जरूर रखें।

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रामदाना उगाने के लिए मिट्टी  Soil For Growing Rajgira/Ramdana In Hindi

रामदाना उगाने के लिए मिट्टी - Soil For Growing Rajgira/Ramdana In Hindi

  1. हल्की और भुरभुरी मिट्टी— रामदाना ढीली, हवा-पार मिट्टी में तेजी से बढ़ता है।
  2. जैविक पदार्थ से भरपूर— मिट्टी में अच्छी गोबर खाद या कंपोस्ट मिलाएं ताकि जड़ों को पोषक तत्व मिल सकें।
  3. जल निकासी वाली मिट्टी— पानी रुकने वाली मिट्टी से बचें, नहीं तो जड़ें सड़ सकती हैं।
  4. रेतीलीदोमट मिट्टी सबसे बेहतर— इससे जड़ों को फैलने में आसानी होती है।
  5. थोड़ी नमी बनाए रखने वाली मिट्टी— मिट्टी न बहुत सूखी हो, न बहुत गीली।

गमले में रामदाना उगाने का सही तरीका  The Correct Method To Grow Rajgira In Pots In Hindi

नीचे दी गई विधि रामदाना उगाने की बेस्ट विधि है, जिसे आप फॉलो कर सकते हैं-

1. सही गमला लें (Right Container)

रामदाना उगाने के लिए गमला या ग्रो बैग कम से कम 10–12 इंच गहरा होना चाहिए, ताकि जड़ों को फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिले। बहुत छोटा गमला पौधे की रूट डेवलपमेंट रोक देता है और ग्रोथ कमजोर कर देता है। यदि प्लास्टिक का कंटेनर इस्तेमाल कर रहे हैं तो वह हल्का और मूव करने में आसान होता है, जबकि मिट्टी वाला गमला नमी संतुलित रखता है। गमले में नीचे से अच्छा ड्रेनेज होना जरूरी है ताकि पानी ठहर न पाए। वरना फंगस और रूट रॉट का खतरा रहता है। गमला ऐसे स्थान पर रखें जहां पौधे को रोजाना कम से कम 5–6 घंटे धूप मिले।

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2. मिट्टी का सही मिश्रण बनाएं (Soil Mix Preparation)

रामदाना के लिए हल्की, भुरभुरी और पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी सबसे अच्छी रहती है। मिट्टी तैयार करने के लिए 50% गार्डन सॉइल, 30% कंपोस्ट और 20% रेत मिलाएं। यह मिक्स पौधे को न्यूट्रिएंट देगा और रूट्स को फैलने में मदद करेगा। रेत, नमी को नियंत्रित रखेगी जिससे पानी रुकेगा नहीं और पौधा स्वस्थ रहेगा। चाहें तो थोड़ा नीम खली या वर्मीकम्पोस्ट भी मिला सकते हैं, जो पौधे को नेचुरल प्रोटेक्शन देता है। मिट्टी तैयार करते समय ध्यान दें कि वह बहुत चिपचिपी न हो, क्योंकि ऐसी मिट्टी में हवा का संचार रुक जाता है और ग्रोथ कम हो जाती है।

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3. सही सीड और तैयारी (Seed Selection & Prep.)

रामदाना के बीज हल्के और छोटे होते हैं, इसलिए साफ-सुथरे और अच्छी क्वालिटी वाले बीज ही चुनें। बाजार में मिलने वाले हाइब्रिड बीज भी उपयोग कर सकते हैं, जिनकी जर्मिनेशन रेट ज्यादा होती है। बीज बोने से पहले उन्हें 4–5 घंटे पानी में भिगोने से स्प्राउटिंग आसान हो जाती है। भीगे हुए बीज तेजी से अंकुरित होते हैं और पौधे की शुरुआती ग्रोथ मजबूत बनती है। बहुत पुराने या काले पड़े बीज न लें, क्योंकि उनमें जर्मिनेशन  कम होता है। बीज बोते समय उन्हें बहुत गहराई में न डालें, वरना वे मिट्टी में दम घुटने से खराब हो जाते हैं।

4. बीज बोने का सही तरीका (Sowing Technique)

बीजों को मिट्टी की सतह पर समान रूप से छिड़कें और लगभग आधा सेंटीमीटर मिट्टी से ढक दें। बीज को बहुत गहराई में दबाने की गलती न करें, इससे अंकुरण रुक जाता है। गमले को छिड़काव वाली हल्की पानी की फुहार से नम करें ताकि मिट्टी हिले नहीं। बीज बोने के बाद गमले को ऐसी जगह रखें जहां हल्की धूप और उचित नमी मिले। 5–7 दिनों में छोटे स्प्राउट्स निकलने लगेंगे। स्प्राउट्स उभरते समय गमले को अधिक हिलाना-डुलाना न करें। मिट्टी हमेशा हल्की मॉयस्ट रखें, लेकिन गीली न होने दें।

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5. शुरुआती पौधों की देखभाल (Early Stage Care)

अंकुर निकलने के बाद पौधों को धीरे-धीरे धूप की आदत डालें। शुरुआत में 2–3 घंटे हल्की धूप पर्याप्त है, बाद में 5–6 घंटे तक बढ़ा दें। बहुत तेज धूप सीधे न दें, वरना कोमल पत्तियां जल सकती हैं। नमी संतुलित रखना जरूरी है, इसलिए हर दूसरे दिन हल्का पानी दें। यदि पौधे बहुत घने होने लगें तो हल्का थिनिंग करें, ताकि हर पौधे को हवा, जगह और पोषक तत्व समान रूप से मिले।

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6. पौधों को पर्याप्त धूप दें (Sunlight Requirement)

रामदाना एक सन-लविंग प्लांट है, जिसे रोजाना 5–6 घंटे की तेज धूप की जरूरत होती है। यदि धूप कम मिलेगी तो पौधा पतला, कमजोर और फूल–बीज उत्पादन कम करेगा। गमले को ऐसी जगह रखें जहां सुबह की धूप मिले क्योंकि यह पौधे के लिए बेहतर होती है। यदि बालकनी में सीधी धूप कम आती है तो गमले को समय-समय पर घुमाते रहें ताकि पौधे को दोनों ओर से समान रोशनी मिले।

7. नियमित और संतुलित सिंचाई (Watering Routine)

गमले में लगाए रामदाना को अधिक पानी बिलकुल पसंद नहीं। हल्की नम मिट्टी इसकी जरूरत पूरी करती है। पानी हमेशा छिड़काव वाले तरीके से दें ताकि मिट्टी की ऊपरी परत ही गीली हो और पानी गहराई में जमा न हो। गर्मियों में रोजाना हल्का पानी दें, सर्दियों में 2–3 दिन में एक बार पर्याप्त है। ज्यादा पानी से मिट्टी चिपचिपी हो जाती है और जड़ें सड़ने लगती हैं। यदि गमले के नीचे से पानी निकलने लगे, तो समझें कि पानी ज्यादा हो गया है।

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8. प्राकृतिक खाद का यूज करें (Organic Fertilizers)

प्राकृतिक खाद का यूज करें (Organic Fertilizers)

रामदाना को ऑर्गेनिक खाद बेहद पसंद होती है। महीने में एक बार वर्मीकम्पोस्ट, गोबर खाद, नीमखली या बोन मील मिलाएं। इससे पौधे को लगातार न्यूट्रिएंट मिलता रहेगा और ग्रोथ तेजी से बढ़ेगी। फूल और बीज उत्पादन बढ़ाने के लिए मस्टर्ड केक वॉटर भी बहुत प्रभावी है। इन नेचुरल खादों से मिट्टी की गुणवत्ता सुधरती है, माइक्रोऑर्गेनिज़्म बढ़ते हैं और पौधे मजबूत होते हैं।

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9. कीट और रोग नियंत्रण (Pest & Disease Care)

रामदाना में अक्सर एफिड्स, सफेद मक्खी और फंगल इंफेक्शन की समस्या होती है। शुरुआत में ही नीम का तेल, साबुनवाला पानी या छाछ के स्प्रे से कीटों को नियंत्रित करें। फंगल से बचाने के लिए पौधे को ज्यादा गीला न रखें और गमले के आसपास हवा का अच्छा संचार बनाए रखें। पत्तियों में किसी भी तरह का दाग, छेद या चिपचिपाहट दिखे तो तुरंत उपचार करें।

10. पौधे की कटाई और देखभाल (Harvesting & Care)

रामदाना का पौधा लगभग 60–90 दिनों में हार्वेस्टिंग के लिए तैयार हो जाता है। जब दाने हल्के लाल–गुलाबी होने लगें और गुच्छे सूखने लगें, तभी कटाई करें। कटाई सुबह या शाम के समय करें ताकि पौधे में मौजूद नमी संतुलित रहे। कटे हुए गुच्छों को छाया में सुखाएं ताकि बीज अच्छी तरह पक जाएं। हार्वेस्टिंग के बाद मिट्टी में नई खाद मिलाकर अगला चक्र शुरू कर सकते हैं।

FAQ

1. रामदाना का दूसरा नाम क्या है?

रामदाना का दूसरा नाम चौलाई होता है, जिसे कई जगह राजगीरा भी कहा जाता है। यह एक पौष्टिक अनाज है, जिसमें प्रोटीन, आयरन और फाइबर भरपूर मात्रा में मिलता है। भारत में इसे व्रत वाले अनाज के रूप में भी खाया जाता है और इसके पत्ते व बीज दोनों उपयोगी होते हैं।

निष्कर्ष:

गमले में रामदाना उगाना आसान, किफायती और हाई-रिजल्ट देने वाला तरीका है। सही गमला, बेहतर मिट्टी, गुणवत्ता वाले बीज, संतुलित सिंचाई और प्राकृतिक खाद ये सब कदम मिलकर पौधे की तेज और स्वस्थ ग्रोथ सुनिश्चित करते हैं।

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