बरसात में टमाटर के पौधों को गलने और झुकने से कैसे बचाएं – How To Protect Tomato Plants From Rotting And Bending In Monsoon In Hindi

Tomato Plant Care In Rainy Season In Hindi: बरसात का मौसम गार्डनिंग के लिए ताजगी तो लाता है, लेकिन साथ ही कई चुनौतियाँ भी लेकर आता है, खासकर टमाटर जैसे लंबे व झाड़ीदार पौधों के लिए। rainy season में ज्यादा नमी और लगातार बारिश के कारण टमाटर के पौधों की जड़ें सड़ने और गलने लगती हैं, जिससे प्लांट ग्रोथ रुक जाती है और पौधे झुकने या गिरने लगते हैं। इसके अलावा फंगल इंफेक्शन और सॉयल इरोजन जैसी समस्याएं भी पौधों को नुकसान पहुँचाती हैं।

अगर सही तरीके से केयर न की जाए, तो बरसात में टमाटर के पौधे खराब हो सकते हैं। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि, rainy season में मेरा टमाटर का पौधा क्यों झुक रहा है, बरसात में टमाटर के पौधों को गलने और झुकने से कैसे बचाएं (Rainy Season Tomato Plant Care In Hindi) और बरसात के मौसम में टमाटर के पौधों की देखभाल कैसे करें, ताकि आपके पौधे स्वस्थ और हर भरे रहें और आपको स्वादिष्ट टमाटर खाने को मिल सकें.

बरसात में टमाटर प्लांट्स को गलने और झुकने से बचाने के उपाय – How To Take Care Of Tomato Plants In Rainy Season In Hindi

अधिक नमी और लगातार बारिश के कारण टमाटर के पौधे गलने, सड़ने और झुकने लगते हैं। इससे न केवल उत्पादन घटता है बल्कि आपके टमाटर के पौधे भी खराब हो सकते हैं। अगर आप भी अपने घर के गमले या गार्डन में टमाटर उगा रहे हैं, तो इस मौसम में विशेष देखभाल जरूरी है। आइये जानते हैं कि, बरसात के मौसम में टमाटर के पौधों की देखभाल कैसे करें और उन्हें गलने और झुकने से कैसे बचाएं?

1. अच्छी ड्रेनेज वाली मिट्टी में लगाएं – Best Soil For Tomato Plants In Hindi

अच्छी ड्रेनेज वाली मिट्टी में लगाएं - Best Soil For Tomato Plants In Hindi

बरसात के मौसम में मिट्टी में पानी जमा हो जाता है, जिससे रूट रॉट (root rot) की समस्या बढ़ती है। इसलिए ऐसी मिट्टी सेलेक्ट करें, जिसमें पानी ज्यादा देर तक न ठहरे। सैंडी लूम या ऑर्गेनिक कम्पोस्ट मिली मिट्टी पानी को जल्दी सोख लेती है और जड़ों को हवा देती है। अगर मिट्टी भारी या चिकनी हो, तो उसमें रेत, कोकोपीट या पत्ती खाद मिलाएँ ताकि ड्रेनेज सुधरे। अच्छी ड्रेनेज वाली मिट्टी पौधों की हेल्दी ग्रोथ में मदद करती है और फंगल संक्रमण से बचाती है।

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2. रेज्ड बेड में लगाएँ – Growing Tomatoes In Raised Beds In Hindi

रेज्ड बेड यानी ऊँची क्यारियाँ बरसात में सबसे कारगर उपाय हैं। जब पौधे सामान्य सतह से ऊपर लगाए जाते हैं, तो उनमें बारिश का पानी जमा नहीं होता। इससे रुट ज़ोन सूखा और हवादार बना रहता है। रेज्ड बेड, मिट्टी में लगातार नमी से बचाते हैं, जो टमाटर के पौधों को गलने से रोकता है। इसके अलावा, रेज्ड बेड में पौधों की देखभाल और जल निकासी भी आसान होती है। यह तकनीक विशेष रूप से भारी बारिश वाले इलाकों में बहुत उपयोगी साबित होती है।

3. मिट्टी में कोकोपीट या कम्पोस्ट मिलाएँ – Add Cocopeat Or Compost To Soil In Hindi

बरसात में मिट्टी को हल्का और जल-सहनीय बनाए रखना जरूरी है। इसके लिए कोकोपीट, वर्मीकम्पोस्ट या सूखी पत्तियाँ मिट्टी में मिलानी चाहिए। कोकोपीट मिट्टी में हवा का संचार बनाए रखता है और एक्सेस वॉटर को सोखकर पौधे की जड़ों को गलने से बचाता है। वहीं कम्पोस्ट पोषण भी देता है और सॉयल स्ट्रक्चर को सुधरता है। इससे पौधे मजबूत होते हैं और बरसात में गिरने या झुकने का खतरा कम होता है।

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4. मल्चिंग करें – Mulch Tomato Plants In Hindi

मल्चिंग यानी मिट्टी की सतह को ढँकना – एक प्रभावी तरीका है जो नमी बनाए रखता है और वाटर लॉगिंग से बचाता है। बरसात के मौसम में सूखी घास, भूसा, लकड़ी की छीलन या प्लास्टिक शीट का उपयोग करके मल्च लेयर बनाई जाती है। इससे मिट्टी ठंडी रहती है, जल निकासी बेहतर होती है और फंगस पैदा नहीं होता। साथ ही, मल्चिंग मिट्टी में पोषक तत्वों को बरकरार रखती है और खरपतवार को पनपने से रोकती है, जिससे पौधे स्वस्थ रहते हैं।

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5. पौधों को सहारा दें – Give Support To Tomato Plant In Hindi

पौधों को सहारा दें - Give Support To Tomato Plant In Hindi

बरसात में तेज हवा और पानी से टमाटर के पौधे गिर या झुक सकते हैं। इसलिए उन्हें बाँस, लकड़ी की डंडी या तार से सहारा दें। इस तकनीक को स्टेकिंग कहा जाता है। जब पौधों को सहारा मिलता है, तो उनका स्टेम मजबूत रहता है और फल नीचे कीचड़ में नहीं गिरते। साथ ही, यह पौधों में हवा के आवागमन को बढ़ाता है जिससे फंगल संक्रमण कम होता है। नियमित अंतराल पर बाँधने की प्रक्रिया दोहराएँ, ताकि पौधा सीधे और संतुलित बढ़ सके।

6. संतुलित फर्टिलाइजर का यूज करें – Use Balanced Fertilizer For Tomato Plants In Hindi

बरसात में पौधों की न्यूट्रिशनल नीड बढ़ जाती है, लेकिन फर्टिलाइज़र का जरूरत से ज्यादा प्रयोग पौधे को कमजोर बना सकता है। इसलिए संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश दें। खासतौर पर पोटाश, पौधों की जड़ों और तनों को मजबूत करता है जिससे वे बारिश के असर से नहीं झुकते। लिक्विड फर्टिलाइज़र का इस्तेमाल बरसात में ज्यादा फायदेमंद होता है, क्योंकि यह मिट्टी में जल्दी घुल जाता है। ओवरफर्टिलाइज़ेशन से बचें, नहीं तो सॉफ्ट ग्रोथ हो सकती है।

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7. नीम ऑयल या फफूंदनाशक का छिड़काव करें – Spray Neem Oil Or Fungicide In Hindi

बरसात में टमाटर के पौधे फंगल डिज़ीज़ जैसे पाउडरी मिल्ड्यू, ब्लाइट या डैम्पिंग ऑफ से ग्रसित हो सकते हैं। इससे बचने के लिए हर 7-10 दिन में नीम तेल या जैविक फफूंदनाशक का छिड़काव करें। नीम तेल एक प्राकृतिक एंटीफंगल एजेंट है जो कीटों और फंगस दोनों से बचाता है। इसे पानी में मिलाकर पत्तियों और तनों पर छिड़कें। जरूरत पड़ने पर कॉपर सल्फेट जैसे हल्के फफूंदनाशक का भी प्रयोग किया जा सकता है।

8. पौधों के बीच दूरी बनाए रखें – Maintain Distance Between tomato Plants in Hindi

टमाटर के पौधों को बहुत पास-पास लगाने से उनके बीच हवा का संचार नहीं हो पाता और नमी ज्यादा रहती है, जो फंगस के लिए अनुकूल होती है। हर पौधे के बीच कम से कम 1 से 1.5 फीट की दूरी रखें, ताकि हर पौधे को पर्याप्त एयर सर्कुलेशन और धूप मिल सके। इससे पत्तियाँ जल्दी सूखती हैं और फंगल संक्रमण की आशंका घटती है। इसके अलावा पौधे स्वस्थ और फैलने में सक्षम होते हैं, जिससे पैदावार भी बढ़ती है।

9. टमाटर से पीली व सड़ी पत्तियाँ हटाएँ – Remove Yellow And Rotten Leaves From Tomatoes In Hindi

बरसात में कई बार टमाटर के पौधों की पत्तियाँ पीली या सड़ने लगती हैं। ऐसी पत्तियाँ तुरंत काटकर हटा दें क्योंकि ये फंगल स्पोर्स को बढ़ावा देती हैं। सड़ी हुई पत्तियाँ पौधे की ऊर्जा को व्यर्थ करती हैं और आस-पास के स्वस्थ हिस्सों को भी संक्रमित कर सकती हैं। साफ-सफाई बनाए रखें और कटाई के बाद सेनेटाइज किए गए गार्डनिंग टूल्स का उपयोग करें ताकि बीमारी फैलने से रोकी जा सके।

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10. बरसात में सिंचाई सीमित करें – Provide Proper Water To Tomatoes During Rains In Hindi

रसात में सिंचाई सीमित करें - Provide Proper Water To Tomatoes During Rains In Hindi

बारिश के मौसम में ओवर वॉटरिंग से बचना बेहद जरूरी है। यदि पहले से ही मिट्टी गीली है, तो पानी न दें। हर बार पानी देने से पहले उंगली से मिट्टी की नमी चेक करें। यदि मिट्टी 2 इंच नीचे तक गीली है, तो सिंचाई टाल दें। अतिरिक्त नमी पौधे की जड़ों को सड़ा सकती है और रोगों का कारण बन सकती है। बरसात में जरूरत पड़ने पर ही पानी दें, वह भी सुबह के समय जब सूखने का समय हो।

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निष्कर्ष:

बरसात के मौसम में टमाटर के पौधों की देखभाल थोड़ी चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन यदि समय रहते सही उपाय किए जाएँ, तो पौधों को गलने, झुकने और फंगल बीमारियों से बचाया जा सकता है। अच्छी ड्रेनेज, रेज्ड बेड, मल्चिंग, संतुलित फर्टिलाइज़र, और पौधों को सहारा देने जैसी तकनीकें पौधों को स्वस्थ बनाए रखती हैं। साथ ही, नीम ऑयल और फफूंदनाशकों का प्रयोग और पौधों के बीच पर्याप्त दूरी बरकरार रखने से प्लांट हेल्थ और ग्रोथ बेहतर होती है। इन उपायों को अपनाकर आप बरसात के मौसम में भी टमाटर की अच्छी और स्वस्थ पैदावार ले सकते हैं।

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