गार्डनिंग करना बहुत अच्छा और मजेदार होता है, परंतु इसमें कुछ मुश्किलें भी होती हैं। उनमें से एक सबसे बड़ी मुश्किल होती है, पौधों में लगने वाले कीट और रोगों से निपटना। कई बार हम अपना खुशहाल गार्डन तो तैयार कर लेते हैं, लेकिन गार्डन के कुछ सामान्य कीट और रोग हमारी सारी मेहनत पर पानी फेर देते हैं, जिनसे निपटने के लिए हमें काफी प्लानिंग करनी पड़ती है। आज इस लेख हम उन्हीं कीटों और रोगों की चर्चा करेंगे और बतायेंगे कि वह कैसे आपके पौधों को प्रभावित करते हैं, जिससे आप उनकी जल्दी पहचान कर सही तरीके से उपचार कर पाएं। गार्डन के पौधों के कीट और रोग कौन-कौन से हैं,प्लांट में लगने वाले कीड़े व बीमारी के नाम तथा पौधों को कीटों व रोगों से बचाने के उपाय और उपचार के तरीके जानने के लिए आर्टिकल को पूरा पढ़ें। (Garden Pests And Diseases In Hindi)
गार्डन के पौधों के कीट – Common Garden Plant Pests In Hindi
होम गार्डन में कई तरह के कीट या कीड़े होते हैं, जो पौधों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं, जिनमें से कुछ ऐसे भी होते हैं, जो पौधों में कई तरह की बीमारियाँ भी उत्पन्न करते हैं। आइये जाते हैं- प्रमुख गार्डन के कीटों के नाम और उनसे होने वाले नुकसान के बारे में:-
एफिड्स (Aphids)
एफिड्स छोटे, नाशपाती के आकार के कीड़े होते हैं, जो पत्तियों और तनों के नीचे की तरफ पाए जाते हैं। यह कीड़ें पौधे से रस चूसते हैं और पौधे पर एक चिपचिपा पदार्थ छोड़ जाते हैं, जिससे पौधा अविकसित तथा अनियमित आकार का हो जाता है।
स्लग और घोंघे (Slugs And Snails)
यह बड़े आकार के कीट होते हैं, जो पौधे की पत्तियों को खाते हैं। यह कीट रात में सबसे अधिक सक्रिय होते हैं और नम स्थितियों में पनपते हैं।
सफ़ेद मक्खियाँ (Whiteflies)
व्हाइटफ्लाई छोटी–छोटी सफ़ेद रंग की मक्खियाँ होती हैं, जो पौधों के रस को चूसकर शहद का स्राव करती हैं, यह शहद चींटियों को आकर्षित करता है, जिससे पौधे में फंगस लगती है और पत्तियां पीली और मुरझा जाती हैं।
स्पाइडर माइट्स (Spider Mites)
स्पाइडर माइट्स छोटे-छोटे लाल रंग के कीड़े होते हैं, जिन्हें सीधे देख पाना मुश्किल होता है। यह कीट पौधे पर एक जाले का निर्माण करते हैं, जिसके प्रभाव से पत्तियां समय से पहले गिरने लगती हैं। लाल मकड़ी कीट गर्म, शुष्क परिस्थितियों में पनपते हैं।
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कैटरपिलर (Caterpillar)
यह छोटी-छोटी इल्लियाँ होती हैं, जो वयस्क होकर तितलियों और पतंगों का रूप ले लेती हैं। कैटरपिलर पौधे की पत्तियों और फूलों को खाते हैं, जिससे पौधे को नुकसान होता है।
थ्रिप्स (Thrips)
यह पतले, पंखों वाले कीड़े होते हैं, जो आगे चलकर वायरल रोगों के प्रसार का कारण बन सकते हैं। पौधों में इन कीटों का प्रभाव पत्तियों के पीलेपन और उनके अनियमित आकार से देखा जा सकता है।
मिलीबग (Mealybug)
ये नरम शरीर वाले कीड़े एक सफेद, पाउडर जैसे पदार्थ में ढके होते हैं और पौधे के रस को चूसते हैं। इनके प्रभाव से पौधे में पीलापन, अनियमित वृद्धि और मुरझाई हुई पत्तियां दिखाई देती हैं।
स्केल कीट (Scale Insects)
स्केल्स छोटे-छोटे कीट पौधों के तनों और पत्तियों पर पाए जाते हैं और उनका रस चूसते हैं। यह कीट पौधे में पीलेपन, मुरझाने और अंततः पौधे की मृत्यु का कारण बन सकते हैं।
लीफहॉपर्स (Leafhoppers)
यह छोटे-छोटे, पंखों वाले कीट पौधों के रस को खाते हैं, जिससे उनकी पत्तियां पीली हो जाती हैं। लीफहॉपर्स के अधिक प्रभाव से पौधे में वायरल रोग भी हो सकते हैं।
चींटियां (Ants)
यह एक कॉमन गार्डन के कीट हैं, हालाँकि यह कभी-कभी गार्डन के लिए फायदेमंद होती हैं, बशर्ते इनका प्रभाव कम हो, इनकी अधिक संख्या से पौधों को नुकसान हो सकता है।
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गार्डन के पौधों के रोग – Common Garden Plant Diseases In Hindi
आमतौर पर गार्डन के पौधों में कई तरह के रोग और बीमारी होती हैं, जिनमें से कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं, जिनका शुरूआती असर तो कम होता है, लेकिन संक्रमण बढ़ने पर यह पौधों के मरने का कारण बन सकती हैं। होम गार्डन के कुछ कॉमन रोगों के नाम निम्न हैं:-
पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew)
पाउडरी मिल्ड्यू एक फंगल रोग है, जो पौधों की पत्तियों, तनों और फूलों पर सफेद या ब्राउन रंग के पाउडर के रूप में दिखाई देता है। इस रोग के प्रभाव से पौधे की ग्रोथ रुक जाती है।
डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew)
डाउनी मिल्ड्यू कवक रोग से पत्तियों की निचली सतह पर ब्राउन-सफेद रंग की फफूंदी दिखाई देती है, जिसके प्रभाव से पत्तियों में पीलापन आ जाता है और वह मुरझाने लगती हैं।
रूट नॉट नेमाटोड (Root Knot Nematode)
यह सूक्ष्म कृमि होते हैं, जो मिट्टी में पाए जाते हैं। नेमाटोड पौधों की जड़ों पर हमला करते हैं, जिससे उनका विकास रुक जाता है।
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एन्थ्रेक्नोज (Anthracnose)
इस फंगल रोग के कारण पौधे की पत्तियों, तनों और फलों पर ब्राउन या काले धब्बे पड़ जाते हैं, जिससे समय से पहले पत्तियां गिरने लगती हैं। पौधों में एन्थ्रेक्नोज रोग नम स्थितियों में तेजी से फैलता है।
क्लबरूट (Clubroot)
यह मृदा जनित रोग है, जो ब्रासिका फैमिली के पौधों जैसे गोभी, ब्रोकली और फूलगोभी को सबसे अधिक प्रभावित करता है। इससे पौधे की जड़ों में सूजन आ जाती हैं और वह विकृत हो जाती हैं, जिससे पौधे की वृद्धि और विकास रुक जाता है।
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बोट्राइटिस ब्लाइट (Botrytis Blight)
यह गार्डन के पौधों में होने वाला एक फंगल रोग है, जिसके कारण पौधे की पत्तियों, तनों और फूलों पर ब्राउन रंग के धब्बे, और ग्रे रंग की फंगस लग जाती है। इस रोग के प्रभाव से पौधा कमजोर होने लगता है।
फ्यूजेरियम विल्ट (Fusarium Wilt)
यह गार्डन के पौधों में कवक से होने वाली बीमारी है, जिसके संक्रमण से पौधे की पत्तियों और तने पर ब्राउन रंग की धारियाँ दिखाई देती हैं। इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां पीली होकर मुरझा जाती हैं, जिससे पौधा जल्दी मर सकता है।
वर्टिसिलियम विल्ट (Verticillium Wilt)
यह कवक रोग पौधे की पत्तियों और तनों को भी प्रभावित करता है, जिसके प्रभाव से पौधे की पत्तियां मुरझाने लगती हैं। वर्टिसिलियम विल्ट से पौधा जल्दी मर जाता है, लेकिन मिट्टी में यह रोग कई वर्षों तक बना रह सकता है।
डंपिंग ऑफ (Damping Off)
डंपिंग ऑफ फंगल रोग मुख्य रूप से सीडलिंग में होता है, जिसके प्रभाव से पूरी की पूरी सीडलिंग भी ख़राब हो सकती है। इस रोग के संक्रमण से अंकुरों के तने मिट्टी के स्तर से गलने लगते हैं, जिससे छोटे पौधे गिरने लगते हैं। यह रोग अत्यधिक पानी या खराब वायु संचरण के कारण हो सकता है।
क्राउन रोट (Crown Rot)
यह कवक रोग पौधे के आधार को प्रभावित करता है, जिससे वह सड़ जाता है और अंततः पौधा भी मर जाता है। इस रोग के संक्रमण के बाद पौधे को बचा पाना संभव नहीं है।
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गार्डन के पौधों को कीटों व रोगों से बचाने के उपाय – Ways To Protect Garden Plants From Pests And Diseases In Hindi
पौधों को कीट व रोग के संक्रमण से बचाने के लिए आप निम्न उपायों को अपना सकते हैं:-
- गार्डन में पौधों की स्वस्थ, रोग प्रतिरोधी किस्मों को लगाएं।
- कुछ रोग मृदा जनित होते हैं, अतः इनसे पौधों को बचाने के लिए स्थान बदलकर पौधे लगायें।
- संक्रमित मलबे और मृत पौधों को हटाकर गार्डन को साफ करें।
- कीटों को बाहर रखने के लिए रो कवर या जाल का उपयोग करें।
- पौधों के आसपास अच्छा वायु परिसंचरण बनाए रखें।
- गमले के पौधों के आसपास स्टिकी ट्रैप लगाएं।
- गार्डन में लगे पौधों को अधिक पानी देने से बचें।
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गार्डन के पौधों में कीटों व रोगों का उपचार – Treatment Of Pests And Diseases Of Garden Plants in hindi
यदि गार्डन के पौधों में किसी कीट या रोग के लक्षण दिखाई देते हैं, तो आप निम्न तरीकों से उनका उपचार कर सकते हैं:-
- लेडीबग्स और प्रेइंग मैन्टिस जैसे शिकारी और लाभकारी कीटों को गार्डन में आकर्षित करें।
- लाभकारी कीड़ों को नुकसान पहुँचाए बिना कीटों को मारने के लिए जैविक कीटनाशक साबुन के घोल का स्प्रे करें।
- पौधों पर जैविक पेस्टीसाइड और फंगीसाइड जैसे- नीम तेल का स्प्रे करें।
- पौधे के रोगग्रस्त व क्षतिग्रस्त हिस्से की प्रूनिंग करें।
- यदि पौधे पर बीमारी का संक्रमण बहुत अधिक है, तो गार्डन से पौधे को उखाड़कर अलग कर देना उचित है।
(नोट:- किसी भी कीटनाशक और फंगीसाइड का स्प्रे पैकेज पर दिए निर्देशों के अनुसार किया जाना चाहिए।)
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इस लेख में आपने जाना, गार्डन के पौधों के कीट (कीड़े) और रोग कौन-कौन से हैं, पौधों में होने वाले रोग या बीमारी के नाम तथा पौधों को इन रोगों के संक्रमण से बचाने के उपाय के बारे में। उम्मीद है लेख आपको अच्छा लगा हो, लेख के सम्बन्ध में आपके जो भी सुझाव हैं, हमें कमेंट बॉक्स में बताएं।