पौधों में मिट्टी से होने वाले रोग (मृदा जनित रोग), लक्षण और रोकथाम के उपाय – Soil Borne Diseases In Plants And Their Control In Hindi

गार्डनर्स द्वारा सभी प्रकार की सावधानियों रखने के बाबजूद भी उनके पौधे मुरझा और सूख जाते हैं, और इसका कारण पौधों में मृदा जनित हानिकारक सूक्ष्मजीव और बीमारियाँ होती हैं। अधिकांश मृदा जनित हानिकारक सूक्ष्मजीवों को आंखों से नहीं देखा जा सकता है और जब तक आपका पौधा बीमार नहीं हो जाता, तब तक इनका पता लगा पाना भी मुश्किल होता है, इसीलिए इस आर्टिकल में हम आपको मिट्टी जनित रोग के नाम और लक्षणों के बारे में बतायेंगे, ताकि इनके बारे में जानकार आप तुरंत मिट्टी जनित रोगों की रोकथाम के उपाय कर सकें। आइये जानते हैं, पौधों में मिट्टी से होने वाले रोग कौन कौन से हैं, मिट्टी से पौधों में होने वाली बीमारियों के लक्षण, कारण और रोगों को दूर करने के उपाय के बारे में।

मृदा जनित रोग क्या हैं – What Are Soil Borne Diseases Of Plants In Hindi

मिट्टी के अन्दर या उसके सर्फेस पर कुछ सूक्ष्मजीव जैसे फंगस (कवक), बैक्टीरिया आदि जीवित रहते हैं, जो पौधों में अनेक रोगों के फैलने का कारण बनते हैं, इन्हें रोगजनक (soil borne plant pathogen) कहा जाता है, और मिट्टी में रहने वाले इन रोगजनकों के कारण पौधों में जो रोग होते हैं, उन्हें मृदा जनित रोग (soil borne plant Diseases) कहा जाता है। मिट्टी के कारण पौधों में रोग तीन रोगजनकों (pathogen) के कारण लगते हैं:

  • फंगस (fungus)
  • बैक्टीरिया (bacteria)
  • नेमाटोड (nematode)

पौधों में मिट्टी से होने वाली बीमारियाँ और उनके लक्षण – Soil Borne Diseases And Their Symptoms in Plant in Hindi

पौधों में मिट्टी से होने वाली बीमारियां, उनके लक्षण और रोगों की रोकथाम के उपाय कुछ इस प्रकार हैं:

फंगस या कवक रोग – Soil Borne Fungal Diseases In Plants In Hindi

फंगस रोग - Soil Borne Fungal Diseases In Plants In Hindi

मिट्टी में उपस्थित फंगी (fungi) सबसे कॉमन रोगजनक (soil-borne fungal pathogen) है, जिसके कारण अधिकतर सब्जियों के पौधे जैसे- टमाटर, मिर्च, गोभी, बैंगन आदि रोगों से प्रभावित होते हैं। मिट्टी में उपस्थित फंगस के कारण होने वाले रोग (Diseases) निम्न हैं:

  1. वर्टिसिलियम विल्ट (Verticillium Wilt)
  2. एंथ्रेक्नोज (Anthracnose)
  3. बॉटम रॉट रोग या आधार की सड़न (Bottom Rot)
  4. डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew)
  5. डंपिंग ऑफ (Damping Off)
  6. सफेद फंगस (White Fungus)
  7. रूट रॉट (Root Rot)
  8. स्टेम रॉट (Stem Rot)

(और पढ़ें: पौधे की मिट्टी में फंगल संक्रमण है, तो अपनाएं ये नेचुरल फंगीसाइड….)

वर्टिसिलियम विल्ट – Verticillium Wilt Soil-Borne Diseases In Plants In Hindi

पौधों में वर्टिसिलियम विल्ट रोग मिट्टी जनित कवक वर्टिसिलियम डाहलिया (Verticillium dahliae) और वी एल्बो-एट्रम (V. albo-atrum) के कारण फैलता है। यह रोग पत्तागोभी, मक्का, शिमला मिर्च, खरबूज, आलू, मिर्च, टमाटर, बैंगन इत्यादि सब्जियों और एस्टर, डेज़ी, कोरोप्सिस, डहेलिया फूलों और जामुन फल के पेड़ आदि में फैलता है। नम मिट्टी में ये दोनों कवक डैमेज जड़ों के माध्यम से पेड़-पौधों को संक्रमित करते हैं और पौधे में पानी और पोषक तत्वों के सर्कुलेशन (संचरण) को रोक देते हैं, जिनके कारण पौधे में निम्न प्रमुख लक्षण दिखाई देते हैं:

  • पौधे की निचली पत्तियों का पीला पड़ना (मुख्यतः पत्तियों के किनारे) और सिकुड़ना
  • पत्तियाँ सामान्य से छोटी होना
  • पौधे के ऊपरी भाग की पत्तियों और तनों का मुरझाना और सूखना
  • प्लांट के निचले तने पर काली धारियां पड़ने लगती हैं जो धीरे धीरे ऊपर के तने तक भी फैलने लगती हैं।

पौधों की वर्टिसिलियम विल्ट रोग की रोकथाम के लिए पौधों की प्रतिरोधी किस्मों के बीजों को लगाना चाहिए और उन्हें वेल ड्रेनेज सोईल में ट्रांसप्लांट करना चाहिए।

एंथ्रेक्नोज रोग – Anthracnose Soil Borne Diseases Caused By Fungi In Hindi

मिट्टी से पौधों में फैलने वाला एन्थ्रेक्नोज एक कवक रोग है, जो मिट्टी में पाए जाने वाले कवक कोलेटोट्रिचम ग्लियोस्पोरियोइड्स (Colletotrichum gloeosporioides) के कारण होता है। यह रोग मुख्य रूप से आम, केला, पपीता, टमाटर, करेला आदि पौधों को प्रभावित करता है। एन्थ्रेक्नोज रोग नम और गर्म वातावरण में अधिक फैलता है। अधिक पानी देना, पत्तियों का लम्बे समय तक गीला रहना, आदि इस रोग के फैलने के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं। पौधों में एन्थ्रेक्नोज रोग के निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं:

  • पौधे की पत्तियों के किनारों और फलों पर पीले और ब्राउन कलर के घाव या धब्बे नजर आना और समय के साथ यह धब्बे बड़े होते जाते हैं।
  • पौधों से पत्ते और फल समय से पहले गिर जाना, आदि।

पौधों पर ओवर हेड वाटरिंग (overhead watering) न करें, जिससे पत्तियां या फल गीले होने से बच जाएँ। प्रभावित पौधों पर नीम तेल का छिडकाव कर  इस रोग को दूर किया जा सकता है।

बॉटम रॉट रोग – Bottom Rot Soil Borne Fungal Diseases In Plants In Hindi

पौधों में यह रोग मिट्टी में जीवित रहने वाले राइजोक्टोनिया सोलानी (Rhizoctonia/corticium solani) फंगस के कारण फैलता है। बॉटम रॉट रोग लेट्युस, प्याज, आलू, बीन्स, मूली, पत्तागोभी, टमाटर आदि पौधों में होता है। जब पौधे की मिट्टी या पत्तियां लम्बे समय तक गीली रहती है, तब यह कवक एक्टिव हो जाते हैं और पौधे को नुकसान पहुँचाना शुरू कर देते हैं। बॉटम रॉट बीमारी के कारण पौधों में निम्न तरह के लक्षण देखे जा सकते हैं:

  • इस रोग में पौधों की जमीन को छूने वाली पत्तियों और उनके डंठल सड़ने लगते हैं, उन पर कत्थई रंग के धब्बे पड़ जाते हैं।
  • ऊपरी पत्तियां मुरझाने लगती हैं।

यदि आप अपने पौधों में इस रोग को होने से रोकना चाहते हैं, तो पौधों में ओवर वाटरिंग न करें, और साथ ही पत्तियों पर पानी का छिड़काव न करें। इस रोग से प्रभावित पत्तियों को काट कर पौधे से अलग कर दें।

डाउनी मिल्ड्यू – Downy Mildew Soil Borne Fungal Diseases In Plants In Hindi

डाउनी मिल्ड्यू - Downy Mildew Soil Borne Fungal Diseases In Plants In Hindi

प्लांट्स में डाउनी मिल्ड्यू रोग पेरोनोस्पोरा पैरासिटिक (peronospora parasitic) नामक फंगस के कारण फैलता है, जो की मिट्टी में पाया जाता है। इस रोग से फल, फूल, सब्जियों, हर्ब्स के पौधे (अंगूर, गुलाब, मक्का, प्याज, खीरा, तुलसी) आदि प्रभावित होते हैं। उच्च आर्द्रता, लगातार बारिश होनाऔर ओस गिरना डाउनी मिल्ड्यू रोग के विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं।

  • इस रोग में पत्तियों की ऊपरी तथा निचली दोनों सतहों पर सफेद फफूंदी लग जाती है।
  • पत्तियों पर पीले और जलने के जैसे धब्बे (Brown spot) भी पड़ जाते हैं। जब पत्तियां पूरी ब्राउन हो जाती हैं तो वे गिर जाती हैं और यदि पेड़ से ज्यादा पत्तियां गिर जाएँ तो पौधा भी सूख जाता है।

यदि आप इस रोग के लक्षण अपने पौधों पर देखते हैं तो सबसे पहले प्रभावित पत्तियों को काटकर अलग कर दें और पौधे पर नीम तेल का छिडकाव करें। इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों के पत्तों पर पानी न डालें और समय-समय पर पौधे की प्रूनिंग करते रहें, ताकि एयर फ्लो बना रहें।

(और पढ़ें: सब्जियों के पौधों में होने वाले रोग और उनका नियंत्रण…)

डम्पिंग ऑफ रोग – Damping Off Fungal Diseases In Plants In Hindi

यह एक फंगस रोग है, जो पौधों की मिट्टी में नमी अधिक होने से फैलता है। मिट्टी में पाए जाने वाले अनेक कवकों जैसे राइजोक्टोनिया सोलानी (rhizoctonia solani), फाइटोफ्थोरा (phytophthora) आदि के कारण डम्पिंग ऑफ रोग टमाटर, बैंगन, मिर्च, शिमला मिर्च, पत्ता गोभी, फूलगोभी, लेट्युस, पालक आदि सब्जियों में फैलता है। यह रोग मुख्यतः नए पौधों या अंकुरण में होता है और उन पर इस रोग के निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:

  • इस रोग के कारण बीज सड़ जाते हैं।
  • इस रोग के कारण जर्मीनेशन के बाद सीडलिंग काफी कमजोर दिखने लगती हैं और उन पर कत्थई या काले घाव दिखते हैं।
  • छोटे पौधे मुरझाने लगते हैं।

अच्छी ड्रेनेज वाली मिट्टी में पौधे लगाने और सीडलिंग तैयार करने से डम्पिंग ऑफ रोग से बचा जा सकता है। सीडलिंग में एयर फ्लो बनाये रखें और ओवर वाटरिंग न करें। कैमोमाइल और लहसुन में फंगस को कम करने का गुण पाया जाता है, इसीलिए इस डम्पिंग ऑफ रोग से प्रभावित होने वाले पौधों को कैमोमाइल और लहसुन के साथ लगाकर इन रोगों से बचा जा सकता है।

और पढ़ें: कम्पेनियन प्लांटिंग क्या है, जानें सम्पूर्ण जानकारी...)

सफेद फंगल संक्रमण – White Fungus Soil Diseases In Plants In Hindi

पौधों की मिट्टी में कवक या फंगस (Fungus/Mold) आमतौर पर राइजोक्टोनिया फंगी (Rhizoctonia fungi) और स्क्लेरोटिनिया स्क्लेरोटियम (Sclerotinia sclerotiorum) कवक के कारण फैलती है। सफ़ेद फंगस डिजीज के कारण मिट्टी, भूरे रेशेदार परत से ढक जाती है, जो कि पौधे को पानी और पोषक तत्वों को खींचने से रोकती है। मिट्टी लम्बे समय तक गीली रहने और पौधों में पर्याप्त एयर फ्लो न होने से लेट्युस, टमाटर, बीन्स, मटर, गाजर आदि पौधों की मिट्टी में फंगस फैल सकती है। मिट्टी में लगने वाली फंगस से छुटकारा पाने के लिए होममेड फंगीसाइड जैसे- दालचीनी पाउडर, या हल्दी पाउडर की एक से दो चम्मच मात्रा का छिड़काव प्रभावित पौधे की मिट्टी पर करना चाहिए।

रूट रॉट – Root Rot Soil Borne Fungus Diseases In Plants In Hindi

रूट रॉट – Root Rot Soil Borne Fungus Diseases In Plants In Hindi

किसी भी पौधे में रूट रॉट या जड़ सड़न रोग पाइथियम (Pythium), फाइटोफ्थोरा (phytophthora), राइजोक्टोनिया (Rhizoctonia) कवक की प्रजातियों के कारण फैलता है। ये कवक गीली मिट्टी में पनपते हैं, और पौधे की जड़ों को संक्रमित करते हैं, जिससे जड़ें गलने और सड़ने लगती हैं, और इसके कारण पौधे को पर्याप्त पानी और पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो पाते हैं। रूट रॉट डिजीज (जड़ सडन रोग) के प्रभावित पौधे में निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं:

इस रोग की रोकथाम के लिए पौधे की मिट्टी सूखी होने पर ही पानी दें और यदि पौधा जड़ सड़न रोग से अधिक प्रभावित लग रहा है तो उसे रिपॉट कर सकते हैं।

स्टेम रॉट – Stem Rot Soil Borne Plant Diseases In Hindi

पौधों में यह रोग मिट्टी में पाए जाने वाले राइजोक्टोनिया (Rhizoctonia), फुसैरियम (Fusarium) या पाइथियम (Pythium) कवकों के कारण फैलता है। इस रोग में मिट्टी के जस्ट ऊपर का तना सड़ने लगता है और उस पर ग्रे या ब्राउन कलर के धब्बे नजर आने लगते हैं। कुछ समय बाद ये धब्बे बड़े हो जाते हैं और उन पर सफ़ेद फफूंदी की परत चढने लगती है, जिससे पौधा सूखने लगता है। तना और पौधे के ऊपरी भाग का मुरझाना, फलों का सिकुड़ना आदि इस रोग के अन्य लक्षण हैं।

(और पढ़ें: फलों में होने वाले कुछ सामान्य रोग और उनसे बचाव…)

बैक्टीरिया – Soil Borne Bacterial Pathogens And Disease In Plants In Hindi

मिट्टी में इरविनिया (erwinia), राल्स्टोनिया सोलानेसीरम (ralstonia solanacearum), स्ट्रेप्टोमाइसेस स्केबीज (streptomyces scabies) जैसे कई सारे बैक्टीरिया भी पाए जाते हैं, जिनके कारण अनुकूल परिस्थितियां मिलने पर ये रोगजनक मिट्टी से पौधों में निम्न रोग होने का कारण बन सकते हैं:

  • बैक्टीरियल सॉफ्ट रॉट (Bacterial Soft Rot)
  • बैक्टीरियल विल्ट (Bacterial Wilt)
  • कॉमन स्कैब (Common Scab)

बैक्टीरियल सॉफ्ट रॉट – Bacterial Soft Rot Diseases In Plants In Hindi

पौधों में यह मृदा जनित रोग इरविनिया कैरोटोवोरा (Erwinia carotovora) बैक्टीरिया के कारण फैलता है और सॉफ्ट रॉट रोग से मक्का, आलू, टमाटर, बीन्स, गाजर, शकरकंद और प्याज सहित कई पौधे प्रभावित होते हैं, लेकिन अधिकतर यह रोग जड़ वाले पौधों में फैलता है। यह बैक्टीरिया घावों के माध्यम से पौधों में प्रवेश करता है। इस रोग में आलू, गाजर, गोभी में काले धब्बे पड़ जाते हैं और ये अन्दर से भी काले होने और सड़ने लगते हैं। यह एक ऐसा रोग है जो गाजर और आलू को हार्वेस्ट करने के बाद भी स्टोर करने पर उनमें लग जाता है। गीले या आर्द्र मौसम के दौरान पौधों में बैक्टीरियल सॉफ्ट रॉट रोग होने की समस्या अधिक होती है।

बैक्टीरियल विल्ट – Wilt Diseases Caused By Soil Borne Bacteria In Hindi

बैक्टीरियल विल्ट - Wilt Diseases Caused By Soil Borne Bacteria In Hindi

पौधों में यह बैक्टीरियल विल्ट डिजीज, मिट्टी जनित बैक्टीरिया राल्स्टोनिया सोलानेसीरम (Ralstonia solanacearum) के कारण होती है। यह मिट्टी जनित रोग केला, बीन्स, टमाटर, बैंगन, आलू आदि पौधों में हो सकता है। यह बैक्टीरिया डैमेज जड़ों के माध्यम से पौधे में प्रवेश करता है और फिर यह तेजी से पौधे के अन्दर ग्रोथ करता रहता है, जिसके कारण पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं, और मुरझाने भी लगती हैं। इस रोग के कारण धीरे-धीरे पूरा पौधा सूखने लगता है।

कॉमन स्कैव – Common Scab Bacterial Diseases Of Plants In Hindi

आलू, मूली, चुकंदर, गाजर, आडू आदि पौधों में कॉमन स्कैव रोग मिट्टी में पाए जाने वाले स्ट्रेप्टोमाइसेस स्केबीज (Streptomyces scabies) बैक्टीरिया के कारण फैलता है। यह बैक्टीरिया सड़ने या गलने वाली जड़ों के माध्यम से फैलता है। इस रोग से प्रभावित होने पर पौधे में निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं:

  • इस रोग में मिट्टी के अन्दर लगे आलू, गाजर आदि में कई सारे छोटे –छोटे धँसे हुए धब्बे बन जाते हैं, जो काले रंग के दिखते हैं।
  • संक्रमित पत्तियों में हल्के हरे-ब्राउन, रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।
  • टहनियों पर भी ब्राउन, धँसे हुए घाव दिखाई देते हैं।

नेमाटोड – Nematodes Diseases In Plants In Hindi

नेमाटोड केंचुए के जैसे दिखने वाले सूक्ष्म जीव हैं, जो मिट्टी में पाए जाते हैं और मिट्टी में पानी से भरे छिद्रों (Pore) में तैरते हैं। इनके कारण पौधे में निम्न बीमारी होती है:

  • रूट नॉट नेमाटोड (Root Knot Nematode)

रूट नॉट नेमाटोड – Root Knot Soil Borne Diseases In Hindi

रूट नॉट नेमाटोड - Root Knot Soil Borne Diseases In Hindi

रूट रॉट या जड़ गाँठ रोग से कई सारे पौधे प्रभावित होते हैं, जिनमें मक्का, टमाटर, सलाद पत्ता, शिमला मिर्च, चुकंदर, गाजर, आलू, बैंगन शामिल हैं। मेलोइडोगाइन इनकोगनिटा (Meloidogyne incognita) नेमाटोड के कारण यह रोग पौधों में फैलता है। मिट्टी में पाए जाने वाले नेमाटोड के कारण होने वाले इस रोग के निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:

  • पौधों की जड़ें फूल जाना और उनमें गठानें बन जाना
  • पौधे की ग्रोथ रुक जाना
  • पत्तियों में नमी की कमी
  • पत्तियों के किनारे पीले पड़ जाना तथा फल का आकार छोटा होना।

पौधों में मिट्टी से होने वाले रोगों की रोकथाम – Soil Borne Diseases Preventing Tips In Hindi

पौधों में ऊपर बताये गए मिट्टी जनित रोगों को होने से रोकने के लिए, आगे बताये गए रोकथाम संबंधी उपायों को ध्यान में रखें:

  • पौधों की ऐसी किस्मों को लगाना चाहिए, जो रोगों के प्रति प्रतिरोधक होती हैं।
  • गार्डन में बदल-बदल कर पौधों को लगाना चाहिए। जब गार्डन में एक ही जगह पर लगातार एक निश्चित प्रकार के पौधे उगाएं जाते हैं, तो उस पौधे के मिट्टी जनित रोगजनक (Soil Borne Pathogens) आसानी से लम्बे समय तक बने रहते हैं। कुछ समय बाद मिट्टी इतनी अधिक रोग ग्रस्त हो जाती है, कि उसमें उस विशेष पौधे को उगा पाना काफी कठिन हो जाता है। जब गार्डन में अलग-अलग पौधे या प्रतिरोधी किस्में लगाई जाती हैं, तो इससे रोग जनक ग्रोथ नहीं कर पाते हैं।
  • ओवर वाटरिंग न करें, क्योंकि पौधों में अधिकतर फंगल, बैक्टीरियल रोग मिट्टी में पानी की अधिकता से ही फैलते हैं।
  • पौधों में होने वाले फंगल रोगों से छुटकारा पाने के लिए नीम तेल, ट्राईकोडर्मा जैसे ऑर्गेनिक कवकनाशी (फंगीसाइड) का उपयोग करें, क्योंकि इनसे मिट्टी को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।
  • पौधों के बीज पर्याप्त दूरी पर लगायें, ताकि उनमें एयर फ्लो बना रहे।
  • पौधे लगाते समय अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी का प्रयोग करें।

इस आर्टिकल में आपने मिट्टी में पाए जाने वाले रोगजनकों के कारण पौधों में होने वाले रोगों (मृदा जनित रोगों) जैसे विल्ट, रूट रॉट, रूट नॉट, डंपिंग ऑफ आदि के बारे में जाना। यदि मृदा जनित बीमारी से संबंधित यह आर्टिकल आपको पसंद आया हो, या इस आर्टिकल में दी गयी जानकारी के बारे में आपका कोई सवाल या सुझाव हो, तो उसे कमेन्ट करके अवश्य बताएं।

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