Why Beetroot Is Rotting In Soil In Hindi: चुकंदर एक पौष्टिक वेजिटेबल है, जो कम समय में अच्छी प्रॉडक्शन और सेहत दोनों देती है। गमले में चुकंदर का प्लांट अच्छे से ग्रोथ कर रहा होता है, पत्तियां हरी और मजबूत दिखती हैं, लेकिन कई बार हार्वेस्ट से पहले ही चुकंदर गल कर मिट्टी में सड़ने लगता है। इससे उगाने वालों की मेहनत और समय दोनों खराब हो जाते हैं। चुकंदर खराब क्यों हो रहा है, इसके बहुत से कारण हो सकते हैं। यदि समय पर कुछ आसान उपाय कर लिए जाएं, तो चुकंदर को गलने से बचाकर (Prevent Beetroot From Rotting In Hindi) अच्छी क्वालिटी और हेल्दी चुकंदर तैयार किया जा सकता है। इस आर्टिकल में जानिए, चुकंदर क्यों गल रही है, चुकंदर गलने या सड़ने के कारण क्या है और चुकंदर गलने से कैसे बचाएं.
चुकंदर गलने के कारण क्या हैं – What Is The Reason For Rotting Of Beetroot In Hindi
अक्सर हमें मिट्टी से निकालते समय चुकंदर गला सड़ा मिलता है। यह समस्या आमतौर पर कई कारणों से होती है। चलिए जानते हैं कि चुकंदर क्यों गल रही है?
- अधिक पानी और जल जमाव – चुकंदर के प्लांट को जरूरत से ज्यादा पानी देने या गमले में पानी रुकने से जड़ें गलने लगती हैं और चुकंदर सड़ जाता है।
- भारी और चिकनी मिट्टी – भारी मिट्टी में हवा का प्रवाह कम होता है और पानी रुक जाता है, जिससे चुकंदर गलने लगता है।
- नमी में अचानक बदलाव – लंबे समय तक सूखे के बाद अचानक ज्यादा पानी देने पर चुकंदर की ग्रोथ प्रभावित होती है और वह सड़ सकता है।
- फंगल रोग – रूट रॉट, पिथियम और अन्य फंगल रोग मिट्टी में फैलकर चुकंदर की जड़ों को गलाते हैं, जिससे चुकंदर गल कर मिट्टी में सड़ने लगता है।
- अत्यधिक नाइट्रोजन का उपयोग – बहुत ज्यादा नाइट्रोजन देने से चुकंदर का ऊपरी भाग तो तेजी से बढ़ता है, लेकिन जड़ कमजोर होकर गलने लगती है।
- पौधों की ज्यादा घनी बुवाई – बहुत पास-पास पौधे लगाने से हवा नहीं लग पाती, जिससे नमी ज्यादा बनी रहती है और चुकंदर गलने लगता है।
- कटने या चोट लगने से संक्रमण – खरपतवार हटाते समय या मिट्टी में खुदाई करते समय चुकंदर को चोट लगने पर वहां से संक्रमण होकर सड़न शुरू हो जाती है।
- कीटों का प्रकोप – कुछ मिट्टी में रहने वाले कीट जड़ को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे घाव बनकर संक्रमण फैलता है और चुकंदर सड़ जाता है।
- मिट्टी में ज्यादा एसिडिटी – मिट्टी में pH बहुत कम होने (अधिक अम्लीय) से भी चुकंदर की ग्रोथ कमजोर होती है और गलने की संभावना बढ़ जाती है।
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चुकंदर को गलने से रोकने के आसान उपाय – Easy Ways To Prevent Beetroot From Rotting In Hindi
मिट्टी के अंदर चुकंदर का गलना या सड़ जाना एक आम समस्या है। आप नीचे बताए गए तरीके अपनाकर मिट्टी में ही चुकंदर को हेल्दी बना सकते हैं। चलिए जानते हैं कि, चुकंदर गलने से कैसे बचाएं ताकि आपको स्वस्थ व पोष्टिक चुकंदर प्राप्त हो सके।
1. पानी की मात्रा नियंत्रित करें – Control Watering in Hindi
चुकंदर के प्लांट में जरूरत से ज्यादा पानी देने पर जड़ें गलने लगती हैं। पानी देने का सही तरीका यह है कि मिट्टी ऊपर से सूखी दिखे, लेकिन अंदर हल्की नमी बनी रहे। खेत में हल्की सिंचाई करें और गमले में तब पानी दें जब ऊपरी परत सूखी हो। लगातार ज्यादा पानी देने से ऑक्सीजन की कमी होती है और फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। नमी संतुलित रखने से चुकंदर स्वस्थ रहेगा और गलने से बचेगा।
2. ड्रेनेज सिस्टम सुधारें – Improve Drainage System in Hindi
गमले में ड्रेनेज सही होना बेहद जरूरी है। खेत में नालियां बनाकर पानी का निकास रखें ताकि पानी रुक न सके। गमले में नीचे छेद और छोटे पत्थर या ईंट के टुकड़े डालें ताकि अतिरिक्त पानी निकल जाए। पानी के रुकने से मिट्टी में फंगल संक्रमण होता है, जिससे चुकंदर गलकर सड़ने लगता है।
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3. सही मिट्टी का चयन करें – Choose Proper Soil in Hindi
भारी और चिकनी मिट्टी में पानी ज्यादा देर तक रुकता है, जिससे चुकंदर गल सकता है। इसके लिए रेतीली या भुरभुरी दोमट मिट्टी का उपयोग करें। अगर मिट्टी भारी है तो उसमें रेत, गोबर की खाद और वर्मी कम्पोस्ट मिलाकर हल्का बनाएं। यह मिट्टी में हवा का संचार बनाए रखता है और अतिरिक्त पानी को रोकने में मदद करता है। मिट्टी सही होने से जड़ों को ऑक्सीजन मिलती है और चुकंदर मजबूत और स्वस्थ विकसित होते हैं।
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4. फंगल रोग कंट्रोल करें – Control Fungal Diseases in Hindi
फंगल रोग जैसे रूट रॉट और पिथियम से चुकंदर गलकर सड़ सकता है। बचाव के लिए बीज और मिट्टी का उपचार ट्राइकोडर्मा या नीम खली से करें। जैविक फफूंदनाशक का इस्तेमाल गमले में किया जा सकता है। फसल के बीच हवा का प्रवाह बना रहे, इसके लिए पौधों के बीच उचित दूरी रखें।
5. पौधों के बीच उचित दूरी रखें – Maintain Proper Plant Spacing in Hindi
बहुत घनी बुवाई करने पर पौधों को हवा और रोशनी सही से नहीं मिलती, जिससे नमी ज्यादा रहती है और फंगल रोग फैल सकते हैं। खेत में पौधों के बीच 10-15 सेमी दूरी रखें और गमले में एक ही पौधा लगाएं। इससे हवा का संचार अच्छा होगा और नमी जल्दी सूखेगी। उचित दूरी रखने से पौधों को पोषक तत्व सही मात्रा में मिलेंगे और चुकंदर का आकार और क्वालिटी दोनों बेहतर होंगे।
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6. संतुलित उर्वरक का इस्तेमाल करें – Use Balanced Fertilizer in Hindi
अधिक नाइट्रोजन देने से चुकंदर के पत्ते तो तेजी से बढ़ जाते हैं, लेकिन जड़ें कमजोर हो जाती हैं और गलने लगती हैं। इसके लिए संतुलित उर्वरक दें जिसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश सही मात्रा में हो। वर्मी कम्पोस्ट और गोबर की सड़ी खाद भी डाल सकते हैं। इससे मिट्टी में पोषक तत्व का संतुलन बना रहेगा।
7. कीट नियंत्रण करें – Control Pests in Hindi
कुछ मिट्टी में रहने वाले कीट जैसे सफेद ग्रब या दीमक जड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे घाव बनकर फंगल संक्रमण फैलता है और चुकंदर सड़ने लगता है। इसके लिए नीम का अर्क या जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें। समय-समय पर गमले की मिट्टी में भी चेक करें। कीटों पर नियंत्रण रखने से चुकंदर की जड़ें सुरक्षित रहेंगी और सड़न से बचाव होगा।
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8. समय पर तुड़ाई करें – Harvest at Right Time in Hindi
अगर चुकंदर को बहुत ज्यादा समय तक मिट्टी में छोड़ देंगे तो वह सड़ सकता है। जब चुकंदर का आकार पूरा हो जाए और पत्तियां पीली पड़ने लगें, तो समय पर निकाल लें। देर से निकालने पर जड़ें कमजोर होकर सड़ सकती हैं। सही समय पर तुड़ाई करने से चुकंदर का स्वाद, क्वालिटी और आकार भी अच्छा रहता है और खराब होने से बचता है।
9. मिट्टी का pH संतुलित रखें – Maintain Soil pH in Hindi
अधिक अम्लीय मिट्टी में चुकंदर की ग्रोथ कमजोर होती है और सड़ने की संभावना बढ़ जाती है। मिट्टी का pH 6.0-7.0 के बीच होना चाहिए। pH संतुलित करने के लिए मिट्टी में राख या चूना डाल सकते हैं। गमले की मिट्टी में भी pH मीटर से जांच कर आवश्यकतानुसार सुधार करें। pH संतुलित रहने से पौधों की पोषक तत्व ग्रहण क्षमता बढ़ती है और चुकंदर स्वस्थ रहते हैं।
निष्कर्ष
चुकंदर का प्लांट गमले में लगाना आसान है, लेकिन अगर सही देखभाल न की जाए तो यह गलकर मिट्टी में सड़ने लगता है, जिससे उत्पादन और मेहनत दोनों पर असर पड़ता है। अधिक पानी, खराब ड्रेनेज, भारी मिट्टी, फंगल रोग और कीट इसके प्रमुख कारण हैं। यदि आप समय पर पानी की मात्रा नियंत्रित करें, मिट्टी और ड्रेनेज सुधारें, जैविक फफूंदनाशक और संतुलित खाद का उपयोग करें और समय पर तुड़ाई करें, तो चुकंदर को गलने से आसानी से बचा सकते हैं।
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