बेल वाली सब्जियों में लगने वाले कीट और रोग एवं बचाव के तरीके – Pests And Diseases Of Vine Vegetables In Hindi

होम गार्डन में बेल या लताओं वाली सब्जियों को गमले में मुख्यतः गर्मियों के समय उगाया जाता है जिनमें तोरई, लौकी, खीरा, ककड़ी, छप्पन कद्दू, टिंडा, पेठा, खरबूज, तरबूज इत्यादि शामिल हैं, ये बेल वाली लगभग सभी सब्जियां कद्दुवर्गीय परिवार की सब्जियों में शामिल हैं, कई बार इन बेल वाली सब्जियों में कीट और बीमारियां लग जाती हैं, जिसकी वजह से आपके गार्डन में लगे हुए पौधों को भारी नुकसान पहुंचता है, पौधों पर इन हानिकारक कीटों और रोगों का प्रकोप पौधे की गुणवत्ता और उत्पादकता को कम कर देता है, ऐसे में कद्दूवर्गीय बेल वाली सब्जियों के पौधों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए। लता या बेल वाली सब्जियों में लगने वाले कीट और बीमारियां कौन-कौन सी हैं और पौधों को कीट पतंगों से बचाव हेतु किन-किन कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है, रोकथाम के उपाय जानने के लिए आर्टिकल को पूरा पढ़ें। 

बेल वाली सब्जियों में कीट नियंत्रण के उपाय – Pests & Control In Vine Vegetables In Hindi

बेल वाली सब्जियों में कीट नियंत्रण के उपाय - Pests & Control In Vine Vegetables In Hindi

लता या बेल वाली सब्जियों व पौधों में लगने वाले प्रमुख कीट (कीड़े) निम्न हैं:

  • ककड़ी बीटल (Cucumber Beetles)
  • स्क्वैश बेल बोरर (Squash vine borer)
  • स्क्वैश बग (Squash bug)
  • एफिड्स (Aphids)
  • स्पाइडर माइट्स (Spider mites)
  • व्हाइटफ्लाई या सफेद मक्खी (Whiteflies)
  • कटवर्म (Cutworm)

उपर्युक्त बताए गये कीड़े बेल वाली सब्जियों की पत्तियों, शाखाओं, तनों व फल इत्यादि को प्रभावित कर आपके पौधे को विभिन्न प्रकार से नुकसान पहुंचा सकते हैं वहीं इनमें से कुछ कीट ऐसे भी हैं जिनके कारण इन पौधों में कई प्रकार के कवक या वायरस रोग लग जाते हैं, फलस्वरूप आपके पौधे की वृद्धि रुक जाती है या पौधा मर सकता है, इन सभी नुकसान से पौधों को बचाने के लिए कीट नियंत्रण के उपाय व पौधों में लगने वाले कीड़ों को रोकने के तरीकों को अपनाकर आप हानिकारक कीटों से अपने गमले में लगे पौधों की सुरक्षा कर सकते हैं।

एफिड्स, स्क्वैश बग, स्पाइडर माइट्स, कटवर्म जैसे कीड़ों से पौधों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए आप इनमें कीटनाशकों या होममेड पेस्टीसाइड का इस्तेमाल कर सकते हैं, इसके लिए नीम तेल स्प्रे या डिश वाश साबुन का पानी के साथ घोल बनाकर पौधों पर स्प्रे करें, लेकिन कुछ स्क्वैश बेल वोरर जैसे कीटों का लार्वा पौधे की शाखाओं या तने के अन्दर होने पर कीटनाशक अप्रभावी हो जाते हैं अतः इन कीटों से छुटकारा पाने के लिए आपको अन्य तरीके जैसे- पौधे की प्रभावी शाखाओं से कीट को सावधानी पूर्वक निकालना इत्यादि उपाय अपनाने होंगे। व्हाइटफ्लाई या सफेद मक्खी को गार्डन के पौधों से दूर करने के लिए आप स्टिकी ट्रैप का उपयोग कर सकते हैं तथा ककड़ी बीटल जैसे कीटों से पौधों को पेट्रोलियम जैली जैसे चिपचिपा पदार्थ लगे हुए दस्ताने पहन कर हटा सकते हैं।

(और पढ़ें: लता या बेल वाली सब्जियां, जिन्हें गमले में उगाना है आसान…)

बेल वाली सब्जियों में कीट लगने के लक्षण – Symptoms Of Pest In Vineyard Vegetables In Hindi

होम गार्डन में लताओं वाली सब्जियां लगाने से लेकर कटाई होने तक पौधों पर कीटों का हमला हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप आपके गार्डन में लगे हुए बेल वाली सब्जियों या पौधों में कीट लगने पर दिखाई देने वाले कुछ प्रमुख लक्षण निम्न है:

  • आपके बेल वाले पौधे कमजोर व मुरझाये हुए दिखाई देते हैं।
  • ये कीड़े पत्तियों को ख़राब कर सकते हैं तथा पत्तियों में छोटे छेद दिखाई देने लगते हैं।
  • विभिन्न कीट जड़ों या फूलों पर फ़ीड कर सकते हैं।
  • बेल वाली सब्जियों में लगने वाले कीट बैक्टीरिया और वायरल रोगों को प्रसारित कर सकते हैं।
  • कीट घाव पैदा कर सकते हैं जो कवक रोगजनकों को पौधे में प्रवेश करने में मदद करते हैं।

(और पढ़ें: गमले के पौधों को कीट से बचाने के तरीके…)

बेल वाली सब्जियों के रोग एवं उनके रोकथाम के उपाय – Vine Vegetables Diseases and their control In Hindi

लता या बेल वाली लगभग सभी सब्जियों में लगने वाले ज्यादातर रोग एक जैसे ही होते हैं, जिनकी रोकथाम करना काफी आसान होता है, बेल वाले पौधों में लगने वाले सामान्य रोगों या बीमारियों के नाम तथा रोग नियंत्रण के उपाय निम्न हैं:  

  • स्कैब (scab)
  • एन्थ्रेक्नोज (Anthracnose)
  • एंगुलर लीफ (Angular Leaf)
  • बैक्टीरियल विल्ट (Bacterial wilt)
  • फुसैरियम विल्ट (Fusarium Wilt)
  • पाउडरी मिल्ड्यू (powdery mildew)
  • डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew)
  • मोजेक वायरस (mosaic virus)
  • गमी स्टेम ब्लाइट – (Gummy stem blight)

स्कैब – Scab In Hindi

बेल वाली सब्जियों व पौधों को प्रभावित करने वाले रोगों में स्कैब एक सबसे प्रमुख बीमारी है जो अधिक ठंडे या नम वातावरण में पौधों की वृद्धि व उत्पादन को प्रभावित करता है, इसे गमोसिस रोग (Gummosis) भी कहा जाता है जो कद्दू, स्क्वैश और खरबूजे सहित अन्य बेल वाले पौधों की विस्तृत श्रृंखला को भी संक्रमित कर सकता है जिसे फलों पर काले धब्बे आने से पहचाना जा सकता है।

स्कैब रोग से पौधों को कैसे बचाएं – इस रोग से प्रभावित फलों को काटकर तुरंत नष्ट कर दें तथा अपने बगीचे में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।

एन्थ्रेक्नोज – Anthracnose In Hindi

यह एक कवक रोग है जो सब्जियों, फलों और पेड़ों सहित कई अन्य पौधों के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है जो आमतौर पर पत्तियों में पहले छोटे, अनियमित पीले या भूरे रंग के धब्बे के रूप में दिखाई देता है तथा यह बरसात के मौसम में बहुत तेजी से फैल सकता है। पत्तियों, तनों, फूलों और फलों पर काले, धँसे हुए घाव से एन्थ्रेक्नोज रोग को पहचाना जा सकता है।

एन्थ्रेक्नोज से पौधों को कैसे बचाएं – एन्थ्रेक्नोज रोग से प्रभावित तना, पत्तियों व फलों को तुरंत हटायें तथा पत्तियों को गीला न होने दें इसके अतिरिक्त बरसात या अधिक ठण्ड के समय पौधों को उचित स्थान पर ले जाना सुनिश्चित करें।

एंगुलर लीफ – Angular Leaf In Hindi

एंगुलर लीफ स्पॉट बेल या लताओं वाली सब्जियों में होने वाला एक बैक्टीरियल रोग है जो गीलेपन के कारण फैलता है। इस रोग से संक्रमित पौधे की पत्तियों पर पानी से लथपथ धब्बे आ जाते हैं तथा पत्तियों पर छोटे-छोटे छेद दिखाई देते हैं। जब एंगुलर लीफ रोग बेल वाली सब्जियों के फलों को प्रभावित करता है तो फलों में गोल धब्बे दिखाई देते हैं साथ ही एक गाढ़ा रिसने वाला पदार्थ भी निकलता है जिसके कारण फल खाने योग्य नहीं रहता।

पौधों को एंगुलर लीफ स्पॉट रोग से कैसे बचाएं – अपने गार्डन में लगे हुए बेल वाली सब्जियों में एंगुलर लीफ रोग के लक्षण दिखाई देने पर रोग प्रभावित पौधे को स्वस्थ पौधों से तुरंत अलग करें और गार्डन में साफ-सफाई होना सुनिश्चित करें ताकि अन्य पौधे संक्रमित न हो तथा पत्तियों को सूखा रखने के लिए पौधों को उचित दूरी पर रखें।

बैक्टीरियल विल्ट – Bacterial Wilt In Hindi

बैक्टीरियल विल्ट रोग से प्रभावित बेल वाली सब्जियों जैसे लौकी, तोरई इत्यादि में सबसे पहले पत्तियां सूखना शुरू करती हैं और धीरे- धीरे पूरी बेल संक्रमित होकर सूखने लगती है, अंततः पूरा पौधा मर जाता है। पौधों में बैक्टीरियल विल्ट रोग ककड़ी भृंगों द्वारा फैलता है तथा यह तरबूज को प्रभावित नहीं करता है।

पौधों को बैक्टीरियल विल्ट रोग से कैसे बचाएं – यह रोग ककड़ी बीटल कीट के कारण पौधों को संक्रमित करता है इसीलिए बेल वाली सब्जियों को कीटों से बचाएं।

(और पढ़ें: छाया में बेल या लता पर उगने वाली सब्जियां….)

फुसैरियम विल्ट – Fusarium Wilt In Hindi

फुसैरियम विल्ट (फ्यूजेरियम) एक प्रकार का कवक रोग है जो मुख्य रूप से खरबूजे और तरबूज के पौधों को प्रभावित करता है। पौधों में फुसैरियम विल्ट रोग होने पर निम्न लक्षण दिखाई देते हैं :

  • लताओं में पानी से लथपथ धारियाँ विकसित हो सकती हैं।
  • पौधे का विकास रुक जाता है।
  • पत्तियां मुरझा जाती हैं।
  • बेल या लताओं की जड़ें सड़ जाती हैं और पौधा मर जाता हैं।

बेल वाले पौधों को फुसैरियम विल्ट रोग से कैसे बचाएं – बेल वाली सब्जियों को फुसैरियम विल्ट रोग से बचाने के लिए पौधों को 6.0-7.0 पीएच मान वाली मिट्टी में लगाना चाहिए चूँकि नाइट्रोजन पोषक तत्वों की अधिकता के कारण पौधे फुसैरियम विल्ट रोग से प्रभावित हो सकते हैं, अतः नाइट्रोजन उर्वरक की निश्चित मात्रा ही पौधों को देनी चाहिए।

पाउडरी मिल्ड्यू – Powdery Mildew In Hindi

पाउडरी मिल्ड्यू - Powdery Mildew In Hindi

आपके होमगार्डन या टेरेस गार्डन में होने वाला खस्ता फफूंदी या पाउडरी मिल्ड्यू रोग एक कवक रोग है जो उच्च आर्द्रता और गर्म मौसम में पनपता है यह अन्य बेल वाली सब्जियों के साथ मुख्यतः लौकी को प्रभावित करता है यह रोग लौकी की बेल सूखने का कारण बनता है जिसमें पत्तियों व युवा तनों पर सफेद-भूरे रंग का पाउडर जैसा पदार्थ बनता है, परिणामस्वरूप प्रभावी पौधे सूखकर मुरझाने लगते हैं अंततः बेल वाली सब्जियों के पौधे मर जाते हैं।

पाउडरी मिल्ड्यू रोग से पौधों को कैसे बचाएं – अगर आपकी बेल वाली सब्जियों या पौधों में खस्ता फफूंदी रोग पाया गया है तो आप इसे पोटेशियम बाइकार्बोनेट का स्प्रे या पोटाश का छिड़काव करके दूर किया जा सकता है।

डाउनी मिल्ड्यू – Downy Mildew In Hindi

डाउनी मिल्ड्यू - Downy Mildew In Hindi

कोमल फफूंदी रोग या डाउनी मिल्ड्यू सब्जियों वाले पौधे में पत्तियों के ऊपरी सिरे पर अनियमित आकार के पीले-भूरे रंग के धब्बे के रूप में दिखाई देता है, जब यह रोग बरसात के समय नम मौसम में पनपता है, तब इन धब्बों के नीचे एक बैंगनी रंग का फफूंदी बन सकता है। कोमल फफूंदी से प्रभावित पौधे की पत्तियों में धब्बे बड़े होने पर पत्तियाँ मर जाती हैं, डाउनी मिल्ड्यू रोग मुख्यतः खीरे और खरबूजे को प्रभावित करता है।

डाउनी मिल्ड्यू बीमारी से पौधों को कैसे बचाएं – फफूंदी रोग से प्रभावित पौधों के आसपास नमी को कम करके आप प्रभावी तरीके से पौधों में फंगल रोग का प्रबंधन कर सकते हैं इसके लिए आप पौधों को ड्रिप सिंचाई सिस्टम से पानी देने का तरीका अपनाएं और पौधे की छंटाई के माध्यम से वायु परिसंचरण में सुधार करके भी नमीं को नियंत्रित कर सकते हैं।

(यह भी जानें: जानें गर्मियों में सब्जियों की देखभाल करने के आसान टिप्स…)

मोजेक वायरस – Mosaic Virus In Hindi

मोज़ेक वायरस बेल या लताओं वाली सब्जियों व पौधे में पत्तियों के धब्बेदार, बौने और विकृत होने का कारण बनता है। प्रत्येक बेल वाली सब्जी का अपना अलग मोजेक वायरस होता है जैसे-तरबूज मोज़ेक -2, स्क्वैश मोज़ेक वायरस, ककड़ी मोजेक वायरस। ये वायरस भी मुख्य रूप से अत्याधिक नमी वाले स्थानों पर ही पौधों को प्रभावित करते हैं।

लता वाले पौधों को मोजेक वायरस रोग से कैसे बचाएं – अगर आप अपने गार्डन में प्रतिवर्ष बेल वाली सब्जियाँ लगाते हैं और उनमें मोजेक वायरस रोग का खतरा है तो पौधे लगाते समय रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें तथा रोग फ़ैलाने वाले कीटों का नियंत्रण और गार्डन में अत्याधिक नमीं से बचाव करने के तरीके अपनाना सबसे अच्छा होगा।

गमी स्टेम ब्लाइट – Gummy Stem Blight In Hindi

गामी स्टेम ब्लाइट एक कवक रोग है जो डिडिमेला ब्रायोनिया (Didymella Bryoniae) नामक कवक के कारण होता है, इस चिपचिपे स्टेम ब्लाइट को ब्लैक रोट के रूप में भी जाना जाता है यह रोग मुख्य रूप से ककड़ी, तरबूज, खरबूजे, स्क्वैश और कद्दू जैसी लगभग सभी बेल वाली सब्जियों में होता है जो पौधों के तना, बेल, पत्तियों व फलों को प्रभावित करता है जिसके परिणामस्वरूप उपज में कमी, काली सड़न के साथ क्षतिग्रस्त फलों की प्राप्ति इत्यादि समस्या उत्पन्न होती है अत्याधिक प्रभावित होने पर पौधों की मृत्यु भी हो जाती है।

पौधों को गामी स्टेम ब्लाइट रोग से कैसे बचाएं – लगातार बारिश, ऊपरी सिंचाई या खराब जल निकासी के साथ उच्च आर्द्रता और नमी (लगातार 4-10 घंटे नमी) की स्थितियां गामी स्टेम ब्लाइट कवक रोग का कारण बनती हैं। ठंडे, बरसात के मौसम में चिपचिपा स्टेम ब्लाइट को नियंत्रित करने के लिए नियमित कवकनाशी स्प्रे (fungicide spray) आवश्यक हो सकते हैं।

(और पढ़ें:  कद्दू वर्गीय (कुकुरबिट्स) सब्जियां और उगाने से सम्बंधित जानकारी….)

वार्षिक रूप से गार्डन में लगाई जाने वाली विभिन्न बेल वाली सब्जियों जैसे- लौकी, कद्दू, खरबूजे, इत्यादि में लगने वाले रोग और कीट आपके क्लाइम्बिंग वेजिटेबल के पौधों को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं, अगर आपके गार्डन में लगी हुई कोई भी लता या बेल वाली सब्जी में उपर्युक्त कीट या बीमारी के लक्षण दिखाई दें तो आप बताए गये कीट व रोग नियंत्रण व प्रबंधन के तरीके अपनाकर पौधों को कीड़ों से होने वाले किसी भी नुकसान से बचा सकते हैं।

Leave a Comment