How To Increase Flower And Fruit In Plum In Hindi: आलूबुखारा का पेड़ उन गार्डनिंग लवर्स के लिए बेहद खास माना जाता है, जो अपने गार्डन में रंग, खुशबू और स्वाद तीनों का मज़ा लेना चाहते हैं। जब इस पेड़ पर छोटे-छोटे सफेद या गुलाबी फ्लावर्स खिलते हैं, तो पूरा गार्डन नैचुरल ब्यूटी से भर जाता है। लेकिन असली खुशी तब मिलती है जब ये नाज़ुक फ्लावर्स हेल्दी फ्रूट में बदलते हैं। कई लोग जानना चाहते हैं कि आलूबुखारा में फूल और फल कैसे बढ़ाएं, क्योंकि कई बार मौसम, मिट्टी की कमी या प्रॉपर केयर न मिलने से फूल झड़ जाते हैं या फल छोटे रह जाते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप सही तरीके जानें और अपनाएं।
इस आर्टिकल में हम बेहद आसान और प्रैक्टिकली आलूबुखारा में फूल और फल बढ़ाने के तरीके बताएंगे, जिनकी मदद से आप अपने पौधे की वृद्धि को तेज़, मजबूत और हेल्दी बना सकते हैं—वो भी सिंपल, नेचुरल और असरदार तरीकों से।
आलूबुखारा में फूल और फल की ग्रोथ कैसे बढ़ाएं – How To Increase Flowers And Fruits In Plum In Hindi
आलूबुखारा में फूल और फल की ग्रोथ बढ़ाने के लिए सही खाद, सिंचाई, छंटाई और पौधे की देखभाल सबसे ज्यादा जरूरी होती है। अगर समय पर पौधे को पोषण और संरक्षण मिल जाए, तो फूल झड़ना कम होता है और फल की संख्या व गुणवत्ता दोनों बढ़ती हैं। चलिए जानते हैं आलूबुखारा के फूल और फल की ग्रोथ बढ़ाने के असरदार तरीके।
1. सही कटिंग और प्रूनिंग – Proper Pruning & Cutting in Hindi
आलूबुखारा के पेड़ की ग्रौथ बढ़ाने के लिए सही समय पर प्रूनिंग बेहद जरूरी है। सूखी, बीमार और अंदर की ओर बढ़ती शाखाओं को हटाने से पेड़ को न्यू एनर्जी मिलती है। इससे पेड़ में एयर सर्कुलेशन अच्छा होता है और न्यूट्रिशन सही तरह वितरित होता है। प्रॉपर प्रूनिंग से फूल ज्यादा लगते हैं और फल भी अच्छे आकार के बनते हैं। बारिश के मौसम या बहुत ठंड में प्रूनिंग न करें, क्योंकि इससे इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। हमेशा तेज़ और साफ टूल का उपयोग करें ताकि पेड़ जल्दी रिकवर हो सके।
(यह भी जानें: फल वाले पेड़ पौधे लगाने के लिए बेस्ट ग्रो बैग साइज…)
2. संतुलित खाद देना – Balanced Nutrition Supply in Hindi
आलूबुखारा के पेड़ को बैलेंस्ड न्यूट्रिशन देना उसकी ग्रौथ का बेसिक फाउंडेशन है। फरवरी से जून के बीच जैविक खाद—जैसे कि कंपोस्ट, गोबर खाद और नीम खली—देने से फूल और फल दोनों की क्वालिटी बेहतर होती है। पोटाश और फॉस्फोरस वाले पोषक तत्व फल बनने की क्षमता बढ़ाते हैं। नाइट्रोजन की मात्रा बहुत ज्यादा न दें, वरना पेड़ पत्ती ही ज्यादा बनाएगा। साल में 2–3 बार सही मात्रा में खाद डालना पेड़ को स्ट्रॉन्ग, हेल्दी और प्रोडक्टिव बनाता है।
मिट्टी व जैविक खाद खरीदने के लिए नीचे दिए आइकॉन पर क्लिक करें:
3. नियमित सिंचाई लेकिन ओवरवाटरिंग नहीं – Controlled Irrigation in Hindi
आलूबुखारा के पेड़ को मॉइस्चर चाहिए लेकिन ओवरवाटरिंग इसकी जड़ों को डैमेज कर सकती है। फूल आने के समय हल्की लेकिन नियमित सिंचाई की जरूरत होती है ताकि पेड़ स्ट्रेस में न जाए। गर्मियों में मिट्टी की ऊपरी परत सूखने पर ही पानी दें। बहुत ठंड या बारिश के समय पानी बिल्कुल कम कर दें। जड़ क्षेत्र में पानी का भराव फल बनने की क्षमता कम कर देता है। नियंत्रित सिंचाई पेड़ की ग्रौथ, फूलिंग और फ्रूट सेट तीनों को पॉजिटिव तरीके से बढ़ाती है।
4. मिट्टी की क्वालिटी सुधारना – Soil Improvement in Hindi
आलूबुखारा अच्छी ड्रेनेज वाली, हल्की दोमट मिट्टी में अधिक ग्रौथ दिखाता है। मिट्टी में ऑर्गेनिक मैटर मिलाने से इसकी फर्टिलिटी बढ़ती है और जड़ों को मजबूत सपोर्ट मिलता है। अगर मिट्टी सख्त है तो उसे ढीला करने और मल्चिंग करने से रूट जोन में एयरफ्लो बेहतर होता है। मिट्टी का pH लगभग 6–7 रखना आदर्श माना जाता है। सही मिट्टी से पेड़ को प्रॉपर न्यूट्रिशन मिलता है, जिससे फूल और फल दोनों स्वस्थ और ज्यादा मात्रा में बनते हैं।
(यह भी जानें: बेल वाले पौधे जिन पर लगते हैं स्वादिष्ट फल…)
5. मल्चिंग करना – Mulching for Moisture & Protection in Hindi
मल्चिंग पेड़ की ग्रौथ और फ्रूटिंग दोनों को सपोर्ट करती है। पेड़ के तने के चारों ओर सूखे पत्ते, भूसा या लकड़ी की छाल फैलाने से मिट्टी में मॉइस्चर बना रहता है। इससे जड़ें हीट स्ट्रेस और ठंड से सुरक्षित रहती हैं। मल्चिंग से खरपतवार भी कम होते हैं, जिससे पेड़ के न्यूट्रिएंट्स बचते हैं। यह तकनीक पूरे साल पेड़ को स्टेबल ग्रौथ देती है और फूलों की गिरावट कम होती है।
गमला खरीदने के लिए नीचे दिए आइकॉन पर क्लिक करें:
6. फूल आने के समय पोषण बढ़ाना – Bloom Time Nutrition Boost in Hindi
फूल आने के समय पेड़ को एक्स्ट्रा न्यूट्रिशन की जरूरत होती है। इस दौरान वर्मीकम्पोस्ट और फॉस्फोरस की मात्रा थोड़ा बढ़ाने से बड फॉर्मेशन तेज़ होता है। माइक्रोन्यूट्रिएंट स्प्रे जैसे बोरोन और जिंक—गिरते हुए फूल बचाने में मदद करते हैं। फूलिंग के समय पेड़ को स्ट्रेस नहीं पड़ना चाहिए, इसलिए पानी और खाद का बैलेंस बहुत जरूरी है। सही पोषण से फ्रूट सेट स्ट्रॉन्ग होता है और फल आकार में बड़े बनते हैं।
7. कीट और रोग नियंत्रण – Pest & Disease Control in Hindi
आलूबुखारा पर एफिड्स, फल मक्खी और फंगल इन्फेक्शन जैसे रोग जल्दी लगते हैं। इसलिए पेड़ की लगातार मॉनिटरिंग जरूरी है। नीम तेल, जैविक फफूंदनाशक या ट्राइकोडर्मा का उपयोग करने से पेड़ सुरक्षित रहता है। यदि रोग बढ़ रहा हो तो समय पर उसका इलाज करना जरूरी है, वरना फूल और फल दोनों पर बुरा असर पड़ता है। हेल्दी, रोग-रहित पेड़ हमेशा ज्यादा फूल और अच्छे फलों की ग्रौथ देता है।
(यह भी जानें: गार्डन का सामान कहाँ से खरीदें…)
8. धूप की सही मात्रा देना – Proper Sunlight Exposure in Hindi
आलूबुखारा के पेड़ को रोज़ाना 6–7 घंटे डायरेक्ट सनलाइट चाहिए, तभी वह फूल और फलिंग में अच्छा प्रदर्शन करता है। कम धूप होने पर पेड़ लंबा तो बढ़ता है लेकिन फूल बहुत कम लगते हैं। यदि आपका पेड़ शेड में है तो उसकी लोकेशन चेंज करें या आस-पास की झाड़ियों को काटें। धूप की सही मात्रा पेड़ में शुगर प्रोडक्शन और फोटोसिंथेसिस को बढ़ाती है, जिससे फल का साइज और टेस्ट दोनों बेहतर होते हैं।
9. फूल गिरने से रोकना – Reducing Flower Drop in Hindi
आलूबुखारा के पेड़ में कई बार बेमौसम हवा, पोषण की कमी, कम पानी या अचानक तापमान बदलने की वजह से फूल गिरने लगते हैं। इसे रोकने के लिए पेड़ को स्टेबल कंडीशन और न्यूट्रिशन देना जरूरी है। माइक्रोन्यूट्रिएंट स्प्रे, हल्की सिंचाई और मल्चिंग से फूलों की ग्रिप मजबूत होती है। पेड़ को स्ट्रेस मिलने पर सबसे पहले फूल गिरते हैं, इसलिए सभी पर्यावरणीय फैक्टर्स को बैलेंस रखना बहुत जरूरी है।
(यह भी जानें: बेस्ट होम गार्डन टूल्स जो गार्डनिंग को बनाएं आसान…)
बागवानी प्रोडक्ट खरीदने के लिए नीचे दिए आइकॉन पर क्लिक करें:
10. समय पर फल छाँटना – Fruit Thinning for Better Growth in Hindi
जब पेड़ पर बहुत ज्यादा छोटे-छोटे फल लग जाते हैं, तो न्यूट्रिशन हर फल में बराबर नहीं पहुंच पाता। इससे फल छोटे, कम स्वाद वाले और कमजोर बनते हैं। इसलिए समय पर 20–30% छोटे या कमजोर फल हटाना जरूरी है। इस प्रक्रिया को फल थिनिंग कहते हैं। इससे पेड़ बाकी फलों पर फुल ग्रौथ देता है और फलों का आकार, रंग और क्वालिटी सभी बेहतर होते हैं। यह प्रोसेस फल उत्पादन को हाई-क्वालिटी बनाती है।
निष्कर्ष:
आलूबुखारा के फूल और फल की ग्रोथ बढ़ाने के लिए सही केयर, समय पर फर्टिलाइज़ेशन, संतुलित वॉटरिंग और पौधे की जरूरत के अनुसार प्रूनिंग करना बेहद महत्वपूर्ण है। जब पेड़ को पर्याप्त पोषक तत्व, सही धूप और अच्छा माहौल मिलता है, तब उसकी फ्लावरिंग भी बढ़ती है और फ्रूट सेटिंग भी मजबूत होती है। ध्यान रखें कि आलूबुखारा एक संवेदनशील फलदार पौधा है, इसलिए इसे समय-समय पर कीट और रोग से बचाने के लिए स्प्रे मैनेजमेंट भी ज़रूरी है।
FAQ
1. आलूबुखारा किस मौसम में आता है? – In which season does plum come in Hindi
आलूबुखारा मुख्य रूप से गर्मियों की शुरुआत में बाजार में दिखाई देने लगता है। इसका फल मार्च के अंत से जून तक पकना शुरू हो जाता है। ठंडे और पहाड़ी इलाकों में इसकी पैदावार थोड़ी देर से आती है, जबकि मैदानी क्षेत्रों में जल्दी पक जाती है।
2. आलूबुखारा का पेड़ कितना बड़ा होता है? – How big does a plum tree grow in Hindi
आलूबुखारा का पेड़ सामान्यतः 10 से 20 फीट तक ऊँचा होता है। कुछ किस्में 25 फीट तक भी बढ़ सकती हैं, जबकि ड्वार्फ किस्में 6–8 फीट तक रहती हैं। इसका फैलाव मध्यम होता है और शाखाएँ गोल, घनी तथा फलन के लिए उपयुक्त संरचना बनाती हैं।
3. आलूबुखारा का दूसरा नाम क्या है? – What is the other name of plum in Hindi
आलूबुखारा को आमतौर पर प्लम के नाम से जाना जाता है। कुछ क्षेत्रों में इसे सूल, बेर प्रजाति का फल, या स्थानीय बोलियों में अलग-अलग नामों से भी पुकारा जाता है। अधिकतर भाषाओं में इसका मानक और प्रचलित नाम प्लम (plum) ही माना जाता है।
मिट्टी व जैविक खाद खरीदने के लिए नीचे दिए आइकॉन पर क्लिक करें:


