घर पर सफेद मूसली कैसे उगाएं – How To Grow Safed Musli At Home In Hindi

Safed Musli Kaise Ugaye In Hindi: आजकल लोग घर पर ही औषधीय पौधे उगाने की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, ताकि शुद्ध और प्राकृतिक जड़ी-बूटियाँ आसानी से उपलब्ध हो सकें। ऐसे में सफेद मूसली घर पर कैसे उगाएं, यह सवाल बहुत आम हो गया है, क्योंकि सफेद मूसली (Scientific Name: Chlorophytum borivilianum) एक मूल्यवान औषधीय पौधा है जिसे सही तरीके से उगाया जाए तो कम जगह में भी अच्छी पैदावार मिल सकती है। इसकी जड़ें स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होती हैं और इसे घर पर उगाना उतना कठिन नहीं होता जितना लोग सोचते हैं।

सही मिट्टी, सही मौसम और हल्की देखभाल के साथ यह पौधा गमले में भी अच्छी तरह बढ़ता है। आज के इस लेख में आप जानेंगे कि सफेद मूसली को घर पर कैसे लगाएं, सफेद मूसली लगाने का तरीका और Safed Musli की देखभाल कैसे करें, ताकि आपको अपने ही गार्डन से अधिक और स्वस्थ पैदावार मिल सके।

सफेद मूसली लगाने का सही समय – What Is Best Time To Plant Safed Musli In Hindi

सफेद मूसली किस महीने में लगाई जाती है? तो आमतौर पर सफेद मूसली लगाने का सबसे अच्छा समय जून से अगस्त यानी बारिश की शुरुआत का मौसम होता है। इस समय मिट्टी में पर्याप्त नमी रहती है, जिससे जड़ें जल्दी विकसित होती हैं। बहुत ठंड या बहुत गर्मी में पौधा ठीक से नहीं बढ़ता। इसके लिए हल्का नम और ठंडा वातावरण सबसे अनुकूल होता है। समय पर रोपाई करने से पैदावार भी अच्छी मिलती है। सफेद मूसली लगभग 8 से 9 महीने में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है।

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सफेद मूसली के लिए गमला – Pot Size For Safed Musli In Hindi

अगर आप गमले या ग्रो बैग में सफेद मूसली उगाना चाहते हैं, तो 12–14 इंच गहरा गमला सबसे अच्छा रहता है। गमले में पानी निकासी के लिए नीचे ड्रेनेज होल होना जरूरी है, वरना जड़ें सड़ सकती हैं। पौधे लगाने के लिए गमले या ग्रो बैग की गहराई सही होना चाहिए, ताकि सफेद मूसली की जड़े सही से फैल सकें। आप निम्न साइज के गमले या ग्रो बैग का इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे-

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सफेद मूसली के लिए मिट्टी – Best Soil For Safed Musli Plant In Hindi

सफेद मूसली के लिए मिट्टी - Best Soil For Safed Musli Plant In Hindi

मूसली उगाने के लिए हल्की, भुरभुरी और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी सबसे अच्छी होती है। भुर-भुरी दोमट मिट्टी में इसकी जड़ें आसानी से फैलती हैं और सड़न का खतरा कम होता है। मिट्टी का pH लगभग 6.5 से 8.5 होना चाहिए, जो पौधे की बढ़त के लिए उपयुक्त है। मूसली लगाने से पहले मिट्टी में गोबर खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाना जरूरी है। मिट्टी बहुत सख्त या ज्यादा चिकनी होने पर जड़ें ठीक से नहीं बढ़तीं।

सफेद मूसली लगाने की विधि – Safed Musli Growing Method In Hindi

मूसली लगाने की विधि को जानना बहुत जरूरी है ताकि पौधा सही तरीके से बढ़ सके और अच्छी पैदावार मिले। यदि सही मिट्टी, बल्ब लगाने का तरीका और दूरी ठीक रखी जाए, तो यह पौधा जल्दी विकसित होता है। घर पर मूसली बल्ब लगाने के स्टेप्स निम्न हैं, जैसे-

  1. भुरभुरी, दोमट मिट्टी लें और इसमें अच्छी मात्रा में गोबर खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाएं।
  2. अब गमले या ग्रो बैग में बल्ब को 10–12 सेंटीमीटर गहरा और लगभग 25–30 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएं।
  3. स्वस्थ, घाव-रहित और सख्त बल्ब/गांठे चुनें। नर्म या सड़े हुए बल्ब न लगाएं।
  4. बल्ब के छिछले हिस्से को ऊपर की ओर या साइड करके गड्ढे में रखें; हल्का दबाकर मिट्टी भरें।
  5. कंद (बल्ब) लगाने के बाद पानी दें ताकि मिट्टी में नमी बने रहे और जड़ें अच्छे से सेट हो जाएं लेकिन जलभराव न होने दें।
  6. ऊपर से सूखी घास या पत्तियाँ बिछा दें; नमी बनी रहती है और खरपतवार कम होते हैं।
  7. शुरुआत में हल्की छाया या सुबह की धूप दें; दोपहर की तेज धूप से बचाएं।

नोट – आप सफेद मूसली को बीज से भी लगा सकते हैं, लेकिन यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है।

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सफेद मूसली की देखभाल कैसे करें – Safed Musli Plant Care In Hindi

सफेद मूसली की सही देखभाल बहुत जरूरी होती है ताकि इसकी जड़ें अच्छी तरह विकसित हों और पैदावार अधिक मिले। इसकी बढ़त मिट्टी की नमी, हल्की धूप और खाद पर निर्भर करती है।यदि पौधों को समय-समय पर पानी और रोग नियंत्रण किया जाए तो ये तेजी से और स्वस्थ रूप से बढ़ते हैं। चलिए जानते हैं कि safed musli के पौधे की देखभाल कैसे करें, ताकि आपको अच्छी मूसली की पैदावार प्राप्त हो सके।

1. धूप

सफेद मूसली को हल्की या अप्रत्यक्ष धूप सबसे ज्यादा पसंद होती है। बहुत तेज धूप में इसके पत्ते पीले पड़ सकते हैं और पौधा कमजोर हो सकता है। इसे ऐसी जगह रखें जहाँ सूरज की हल्की धूप आती हो या छायादार जगह में रखें (जहाँ छनकर धूप आए)। पौधा गर्मी ज्यादा सहन नहीं करता, इसलिए दोपहर की तेज धूप से बचाना जरूरी है।

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2. पानी

मूसली की जड़ें नमी में तेजी से विकसित होती हैं, इसलिए मिट्टी को हमेशा हल्का नम रखना चाहिए। लेकिन ध्यान रहे कि पानी कभी भी जड़ों के पास ठहरना नहीं चाहिए, नहीं तो सड़न शुरू हो जाती है। गर्म मौसम में 3–4 दिन में हल्का पानी दें और बरसात के समय सिंचाई कम कर दें। गमले में लगाते समय ड्रेनेज अच्छा होना जरूरी है, नहीं तो जलभराव पौधे को नुकसान पहुँचा सकता है।

3. तापमान व आद्रता

सफेद मूसली के लिए 15°C से 30°C तापमान सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि इसी रेंज में इसकी जड़ें तेजी से बढ़ती हैं। बहुत ज्यादा गर्मी या ठंड पौधे को कमजोर बनाते हैं। इसे 50% से 75% तक की हल्की आद्रता पसंद होती है, जहाँ मिट्टी नम रहती है लेकिन पानी ठहरता नहीं।

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4. खाद और उर्वरक

खाद और उर्वरक

सफेद मूसली जैविक खाद में सबसे अच्छा बढ़ती है। इसके लिए महीने में एक बार अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर खाद, बोन मील या वर्मी कम्पोस्ट डालें। रासायनिक उर्वरक कम मात्रा में दें क्योंकि ज्यादा उर्वरक से जड़ें कमजोर हो सकती हैं। मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का संतुलन पौधे की जड़ों को मजबूत बनाता है। रोपाई से पहले मिट्टी में जैविक खाद मिलाना बेहद लाभदायक है।

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5. खरपतवार नियंत्रण

मूसली के पौधे के आस-पास खरपतवार जल्दी फैल जाते हैं और पौधे से पोषक तत्व छीन लेते हैं। हर 15–20 दिन में हल्की निराई-गुड़ाई करना जरूरी है। खरपतवार हटाने से मिट्टी भी भुरभुरी रहती है और जड़ें तेजी से फैलती हैं। पौधे के आस-पास सूखी घास या पत्तियों से मल्चिंग करने से खरपतवार कम उगते हैं और नमी भी बनी रहती है। अपने गार्डन या गमले को हमेशा साफ रखें।

6. कीट और रोग

सफेद मूसली में सबसे अधिक जड़ सड़न, पत्ती झुलसा और फफूंद जैसी समस्याएँ आती हैं। जड़ों में पानी भरने से फंगल रोग बढ़ते हैं, इसलिए सिंचाई हमेशा नियंत्रित रखें। पत्तियों पर छोटे काले या भूरे धब्बे दिखें तो जैविक फफूंदनाशी (ट्राइकोडर्मा) का इस्तेमाल करें। कीटों में सबसे ज्यादा पत्ती काटने वाले कीड़े, सफ़ेद ग्रब और सफेद तितली दिखती है, जिन्हें नीम तेल या कीटनाशक साबुन के स्प्रे से नियंत्रित किया जा सकता है। पौधों की नियमित जांच सबसे जरूरी है। आप अपने गार्डन में कीटों की रोकथाम के लिए स्टिकी ट्रैप और फ्रूट फ्लाई ट्रैप का इस्तेमाल कर सकते हैं।

निष्कर्ष:

घर पर सफेद मूसली उगाना आसान और बेहद लाभकारी है, बस सही समय, सही मिट्टी और हल्की देखभाल की जरूरत होती है। यदि आप लगाने की विधि और देखभाल के छोटे-छोटे नियमों का पालन करते हैं, तो कम जगह में भी इसकी अच्छी पैदावार पा सकते हैं। प्राकृतिक औषधीय पौधे घर में उगाना स्वास्थ्य के लिए एक बेहतरीन विकल्प हैं। यह लेख आपको कैसा लगा, कमेंट में जरूर बताएं। गार्डनिंग से जुड़े लेख पढ़ने के लिए वेबसाइट organicbazar.net को फॉलो करें।

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