टमाटर के पौधे में होने वाले रोग और उनके उपचार – Top 8 Tomato plant Problems and Solutions In Hindi

टमाटर बहुत ही लोकप्रिय स्वादिस्ट सब्जी है, जिसे ताज़ा और रसयुक्त खाने के लिए लोग इसे अपने घर या गार्डन में लगाना पसंद करते हैं। टमाटर को पूर्ण रूप से विकसित स्वादिष्ट टमाटर तोड़ने के लिए पौधों का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है, लेकिन आमतौर देखा गया हैं, कि हमारे द्वारा लगाए गये टमाटर के पौधे में अनेक रोग लग जाते हैं, जिसके कारण टमाटर के पौधे खराब हो जाते हैं या फिर हमें अच्छे टमाटर प्राप्त नहीं होते। यदि आपने भी होम गार्डन या टेरेस गार्डन में टमाटर के पौधे उगाये हैं, तो आपको टमाटर में लगने वाले रोग की जानकारी होना आवश्यक है आइए जानते हैं टमाटर के पौधे में होने वाले रोग या बीमारी कौन-कौन सी हैं, और उन बीमारियों के लक्षण क्या हैं, टमाटर के पौधे में बीमारी होने से कैसे रोकें। टमाटर के रोग एवं उपचार के बारे में जानने के लिए लेख पूरा पढ़ें:

टमाटर में लगने वाले रोग और उपचार – Tomato Plant Diseases And Their Treatment In Hindi

होम गार्डन या गमले में लगे टमाटर के पौधे में होने वाली कुछ बीमारियाँ या रोग निम्न है :

  1. ब्लॉसम एंड रॉट या टमाटर में फल सड़न रोग (Blossom & Rot)
  2. बैक्टीरियल विल्ट या झुलसा रोग (Bacterial Wilt)
  3. लीफ कर्लिंग या मुरोड़िया रोग (Leaf Curling)
  4. पुअर फ्रूट सेटिंग (Poor Fruit Setting)
  5. टमाटर अर्ली ब्लाइट (Tomato Early Blight)
  6. सनस्कल्ड (Sunscaled)
  7. ब्लॉसम ड्रॉप (Blossom Drop)
  8. कैटफेसिंग (Catfacing)

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ब्लॉसम एंड रॉट – Blossom End Rot In Tomatoes In Hindi

ब्लॉसम एंड रॉट - Blossom End Rot In Tomatoes In Hindi

टमाटर में ब्लॉसम एंड रॉट के लक्षण (Blossom End Rot Symptoms) – फल की नोक की सड़न अर्थात ब्लॉसम एंड रॉट एक ऐसी बीमारी है, जो अक्सर टमाटर के पौधे को प्रभावित करती है। टमाटर में फल सड़न रोग या ब्लॉसम एंड रॉट के प्रभाव से टमाटर की त्वचा पर काले धब्बे दिखाई देते हैं, लेकिन टमाटर का पौधा स्वस्थ दिखाई देता है। यदि आप उस टमाटर को खाने के लिए काटते हैं, तो वह अंदर से मैला और स्वाद में अच्छा नहीं लगेगा।

ब्लॉसम एंड रॉट के कारण – Blossom End Rot Causes in Hindi

  • टमाटर के पौधों को अनिश्चित मात्रा में पानी देने के कारण।
  • पौधे में कैल्शियम की कमी के कारण।

ब्लॉसम एंड रॉट बीमारी की रोकथाम – Blossom End Rot Prevention in Hindi

  • मिट्टी में कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा मिलाएं या कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए मिट्टी में चूना पाउडर या अंडे के छिलके की खाद मिलाएं।
  • टमाटर उगाने के लिए मिट्टी का पीएच लगभग 6.5 होना चाहिए, अतः बीज लगाने से पहले मिट्टी के पीएच स्तर की जाँच कर लें।
  • मिट्टी को लगातार नम बनाए रखने के लिए, पौधे को रोजाना एक ही समय पर पानी दें।
  • रोग तथा कीटों से बचाने के लिए टमाटर के पौधे की मल्चिंग करें।

फल सड़न रोग का उपचार – Blossom End Rot Treatment in Hindi

  • ब्लॉसम एंड रॉट रोग को फैलने से रोकने के लिए इससे प्रभावित फलों को तोड़कर अलग कर दें।
  • रोग ग्रस्त पौधे की मिट्टी में कैल्शियम की मात्रा बढ़ाने के लिए 50% दूध और 50% पानी के घोल को मिट्टी में डालें।
  • ब्लॉसम एंड रॉट रोग के उपचार के लिए पौधों पर कैल्शियम युक्त फोलियर स्प्रे का उपयोग करें, लेकिन ध्यान रहे कि पौधों पर स्प्रे या तो सुबह जल्दी या देर शाम को करें, अन्यथा पत्तियां जल जाएंगी।
  • अंडे के छिलकों से युक्त खाद, मिट्टी में मिलाएं।

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बैक्टीरियल विल्ट – Tomato Bacterial Wilt Disease in Hindi

बैक्टीरियल विल्ट - Tomato Bacterial Wilt Disease in Hindi

टमाटर में बैक्टीरियल विल्ट के लक्षण (Bacterial Wilt Symptoms) – बैक्टीरियल विल्ट को झुलसा रोग भी कहते हैं। टमाटर में झुलसा रोग के कारण पौधे की पत्तियां मुरझा जाती हैं, पौधे के तने का रंग फीका पड़ जाता है। बैक्टीरियल विल्ट रोग की पहचान करने के लिए, संक्रमित तने को पानी में रखकर उससे दूधिया तरल रक्तस्राव को देखा जा सकता है।

बैक्टीरियल विल्ट के कारण – Bacterial Wilt Disease Causes in Hindi

  • स्यूडोमोनास सोलानेसीरम (Pseudomonas solaneserum) नामक बैक्टीरिया के कारण।
  • गीला मौसम और मिट्टी के उच्च पीएच स्तर के कारण।

बैक्टीरियल विल्ट की रोकथाम – Bacterial Wilt Prevention in Hindi

  • रोगग्रस्त मिट्टी में बैक्टीरियल विल्ट को नियंत्रित करना कठिन होता है, इसलिए रोगग्रस्त पौधों को ट्रांसप्लांट करने से बचें।
  • बैक्टीरियल विल्ट से प्रभावित पौधों की मिट्टी में अन्य पौधों को लगाने से बचें।

टमाटर में बैक्टीरियल विल्ट का उपचार – Bacterial Wilt Disease Treatment in Hindi

  • सॉइल फुमिगेशन (soil fumigation) का उपयोग करें।
  • टमाटर के पौधे की नियमित रूप से जाँच करें और झुलसा रोग से संक्रमित पौधों को हटा कर नष्ट कर दें।

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लीफ कर्लिंग – Tomato Leaf Curling Disease in Hindi

लीफ कर्लिंग - Tomato Leaf Curling Disease in Hindi

टमाटर में लीफ कर्ल के लक्षण (Leaf Curling Disease Symptoms) – लीफ कर्लिंग टमाटर के पौधों की सबसे आम बीमारियों में से एक है, जिसे मुरोड़िया रोग भी कहते हैं। टमाटर में लीफ कर्ल रोग के कारण पौधे की पत्तियों का ऊपर की ओर मुड़ना, पीली पड़ना, और पौधे का बौनापन इसके प्रमुख लक्षण हैं।

लीफ कर्लिंग रोग होने के कारण – Leaf Curling Disease Causes in Hindi

  • पौधों में वायरल संक्रमण के कारण
  • एफिड्स के प्रभाव के कारण
  • संक्रमित पौधों के माध्यम से संचरण

टोमेटो लीफ कर्लिंग की रोकथाम – Leaf Curling Disease Prevention in Hindi

  • टमाटर के पौधों की अधिक प्रूनिंग न करें।
  • अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में पौधे लगाएं।

लीफ कर्लिंग का उपचार – Leaf Curling Disease Treatment in Hindi

  • मिट्टी में अधिक खाद डालने से बचें, अर्थात पौधों को ओवरफर्टिलाइज न करें।
  • पौधे की पत्तियों के ऊपर और नीचे की तरफ जैविक कीटनाशक या नीम तेल के घोल का छिड़काव करें।

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टमाटर अर्ली ब्लाइट – Tomato Early Blight Disease in Hindi

टमाटर अर्ली ब्लाइट - Tomato Early Blight Disease in Hindi

अर्ली ब्लाइट के लक्षण (Early Blight Disease Symptoms) – तुषार या अर्ली ब्लाइट रोग टमाटर के पौधे को बहुत अधिक प्रभावित करता है। अर्ली ब्लाइट के कारण टमाटर के पौधे की पुरानी पत्तियों पर काले धब्बे वाले वृत्त बन जाते हैं, और पत्तियाँ धब्बों के चारों ओर पीली हो जाती हैं। गंभीर रूप से संक्रमित पत्तियां ब्राउन रंग की हो जाती हैं और सूखकर गिर जाती हैं।

टमाटर अर्ली ब्लाइट के कारण – Early Blight Disease Causes in Hindi

  • अल्टेरनारिआ सोलानी (Alternaria solani fungus) नामक कवक (fungus) के कारण।

अर्ली ब्लाइट रोग की रोकथाम – Early Blight Disease Prevention in Hindi

  • पौधे लगाने से पहले मिट्टी की ठीक तरह से जाँच कर लें, फंगस रोग से प्रभावित मिट्टी में पौधे न लगाएं।
  • टमाटर उगाने के लिए रोगप्रतिरोधी किस्म के बीजों का चयन करें।

अर्ली ब्लाइट रोग का उपचार – Early Blight Disease Treatment in Hindi

  • गार्डन के पौधों पर जैविक कवकनाशी (organic fungicide) का छिडकाव करें।
  • टमाटर के पौधे के संक्रमित भाग और नीचे गिरी हुई पत्तियों को नष्ट कर दें।
  • संक्रमित पत्तियों को खाद में न मिलाएं।

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पुअर फ्रूट सेटिंग – Poor Fruit Setting in Tomato in Hindi

टमाटर में पुअर फ्रूट सेटिंग के लक्षण (Poor Fruit Setting Symptoms) – पुअर फ्रूट सेटिंग टमाटर के पौधों की प्रमुख समस्याओं में से एक है। इस रोग के परिणामस्वरुप पूरी तरह से विकसित हुए टमाटर के पौधे में छोटे और बेस्वाद फल लगते हैं। इस रोग के कारण टमाटर के फल ठीक तरह से विकसित नहीं हो पाते हैं।

पुअर फ्रूट सेटिंग के कारण – Poor Fruit Setting Causes in Hindi

  • मिट्टी में बहुत अधिक नाइट्रोजन की मात्रा के कारण।
  • टमाटर के बीज बहुत पास-पास बोए जाने के कारण।

टोमेटो पुअर फ्रूट सेटिंग की रोकथाम – Tomato Poor Fruit Setting Prevention in Hindi

  • टमाटर के बीज बोने से पहले मिट्टी की जांच करें।
  • बीजों को पर्याप्त दूरी पर बोएं।
  • फ्लावरिंग के समय टमाटर के पौधे को उच्च नाइट्रोजन युक्त खाद न दें।

पुअर फ्रूट सेटिंग का उपचार – Poor Fruit Setting Treatment in Hindi

  • पौधों के आस पास हवा का प्रवाह बनाए रखें, जिससे पोलिनेशन हो।
  • पोलिनेटर्स को आकर्षित करने के लिए फ्लावर प्लांट लगाएं।
  • फास्फोरस युक्त खाद का इस्तेमाल करें।

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सनस्कल्ड – Sunscald in Tomato in Hindi

सनस्कल्ड – Sunscald in Tomato in Hindi

टमाटर में सनस्कल्ड के लक्षण (Sunscald in Tomato Symptoms) – टमाटर के पौधे पर इस बीमारी का प्रभाव बाद में दिखाई देता है। बीमारी के परिणाम स्वरूप स्वस्थ पौधे और फल तो सामान्य रूप से विकसित होते हैं पर जैसे ही टमाटर पकते हैं, तो उनकी लाल त्वचा पर पीले धब्बे बन जाते हैं। पीले धब्बे सफेद और त्वचा पतली हो जाती हैं, जिससे टमाटर का स्वाद खराब हो जाता है।

सनस्कल्ड के कारण – Sunscald in Tomato Causes in Hindi

यह एक गैर-संक्रामक (noninfectious) रोग है, जो टमाटर के फलों का अचानक सीधी तेज धूप के संपर्क में आने के कारण होता है।

टमाटर में सनस्कल्ड रोग की रोकथाम – Tomato Sunscald Prevention in Hindi

  • पौधों की अधिक प्रूनिंग करने से बचें।
  • टमाटर के पौधों को दोपहर के समय आंशिक छाया प्रदान करें।

सनस्कल्ड का उपचार – Sunscald Treatment in Hindi

  • पौधों से रोगग्रस्त पत्तियों और फलों को काटकर अलग कर दें।
  • पौधे में नई पत्तियां आने तक पौधों को सहारा दें।
  • गर्मी के समय पौधों को अधिक बार पानी दें।
  • तीव्र धूप के दौरान पौधे को छाया वाले स्थान पर ले जाएँ।

(यह भी जानें: पौधों में जड़ सड़न रोग (रूट रॉट) के कारण और बचाने के उपाय….)

ब्लॉसम ड्रॉप – Tomato Blossom Drop in Hindi

टमाटर में ब्लॉसम ड्रॉप के लक्षण (Blossom Drop Symptoms)– टमाटर के पौधे में ब्लॉसम ड्रॉप रोग अक्सर देखा जाता है, जिसके परिणाम स्वरूप टमाटर के पौधों पर फूल तो दिखाई देते हैं, लेकिन टमाटर विकसित हुए बिना गिर जाते हैं।

ब्लॉसम ड्रॉप के कारण – Blossom Drop Causes in Hindi

  • तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण।
  • पौधे पर कीटों के प्रभाव के कारण।
  • पौधे में पानी की कमी के कारण
  • बहुत अधिक या बहुत कम नाइट्रोजन की मात्रा के कारण।
  • पोलिनेशन की कमी के कारण।

टमाटर में ब्लॉसम ड्रॉप की रोकथाम – Blossom Drop Prevention in Hindi

  • टमाटर के पौधे के लिए जैविक उर्वरक का उपयोग करें।
  • गार्डन में पोलिनेटर्स को आकर्षित करने वाले फूल के पौधे लगाएं।
  • पौधे पर नीम के तेल और जैविक कीटनाशकों का स्प्रे करें।
  • टमाटर की अच्छी किस्म का चुनाव करें और उसे उगाएं।

ब्लॉसम ड्रॉप का उपचार – Blossom Drop Treatment in Hindi

  • पौधे की नियमित रूप से जांच करें।
  • शुष्क मौसम में पौधों को अधिक पानी दें।
  • पौधे के आसपास आर्द्रता बनाये रखें।

(यह भी जानें: बरसात में पौधों में होने वाले प्रमुख रोग एवं रोकथाम के उपाय….)

कैटफेसिंग डिजीज – Catfacing in Tomato in Hindi

कैटफेसिंग डिजीज – Catfacing in Tomato in Hindi

टमाटर में कैटफेसिंग डिजीज के लक्षण (Catfacing in Tomato Symptoms) – टमाटर के पौधे को कैटफेसिंग रोग सबसे अधिक प्रभावित करता है। इस रोग के प्रभाव से पौधे में लगे हुए टमाटर के फल का आकार गोल न होकर (विकृत) अलग प्रकार का हो जाता हैं।

कैटफेसिंग डिजीज के कारण – Catfacing in Tomato Causes in Hindi

  • ठीक तरह से पोलिनेशन न हो पाने के कारण।
  • तापमान बहुत कम (10°C से नीचे) या बहुत अधिक (30°C से अधिक) होने के कारण।

टमाटर को कैटफेसिंग डिजीज से कैसे बचाएं – How to Prevent Catfacing on Tomatoes in Hindi

  • टमाटर की रोपाई अनुकूल (गर्म) मौसम में करें।
  • टमाटर के पौधों को जमीन से उंचाई पर रखें।
  • बीज की अच्छी किस्म का चुनाव करें।

कैटफेसिंग डिजीज का उपचार – Tomato Catfacing Treatment in Hindi

  • टमाटर लगे गमले की मिट्टी में नाइट्रोजन के स्तर की जाँच करें।
  • पौधे की उचित देखभाल करें।
  • प्रभावित टमाटर खाने योग्य होते हैं इनको तोड़ें और उपयोग करें।

(यह भी जानें: मानसून गार्डनिंग में इन बातों का रखें खास ध्यान…)

इस लेख में आपने जाना कि टमाटर के पौधे में होने वाले रोग कौन-कौन से हैं, वे रोग किस प्रकार टमाटर के पौधे को प्रभावित करते हैं और टमाटर के पौधे में बीमारियाँ होने से कैसे रोकें। आशा करते हैं कि यह लेख आपको पसंद आया होगा, इस लेख से समबधित आपके जो भी सवाल या सुझाव हों, उन्हें कमेंट में अवश्य बताएं।

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