फूल प्राकृतिक सुन्दरता का एक आवश्यक हिस्सा हैं, जिन्हें हम खिलता हुआ देखने के लिए गार्डन और घरों में लगाते हैं, लेकिन कभी-कभी हमें देखने को मिलता है, कि यह पौधे अचानक से फूलना बंद कर देते है या मुरझाने लगते हैं। हालाँकि इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से एक है रोग या बीमारी का संक्रमण। दरअसल फ्लावर प्लांट्स बीमारियों के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं, जिससे इनमें कई तरह की बीमारियाँ हो जाती हैं, जिनका प्रभाव पौधे की वृद्धि, विकास और उत्पादकता पर पड़ता है। आज इस लेख में, हम फूलों के पौधों में होने वाले रोगों (Flower Plant Disease In Hindi) के बारे में जानेंगे, जिनसे आप सही बचाव के तरीके अपनाकर उन्हें बीमारी से बचा पायें। फूल वाले पौधों में कौन से रोग या बीमारी होती हैं, रोगों के नाम तथा अपने फूल वाले पौधों को रोगों से कैसे बचाएं? जानने के लिए आर्टिकल पूरा पढ़ें।
फूल वाले पौधों के रोग – Flower Plant Disease And Their Control In Hindi
गार्डन के गमले में लगे फूल के पौधे में लगने वाले रोग निम्न हैं:-
फूलों के फंगस रोग – Fungal Disease In Flower Plants In Hindi
फंगल रोग फूल वाले पौधे के कॉमन रोग हैं, जो पौधे पर नमी की अधिकता और तापमान के उतार चढ़ाव के कारण फैलते हैं। पौधे पर फंगस रोग का प्रभाव जड़, तना, पत्तियों, फूलों और फलों सहित पौधे के विभिन्न भागों पर देखा जा सकता है। इन रोगों के प्रमुख लक्षणों में पौधे का मुरझाना, पत्ती के धब्बे, पत्तियों का पीला पड़ना, समय से पहले पत्ती का गिरना और अवरुद्ध विकास आदि शामिल हैं। फूल के पौधों में होने वाले फंगल रोग के कुछ उदाहरण निम्न हैं:-
- पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew)
- डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew)
- एन्थ्रेकनोज (Anthracnose)
- फुसारियम या क्रॉन रोट (Fusarium Or Crown Rot)
- रूट रोट (Root Rot)
- रस्ट फंगस (Rust Fungus)
आइये अब जानते हैं- फूल के पौधों को रोगों से कैसे बचाएं?
फूल के पौधे को फंगस से बचाने के उपाय – Ways To Protect Flower Plant From Fungus In Hindi
- गार्डन के पौधों के आसपास अच्छी स्वच्छता बनाए रखें।
- गार्डन से संक्रमित पौधों के मलबे को हटाएं।
- पौधों के बीच पर्याप्त वायु परिसंचरण प्रदान करें अर्थात पौधों के बीच पर्याप्त दूरी बनाए रखें।
- पानी देते समय पत्तियों को गीला करने से बचें।
- अत्यधिक पानी देने अर्थात ओवरवाटरिंग से बचें।
(यह भी जानें: पौधों से फंगस हटाने के लिए जैविक फंगीसाइड…..)
फूलों के बैक्टीरियल रोग – Bacterial Disease Of Flower Plants In Hindi
फूल वाले पौधों में होने वाले रोगों में से एक है- बैक्टीरियल रोग। यह जीवाणु के कारण होते हैं, जिनका सीधा असर पौधे की वृद्धि और विकास पर देखने को मिलता है। पौधे पर बैक्टीरियल रोग के संक्रमण का प्रभाव सबसे पहले पत्तियों पर देखने को मिलता है, इससे पत्तियां अविकसित, मुरझाई हुई तथा अनियमित आकार की हो जाती है और समय से पहले पौधे से गिर जाती हैं। फूलों के पौधों को प्रभावित करने वाले कुछ सामान्य बैक्टीरियल रोगों में शामिल हैं:-
- बैक्टीरियल लीफ स्पॉट (Bacterial Leaf Spot)
- फायर ब्लाइट (Fire Blight)
- बैक्टीरियल विल्ट (Bacterial Wilt)
- बैक्टीरियल कैंकर (Bacterial Canker)
- क्राउन गॉल (Crown Gall)
- बैक्टीरियल फ्लीक (Bacterial Fleck)
फूल के पौधे को बैक्टीरियल रोगों से बचाने के उपाय – Ways To Protect Flower Plant From Bacterial Disease In Hindi
- गार्डन के पौधों के बीच उचित दूरी बनाये रखें।
- पौधे की रोग-प्रतिरोधी किस्मों को लगाएं।
- पौधे की समय-समय पर प्रूनिंग करना।
- गार्डन के पौधे की उचित देखभाल अर्थात उन्हें सही समय पर पानी और खाद दें।
- पौधे लगाने के लिए नया पॉटिंग मिक्स उपयोग करें।
- मिट्टी की ड्रेनेज क्षमता में सुधार करें।
- संक्रमित पौधे को अन्य पौधों से दूर रखें।
- गार्डन से अनावश्यक खरपतवारों को हटायें।
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फूलों के वायरल रोग – Viral Disease Of Flower Plants In Hindi
फूल वाले पौधे में वायरस के द्वारा होने वाले रोगों को वायरल रोग कहा जाता है। यह रोग पौधे की पत्तियों, तनों और फूलों सहित पौधे के विभिन्न भागों को संक्रमित कर सकते हैं। आमतौर पर पौधों में वायरल रोग संक्रमित पौधों के संपर्क में आने और संक्रमित बीजों के माध्यम से होते हैं, जिसके प्रभाव से पौधे के पत्ते या फूलों पर दाग या धब्बे दिखाई देते हैं तथा पत्तियाँ सूखने या पतली होने लगती हैं। रोग का अधिक प्रभाव होने से पौधे में फूल नहीं खिलते हैं।
फूल वाले पौधों को वायरल रोगों से बचाने के उपाय – Ways To Protect Flower Plant From Viral Disease In Hindi
- संक्रमित पौधों की सामग्री के उपयोग से बचें, इसे या तो नष्ट करना या गार्डन से दूर करना उचित है।
- संक्रमित पौधों को अन्य पौधों से दूर रखें।
- गार्डन में लगाने के लिए स्वस्थ तथा रोगमुक्त फूलों के बीज, बल्ब या कटिंग को लगाएं।
- संक्रमित पौधों की प्रूनिंग करते समय टूल्स को कीटाणुरहित करें।
- कुछ कीट एफिड्स और थ्रिप्स आदि वायरल रोगों को एक पौधे से दूसरे पौधे तक पहुंचा सकते हैं, अतः गार्डन में कीट नियंत्रण के उपाय अपनाएँ।
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फूलों के नेमाटोड रोग – Nematode Disease In Flower Plants In Hindi
नेमाटोड रोग मृदा जनित रोग होते हैं, जो फूल के पौधों की जड़ों को प्रभावित करते हैं। जड़ों में संक्रमण होने से यह मिट्टी से पोषक तत्व पौधों तक ले जाने के मार्ग को अवरुद्ध कर देते हैं, जिसके प्रभाव से पौधा कमजोर हो जाता है और उसकी वृद्धि रुक जाती है। कुछ सामान्य नेमाटोड रोग जो फूल वाले पौधों को प्रभावित करते हैं उनके नाम निम्न हैं:-
- रूट-नॉट नेमाटोड (Root-Knot Nematode)
- स्टिंग नेमाटोड रोग (Sting Nematode)
- बल्ब नेमाटोड रोग (Bulb Nematode)
- फोलिएर नेमाटोड रोग (Foliar Nematode)
फूलों को नेमाटोड रोगों से बचाने के उपाय – Ways To Protect Flower Plant From Nematode Disease In Hindi
- पौधे लगाने के लिए रोग मुक्त मिट्टी का उपयोग करें।
- पौधों को अधिक पानी देने से बचें।
- पॉटिंग सॉइल मिक्स को अच्छी तरह स्टरलाइज करें।
- गमले की मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ मिलाएं।
- फूल के पौधे लगाने से पहले गमले या ग्रो बैग को अच्छी तरह साफ़ कर लें।
फूलों में कीटों से बीमारी – Disease From Pests In Flower Plants In Hindi
कीट फूल वाले पौधों के लिए एक आम समस्या हैं, इनसे पौधों में कई तरह की बीमारियाँ फैलती हैं। अधिकांश कीट पौधों की पत्तियों और तनों से उनका रस चूसकर पौधे को कमजोर बना देते हैं, जिससे वह तनावग्रस्त स्थिति में आ जाते हैं और उसमें बीमारियाँ होने लगती हैं। फूल वाले पौधों में इन बीमारियों के संक्रमण से पौधे की पत्तियों में छेद, अवरूद्ध विकास, और विकृत फूल आदि लक्षण देखने को मिलते हैं।
फूलों में कीटों से होने वाली बीमारी से बचाने के उपाय – Measures To Prevent Diseases Caused By Insects In Flowers In Hindi
- गार्डन में कीट नियंत्रण के प्राकृतिक तरीके अपनाएं।
- पौधों की पत्तियों पर कीटों की जांच करें।
- यदि कीट के शुरुआती लक्षण दिखाई देते हैं, तो जैविक कीटनाशक साबुन के घोल का स्प्रे करें।
- फूल वाले पौधों की कीट प्रतिरोधी किस्में लगायें।
- कुछ बड़े आकार के कीटों को हाथ से हटायें।
- गार्डन में लाभकारी कीटों को आकर्षित करें।
यदि आपके फूल वाले पौधों में रोग व बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं, तो आप जैविक पेस्टीसाइड और फंगीसाइड जैसे- नीम तेल का स्प्रे कर अपने पौधों को बीमारियों से बचा सकते हैं। यदि संक्रमण बहुत अधिक है तो प्रभावित पौधे को गार्डन से उखाड़कर हटाना बेहतर है।
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इस लेख में आपने जाना फूल वाले पौधों में होने वाले रोग या बीमारियों के नाम, लक्षण तथा अपने फूल वाले पौधों को रोगों से कैसे बचाएं? उम्मीद है लेख आपको पसंद आया हो, इस लेख के सम्बन्ध में आपके जो भी सुझाव हैं हमें कमेंट करके जरूर बताएं।