जाने कैसे करें तुलसी के पौधे की देखभाल – How to care for basil plant in Hindi

औषधीय गुणों से परिपूर्ण तुलसी का पौधा लगभग प्रत्येक घर में उगाया जाता है। आमतौर पर अच्छी ग्रोथ और कीटों से बचाने के लिए हर पौधे को देखभाल की जरूरत पड़ती है, चाहे आप पौधे घर में लगाएं या फिर गार्डन में। पौधों को सिंचाई और पोषक तत्व देने के साथ उनकी सही तरीके से निगरानी करना आवश्यक है। वास्तव में, पौधा चाहे किसी भी किस्म का हो, वह बेहतर रखरखाव और देखभाल से ही वृद्धि करता है। औषधीय गुणों के लिए लोकप्रिय तुलसी (basil) एक ऐसा पौधा है, जिसे लंबे समय तक सूखने से बचाने और बेहतर ग्रोथ के लिए देखभाल की जरूरत पड़ती है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि तुलसी क्या है, तुलसी के पौधे की देखभाल कैसे करें, तुलसी सूखने के कारण क्या हैं तथा तुलसी पौधे को जल्दी कैसे बढ़ाए तथा हराभरा कैसे रखें।

तुलसी क्या है? – What is tulsi in Hindi

तुलसी क्या है? - What is tulsi in Hindi

बेसिल (Basil) या तुलसी एक अनोखी औषधीय जड़ी बूटी (herb) है। इसकी मसालेदार और ताज़ा सुगंध और छोटे रंगीन फूल काफी उपयोगी होते हैं। इसे घर और बागीचे में उगाया जा सकता है। तुलसी को ओसिमम सैंक्टम (Ocimum sanctum) के नाम से भी जाना जाता है। तुलसी का पौधा हिंदू और जैन धर्म में पूजनीय है। इसके कई स्वास्थ्य लाभों के कारण तुलसी को जीवन का अमृत भी कहा जाता है। अनेक प्रकार के औषधीय गुणों से परिपूर्ण होने के कारण तुलसी का इस्तेमाल दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों में भी किया जाता है।

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तुलसी का पौधा कैसे उगाएं – How To Grow Tulsi Plant in Hindi

तुलसी का पौधा कैसे उगाएं - How To Grow Tulsi Plant in Hindi

तुलसी एक बारहमासी जड़ी बूटी (perennial herb) है और इसे उगाना बहुत आसान है। आप इसे घर के गमलों में और बगीचों में बीज या फिर कलम (cuttings) के माध्यम से उगा सकते हैं। तुलसी के पौधे को अच्छी तरह से ग्रो करने के लिए गर्मियों की शुरुआत में इसके बीज बोएं, जब मिट्टी का तापमान लगभग 60 से 70 ºF (15 से 21 ºC) के आसपास हो।

गमले या गार्डन में तुलसी उगाने के लिए इसके बीजों को मिट्टी के ऊपर बिखेर दें और मिट्टी की 1/4 इंच या 6 mm मोटी परत से ढक दें। स्प्रेयर (Sprayer) पंप से बीजों को नमी दें और हल्की धूप वाली जगह पर रखें। बीज अंकुरण होने तक मिट्टी को लगातार नम बनाए रखें। तुलसी के बीजों को अंकुरित होने में लगभग 1 से 2 सप्ताह लगेंगे। जब पौधे में दो या तीन पत्ते उग आए, तो उन्हें अलग-अलग कंटेनरों में सावधानी से रोपाई करें, इस बात का ध्यान रखें कि पौधों की जड़ों को नुकसान न पहुंचे।

बीज बोने के अलावा आप तुलसी के पौधे की कटिंग को लगाकर भी पौधे को ग्रो कर सकते हैं। एक पूर्ण विकसित तुलसी के पौधे से 4 से 6 इंच लम्बाई का तना या डंठल काटें। तुलसी की कटिंग को पानी से भरे कांच के साफ बर्तन में रखें। हर दिन पानी बदलें, ताकि बैक्टीरिया के अतिवृद्धि से तना सड़ न पाए। इस कांच के बर्तन को गर्म, धूप वाली जगह पर रखें। 7 से 10 दिन के अन्दर तुलसी की कटिंग में जड़ें विकसित हो जाती हैं। जड़ें विकसित हो जाने पर आप तुलसी को गमले की मिट्टी में स्थानांतरित कर सकते हैं।

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तुलसी ग्रो करने के लिए आवश्यक परिस्थितियां – Conditions required to growing basil

  • तापमान – तुलसी के पौधे को अच्छी तरह से बढ़ने के लिए आदर्श तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होना चाहिए।
  • सूरज की रोशनी – तुलसी के पौधे को अच्छी तरह से बढ़ने के लिए प्रतिदिन कम से कम 6 घंटे धूप की आवश्यकता होती है। तुलसी का पौधा आंशिक सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में भी जीवित रह सकता है।
  • मिट्टी – उचित जल निकासी वाली पॉटिंग मिट्टी घर के अंदर तुलसी के पौधे को उगाने के लिए उपयुक्त होते हैं। उचित जल निकासी वाली मिट्टी तैयार करने के लिए मिट्टी में रेत को मिलाकर पॉटिंग मिश्रण तैयार किया जा सकता है।
  • मिट्टी का PH  – तुलसी को ग्रो करने के लिए आदर्श मिट्टी का पीएच 6.0 से 7.5 होना चाहिए।

तुलसी के पौधे की देखभाल कैसे करें – How to Care Tulsi Plant in Hindi

घर पर गमले में लगे तुलसी के पौधे की देखभाल सही तरीके से करना बहुत जरूरी है। उचित देखभाल से तुलसी सूखती नहीं है, तुलसी की ग्रोथ अच्छी होती है, तुलसी जल्दी बढ़ती है और पत्तियां घनी होती है। आइए जानते हैं तुलसी की देखभाल कैसे करें।

तुलसी की देखभाल के लिए पानी – Water for basil care in Hindi

तुलसी की देखभाल के लिए पानी - Water for basil care in Hindi

यदि आप तुलसी के पौधे को लंबे समय तक हरा-भरा रखना चाहते हैं, तो इसके लिए समय-समय पर पानी देना जरूरी है। लेकिन यह ध्यान रखें कि तुलसी में अधिक पानी न दें। एक बार सिंचाई के बाद जब मिट्टी सूख जाए तब दोबारा पानी डालें। बारिश के मौसम में तुलसी को बहुत कम पानी दें। यदि आप नियमित रूप से पूजा के दौरान तुलसी के पौधे को जल देते हैं, तो मिट्टी पर्याप्त जल निकासी युक्त होनी चाहिए। ध्यान रहे, अधिक पानी तुलसी के पौधे को नुकसान पहुंचा सकता है।

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ओवरविन्टरिंग में बचाएं तुलसी का पौधा – Care basil plant from Overwintering in Hindi

सर्दी के मौसम में तुलसी को घर के अंदर रखें या पौधे को चमकदार धूप वाली खिड़की के पास रखें, जहां तापमान 10ºC से ऊपर हो। ठण्ड के मौसम में पाले का खतरा खत्म होने के बाद पौधे को फिर से बाहर धूप में रख सकते हैं। सर्दियों में तापमान घटने के साथ ही तुलसी के पत्ते गलने या सड़ने लगते हैं। अतः ठण्ड से बचाने के लिए तुलसी के पौधे को गर्म स्थान और कुछ पौधों के मध्य रखना फायदेमंद होता है।

कीटनाशकों का प्रयोग तुलसी की देखभाल के लिए – Pesticide for Tulsi Plant in Hindi

तुलसी में आमतौर पर कीट और रोग नहीं लगते हैं। हालांकि, जब इसे खराब परिस्थितियों में उगाया जाता है, तो कुछ सामान्य कीट जैसे कि मिलीबग (mealybug), एफिड्स (aphids), स्पाइडर माइट्स और कभी-कभी व्हाइटफ्लाइज़ हमला कर सकते हैं। कीटों से तुलसी को बचाने के लिए जैविक कीटनाशक जैसे नीम तेल या कीटनाशक साबुन का प्रयोग करें।

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तुलसी के लिए फर्टिलाइजर – Fertilizer for tulsi in Hindi

तुलसी के लिए फर्टिलाइजर - Fertilizer for tulsi in Hindi

तुलसी को फलने-फूलने और पत्तियों को पर्याप्त हरा रखने के लिए उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है। चार सप्ताह में एक बार संतुलित तरल उर्वरक (balanced liquid fertilizer) डालें, लेकिन ग्रोइंग सीजन के बाद फर्टिलाइजर कम कर दें। हर साल या छह महीने में मिट्टी की ऊपरी परत पर दो इंच मोटी खाद डालना फायदेमंद होता है। तुलसी के पौधे के लिए खाद के रूप में आप चाय पत्ती खाद और सड़ी हुई गोबर की खाद और जैविक उर्वरक एप्सम नमक का उपयोग कर सकते हैं।

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तुलसी की ग्रोथ बढ़ाने के लिए पौधे की छंटाई जरूरी – Basil care from Pruning in Hindi

घर पर उगाई गई तुलसी के आकार को नियंत्रित करने, झाड़ीदार और अधिक कॉम्पैक्ट ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए वर्ष भर आवश्यकतानुसार तुलसी की छंटाई की जानी चाहिए। छंटाई करते समय आधे से अधिक तना न काटें। आप तुलसी के पौधे के शीर्षों की कटाई कर सकते हैं।

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अच्छी ग्रोथ के लिए तुलसी के पौधे को दोबारा लगाना – Repotting Tulsi Plant for better growth in Hindi

यदि आप तुलसी के पौधे को कटिंग से उगा रहे हैं, तो इसे दोबारा उगाना मुश्किल हो सकता है। आप तुलसी के पौधे को एक गमले से दूसरे गमले में ट्रांसप्लांट कर दोबारा ग्रो कर सकते है। पिछले गमले से पौधे को हटाते समय जड़ों का ध्यान रखें, अन्यथा पौधा बिल्कुल भी नहीं उग पाएगा।

तुलसी को जल्दी कैसे बढ़ाए – How to increase growth Basil plant in Hindi

तुलसी को जल्दी कैसे बढ़ाए - Tulsi growth in Hindi

अच्छी जल निकासी (drainage) वाली दोमट और उपजाऊ मिट्टी में तुलसी का पौधा तेजी से बढ़ता है। आप इसे अम्लीय (acidic), न्यूट्रल और क्षारीय मिट्टी (alkaline soil) में लगा सकते हैं। मिट्टी का पीएच 6 से 7.5 के आसपास होना चाहिए। तुलसी धूप में पनपती है, लेकिन हल्की छाया में भी आसानी से बढ़ती है। आप तरल जैविक उर्वरक के माध्यम से मिट्टी में पोषक तत्वों को मिलाने से तुलसी का तेजी से विकास होता है। इसके अलावा तुलसी के पौधे की ग्रोथ बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए इसकी नियमित छटाई की जानी चाहिए।

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तुलसी सूखने के कारण – Tulsi drying causes in Hindi

आमतौर पर तुलसी का पौधा निम्न कारणों से सूख सकता हैं, जैसे:

  1. तेज धूप
  2. कीटों का हमला
  3. पानी की कमी के कारण
  4. रोग ग्रस्त होने के कारण
  5. अधिक जल भराव के कारण तुलसी के पौधे की जड़ें गलने से

सर्दी के मौसम में पाले से तुलसी को सुरक्षित रखने के लिए गमले को घर के अंदर रखना चाहिए। तुलसी के पौधे को सूखने से बचाने के लिए मिट्टी को नम रखें, पौधे को तेज धूप से सुरक्षित रखें और समय समय पर जैविक उर्वरक डालते रहें।

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तुलसी के प्रकार – Types of Tulsi Plant in Hindi

भारत में चार प्रकार की तुलसी पायी जाती है:

  1. वन तुलसी (Vana Tulsi) – तुलसी की यह किस्म आमतौर पर बगीचों में उगती है, क्योंकि यह लंबी और झाड़ीदार होती है।
  2. राम तुलसी (Ram Tulsi) – इस किस्म के पत्ते हल्के हरे रंग के और थोड़े असममित (asymmetric) होते हैं। यह किस्म गमलों में अच्छी तरह से उगती है।
  3. श्याम/कृष्ण तुलसी (Shyam/Krishna Tulsi) – राम तुलसी की तुलना में इस किस्म के औषधीय उपयोग अधिक हैं।
  4. कपूर तुलसी (Kapoor Tulsi) – भारतीय घरों में यह किस्म कंटेनरों में उगायी जाती है। यह तेजी से बढ़ती है।

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तुलसी के फायदे – Tulsi Benefits in Hindi

तुलसी को औषधीय जड़ी बूटी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट, एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटीकैंसर, प्रतिरक्षा-उत्तेजक (immune-stimulating) और एडाप्टोजेन गुण होते हैं। यह रोगाणुओं, तनाव और विभिन्न प्रकार की समस्याओं को दूर करता है।

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