ग्राफ्टिंग क्या है, और यह कैसे की जाती है – What Is Grafting And How Is It Done In Hindi

ग्राफ्टिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें दो पौधों को जोड़ कर एक नया पौधा विकसित किया जाता है, जो मूल पौधे की तुलना में ज्यादा उत्पादन करता है। ग्राफ्टिंग विधि द्वारा तैयार किये गए पौधे की खास बात यह होती है कि, इसमें दोनों पौधों के गुण और विशेषताएं होती हैं। आपको बता दें कि, ग्राफ्टिंग तकनीक का उपयोग कई तरह के पौधों को विकसित करने के लिए किया जाता है जिनमें गुलाब, सेब, आम, जामुन और संतरे जैसे कई बारहमासी पौधे शामिल हैं। कलम बांधना (grafting) या ग्राफ्टिंग विधि क्या है, ग्राफ्टिंग किसे कहते हैं तथा इसके फायदे क्या हैं, के बारे में संपूर्ण जानकारी के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें। (Advantages Of Grafting In Hindi)

ग्राफ्टिंग क्या है – What Is Grafting In Plants In Hindi

ग्राफ्टिंग क्या है - What Is Grafting In Plants In Hindi

होम गार्डन या टेरिस गार्डन में लगे पौधों की ग्राफ्टिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक ही प्रकार या किस्म के दो पौधों को जोड़ कर एक नया पौधा तैयार किया जाता है, जो मूल पौधे की तुलना में ज्यादा उत्पादन करता है। ग्राफ्टिंग विधि द्वारा तैयार किये गए पौधे की खास बात यह होती है कि, इसमें दोनों पौधों के गुण और विशेषताएं होती हैं। ग्राफ्टिंग मेथड में एक पौधा जड़ सहित लिया जाता है और दूसरे पौधे को बिना जड़ के कलम के रूप में लिए जाता है। इसके बाद इन दोनों पौधों को एक साथ जोड़ा जाता है, जिससे एक नया पौधा विकसित होता है।

उदाहरण के लिए, आप एक सेब को सेब की दूसरी किस्म पर या नाशपाती की किसी अन्य किस्म पर ग्राफ्ट कर सकते हैं। या फिर आप आड़ू के पेड़ (peach tree) पर बादाम (almond), खुबानी (apricot) या आलूबुखारा (plum) की शाखाओं को ग्राफ्ट करने का प्रयास कर सकते हैं। आप दो अलग अलग प्रकार के गुलाब के पौधों को भी एक साथ ग्राफ्ट कर सकते हैं, लेकिन आप असंबंधित पौधों जैसे- गुलाब और तेंदू (persimmon) को एक दूसरे पर ग्राफ्ट नहीं कर सकते।

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ग्राफ्टिंग के प्रकार – Types Of Grafting Plants In Hindi

  1. एप्रोच ग्राफ्टिंग – Approach grafting
  2. साइड ग्राफ्टिंग – Side grafting
  3. स्प्लिस ग्राफ्टिंग – Splice grafting
  4. सैडल ग्राफ्टिंग – Saddle grafting
  5. फ्लैट ग्राफ्टिंग – Flat grafting
  6. क्लेफ्ट ग्राफ्टिंग – Cleft grafting

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ग्राफ्टिंग कैसे की जाती है – How To Do Grafting Of Plants In Hindi

ग्राफ्टिंग कैसे की जाती है - How To Do Grafting Of Plants In Hindi

घर पर गार्डन में पौधों की ग्राफ्टिंग करना बहुत ही आसान होता है, और साथ ही ग्राफ्टेड पौधे जल्दी से विकसित होते हैं। आइये जानते हैं कि, होम गार्डन या बालकनी गार्डन में पौधों की ग्राफ्टिंग कैसे करें तथा ग्राफ्टिंग की विधि क्या है।

गार्डन में पौधों को ग्राफ्टिंग विधि से तैयार करने के लिए हमें जड़ वाले पौधे अर्थात् रूट स्टॉक (root stock) और कलम वाले पौधे अर्थात् सायन (Scion) को लिया जाता है। अब रूट स्टॉक और सायन को आपस में जोड़ने के लिए दोनों के सिरों को 1-5 इंच तक किसी चाक़ू या प्रूनर की मदद से तिरछा काटते हैं। इसके बाद सायन के तिरछे कटे भाग को रूट स्टॉक के कटे भाग के ऊपर लगाते हैं और दोनों कटे भागों को आपस में जोड़ने के बाद टेप की मदद से बाँध दिया जाता है। इसके बाद रूट स्टॉक (root stock) और सायन (Scion) ऊतक आपस में जुड़ने लगते हैं और पौधे की वृद्धि शुरू हो जाती है। इस प्रकार इस विधि द्वारा पौधों को तैयार कर सकते हैं।

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ग्राफ्टिंग के फायदे Benefits Of Grafting Plants In Hindi

वैसे तो ग्राफ्टिंग के अनेक लाभ हैं, लेकिन यहाँ हमने ग्राफ्टिंग विधि के कुछ खास लाभों के बारे में बताया है, जो नीचे दिए गए हैं। पौधों की ग्राफ्टिंग से होने वाले फायदे इस प्रकार हैं:

  • ग्राफ्टिंग का इस्तेमाल करके फल देने वाले और फूलों के पौधों को आसानी से विकसित किया जा सकता है।
  • व्यावसायिक रूप से कई पौधों को अन्य तकनीकों जैसे कटिंग और लेयरिंग (Layering) द्वारा विकसित करना मुश्किल होता है, लेकिन उन्हें ग्राफ्टिंग विधि द्वारा आसानी से विकसित कर सकते हैं।
  • सायन (Scion) या कलम के रूप में इस्तेमाल किये जाने वाले पौधे बहुत ही अच्छी किस्म के होते हैं, लेकिन उनकी ख़राब जड़ प्रणाली, कम ऊर्जा और कम रोग प्रतिरोधक शक्ति की वजह से वे विकसित नहीं हो पाते। ऐसे में उन्हें रूट स्टॉक (जड़ वाला पौधा) पर ग्राफ्ट करके अच्छी तरह से ग्रो किया जा सकता है।
  • ग्राफ्टिंग से तैयार पौधे से लगभग साल भर फूल या फल प्राप्त हो सकते हैं।
  • जिन पौधों को ग्राफ्टिंग विधि से तैयार किया जाता है, उन्हें घर पर गमले की मिट्टी में भी लगाया जा सकता है।
  • जिन पौधों को ग्राफ्टिंग द्वारा विकसित किया जाता है उनका आकार भले ही छोटा हो, लेकिन इनमें फल-फूल जल्दी लगने लगते हैं।
  • ग्राफ्टिंग करने से पौधों की रोग प्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ जाती है, जिससे पौधों में रोग लगने की कम संभावना होती है।
  • ग्राफ्टिंग द्वारा तैयार किये गए पौधों को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती है।
  • ग्राफ्टेड पौधों की क्वालिटी बीजों द्वारा लगाये गए पौधों से अच्छी होती है।

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ग्राफ्टिंग क्यों की जाती है और इसका महत्व – Why Grafting Is Done And Its Importance In Garden In Hindi

गार्डन या होम गार्डन में ग्राफ्टिंग या कलम बांधना किसी भी पौधे को विकसित करने की एक बहुत ही अच्छी तकनीक है। ग्राफ्टिंग इसलिए आवश्यक है, क्योंकि पौधों को बीज से तैयार करना थोड़ा मुश्किल होता है और पौधों को बढ़ने में ज्यादा समय भी लगता है, जबकि ग्राफ्टिंग विधि से तैयार पौधे तेजी से बढ़ते हैं और बीज द्वारा उगाये गए पौधों की तुलना में कम समय लेते हैं। ग्राफ्टिंग की मदद से विभिन्न किस्मों की सब्जियों, फलों और फूलों वाले पौधों को आसानी से उगाया जा सकता है। इस तकनीक से तैयार किये गए पौधों में अन्य पौधों की तुलना में रोग कम लगते हैं और ऐसे में पौधे स्वस्थ रहते हैं।

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FAQ

प्रश्न 1: ग्राफ्टिंग से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: ग्राफ्टिंग तकनीक वह विधि है जिसमें दो अलग–अलग पौधों के कटे हुए तनों को लेते हैं, जिसमें एक जड़ सहित और दूसरा बिना जड़ वाला होता है। दोनों तनों को इस प्रकार एक साथ लगाया जाता है कि, दोनों तने आपस में संयुक्त हो जाते हैं और एक ही पौधे के रूप में विकसित होने लगते हैं। इस नए पौधे में दोनों पौधों की विशेषताएँ होती हैं।

प्रश्न 2: ग्राफ्टिंग कब करनी चाहिए?

उत्तर: आमतौर पर ग्राफ्टिंग सर्दी के अंत में (जब तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो) की जाती है।

प्रश्न 3: ट्री ग्राफ्ट में कितना समय लगता है?

उत्तर: एक ग्राफ्टेड ट्री को तैयार होने में तीन से छह सप्ताह का समय लगता है और एक साल बाद आपका ग्राफ्टेड पेड़ फूल और फल देना शुरू कर सकता है।

प्रश्न 4: किन पौधों की ग्राफ्टिंग की जाती है?

उत्तर: एक ही वानस्पतिक जीनस (genus) और प्रजाति (species) के पौधों को आमतौर पर ग्राफ्ट किया जा सकता है, भले ही वे एक अलग किस्म (variety) के हों।

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