गुलाब अपनी सुंदरता और मनमोहक सुगंध के लिए काफी लोकप्रिय फूल है, जिसे अधिकांश गार्डनर अपने गार्डन में लगाना पसंद करते हैं। यह फूल न सिर्फ गार्डन में, बल्कि लोग इसे घरों में भी लगाते हैं। क्या आप जानते हैं, कोमल पंखुड़ियों और कांटेदार तने वाले गुलाब में भी कई सारी बीमारियाँ हो सकती हैं। दरअसल गुलाब का पौधा बीमारियों के लिए अतिसंवेदनशील होता है और यह बीमारी उनके बेहतर विकास में रुकावट लाती हैं, इसलिए बीमारी की सही पहचान और उनसे बचने के उपाय की जानकारी होना बहुत जरूरी है। यदि आपने घर पर गुलाब फूल का पौधा लगाया है और जानना चाहते हैं, कि गुलाब में लगने वाले या होने वाले रोग कौन-कौन से हैं? तो यह लेख पूरा पढ़ें, जिसमें हम आपको गुलाब के पौधे के रोग/बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण के उपाय की जानकारी देंगे।
गुलाब के पौधे के रोग – Rose Plant Disease And Treatment In Hindi
यदि आपने अपने होम गार्डन के गमलों में गुलाब फूल का पौधा लगाया है और आप उसे स्वस्थ तथा रोगमुक्त रखना चाहते हैं, तो गुलाब के पौधे में होने वाले रोग और उनसे बचाव के उपाय की जानकारी होना बेहद जरूरी है, जिससे आप अपने पौधे को बीमारी से बचा सकें। गुलाब के पौधे में लगने वाले कुछ सामान्य रोग निम्न हैं:-
ब्लैक स्पॉट रोग – Black Spot Diseases In Rose Plant In Hindi
ब्लैक स्पॉट गुलाब के पौधे का एक कॉमन रोग है, जो डिप्लोकार्पोन रोज़े (Diplocarpon Rosae) कवक के कारण होता है। इस रोग से गुलाब की पत्तियों पर अनियमित आकार वाले काले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, जो अंततः पीले हो जाते हैं और पत्तियां समय से पहले गिर जाती हैं।
गुलाब के ब्लैक स्पॉट रोग का नियंत्रण:-
- पौधे को पर्याप्त धूप प्रदान करें।
- पौधे के आसपास अच्छा वायु संचार बनाए रखें।
- रोग को फैलने से रोकने के लिए संक्रमित पत्तियों और तनों की प्रूनिंग करें।
- आवश्यकता पड़ने पर पौधे पर जैविक फंगीसाइड जैसे- नीम तेल का स्प्रे करें।
(और पढ़ें: गमले में गुलाब का पौधा कैसे लगाएं…)
पाउडरी मिल्ड्यू – Powdery Mildew Is Common Disease Of Rose In Hindi
यह गुलाब के पौधे में होने वाला एक फंगल रोग है, जो पौधे की पत्तियों, तनों और कलियों पर सफेद या भूरे रंग के पाउडर की परत के रूप में दिखाई देती है। पाउडरी मिल्ड्यू बीमारी के प्रभाव से गुलाब के पौधे का विकास रुक जाता है, तथा पत्तियों का अनियमित आकार और फूलों की उत्पादन क्षमता में भी कमी आती है।
गुलाब में पाउडरी मिल्ड्यू रोग की रोकथाम:-
- गुलाब की रोग प्रतिरोधी किस्मों को लगाएं।
- पर्याप्त वायु परिसंचरण प्रदान करें।
- पौधे की पत्तियों को गीला करने के बजाय सीधे जड़ों को पानी दें।
- पौधे को दोपहर या शाम को पानी देने से बचें।
- समय-समय पर पौधे की प्रूनिंग करें और गार्डन में साफ़-सफाई बनाए रखें।
- नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से बचें।
(और पढ़ें: पाउडरी मिल्ड्यू रोग के लक्षण तथा नियंत्रण के उपाय…)
रस्ट रोग – Rust Diseases In Rose Plant In Hindi
रस्ट गुलाब के पौधे का एक कवक रोग है, जो पत्तियों की निचली सतह को प्रभावित करता है। इस रोग के संक्रमण से पत्तियों पर जंग के समान ब्राउन रंग के दाने दिखाई देते हैं, तथा संक्रमण बढ़ने पर पत्तियां पीली होकर समय से पहले गिर जाती हैं। यह रोग पौधे की समग्र ग्रोथ को प्रभावित कर सकता है।
गुलाब रस्ट फंगस रोग से बचाव के उपाय:-
- गार्डन में गुलाब की रस्ट प्रतिरोधी किस्मों को लगाएं।
- संक्रमित हिस्सों को काट कर नष्ट कर दें।
- पौधों के आसपास नमी को कम करने के लिए पर्याप्त वायु प्रवाह बनाए रखें।
- संक्रमण अधिक होने पर जैविक फंगीसाइड नीम तेल का स्प्रे करें।
(और पढ़ें: जानिए रस्ट फंगस (जंग कवक) रोग क्या है और पौधों को कैसे बचाएं…)
बोट्रीटिस ब्लाइट (ग्रे मोल्ड) – Botrytis Blight Is Common Disease Of Rose In Hindi
ग्रे मोल्ड गुलाब के पौधे में होने वाली कॉमन बीमारी है, जो अधिक समय तक उच्च आर्द्रता के दौरान होती है। यह रोग पौधे के फूलों, कलियों और पत्तियों सहित समस्त भागों को प्रभावित करता है, जिसके प्रभाव से पौधा कमजोर हो जाता है और अंततः मर भी सकता है।
गुलाब में ग्रे मोल्ड रोग से छुटकारा पाने के तरीके:-
- अपने गुलाब के पौधे की नियमित रूप से जांच करें।
- पौधे के आसपास अतिरिक्त नमी को कम करें।
- पौधे की समय-समय पर प्रूनिंग करें।
- संक्रमित पत्तियों और मलवे को गार्डन से हटाकर नष्ट करें।
- पौधे पर जैविक फंगीसाइड का स्प्रे करें।
गुलाब मोज़ेक वायरस – Rose Mosaic Is Viral Disease Of Rose Plant In Hindi
रोज़ मोज़ेक वायरस एक वायरल रोग है, जो पौधे की ग्राफ्टिंग या सैप-चूसने वाले कीड़ों द्वारा फैलता है। इस रोग के परिणामस्वरूप पौधे की पत्तियों पर पीले या सफेद पैटर्न के साथ धब्बे दिखाई देते है, तथा पत्तियां अनियमित आकार की हो जाती हैं।
गुलाब में मोज़ेक वायरस से छुटकारा पाने के तरीके:-
- गार्डन के पौधों में कीटों और रोगों की जांच करें।
- गार्डन में लाभकारी कीटों को आकर्षित करें।
- एफिड्स, थ्रिप्स जैसे कीटों को नियंत्रित करने के लिए कीट नियंत्रण के जैविक उपायों को अपनाएँ।
- गुलाब की कीट प्रतिरोधी किस्मों को लगाएं।
- पौधे को स्वस्थ रखने के लिए पर्याप्त पानी और जैविक खाद प्रदान करें।
- संक्रमित पौधों को गार्डन से हटाएं।
(और पढ़ें: अपने ऑर्गेनिक गार्डन में रोग नियंत्रण कैसे करें….)
क्राउन गॉल – Crown Gall Is Common Disease Of Rose Plant In Hindi
क्राउन गॉल एक बैक्टीरिया जनित रोग है, जो गुलाब के पौधे की जड़ों और तनों को प्रभावित करता है। इस रोग के प्रभाव से पौधे की जड़ों और निचले तनों पर सूजन या ट्यूमर जैसी संरचना बन जाती है, जिससे पौधे में पोषक तत्वों की कमी आती है और उसकी वृद्धि रुक जाती है।
गुलाब के क्राउन गॉल रोग की रोकथाम:-
- अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में पौधे लगाएं।
- पौधे की जड़ों को नुकसान पहुंचाने से बचें।
- पौधे की प्रूनिंग करते समय प्रत्येक कट के बाद प्रूनर को कीटाणुरहित करें।
- रोग को फैलने से रोकने के लिए संक्रमित पौधों को जड़ समेत पूरी तरह से हटा दें।
कैंकर – Canker Diseases In Rose Plant In Hindi
यह गुलाब में होने वाला एक फंगल इन्फेक्शन है, जो पौधे के तने को प्रभावित करता है। कैंकर रोग के प्रभाव से पौधे के तने पर काले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। संक्रमण बढ़ने पर यह धब्बे घाव का रूप ले लेते हैं, तथा पौधे में पोषक तत्वों और पानी के प्रवाह को रोकते हैं। गुलाब के पौधे में कई प्रकार के कैंकर रोग होते हैं, जो कि इस प्रकार हैं:-
- बोट्राइटिस कैंकर (Botrytis Canker)
- नेक्ट्रिया कैंकर (Nectria Canker)
- फोमोप्सिस कैंकर (Phomopsis Canker)
- साइटोस्पोरा कैंकर (Cytospora Canker)
गुलाब के पौधे में कैंकर रोग का नियंत्रण:-
- पौधे की संक्रमित शाखाओं की प्रूनिंग करें, तथा प्रूनिंग करने के बाद प्रूनर को कीटाणुरहित करें।
- गुलाब के पौधे की पत्तियों और तनों को गीला करने से बचें।
- दो पौधों के बीच उचित दूरी बनाये रखें।
- गंभीर संक्रमण होने पर पौधे पर जैविक फंगीसाइड नीम ऑयल का स्प्रे करें।
(और पढ़ें: गर्मियों में गुलाब में अच्छे फूल लाने के लिए खाद…)
इस लेख में आपने जाना गुलाब के पौधे होने वाले रोग कौन-कौन से हैं, लगने वाली बीमारी के नाम तथा अपने गुलाब के पौधे को इन बीमारियों से कैसे बचाएं, रोग की रोकथाम और नियंत्रण के उपाय के बारे में। उम्मीद है लेख आपको अच्छा लगा हो, लेख के संबंध में आपके जो भी सुझाव हैं, हमें कमेंट बॉक्स में बताएं।