बरसात के समय मल्चिंग कब और कैसे करें – Plant Mulching During Rainy Season In Hindi

पेड़ पौधों व मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए गर्मी, सर्दी और बरसात के मौसम में मल्चिंग की जा सकती है, यह पौधों को किसी भी प्रकार के मौसमी नुकसान से बचाने में मदद करती है। मल्चिंग (Mulching) पेड़ पौधों को कई प्रकार के फायदे पहुंचाती है, लेकिन पौधों के आस-पास सही तरीके से मल्च न करने पर यह पौधों को काफी नुकसान भी पहुंचा सकती है, इसीलिए किसी भी मौसम में मल्च सावधानी से किया जाने वाला काम है। इस आर्टिकल में हम आपको बरसात के समय पेड़ पौधों पर मल्चिंग करने के बारे में बताएंगे। मल्चिंग क्या है, बरसात के समय पौधों की मल्चिंग कब और कैसे करें, तथा मानसून के दौरान पौधों को मल्चिंग या मल्च से होने वाले फायदे तथा नुकसान के बारे में जानने के लिए आर्टिकल को पूरा पढ़ें। (Barsat Ke Samay Mulching Kaise Karte Hain In Hindi)

मल्चिंग क्या है – What Is Mulching In Hindi

मल्चिंग क्या है - What Is Mulching In Hindi

होमगार्डन में पौधे लगे गमले या गार्डन की मिट्टी को छिद्रित कार्बनिक या अकार्बनिक पदार्थों से ढंकना मल्चिंग करना कहलाता है। पौधे की मिट्टी को जैविक तरीके से मल्च करने के लिए आप घास की कतरन, अखबार पेपर या कार्डबोर्ड की कटिंग, पेड़ पौधों की छाल, कंकड़-पत्थर तथा लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े इत्यादि का उपयोग कर सकते हैं। हर मौसम के दौरान पौधों के आस-पास मल्चिंग किसी विशेष कार्य के लिए की जाती है, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य मिट्टी तथा पौधों को स्वस्थ रखना होता है। मल्चिंग 2 प्रकार की होती है।

  1. कार्बनिक मल्चिंग (organic mulching)
  2. अकार्बनिक मल्चिंग (inorganic mulching)

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मानसून के दौरान मल्चिंग कब करें – When To Do Mulching During Monsoon Season In Hindi

रैनी सीजन गार्डन या बरसात के मौसम में वर्षा हो जाने के बाद जब गमलों की मिट्टी अधिक गीली नहीं होती है, तब मल्च करने का सबसे अच्छा समय होता है। लेकिन आप बारिश होने की संभावना से लगभग 1-2 सप्ताह पहले भी पौधों को मल्च कर सकते हैं। मानसून के पहले की गई मल्चिंग, मिट्टी तथा वर्षा के पानी के बीच एक बेरियर का काम करती है, जो तेज बारिश के पानी से पौधों को बचाती है।

(यह भी जानें: भारी बारिश में पौधों की देखभाल कैसे करें…)

बारिश के समय मल्चिंग कैसे करें – How To Do Mulching During Rainy Season In Hindi

बारिश के समय मल्चिंग कैसे करें - How To Do Mulching During Rainy Season In Hindi

बरसात के समय कार्बनिक तरीके से पौधों की मल्चिंग करने के लिए सबसे पहले उन कार्बनिक पदार्थों का चयन करें, जिससे आप अपने पौधों को मल्च करना चाहते हैं। मानसून के दौरान सब्जियों के पौधों को मल्च करने के लिए गन्ने की घास या सूखी घास तथा फूल वाले पौधों के लिए मिश्रित छाल का उपयोग सबसे अच्छा होता है। मल्चिंग करने से बारिश का पानी पौधों को मिलता रहेगा और मिट्टी में नमी भी बनी रहेगी, लेकिन ध्यान रखें बहुत अधिक मोटी परत की मल्च करने पर यह बारिश के पानी को सोख सकती है, जिसके कारण पौधों तक पानी पहुँचने से पहले ही वाष्पित हो जाएगा। बरसात में मल्च करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे:

  • पौधों के आस पास 2-3 इंच से अधिक मोटी परत की मल्चिंग न करें।
  • रैनी सीजन गार्डन या गमले की मिट्टी में मल्चिंग करने से पहले मिट्टी से खरपतवार हटा दें।
  • मिट्टी की निराई-गुड़ाई कर उसमें जैविक खाद मिला लें, ताकि बारिश के दौरान पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते रहें।
  • साइट्रस प्लांट्स के आस-पास मल्चिंग करते समय मिट्टी को खोदें नहीं, अन्यथा इनकी उथली जड़ें खराब हो सकती हैं।
  • बरसात में मल्च करने के बाद पानी दें, ताकि सूखी घास या मल्चिंग को तेज हवाओं के साथ उड़ने से बचाया जा सके।
  • फूलों तथा नये लगाये गये पेड़ों जैसे साइट्रस, गुलाब, अजीनल इत्यादि को लगाने के तुरंत बाद तथा हर वर्ष बढ़ते समय लकड़ी की छाल या गन्ने की छीलन आदि से मल्च करें।
  • 2-3 इंच बड़े हो जाने के बाद फूल तथा हर्ब्स वाले पौधों को मल्च करें।
  • सब्जियों वाले पौधों में मल्चिंग करते समय तनों से कुछ दूरी पर मल्च की परत बिछानी चाहिए, अन्यथा पौधे कीट या रोगग्रस्त हो सकते हैं।

बरसात के समय मल्चिंग करने के फायदे – Benefits Of Mulching During Rainy Time In Hindi

मानसून के दौरान उन पौधों को मल्च करना चाहिए, जो नमी में उगना पसंद करते हैं। बारिश के दौरान मिट्टी तथा पौधों को मल्चिंग से होने वाले फायदे निम्न हैं।

  • यह मिट्टी के कटाव को कम करती है।
  • खरपतवार नियंत्रण में सहायक।
  • मल्चिंग, मिट्टी से पोषक तत्वों को बहने से रोकती है।
  • मित्र कीटों को प्रोत्साहित करती है।
  • तेज बारिश के पानी से पौधों की जड़ों को खराब होने से बचाती है।
  • मिट्टी की नमी बरक़रार रखने में सहायक होती है।
  • पौधों को कीट एवं रोगों से बचाएं रखने में मदद करती है।

(यह भी जानें: बरसात में पौधे क्यों मर जाते हैं, जानें कारण और बचाने के उपाय…)

मानसून में पौधों को मल्चिंग से होने वाले नुकसान – Plant Damage Due To Mulching In Monsoon Season In Hindi

बरसात के समय मल्च अर्थात् मल्चिंग से एक ओर जहां मिट्टी तथा पौधों को कई सारे फायदे होते हैं, वही दूसरी इससे पौधों को नुकसान भी होते हैं, जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए। चलिए जानते हैं, बारिश के समय मल्चिंग से पौधों को होने वाले नुकसान के बारे में।

  • बरसात के समय भारी ऑर्गेनिक सामग्री जैसे घास की कतरन आदि से मल्चिंग करने पर ये पौधों के आस-पास अत्यधिक नमी बनाए रखते हैं, जिसके कारण पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं।
  • भारी मल्चिंग से बारिश रुकने के बाद पौधों में दीमक लगने की संभावना होती है।
  • मानसून के दौरान मल्चिंग, आपके पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक कीटों को आश्रय प्रदान करती है।
  • बारिश के समय अत्यधिक नमी अवशोषित करने वाले मल्चिंग पदार्थ आपके पौधों में कई प्रकार के कीट तथा फंगस रोग उत्पन्न कर सकते हैं।

बरसात में कौन से पौधों की मल्चिंग करें – Which Plants To Mulch In Rainy Season In Hindi

बरसात में कौन से पौधों की मल्चिंग करें - Which Plants To Mulch In Rainy Season In Hindi

मानसून के दौरान फलों वाले पौधे, छोटे पौधे तथा सीडलिंग के आस-पास मल्चिंग करनी चाहिए, ताकि इनकी ग्रोथ को बढ़ाने के लिए पर्याप्त नमी व मित्र कीटों को बढ़ावा मिल सके। आप निम्न प्रकार के पौधों में मल्चिंग का उपयोग कर सकते हैं, जैसे:

सब्जी – मटर, टमाटर, फूलगोभी, बीन्स, ब्रोकोली एवं लेट्युस आदि।

फूल – गुलाब, गोम्फ्रेना फूल, बालसम, गुड़हल इत्यादि।

हर्ब्स – अजवाइन, पुदीना, चाइव्स तथा पार्सले आदि।

फल – नींबू, स्ट्राबेरी, पपीता, केला, संतरा और अंगूर इत्यादि।

इस आर्टिकल में आपने जाना कि, बरसात के समय पौधों में मल्चिंग कब और कैसे की जाती है तथा इससे पौधों को कौन-कौन से फायदे और नुकसान होते हैं। आप भी मानसून के दौरान अपने पौधों को स्वस्थ रखने तथा मिट्टी के कटाव को रोकने, आदि के लिए ऊपर बताए अनुसार मल्चिंग कर सकते हैं।

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