तना गलन रोग (Stem Rot Disease) एक सामान्य फंगल संक्रमण है, जो गार्डन के कई पौधों को प्रभावित करता है। इस रोग का सबसे अधिक प्रभाव पौधे के तने पर पड़ता है। चूंकि तना पौधे का मुख्य भाग होता है और बीमारी का प्रभाव सीधे तने पर पड़ने के कारण पूरे पौधे की भी मृत्यु हो जाती है, इसलिए इस गंभीर बीमारी को रोकने के लिए पौधों में स्टेम रॉट रोग के लक्षण, कारण और प्रभावी नियंत्रण के तरीकों की जानकारी होना महत्वपूर्ण है, जो कि आज इस लेख के माध्यम से हम आपको देने जा रहे हैं। स्टेम रॉट रोग (Stem Rot Disease In Plants In Hindi) क्या है, इस गंभीर बीमारी से पौधों को कैसे बचाएं, तना गलन रोग से पौधों को बचाने और रोग नियंत्रण के तरीके जानने के लिए आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
स्टेम रॉट या तना गलन रोग क्या है – What Is Stem Rot Disease In Hindi
तना सड़न रोग, जिसे स्टेम रॉट या कॉलर रॉट (Collar Rot) भी कहा जाता है, यह फंगस के कारण होने वाला रोग है, जो पौधों के तनों को प्रभावित करता है। यह कवक पौधे के तने के ऊतकों पर हमला करते हैं, जिससे पौधे सड़ने लगते हैं, पौधे मुरझा जाते हैं और गंभीर संक्रमण होने के कारण समग्र पौधे की मृत्यु हो जाती है।
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पौधों में स्टेम रॉट रोग होने के कारण – Causes Of Stem Rot Disease In Plants In Hindi
आमतौर पर स्टेम रॉट रोग नम स्थितियों में अधिक तेजी से होता है जिसका मुख्य कारण मिट्टी की खराब जल निकासी है। हालाँकि इसके अलावा भी पौधों में स्टेम रॉट रोग होने के और भी कई कारण हैं, जिनके बारे में आगे लेख में जानेंगे। पौधों में स्टेम रॉट रोग के कारण निम्न हैं:-
- गार्डन में संक्रमित मिट्टी और मलवे में कवक (Fungus) छिपी होने के कारण।
- गमले में खराब जल निकासी वाली मिट्टी होने से भी पौधे में स्टेम रोग हो सकता है।
- अनुचित छंटाई और कीटों के प्रकोप से यह रोग फैलता है।
- पौधे के तने पर चोट और घाव बनने के कारण स्टेम रोग हो सकता है।
- सूखा, पोषक तत्वों की कमी या अत्यधिक तापमान इस रोग को अनुकूल स्थिति प्रदान करते हैं।
- रोग के प्रति अतिसंवेदनशील पौधों की किस्मों की वजह से यह रोग होता है।
- स्टेम रॉट संक्रमित टूल्स के माध्यम से भी फ़ैल सकता हैं।
स्टेम रॉट के लक्षण – Stem Rot Symptoms in Plants In Hindi
पौधों में स्टेम रॉट या तना सड़न रोग की पहचान निम्न लक्षणों को देखकर की जा सकती है:-
- रोग के शुरुआती प्रभाव से पौधे के निचले हिस्सों की पत्तियां मुरझाने और पीली होने लगती हैं।
- तने पर गहरे ब्राउन या काले रंग के घाव दिखाई देते हैं, जो धीरे-धीरे बढ़ते हैं और अंदर की ओर धंसने लगते हैं।
- तने के प्रभावित (गले हुए) हिस्से से दुर्गंध आने लगती है।
- प्रभावित पौधे की वृद्धि रुक जाती है और वह कमजोर होने लगता है।
- संक्रमण जैसे-जैसे बढ़ता है, पौधे का तना झुकने और गिरने लगता है।
आइए अब जानते हैं:- पौधों को स्टेम रॉट से कैसे बचाएं?
पौधों को स्टेम रॉट रोग से बचाने के उपाय – Ways To Protect Plants From Stem Rot Disease In Hindi
होम गार्डन में लगे पौधों में तना सड़न रोग अर्थात स्टेम रॉट रोग होने से बचाने के तरीके कुछ इस प्रकार हैं:-
- गार्डन में पौधे की रोग प्रतिरोधी किस्मों को लगाएं, जिनमे फंगल संक्रमण कम होता है।
- पौधे लगाने के लिए उचित जल निकासी वाली मिट्टी तैयार करें, आप मिट्टी में पर्लाइट, रेत या वर्मीकुलाइट मिलाकर जल निकासी में सुधार कर सकते हैं।
- पौधों को अधिक पानी देने से बचें, क्योंकि ओवरवाटरिंग की स्थिति में फंगस जल्दी विकसित होती है।
- पौधों की पत्तियों और तनों को गीला करने के बजाय, उन्हें जड़ों के पास गमले की मिट्टी में पानी दें।
- रोग संक्रमित पौधों की प्रूनिंग करते समय संक्रमण रोकने के लिए प्रूनिंग टूल्स को और साफ और कीटाणुरहित करें।
- गमले में पौधे लगाने के लिए नए पॉटिंग मिक्स का उपयोग करें, तथा ग्रो बैग का दोबारा उपयोग करते समय उसे कीटाणुरहित करें।
- पौधों को स्वस्थ और रोगमुक्त रखने के लिए उचित पोषक तत्व प्रदान करें। आप पौधों को आवश्यकतानुसार महीने में एक बार जैविक संतुलित उर्वरक जैसे बायो NPK, प्लांट ग्रोथ प्रमोटर, PROM फर्टिलाइजर आदि दे सकते हैं।
- गार्डन के पौधों के बीच पर्याप्त दूरी बनाए रखें, जिससे बेहतर वायु परिसंचरण और आर्द्रता के स्तर को नियंत्रित किया जा सके।
- गमले की मिट्टी की मल्चिंग करके नमी के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है, अतः पौधों के चारों ओर जैविक पदार्थों से मल्चिंग करें।
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पौधों में स्टेम रॉट रोग के नियंत्रण के तरीके – Methods Of Control Of Stem Rot Disease In Plants In Hindi
अगर आपके पौधे स्टेम रॉट रोग से बुरी तरह प्रभावित हो गए हैं, तो हम आपको बता दें, कि इस रोग को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन रोग के प्रसार को रोकने और अन्य पौधों को सुरक्षित रखने के लिए रोकथाम के कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं, जो कि इस प्रकार हैं:-
- संक्रमित पौधे के रोग प्रभावित और क्षतिग्रस्त हिस्सों की प्रूनिंग करें, तथा प्रूनिंग के दौरान मलबे को गार्डन से दूर नष्ट कर दें।
- पौधे के संक्रमित हिस्से पर प्राकृतिक फंगीसाइड नीम तेल और अन्य जैविक फंगीसाइड का स्प्रे करके रोग के प्रसार को नियंत्रित किया जा सकता है।
(यह भी जानें: पौधों से फंगस हटाने के लिए जैविक फंगीसाइड…..)
उपरोक्त लेख में आपने जाना, पौधों में होने वाला स्टेम रॉट रोग क्या है? जड़ गलन बीमारी के लक्षण, कारण और अपने पौधों को स्टेम रॉट से कैसे बचाएं, बचाने के उपाय या नियंत्रण के तरीके के बारे में। उम्मीद है लेख आपको पसंद आया हो, इस लेख के संबंध में आपके जो भी सुझाव हैं, हमें कमेंट में जरूर बताएं।