जेनेटिकली मोडिफाइड (GM) बीज क्या होते हैं, जानिए इनके फायदे और नुकसान – Pros And Cons Of Genetically Modified (Gmo) Seeds In Hindi

किसी पौधे के जीन या डीएनए में बदलाव करने के बाद उस पौधे से जो बीज मिलते हैं, वे जेनेटिकली मोडिफाइड या जीएम बीज (gm seeds) कहलाते हैं। इन बीजों से जो पौधे या फसलें तैयार होती हैं, उन्हें जीएम फसलें (gm crop/plant) कहा जाता है। जीएम बीजों को तैयार करने के लिए किसी पौधे या जीव के जीन को अन्य पौधे के जीन में डालकर उसमें ऐसे गुणों को विकसित किया जाता है, जो पहले से उस पौधे में मौजूद नहीं थे। इस तरह gm बीज तैयार करने का मुख्य उद्देश्य ऐसे पौधे तैयार करना है, जो कम पानी में भी उग सकते हों, उनमें रोग या कीट लगने का खतरा बहुत कम हो तथा उपज या पैदावार भी ज्यादा मिलती हो। आज के इस लेख में हम आपको जीएम बीज के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं।

जेनेटिकली मोडिफाइड (Gmo) बीज क्या होते है, ये कैसे बनते हैं, इन बीजों को इस्तेमाल करने के फायदे और नुकसान क्या हैं? इसकी सम्पूर्ण जानकारी के लिए यह लेख लास्ट तक जरूर पढ़ें।

जीएमओ या जेनेटिकली मोडिफाइड बीज का क्या मतलब है – What Are Genetically Modified (Gmo) Seeds In Hindi 

GMO का फुल फॉर्म (Full Form) जेनेटिकली मॉडिफाइड ऑर्गेनिज्म (Genetically Modified Organism) होता है। यानि किसी भी पौधे, जीव या बैक्टीरिया के जीन (DNA) को निकालकर अन्य पौधे के डीएनए में डालकर पौधे की एक नई किस्म तैयार की जाती है, इस किस्म से जो बीज तैयार होते हैं, उन्हें आनुवंशिक रूप से संशोधित बीज या जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) बीज (Gm Seeds) कहा जाता है।

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जीएम बीज कैसे बनते हैं – How Are Seeds Genetically Modified In Hindi 

जीएम बीज कैसे बनते हैं - How Are Seeds Genetically Modified In Hindi 

जेनेटिक इंजीनियरिंग (genetic engineering) तकनीक की मदद से जीएम बीज (gm seeds) बनाये जाते हैं। इस टेक्नोलॉजी में किसी भी ऑर्गेनिज्म जैसे पौधे, जीव या जीवाणु (bacteria) से डीएनए (DNA) को निकालकर उसको दूसरे पौधे में डाल दिया जाता है। चलिए जीएम बीज बनाने की विधि को डिटेल में समझते हैं:

सबसे पहले वैज्ञानिक ऐसे गुण की तलाश करते हैं, जो वो पौधे में चाहते हैं। जैसे कपास के पौधे में किसी खास कीट या रोग से लड़ने की क्षमता पैदा करना, ताकि कीटनाशक का ज्यादा उपयोग न करना पड़ें। इसके बाद वैज्ञानिक ऐसे जीव, पौधे या बैक्टीरिया का पता लगाते हैं, जिसमें उस खास कीट या रोग से लड़ने की क्षमता पहले से मौजूद हो। फिर वैज्ञानिक उस जीव, पौधे या बैक्टीरिया से जीन को निकालते हैं, और उसे उस पौधे (कपास) के डीएनए में डाल देते हैं, जिसे वे कीट-रोधी बनाना चाहते हैं। इसके बाद लैब में उस पौधे को ग्रो होने दिया जाता है। यदि पौधा कीट-रोधी बन जाता है, तब उसे ग्रीनहाउस में और फिर छोटे खेत में, इसके बाद फिर आखिर में बड़े खेत, होम गार्डन में उगाया जाता है। इस तरह जीएम बीज (Gm Seeds) लैब में तैयार किये जाते हैं।

वर्तमान में कपास के अलावा मक्का, आलू, केला, पपीता, सोयाबीन इत्यादि के जीएम बीज बनाए जा चुके हैं, लेकिन भारत में सिर्फ कपास की जीएम सीड्स से खेती की जाती है।

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जीएम बीज के फायदे (लाभ) और नुकसान (हानि) – Genetically Modified (Gmo) Seeds Advantages And Disadvantages In Hindi 

Gm बीज के निम्न फायदे और नुकसान होते हैं:

1. जीएम बीज उपयोग करने के फायदे – Benefits/Pros Of Genetically Modified (Gmo) Seeds In Hindi 

1. जीएम बीज उपयोग करने के फायदे - Benefits/Pros Of Genetically Modified (Gmo) Seeds In Hindi 

अक्सर पौधों में कीट या रोग लग जाने की वजह से सब्जी या फलों की पैदावार में भारी कमी आ जाती है। ऐसे में समय का भी नुकसान होता है और उन पौधों को उगाने में खर्च होने वाले धन का भी नुकसान होता है। इन समस्याओं से बचने के लिए ही जीएम बीज बनाए जाते हैं, ताकि उपज में बढ़ोत्तरी हो सके। gm बीज के निम्न फायदे होते हैं:

  • जेनेटिकली मॉडिफाइड बीज से अधिक पैदावार मिलती है।
  • Gm बीज कीट और रोग प्रतिरोधी होते हैं।
  • जीएम फसलें या पौधे कम पानी में भी उग जाते हैं।
  • इन पौधों में रोग या कीट नहीं लगते, जिस वजह से कीटनाशकों पर खर्च होने वाला पैसा बच जाता है।
  • जीएम फसल या पौधों से प्राप्त उपज लम्बे समय तक खराब नहीं होती है।
  • इस तकनीक से ऐसे बीज तैयार किये जा रहे हैं, जो प्रतिकूल जलवायु वाले क्षेत्र में भी उग सकते हों

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2. जीएम बीज का उपयोग करने के नुकसान – Disadvantages/Cons Of Genetically Modified (Gmo) Seeds In Hindi

जीएम बीज का उपयोग करने के नुकसान - Disadvantages/Cons Of Genetically Modified (Gmo) Seeds In Hindi

जीएमओ बीज का उपयोग करने के कुछ नुकसान (Gm Seeds Disadvantages) भी होते हैं, चलिए उनके बारे में जानते हैं:

  • देसी बीजों की तुलना में जीएम बीज से प्राप्त उपज कम स्वादिष्ट होती है।
  • जीएम बीज बहुत महंगे मिलते हैं।
  • अभी भारत में केवल रुई की (Cotton) जीएम सीड्स से खेती की जाती है। और कोई भी Gm बीज भारत में अभी उपलब्ध नहीं हैं।
  • हर बार इस्तेमाल करने के लिए नए जीएम बीज (gm seeds) खरीदने पड़ते हैं।
  • देशी बीजों की तुलना में जीएम बीजों को अधिक समय तक स्टोर करके नहीं रखा जा सकता है।
  • जीएम बीजों से प्राप्त उपज को खाने से शरीर में एलर्जी जैसे कुछ रोगों के होने का खतरा भी रहता है।

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आज के इस लेख में आपने जाना कि जेनेटिकली मॉडिफाइड बीज या जीएमओ सीड्स (gmo seeds) क्या होते हैं, ये बीज कैसे बनते हैं, इन बीजों से प्राप्त फसलों या पौधों के क्या फायदे (लाभ) और नुकसान (हानि) हैं। जीएम बीज के फायदे और नुकसान को लेकर अगर आपका कोई भी सवाल या सुझाव हो, तो आप उसे कमेन्ट के माध्यम से बता सकते हैं।

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