मौसम में अचानक बदलाव, ज्यादा पानी देना, पत्तियां गीली करना या किसी संक्रमित पौधे के सम्पर्क में आ जाने से पौधों में कई तरह के फफूंद या कवक जनित रोग (Fungal Diseases) हो जाते हैं। ये फंगल रोग, मिट्टी में पहले से मौजूद फंगी या कवक रोगजनकों (fungi pathogen) के कारण होते हैं, जो अधिक नमी के कारण सक्रिय हो जाते हैं। कवक रोगों के कारण पौधों की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं, वे समय से पहले गिरने लगती हैं और पौधे की ग्रोथ भी रुक जाती है। वैसे तो पौधों में बहुत से कवक रोग होते हैं, लेकिन इस लेख में हम आपको सबसे कॉमन कवक रोगों के लक्षण के बारे में बताने वाले हैं।
कवक जनित पादप रोग या पौधों में कवक (Fungus) से होने वाले रोग कौन-कौन से हैं, पादप कवक रोगों या फफूंद जनित रोग के लक्षण क्या हैं, और इनकी रोकथाम और नियंत्रण के लिए क्या उपाय करने होंगे, इसकी पूरी जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी।
कवक जनित पादप रोग क्या है – What Is Fungal Disease In Plants In Hindi
पौधों में फफूंद या कवक रोगजनकों (Pathogen) के कारण होने वाले रोगों को कवक जनित रोग (Plant Fungal Disease) कहा जाता है। एन्थ्रेक्नोज, लीफ स्पॉट, ब्लाइट आदि पौधों में होने वाले कवक/फंगस रोग हैं। फ्यूजेरियम, पायथियम (pythium) आदि कवक रोगजनक (Plant Pathogen Fungi) हैं।
कवक से होने वाले 10 प्रमुख पादप रोग – 10 Common Fungal Diseases In Plants In Hindi
वैसे तो पौधों में कई तरह के कवक रोग होते हैं, लेकिन ये 10 ज्यादा कॉमन हैं:
- पाउडरी मिल्ड्यू/सफेद कवक (Powdery Mildew)
- डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew)
- डंपिंग ऑफ डिजीज (Damping Off Diseases)
- रस्ट कवक रोग (Rust Fungal Diseases)
- सूटी मोल्ड (Sooty moulds)
- लीफ स्पॉट (Leaf Spot)
- काला धब्बा रोग (Black Spot Diseases)
- एन्थ्रेक्नोज रोग (Anthracnose)
- विल्ट रोग (Wilt Diseases)
- जड़ सड़न रोग (Root Rot Diseases)
(और पढ़ें: कैसे पहचान करें कि, पौधे में कौन सा रोग है…)
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पौधों में कवक रोगों के लक्षण – Symptoms Of Fungal Diseases In Plants In Hindi
चलिए जानते हैं पौधों में कवक के कारण होने वाले रोग के सामान्य लक्षण (Fungal Diseases Symptoms) क्या हैं:
1. पाउडरी मिल्ड्यू/फफूंदी के लक्षण – Powdery Mildew Symptoms In Hindi
यह पाउडरी फफूंदी रोग मुख्य रूप से पोडोस्फेरा ज़ैंथी (Podosphaera Xanthii) नामक कवक के कारण फैलता है। इस कवक रोग से लगभग सभी पेड़-पौधे जैसे- झाड़ियाँ, बेल वाले पौधे, फल-फूल, सब्जियाँ, घास और खरपतवार इत्यादि प्रभावित हो सकते हैं। पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew) या ख़स्ता फफूंदी कवक रोग के निम्न लक्षण पौधों पर नजर आते हैं:
- पत्तियों और तनों के ऊपर सफेद कलर के धब्बे नजर आते हैं। ये सफेद धब्बे ऐसे लगते हैं, जैसे मानों पत्तों के ऊपर सफेद पाउडर छिड़क दिया हो। इस वजह से इसे पाउडरी मिल्ड्यू कहा जाता है।
- ये धब्बे पत्ती के दोनों तरफ दिखाई पड़ते हैं।
(और पढ़ें: पाउडरी मिल्ड्यू रोग के लक्षण तथा नियंत्रण के उपाय…)
2. डाउनी मिल्ड्यू कवक रोग के लक्षण – Downy Mildew Symptoms In Hindi
यह डाउनी मिल्ड्यू रोग मृदा जनित कवक (Soil Borne Fungi) पेरोनोस्पोरा पैरासिटिक (Peronospora Parasitic) के कारण फैलता है। यह नमी वाले मौसम का रोग है, क्योंकि पत्तियों का लंबे समय तक गीला रहना, इस रोग के संक्रमण को बढ़ाता है। यह रोग सेम, करेला, फूलगोभी, मटर आदि सब्जी के पौधों में होता है। इस कवक रोग (Downy Mildew) के निम्न लक्षण (Symptoms) होते हैं:
- पत्तियों की ऊपरी सतह पर पीले रंग के धब्बे दिखाई पड़ते हैं।
- पत्ते को पलटा कर देखने पर धब्बों का केंद्रीय हिस्सा गलने जैसा दिखता है।
- पत्ती के निचली तरफ धब्बों के नीचे भूरे या सफेद रंग की परत बन जाती है। नीचे की तरफ फफूंद लगने की वजह से इसे डाउनी मिल्ड्यू कहा जाता है।
(और पढ़ें: हाउस प्लांट से फंगस दूर करने के लिए अपनाएं यह घरेलू उपाय…)
3. डंपिंग ऑफ रोग की पहचान – Symptoms Of Damping Off Disease In Hindi
यह रोग मुख्य रूप से छोटे पौधों या सीडलिंग में नजर आता है। डम्पिंग ऑफ रोग, मिट्टी में पाए जाने वाले अनेक कवकों जैसे राइजोक्टोनिया सोलानी (Rhizoctonia Solani), फाइटोफ्थोरा (Phytophthora) आदि के कारण फैलता है। इस रोग (Damping Off) के निम्न लक्षण होते हैं:
- सीडलिंग या छोटे पौधे मुरझाने लगते हैं।
- पौधे की सीडलिंग पर कत्थई या काले घाव दिखते हैं।
- संक्रमण अधिक फैलने पर सीडलिंग मुरझाकर नीचे गिर जाती है।
(और पढ़ें: सीडलिंग को डंपिंग ऑफ रोग से कैसे बचाएं...)
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4. रस्ट फंगस रोग के लक्षण – Rust Fungus Symptoms In Hindi
पौधों में रस्ट कवक रोग (Rust Fungus) Pucciniales नामक कवक के कारण फैलता है। नमी का स्तर अधिक होने के कारण इस रोग का संक्रमण सब्जी, फल-फूलों, झाड़ियों आदि पौधों में तेजी से फैलता है। जंग कवक रोग के कारण पौधों पर निम्न लक्षण (Symptoms) नजर आते हैं:
- पत्तियों की ऊपरी सतह पर सुनहरे (Brown) जंग के कलर जैसे कई सारे धब्बे नजर आते हैं। ये धब्बे लाल (Red), नारंगी (Orange) और पीले (Yellow) रंग के भी होते हैं।
- रोग बढ़ने पर पत्ती के धब्बों के भीतर गहरे ब्राउन और काले रंग की रेखाएँ और बिंदु बन जाते हैं।
(और पढ़ें: रस्ट फंगस (जंग कवक) रोग क्या है और पौधों को कैसे बचाएं…)
5. काला धब्बा रोग की पहचान – Black Spot Plant Fungal Disease Symptoms In Hindi
इस कवक रोग में पौधे की पत्तियों की ऊपरी सतह पर छोटे-छोटे काले रंग के धब्बे (Black Spots) नजर आते हैं। इन धब्बों के चारों तरफ पीली किनारी होती है। काला धब्बा रोग में पत्तियां समय से पहले गिरने लगती हैं और रोग बढ़ने पर पूरा पौधा मुरझाने लगता है। काले धब्बे नई टहनियों पर भी नजर आ सकते हैं। ब्लैक स्पॉट ठंडे, नम मौसम में होता है और गुलाब के पौधे को अधिक प्रभावित करता है।
(और पढ़ें: टमाटर पर लगा काला धब्बा रोग, जानें इसे दूर करने के उपाय…)
6. एन्थ्रेक्नोज रोग के लक्षण – Anthracnose Fungal Disease Symptoms In Hindi
पौधों में होने वाला एन्थ्रेक्नोज रोग, मिट्टी में पाए जाने वाले कवक कोलेटोट्रिचम ग्लियोस्पोरियोइड्स (Colletotrichum Gloeosporioides) के कारण होता है। यह रोग मुख्य रूप से आम, केला, पपीता, टमाटर, करेला आदि पौधों को प्रभावित करता है। पौधों में एन्थ्रेक्नोज रोग के निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:
- पौधे की पत्तियों के किनारों और फलों पर पीले और सुनहरे (Brown) कलर के घाव या धसे हुए धब्बे नजर आते हैं और समय के साथ ये धब्बे बड़े होते जाते हैं।
- घाव अंडाकार आकार में होते हैं।
- पौधों से पत्ते और फल समय से पहले गिर जाते हैं।
(और पढ़ें: फलों में होने वाले कुछ सामान्य रोग और उनसे बचाव…)
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7. जड़ सड़न रोग के लक्षण – Symptoms Of Root Rot Disease In Hindi
पौधे में रूट रॉट या जड़ सड़न रोग पाइथियम (Pythium), फाइटोफ्थोरा (Phytophthora), राइजोक्टोनिया (Rhizoctonia) कवक की प्रजातियों के कारण फैलता है। ये कवक गीली मिट्टी में पनपते हैं, और पौधे की जड़ों को संक्रमित करते हैं, जिससे जड़ें गलने और सड़ने लगती हैं। इस रोग के कारण पौधे की ग्रोथ अचानक रुक जाती है और वे मुरझाकर सूखने लगते हैं। पौधे का मुख्य तना काले रंग का और गलने जैसा नजर आता है।
(और पढ़ें: पौधों में जड़ सड़न रोग (रूट रॉट) के कारण और बचाने के उपाय…)
8. विल्ट रोग के लक्षण – Wilt Fungal Disease Symptoms In Hindi
पौधों में विल्ट रोग 2 तरह के होते हैं, पहला फ्यूजेरियम विल्ट और दूसरा वर्टिसिलियम विल्ट। फ्यूजेरियम विल्ट कवक रोग में पत्तियां मुरझाती हैं और पौधे की ग्रोथ रुक जाती है। यह अधिकतर गर्मी के समय होता है। जबकि वर्टिसिलियम विल्ट कवक रोग में पौधे की शाखाएं (Branches) अचानक मुरझाने (Wilt) लगती हैं और पत्तियां पीली पड़कर समय से पहले गिरने लगती हैं।
9. सूटी मोल्ड रोग के लक्षण – Sooty Mold Symptoms In Hindi
इस कवक रोग में पौधे की पत्तियों, फलों और तने के ऊपर काले रंग की फफूँदी दिखाई देती है। पत्तियों के रस चूसने वाले कीट पत्तियों पर एक शहद के जैसा चिपचिपा पदार्थ छोड़ते हैं, जिसे हनीड्यू (Honeydew) कहा जाता है। सूटी मोल्ड, इसी हनीड्यू पदार्थ पर फैलता है। इस रोग के बढ़ने पर पूरी पत्तियां गहरे काले रंग की फफूंद (Black Mold) से ढक जाती हैं। पत्तों को देख कर ऐसा लगता है मानो उन पर कालिख पोत दी हो।
(और पढ़ें: गमले के पौधों को कीट से बचाने के तरीके…)
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10. ब्लाइट डिजीज के लक्षण – Blight Fungal Disease Symptoms In Hindi
इस कवक रोग की शुरुआत में पौधे की पत्तियां किनारे से सुनहरे (Brown) कलर की होने लगती हैं। कुछ समय बाद पत्तियां अंदर की तरफ मुड़ने (Curl) लगती हैं और फिर सूख जाती हैं।
पौधों में कवक रोगों की रोकथाम – Prevention Of Fungal Diseases In Plants In Hindi
अगर आप निम्न सावधानियों को अपनाते हैं तो पौधों में होने वाले कवक रोगों की रोकथाम कर सकते हैं:
- किसी भी पौधे में जरूरत से ज्यादा पानी (Overwatering) न दें। ऊपरी मिट्टी सूखी होने पर ही पानी दें।
- मिट्टी को लम्बे समय तक अधिक गीला न रखें। गीली मिट्टी में कवक रोग जल्दी होते हैं।
- पौधे की पत्तियों को गीला न करें।
- पौधों के बीच पर्याप्त दूरी बनाएँ रखें, इससे हवा का प्रवाह (Air Circulation) बनाये रखने में मदद मिलती है।
- सभी पौधों को पर्याप्त धूप दिखाएँ।
- अगर किसी पौधे में कवक रोगों का संक्रमण ज्यादा फ़ैल गया है, तो उसे उखाड़ कर फेंक दे, ताकि अन्य पौधे में रोग न फ़ैल सकें।
- अगर पौधे की केवल कुछ पत्तियां प्रभावित हैं, तो उन पत्तियों को पौधे से काटकर अलग कर दें और पौधे पर नीम तेल या अन्य कवकनाशी का छिड़काव करें।
- कोई भी गार्डन टूल का उपयोग करने से पहले उसे सैनिटाइजर से कीटाणु रहित कर लें।
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पौधों में कवक जनित रोगों का नियंत्रण – How To Control/Treat Fungal Diseases In Plants In Hindi
नीम तेल और अन्य फंगीसाइड का छिड़काव करने से पौधों में होने वाले कवक जनित रोगों (Fungal Disease) को नियंत्रित किया जा सकता है। नीम तेल पौधों से फंगस/कवक रोगों को दूर भगाने में बहुत मदद करता है। 1 लीटर पानी में 1 चम्मच (5ml) नीम तेल और कुछ बूँद लिक्विड सोप की मिलाएं। तीनों चीजों को अच्छे से मिक्स करें और फिर घोल को स्प्रे बोतल में भरकर उसका पौधों पर अच्छे से छिड़काव (Spray) करें।
इस लेख में आपने जाना कि कवक जनित पादप रोग या पौधों में कवक रोग कौन-कौन से होते हैं, कवक रोगों के लक्षण और इनके रोकथाम तथा नियंत्रण के उपाय के बारे में। पादप कवक रोग से जुड़ा यह लेख अगर आपको पसंद आया हो या इससे संबंधित आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो उसे कमेन्ट में जरूर लिखें।
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