Indoor Plant Diseases And Treatment In Hindi: आजकल घरों में इनडोर पौधे लगाना बहुत आम हो गया है। यह न सिर्फ घर को सुंदर बनाते हैं, बल्कि हवा को साफ रखने में भी मदद करते हैं। लेकिन कई लोग नहीं जानते कि इनडोर पौधों में रोग क्यों होते हैं, लक्षण और कारण क्या हैं। अक्सर गलत देखभाल, ज़रूरत से ज़्यादा पानी देना (ओवरवाटरिंग) और मिट्टी में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया की वजह से इनडोर प्लांट में होने वाले रोग तेजी से बढ़ने लगते हैं। अगर शुरुआत में इन समस्याओं को पहचानकर दूर न किया जाए, तो पौधा धीरे-धीरे कमजोर होकर पूरी तरह खराब हो सकता है।
इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि indoor plant में कौन से रोग होते हैं, इंडोर प्लांट को रोगों से कैसे बचाएं और इंडोर प्लांट की देखभाल कैसे करें और भी बहुत कुछ, ताकि आपके पौधे लंबे समय तक हरे-भरे और स्वस्थ बने रहें।
इनडोर पौधों में रोग क्यों लगते हैं – Why Do Indoor Plants Get Diseases In Hindi
इनडोर पौधों में रोग ज्यादातर अधिक पानी, गलत मिट्टी और हवा की कमी के कारण लगते हैं। घर के अंदर लगे पौधों में रोग लगने और खराब होने के निम्न कारण, जैसे-
- जरूरत से ज़्यादा पानी, जिससे मिट्टी लगातार गीली रहती है और जो रूट रॉट जैसी बीमारी को जन्म देती है।
- मिट्टी में हवा का प्रवाह रुक जाना, जिससे जड़ें ऑक्सीजन नहीं ले पातीं।
- पानी रुकने वाली मिट्टी (Poor Drainage Soil) का इस्तेमाल।
- हानिकारक बैक्टीरिया और फफूंद का बढ़ना, खासकर गीली मिट्टी में।
- कम धूप वाली जगह पर पौधा रखना, जिससे मिट्टी देर से सूखती है।
- पुरानी, कीटाणुयुक्त या बिना स्टरलाइज की गई मिट्टी का उपयोग।
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अधिक पानी और बैक्टीरिया से खराब होते इंडोर प्लांट में लक्षण – Indoor Plant Symptoms From Overwatering And Bacteria In Hindi
जब इंडोर प्लांट खराब होने लगते हैं, तो उनमें निम्न लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जो कि नीचे बताए गए हैं-
- ओवरवाटरिंग और बैक्टीरिया के कारण पत्तियाँ पीली होना।
- अत्यधिक नमी से कमजोर होकर पौधा नीचे की ओर झुक जाता है।
- जड़ सड़न और बैक्टीरिया के कारण बदबू आना।
- जड़ें काली, मुलायम और टूटने जैसी हो जाती हैं।
- पानी देने के बावजूद पौधा मुरझाया और कमजोर दिखने लगता है।
- सफेद, भूरे या काले फफूंद जैसे धब्बे दिखाई देने लगते हैं।
- पौधा नए पत्ते नहीं निकालता या छोटे, विकृत पत्ते उगाता है।
घर के अंदर रखे पौधों में ओवरवाटरिंग से होने वाले रोग – Diseases From Overwatering In Indoor Plants In Hindi
ओवरवॉटरिंग इनडोर पौधों की सबसे आम समस्या है, जो कई बीमारियों का कारण बनती है। ओवर वाटरिंग के कारण पौधों में निम्न रोग हो सकते हैं-
1. जड़ सड़न (Root Rot)
ओवरवाटरिंग और मिट्टी में मौजूद बैक्टीरिया/फफूंद के कारण जड़ सड़न होती है। इसमें जड़ें नरम, काली और बदबूदार हो जाती हैं। यह बीमारी शुरुआत में पत्तियों के पीले पड़ने और पौधे के झुकने से दिखाई देती है। यदि समय पर मिट्टी बदली न जाए, तो पौधे की पोषक तत्व लेने की क्षमता खत्म हो जाती है और पूरा पौधा मर सकता है। यह इनडोर पौधों में सबसे आम और खतरनाक बीमारी मानी जाती है।
2. डैम्पिंग ऑफ (Damping Off)
डैम्पिंग ऑफ मुख्यतः छोटे पौधों और सीडलिंग में होती है, जब मिट्टी अत्यधिक गीली रहती है। बैक्टीरिया और फंगस तने के निचले हिस्से को कमजोर कर देते हैं, जिससे पौधा अचानक जमीन पर गिर जाता है। इस बीमारी में मिट्टी की सतह पतली, मुलायम और सड़ी हुई दिखाई देती है। शुरुआत में यह बीमारी दिखाई नहीं देती, लेकिन कुछ ही दिनों में पूरा पौधा मर जाता है।
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3. बैक्टीरियल लीफ स्पॉट (Bacterial Leaf Spot)
इस बीमारी में पत्तियों पर छोटे-छोटे पानी जैसे धब्बे बनते हैं, जो बाद में भूरे या काले हो जाते हैं। ओवरवाटरिंग से पत्तियों पर लगातार नमी बनी रहती है, जिससे बैक्टीरिया तेजी से फैलते हैं। धीरे-धीरे धब्बे बड़े होकर पत्ती को कमजोर कर देते हैं और पौधा अपनी ऊर्जा खोने लगता है। समय पर इलाज न करने पर पूरा पौधा संक्रमित हो सकता है।
4. क्राउन रॉट (Crown Rot)
क्राउन रॉट तब होती है जब पौधे के तने और जड़ के मिलने वाला हिस्सा लंबे समय तक गीला रहता है। यह हिस्सा सड़ने लगता है और पौधे की ऊपरी वृद्धि रुक जाती है। तना नरम होकर भूरे-काले रंग का हो जाता है और पौधा झुकने लगता है। यह बीमारी मिट्टी में मौजूद बैक्टीरिया और ओवरवाटरिंग की वजह से तेज़ी से फैलती है।
5. ब्लाइट रोग (Blight)
ब्लाइट में पौधे की पत्तियाँ, तना और नई कोंपलें अचानक सूखने और काले पड़ने लगती हैं। मिट्टी का अधिक गीला होना बैक्टीरिया को बढ़ने का मौका देता है जिससे पौधे का ऊपरी हिस्सा सड़ने लगता है। इस बीमारी में संक्रमण तेज़ी से फैलता है, और स्वस्थ पत्तियाँ भी अचानक मर जाती हैं। यह इनडोर पौधों के लिए काफी नुकसानदायक रोग है।
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6. लीफ मोल्ड (Leaf Mold)
ओवरवाटरिंग से होने वाली लगातार नमी फफूंद को पत्तियों पर बढ़ने का मौका देती है। पत्तियों पर सफेद, पीले या भूरे धब्बे दिखाई देते हैं। धीरे-धीरे पत्तियाँ नरम होकर झड़ने लगती हैं। यह बीमारी बंद कमरों में ज्यादा होती है, जहाँ धूप कम और नमी ज्यादा रहती है। समय पर न रोकने पर यह पूरे पौधे को संक्रमित कर देता है।
7. बैक्टीरियल विल्ट (Bacterial Wilt)
इस बीमारी में पौधा अचानक मुरझाने लगता है, जबकि मिट्टी गीली दिखती है। बैक्टीरिया जड़ों से अंदर जाकर तनों में पानी के बहाव को रोक देते हैं, जिससे पौधे की कोशिकाएँ नमी और पोषण नहीं ले पातीं। पत्तियाँ पहले हल्की झुकती हैं और फिर धीरे-धीरे पूरी तरह सूख जाती हैं। यह बीमारी तेजी से फैलती है और पूरे पौधे की मौत का कारण बन सकती है।
8. सॉफ्ट रॉट (Soft Rot)
सॉफ्ट रॉट में पौधे के हिस्से मुलायम, पानी जैसे और बदबूदार हो जाते हैं। यह बीमारी गीली मिट्टी में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से होती है। शुरुआत में छोटे हिस्से प्रभावित होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे तना और पत्तियाँ भी गलने लगती हैं। यह विशेषकर रसीले पौधों (succulents) में ज्यादा दिखाई देती है जहाँ अतिरिक्त पानी पौधे को नुकसान पहुँचाता है।
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9. स्टेम रॉट (Stem Rot)
स्टेम रॉट में पौधे का तना नीचे से काला और नरम होने लगता है। ओवरवाटरिंग से तने में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे बैक्टीरिया तेजी से विकसित होते हैं। पौधे का ऊपरी हिस्सा स्वस्थ दिख सकता है, लेकिन तने के कमजोर होने से पूरा पौधा अचानक गिर सकता है। समय रहते सतर्क न होने पर पौधे को बचाना मुश्किल हो जाता है।
10. पाउडरी ब्लीचिंग (Powdery Infection)
हालाँकि यह बीमारी फफूंद से होती है, लेकिन लगातार नमी और खराब ड्रेनेज इसका मुख्य कारण है। पत्तियों पर सफेद पाउडर जैसा लेप बनने लगता है, जिससे पौधा सांस नहीं ले पाता। यह धीरे-धीरे पूरी सतह पर फैलकर पौधे की ऊर्जा खत्म कर देता है। इनडोर पौधों में यह समस्या तब ज्यादा दिखाई देती है जब पानी देने का शेड्यूल गलत हो।
इंडोर प्लांट को रोगों से बचाने के उपाय – How To Protect Indoor Plants From Diseases In Hindi
सही देखभाल और पानी देने का सही तरीका अपनाकर आप इनडोर पौधों को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं। नीचे बताए गए उपायों का पालन करने से पौधे खराब नहीं होते और हरे भरे बने रहते हैं।
1. सही मात्रा में पानी दें – इनडोर पौधों को तभी पानी दें, जब मिट्टी की ऊपरी 1–2 इंच सतह पूरी तरह सूखी हो। हर पौधे की पानी की जरूरत अलग होती है, इसलिए एक जैसा शेड्यूल न अपनाएँ।
2. अच्छी ड्रेनेज वाली मिट्टी – इनडोर पौधों के लिए हल्की, हवादार और अच्छी ड्रेनेज वाली पॉटिंग मिक्स जरूरी है। इसमें पर्लाइट, रेत या कोकोपीट मिलाने से पानी नीचे तक जाता है और मिट्टी गोंद जैसी नहीं बनती।
3. हवा का अच्छा प्रवाह – इनडोर पौधों को ऐसे स्थान पर रखें जहाँ हल्की हवा आती रहे। बंद कमरों में नमी बढ़ जाती है, जिससे बैक्टीरिया और फंगस पनपते हैं।
4. मिट्टी समय पर बदलें – हर 8–12 महीने में पौधे की मिट्टी बदलना जरूरी है, क्योंकि पुरानी मिट्टी में बैक्टीरिया और सड़न की संभावना बढ़ जाती है। मिट्टी बदलने से पौधा हेल्दी रहता है।
5. पत्तियों पर पानी न गिराएँ – पानी हमेशा जड़ में डालें। पत्तियों पर पानी गिरने से नमी बढ़ती है और बैक्टीरियल लीफ स्पॉट जैसी बीमारियाँ होने लगती हैं।
6. संक्रमित पत्तियां हटाएँ – अगर कोई पत्ती पीली, काली या सड़ी हुई दिखे तो तुरंत पौधे से काटकर हटा दें।
7. बार-बार रिपॉट न करें – बार-बार पौधे को रिपॉट करने से जड़ें चोटिल होती हैं और बैक्टीरिया का जोखिम बढ़ता है। जब जरूरत हो तबी रिपॉट करें।
8. फंगीसाइड का इस्तेमाल – नीम ऑयल, दालचीनी पाउडर या ट्राइकोडर्मा जैसे प्राकृतिक एंटीफंगल मिट्टी में मिलाने से बैक्टीरिया और फफूंद का विकास रुकता है।
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निष्कर्ष:
ओवरवाटरिंग और मिट्टी में मौजूद बैक्टीरिया इनडोर पौधों के लिए बड़ी समस्या बन सकते हैं, लेकिन सही पानी देने की आदत, बेहतर ड्रेनेज और नियमित देखभाल से इन बीमारियों से आसानी से बचा जा सकता है। यदि पौधे के लक्षणों पर समय रहते ध्यान दिया जाए, तो बीमारी फैलने से पहले ही उसे रोका जा सकता है। यह लेख आपको कैसा लगा, कमेंट में जरूर बताएं। और भी उपयोगी गार्डनिंग टिप्स और लेख पढ़ने के लिए—Organicbazar.net को फॉलो करना न भूलें!
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