फल वाले पेड़ों की बेहतर वृद्धि के लिए तथा फलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए फ्रूट ट्री को सही रखरखाव और उचित देखभाल की आवश्यकता होती है, इसलिए गार्डन में लगे हुए फलों की तेज ग्रोथ तथा स्वस्थ फल लगने के लिए फलों वाले पेड़ों की जैविक तरीके से देखभाल की जानी चाहिए, प्राकृतिक तरीके से फ्रूट ट्री की देखभाल न केवल आपके पौधों को स्वस्थ रखने में मदद करती है साथ ही यह आपको फलों की अधिक उपज भी प्रदान करती है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि नेचुरली फल के पेड़ की देखभाल कैसे करना चाहिए, इसके तरीके इत्यादि जानने के लिए आर्टिकल को पूरा पढ़ें। (jaivik tarike se falon ke ped ki dekhbhal)
फल वाले पौधों की देखभाल करने के तरीके – Fruit Tree Care Tips Organically In Hindi
- फलों वाले पौधे को पर्याप्त धूप में रखें
- गार्डन में लगे फलों के पेड़ को पर्याप्त मात्रा में पानी दें
- मिट्टी की गुणवत्ता की जाँच करें
- पौधों की ग्रोथ बढाने के लिए फलों के लिए खाद दें
- मल्च करके प्राकृतिक तरीके से बढ़ाएं फलों की पैदावार
- खरपतवार नियंत्रण का रखें ध्यान
- जल्दी फल लगने के लिए करें पेड़ों की प्रूनिंग
- फल वाले पेड़ों को कीट व बीमारियों से बचाएं
पर्याप्त धूप देकर करें फल वाले पौधों की देखभाल – Sunlight for Fruit Tree Care In Hindi
आमतौर पर फलों के पेड़ों को पूर्ण सूर्य प्रकाश की आवश्यकता होती है, रोजाना 6-8 घंटे की पर्याप्त मात्रा में धूप न मिलने से पौधों की ग्रोथ तथा फलने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। साइट्रस फ्रूट, अंजीर, अमरूद तथा एवोकाडो इत्यादि फलों के पेड़ों को सबसे ज्यादा धूप की जरूरत होती है, जबकि स्ट्राबेरी, ब्लूबेरी इत्यादि फलों के पेड़ अप्रत्यक्ष धूप भी सहन कर सकते हैं। अतः यदि आप अपने होम गार्डन में लगे पौधों की देखभाल करना चाहते हैं, और अच्छे फलों का प्राप्त करना चाहते हैं तो पौधों को निश्चित धूप में रखना सुनिश्चित करें।
पर्याप्त मात्रा में दें फलों के पेड़ को पानी – Give Sufficient Water To Take Care Of Fruit Plants In Hindi
ग्रोइंग सीजन के दौरान पत्तियों के विकास या फलों के उत्पादन के समय फल वाले पेड़ों को अधिक पानी की आवश्यकता होती है, पौधे के विकास की अवस्था में सप्ताह में एक या दो बार गहराई से पानी देने से फलों के पेड़ की जड़ें नम और स्वस्थ रहती है। जब पेड़ पर नई पत्तियां आना शुरू हो जाए तब वसंत में फलों के पेड़ों को नियमित रूप से पानी देना शुरू करें तथा गर्मियों में फलों के पेड़ों को दिन में 2-3 बार पानी देना चाहिए और ध्यान रखें कि शरद ऋतु में जब पेड़ से पत्ते गिर जाए तब फलों के पेड़ों को पानी देना कम कर देना चाहिए। ड्रिप इरिगेशन सिस्टम फलों वाले पेड़ को पानी देने का सबसे अच्छा तरीका है।
मिट्टी की गुणवत्ता की करें जाँच – Check Soil For Fruit Tree Care Naturally In Hindi
फलों वाले पेड़ में पत्तियों का सूखना, मुरझाना तथा पत्तियों में पीलापन इत्यादि की समस्या मिट्टी में अंडरवाटरिंग या ओवरवाटरिंग के कारण उत्पन्न होती है, अगर आपके फ्रूट ट्री में भी ये लक्षण दिखाई देते हैं तो अपने गार्डन या पेड़ लगे हुए गमले की मिट्टी का परीक्षण करना चाहिए तथा पौधों की आवश्यकता अनुसार मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करना चाहिए। इसके लिए आप मिट्टी की निराई-गुड़ाई कर इसमें जैविक खाद, कोकोपीट, रेत, सड़ी हुई गोबर की खाद या प्रोम खाद इत्यादि मिला सकते हैं।
इसके अतिरिक्त आप मिट्टी को जीवाणुरहित करने के लिए सोइलराइजेशन विधि का उपयोग भी कर सकते हैं, ताकि फलों के पेड़ के अच्छे विकास के लिए उपजाऊ और स्वस्थ मिट्टी प्राप्त हो जाए। मिट्टी को तेज सूर्यप्रकाश में सुखाने की प्रक्रिया को सोइलराइजेशन (soil solarization) कहा जाता है। सूरज मिट्टी को ऐसे तापमान तक गर्म करता है जो बैक्टीरिया, कवक, कीड़े, नेमाटोड, घुन और खरपतवार के बीज को मारते हैं।
फलों को बढ़ने के लिए दें आर्गेनिक खाद – Fertilize For Fruit Trees Grow Faster In Hindi
फलों के पेड़ को विकास की अवस्था में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, क्योंकि इस समय मिट्टी से लगभग सारे पोषक तत्व समाप्त हो चुके होते हैं। फलों के पेड़ की ग्रोथ के लिए नाइट्रोजन युक्त खाद फायदेमंद होती है, विशेष रूप से तब जब ये निरंतर फलों का उत्पादन करते हैं, इसके लिए आप फेदर मील फर्टिलाइजर का उपयोग कर सकते हैं जो उच्च नाइट्रोजन वाली खाद होती है, इसका एनपीके अनुपात 12:0:0 होता है तथा कैल्शियम की कमी से फलों में बिटर पिट (Bitter Pit) नाम की बीमारी हो जाती है, इससे फलों को बचाने तथा कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए आप आवश्यकतानुसार चूना का उपयोग कर सकते हैं।
मल्च से करें फल वाले पेड़ों की देखभाल – Care Of Fruit Trees With Mulch In Hindi
वसंत या पतझड़ के समय पेड़ों को ठंडी सर्दियों से बचाने के लिए मल्चिंग का उपयोग किया जाना चाहिए, मल्च के लिए आप लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े, अखबार, कार्डबोर्ड के टुकड़े, कटी पत्तियां इत्यादि इस्तेमाल कर सकते हैं। मल्च गार्डन या गमले की मिट्टी की उर्वरता और स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करती है साथ ही पेड़ों के आस-पास नमी रखती है और खरपतवार को भी कम करती है। जैसे-जैसे गीली घास सड़ती है, यह पेड़ों को आवश्यक पोषक तत्व भी प्रदान करती है। लकड़ी के चिप्स (टुकड़े) मल्चिंग के लिए सबसे सही होती है क्योंकि यह लंबे समय तक चलेगी।
नोट – फल वाले पेड़ों के आस-पास कम से कम 3 इंच मोटी मल्च की परत बिछाना चाहिए।
(और पढ़ें: मल्चिंग क्या है, गार्डन को मलच कैसे करें …..)
फलों की केयर करने के लिए करें खरपतवार नियंत्रण – Fruit Tree Special Care Of Weed Control In Hindi
खरपतवार मिट्टी से पोषक तत्वों को लेता है, जिसके कारण आपके पौधों को पर्याप्त मात्रा में तथा जरूरत के अनुसार पोषक तत्व नहीं मिल पाते। पोषक तत्वों की कमी के कारण फल वाले पेड़ की ग्रोथ तथा फलों की उपज प्रभावित होती है इसीलिए अपने फ्रूट ट्री के आस-पास उगे हुए खरपतवार को उखाड़कर तुरंत हटा दें, इसके लिए आप वीड रिमूविंग गार्डनिंग टूल्स का उपयोग भी कर सकते हैं या मिट्टी से खरपतवार के बीज नष्ट करने के लिए आप सोइलराइजेशन (soil solarization) विधि का उपयोग भी कर सकते हैं।
फ्रूट ट्री की देखभाल के लिए करें प्रूनिंग – Pruning To Take Care Of Fruit Tree In Hindi
फल वाले पेड़ों की प्रूनिंग विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करने के लिए की जाती है तथा प्रत्येक फ्रूट ट्री की कटाई (प्रूनिंग) का समय उनके आकार तथा प्रकृति के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। अगर आप अपने युवा फल वाले पेड़ की कटाई उसकी ग्रोथ बढ़ाने के लिए करना चाहते हैं तो प्रूनिंग के लिए सर्दियों का समय सबसे अच्छा होता है, जबकि बड़े आकार के पौधे को छोटा करने के लिए गर्मियों के समय कटाई-छटाई करना चाहिए। फ्रूट ट्री में नई वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए पेड़ के निष्क्रिय होने अर्थात ग्रोथ रुकी होने पर प्रून करना चाहिए, इसके लिए आप विभिन्न प्रूनिंग गार्डनिंग टूल्स का उपयोग कर सकते हैं।
(और पढ़ें: गार्डन में पेड़ पौधों की प्रूनिंग कैसे करें, जाने सही तरीका और अन्य बातें….)
फलों के पेड़ों को कीट व बीमारियों से बचाएं – Keep Fruit Trees Away From Pests And Diseases In Hindi
अपने फल वाले पेड़ों को विभिन्न प्रकार के कीट व बीमारियों से दूर रखने का प्रयास करें। फल वाले पेड़ों में एफिड्स, मीली बग्स, माइट्स, टिड्डे, लीफहॉपर्स, स्केल कीड़े, प्लांट बग्स, सॉफ्लाई लार्वा (नाशपाती स्लग), कैटरपिलर, थ्रिप्स, स्पाइडर माइट्स इत्यादि कीट लग सकते हैं जो कई प्रकार की बीमारियों को फैला सकते हैं, जिससे फलों के गिरने की समस्या भी हो सकती है। इस नुकसान से फ्रूट ट्री को बचाने के लिए नीम के तेल या कीटनाशक साबुन के घोल का पौधों पर स्प्रे करना एक अच्छा विकल्प है, इसके अतिरिक्त आप होममेड पेस्टीसाइड का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
(और पढ़ें: बेल वाली सब्जियों में लगने वाले कीट और बीमारियाँ तथा बचाव के तरीके…)
अगर आपके होम गार्डन में लगे हुए फलों के पेड़ बढ़ नहीं रहे हैं या उनमे फलों की उपज कम हो रही है तो हो सकता है कि आपके फ्रूट ट्री को उचित देखभाल नहीं मिल रही है। अगर आप अपने फलों के पेड़ की ग्रोथ बढ़ाना चाहते हैं तथा प्राकृतिक तरीके से उगाए हुए फल पाना चाहते हैं तो ऊपर बताई गयी स्टेप्स फॉलो करके अपने फ्रूट ट्री की जैविक तरीके से देखभाल कर पौधों को स्वस्थ ग्रोथ दे सकते हैं।