पपीता में होने वाले रोग और नियंत्रण के उपाय – Papaya Diseases And Their Control In Hindi

क्या आप भी अपने होम गार्डन में लगे हुए पपीता के पौधों में लगने वाले रोग तथा बीमारियों से परेशान हैं, जिसके कारण पपीते के पौधे अचानक से कमजोर या मुरझाये हुए दिखाई देने लगते हैं या पपीता की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं। यदि हाँ, तो हम आपको बता दें कि पपीता में होने वाले रोग अक्सर पौधे के लिए काफी नुकसानदायक हो सकते हैं, इन बीमारियों से न केवल पपीता के फल-फूल प्रभावित होते हैं बल्कि अत्यधिक गंभीर स्थिति होने पर पूरा पौधा मर सकता है, अगर आपको पपीता के पौधे रोगग्रस्त लगते हैं तो तुरंत ही उनको बचाने के उपाय अपनाने चाहिए, इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे कि पपीता के पौधे में कौन-कौन से रोग या बीमारियाँ होती हैं, रोगग्रस्त पौधों में दिखाई देने वाले लक्षण व निदान तथा उनके उपचार के बारे में अधिक जानने के लिए आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

पपीता के प्रमुख रोग एवं उपचार – Papaya Plant Diseases And Treatment In Hindi

  • पपाया रिंग स्पॉट (Papaya ringspot)
  • लीफ कर्ल (leaf curl)
  • मंद मोजेक रोग (Dim Mosaic Disease)
  • पपीता में तना तथा जड़ गलन रोग (papaya root rot)
  • लीफ स्पॉट (leaf spot)
  • डैम्पिंग ऑफ (damping off)
  • फल सड़न (fruit rot)
  • पाउडरी मिल्ड्यू (powdery mildew)

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पपाया रिंग स्पॉट – Papaya Ringspot In Hindi

पपीते के पौधे में पपाया रिंग स्पॉट रोग एक वायरस द्वारा होता हैं, जिसे पपीते का वलय चित्ती विषाणु या पपाया रिंग स्पॉट वायरस (papaya ringspot virus) कहते हैं। पपीते के पौधे पर इस वायरस या रोग का फैलाव ऐफिस गोसिपाई (Aphis gossypii) और माइजस पर्सिकी (myzus persicae) जैसे रोगवाहक कीटों, अमरबेल या अन्य पक्षियों द्वारा होता है रिंग स्पॉट रोग से प्रभावित पपीते के पौधों में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:

  • पत्तियां चितकवरी तथा आकार में छोटी हो जाना
  • पत्तियों की सतह खुरदुरी होना
  • पत्तियों पर गहरे हरे रंग के फफोले दिखाई देना
  • कटी-फटी हुई पत्तियां
  • पौधे की ग्रोथ न होना
  • पत्तियों व तनों पर गहरे हरे रंग के धब्बे और लम्बी धारियां उत्पन्न होना, इत्यादि।

पपाया रिंग स्पॉट रोग का उपचार – Treatment of papaya ringspot disease In Hindi

आप निम्न सावधानियां तथा कुछ रोकथाम के तरीके अपनाकर अपने होम गार्डन के गमले में लगे हुए पपीते के पौधे को रिंग स्पॉट रोग से बचा सकते हैं। पपाया रिंग स्पॉट रोग का उपचार करने के लिए निम्न तरीके अपनाएं, जैसे:

  • नीम तेल तथा अन्य कीटनाशकों का छिड़काव करें।
  • रोगजनक कीटों को नष्ट करने के लिए प्रभावी लिक्विड फर्टिलाइजर का छिड़काव करें।
  • बरसात के बाद पपीता के पौधों को लगाने पर यह रोग होने की सम्भावना कम होती है।
  • पपीता के पौधों के आस-पास कद्दुवर्गीय पौधे न लगाएं।

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लीफ कर्ल रोग – Papaya Leaf Curl In Hindi

पपीता के पौधों में होने वाला लीफ कर्ल रोग पपीता पर्ण कुंचन विषाणु (papaya leaf crunch virus) के कारण होता है, जो केवल पौधे की पत्तियों को प्रभावित करता है इसे पर्ण कुंचन के नाम से भी जाना जाता है, लीफ कर्ल बीमारी से प्रभावित पपीते के पौधों में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:

  • प्रभावी पत्तियां छोटी तथा झुर्रीदार (short and wrinkled) हो जाना।
  • आकार रहित पत्तियां तथा पत्तियों में पीलापन।
  • रोगग्रस्त पत्तियां नीचे की तरफ मुड़ी (Curly) हुई दिखाई देना।
  • पपीता में फूल न आना या कम फूल आना।
  • पत्तियों का गिरना तथा पौधे की ग्रोथ न होना इत्यादि।

लीफ कर्ल रोग का उपचार – Treatment Of Papaya Leaf Curl Disease In Hindi

अपने होम गार्डन में लगे हुए पपीता के पौधों को आप लीफ कर्ल रोग से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए निम्न तरीके अपना सकते हैं:

  • हानिकारक कीटों से पौधे की सुरक्षा के लिए समय-समय पर कीटनाशकों का छिड़काव करें।
  • संक्रमित पौधों को तुरंत उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए, ताकि अन्य पौधे सुरक्षित रहें।

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मंद मोजेक रोग – Papaya Dim Mosaic Disease In Hindi

पपीता के पौधों में मंद मोजेक रोग पपीता मोजेक वायरस (papaya mosaic virus) द्वारा होता है। पपाया रिंग स्पॉट रोग की तरह ही यह रोग भी पौधों में कीटों द्वारा फैलाया जाता है, इस रोग से प्रभावी पौधों में दिखाई देने वाले लक्षण निम्न हैं:

  • पत्तियों पर मोजेक आकृति।
  • पत्तियों पर गहरे-हरे रंग के फफोले आना तथा पत्तियों के डंठल छोटे होना इत्यादि।

मंद मोजेक रोग की रोकथाम – Prevention Of Dim Mosaic Disease in papaya In Hindi

अपने गार्डन या गमले की मिट्टी में लगे हुए पौधों को मंद मोजेक रोग से बचाने के लिए निम्न तरीके अपनाएं:

  • पपीता लगाते समय रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
  • कीट नियंत्रण के लिए प्रभावी कीटनाशक का उपयोग करें।
  • अपने गार्डन में साफ-सफाई रखें तथा प्रभावी पौधे को तुरंत नष्ट कर देना चाहिए।

पपीता में तना तथा जड़ गलन रोग – Papaya Stem and Root Rot Disease In Hindi

पपीता के पौधों में रूट रॉट रोग मिट्टी जनित कवक पिथियम अफेनीडमेंटम तथा पायथियम डेबेरियनम (Pythium Affinidmentum and Pythium Debaryanum) तथा अन्य कवकों द्वारा फैलाया जाता है, इसे कॉलर रॉट रोग के नाम से भी जाना जाता है, पपीता में जड़ सड़न या तना सड़न रोग होने पर निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:

  • पौधे के तने पर जलीय दाग तथा धब्बे दिखाई देना।
  • पौधे का तना कमजोर हो जाना।
  • पपीता के पौधे की ऊपरी पत्तियां पीली हो जाती हैं तथा मुरझा जाती हैं।
  • फुट रॉट या कॉलर रॉट रोग पपीता में फल न लगने का प्रमुख कारण हो सकता है।

पपीते में जड़ गलन रोग का उपचार – Papaya Root And Foot Rot Treatment In Hindi

पपीते के पौधे में रूट एंड फुट रॉट रोग (जड़ गलन रोग) के रोकथाम के लिए निम्न तरीके अपनाएं:

  • अच्छी तरह से जलनिकासी वाली मिट्टी में पपीता का पौधा लगाएं।
  • पपीता के पौधे को आवश्यकता से अधिक पानी देने से बचें।
  • रोगग्रस्त पपीता के पौधों को तुरंत नष्ट कर दें।
  • पपीता के पौधों के आस-पास कवकनाशी लेप का उपयोग करें।

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लीफ स्पॉट रोग – Papaya Leaf Spot Diseases In Hindi

पपीता के पौधों में लीफ स्पॉट रोग कवकों के कारण होता है इसे पर्ण चित्ती के नाम से भी जाना जाता है, ये कवक रोग पपीता की पत्तियों के साथ-साथ फलों को भी प्रभावित करते हैं, इस रोग से प्रभावित पौधों पर निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:

  • पत्तियों पर छोटे छोटे काले-ब्राउन रंग के धब्बे आना।
  • पपीता के फलों में काले धब्बे दिखाई देना।
  • फल ख़राब होने के कारण खाने योग्य न रहना।
  • प्रभावी पत्तियां पीली होकर गिर जाना।

पपीता लीफ स्पॉट रोग का उपचार – Papaya Leaf Spot Disease Treatment In Hindi

पपीता को लीफ स्पॉट रोग के प्रभाव से बचाने के लिए निम्न उपाय व तरीके अपनाएं, जैसे:

  • रोग के लक्षण दिखाई देने पर प्रभावी स्थान को काटकर तुरंत नष्ट करें।
  • पौधे के आस पास प्रभावी कवकनाशी (fungicide) का छिड़काव करें।

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पपाया डैम्पिंग ऑफ रोग – Papaya Damping Off Diseases In Hindi

होम गार्डन में लगे हुए पपीता के पौधों में डैम्पिंग ऑफ़ रोग या आर्द्रगलन रोग पीथियम एफैनिडरमेटम कवक (pythium aphanidermatum fungus) के कारण होता है, आर्द्रगलन प्रभावित पपीता के पौधों में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे:

  • पपीते के नए विकसित तनों में गलन।
  • गलन के कारण पौधा मर भी सकता है।

डैम्पिंग ऑफ़ रोग से बचने के उपाय – Measures To Avoid Damping Off In Hindi

पपीता के पौधों को आर्द्रगलन रोग (डंपिंग ऑफ रोग) से बचाने के लिए निम्न तरीके अपनाएं:

  • अच्छी जलनिकासी वाली मिट्टी में पौधे लगाएं, ताकि जलभराव न हो।
  • पपीता लगाते समय रोग प्रतिरोधी बीज या पौधे की किस्मों का चुनाव करें।

उपर्युक्त लक्षण दिखाई देने पर डंपिंग ऑफ रोग के उपचार के लिए उचित कवकनाशी का छिड़काव करना चाहिए।

फल सड़न रोग – Fruit Rot Papaya Diseases In Hindi

पपीता के पौधे में होने वाली बीमारियों में फल सड़न रोग प्रमुख है, पपीता में यह रोग कई कवकों के कारण होता है, जिसमें कोलेटोट्र्रोईकम ग्लीयोस्पोराईड्स (Colletotrichum gloeosporioides) प्रमुख है। फल सड़न रोग के कारण पपीता के फल पकने से पहले ही गिर जाते हैं। फल सड़न रोग के लक्षण निम्न हैं:

  • इस रोग में फलों के ऊपर छोटे गोल गीले धब्बे बनते हैं।
  • धब्बों का रंग ब्राउन-काले रंग का तथा आकार बड़ा होकर आपस में मिल जाता है।
  • फल खाने योग्य नहीं बचते तथा गिर जाते हैं।

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पाउडरी मिल्ड्यू – Powdery Mildew In Papaya In Hindi

पपीते के पौधे में खस्ता फफूंदी रोग (पाउडरी मिल्ड्यू) ओडियम कैरिका-पपाये (oidium carica-papaye) कवक के कारण होता है, ये रोगवाहक पपीता के पौधे में जीवित रहते हैं तथा एक पौधे से दूसरे पौधे में हवा द्वारा फैलते हैं, यह रोग मुख्य रूप से पपीता की पत्तियों को प्रभावित करता है, पाउडरी मिल्ड्यू रोग के प्रमुख लक्षण निम्न हैं:

  • पत्तियों पर ब्राउन रंग की फफूंद चढ़ जाना।
  • पत्तियों का सूखना व गिरना, आदि।

पाउडरी मिल्ड्यू रोग का उपचार –  Treatment Of Powdery Mildew Disease In Hindi

खस्ता फफूंदी रोग या पाउडरी मिल्ड्यू से गमले में लगे हुए पपीता के पौधों को बचाने के लिए निम्न तरीके व टिप्स अपनाएं, जैसे:

  • कद्दू वर्गीय पौधों को पपीता के आस-पास लगाने से बचें।
  • पपीता के पौधों के आस-पास कवकनाशी लेप का उपयोग करें।
  • प्रभावी पत्तियों को प्रूनर की मदद से अलग कर दें।

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अगर आपके होम गार्डन में लगे हुए पपीता के पौधे में भी उपर्युक्त बताई गयी किसी रोग या बीमारी से ग्रसित हैं तथा पपीता के पौधों में जड़ गलन या अन्य बीमारियों के लक्षण दिखाई देते हैं तो आप रोगों का उपचार करने के लिए रोग नियंत्रण के तरीके अपनाकर तथा पपीता के पौधे की उचित देखभाल कर अपने पौधों को रोगों से सुरक्षित कर सकते हैं। बागवानी से रिलेटेड और भी उपयोगी लेख पढ़ने के लिए Organicbazar.net पेज पर जाएं। इस लेख से सम्बंधित आपके जो भी सवाल या सुझाव हैं, हमें कमेंट में जरूर बताएं।

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