गार्डन में कद्दू को काट देती हैं गिलहरी और चिड़िया, तो अपनाएं ये आसान उपाय – How To Protect Pumpkin From Squirrels And Birds In Hindi

How To Protect Plants From Squirrels In Hindi: अगर आपने मेहनत से अपने बगीचे में कद्दू लगाए हैं, तो उन्हें गिलहरियों और चिड़ियों से बचाना भी उतना ही जरूरी है जितना उनकी सिंचाई और खाद देना। अक्सर कद्दू, लौकी, तुरई जैसे फलों को गिलहरी और पक्षी डैमेज करना शुरू कर देते हैं, कभी उन्हें कुतर कर तो कभी चोंच मारकर, जिससे आपके पौधों को नुकसान हो सकता है। सही देखभाल, स्मार्ट उपाय और थोड़ी सावधानी से आप अपने कद्दू को सुरक्षित रखते हुए भरपूर और स्वस्थ फल पा सकते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि, कद्दू को गिलहरी से कैसे बचाएं, कद्दू को चिड़ियों से बचाने के उपाय क्या हैं और कद्दू की देखभाल व अन्य चीजों से कद्दू की रक्षा कैसे करें, ताकि आपको अपने ही गार्डन से स्वस्थ व बड़े-बड़े कद्दू खाने को मिल सकें।

कद्दू को गिलहरी और चिड़ियों से बचाने के उपाय – Protect Pumpkin From Squirrels And Birds In Hindi

गार्डन में लगे कद्दू, लौकी, तुरई जैसे फलों को गिलहरी और चिड़ियां नुकसान पहुंचाती हैं, अगर समय रहते इनसे पौधों का बचाव नहीं किया गया तो ये पौधों को खराब कर सकती हैं और फल खाने लायक भी नहीं रहते। गिलहरी, चिड़ियां और अन्य जानवरों से पौधों को बचाने के लिए बगीचे में मजबूत जाली, नेट या अन्य तरीके इस्तेमाल कर सकते हैं। चलिए जानते हैं कि, कद्दू और अन्य पौधों के फलों को गिलहरी और पक्षियों से बचाने के उपाय व तरीके क्या हैं?

1. जाली से ढकाव करें – Use Protective Netting in Hindi

जाली से ढकाव करें - Use Protective Netting in Hindi

कद्दू की बेल और फलों को प्लास्टिक या नायलॉन की बारीक जाली से ढकना गिलहरियों और चिड़ियों से सुरक्षा का सबसे असरदार तरीका है। यह फिजिकल बैरियर बनाकर फलों को सीधे संपर्क से बचाता है। जाली को इस तरह फैलाएं कि, वह बेल की ग्रोथ को न रोके और हवा तथा धूप का प्रवाह बना रहे। जाली को बांस या पाइप के सहारे ऊँचाई पर लगाएं, ताकि फल पूरी तरह कवर हों।

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2. चकाचौंध से डराएँ – Use Reflective Objects in Hindi

चिड़ियाँ आमतौर पर तेज रौशनी और अजनबी हलचलों से डरती हैं। इसी विशेषता का उपयोग करते हुए आप एल्यूमिनियम फॉयल, बेकार सीडी, मिरर टेप या चमकदार स्टील प्लेटों को बेल के आस-पास लटका सकते हैं। जब हवा चलेगी, तो ये वस्तुएं चमकेंगी और हिलेंगी, जिससे चिड़ियाँ घबरा जाएंगी और पास नहीं आएंगी।

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3. डराने वाले मॉडल लगाएँ – Install Scare Devices in Hindi

गिलहरियों और पक्षियों को दूर रखने के लिए गार्डन में नकली उल्लू, सांप या बड़ी चिड़िया के प्लास्टिक मॉडल लगाए जा सकते हैं। ये दिखने में असली जैसे होते हैं और एक डर का माहौल बनाते हैं। यह उपाय विशेष रूप से चिड़ियों के लिए काफी कारगर साबित होता है। इन मॉडल्स को हफ्ते में एक बार दूसरी जगह शिफ्ट करें, ताकि जानवर इनसे परिचित न हो जाएं और असर बना रहे।

4. नेट बैग का प्रयोग करें – Cover Fruits with Net Bags in Hindi

कद्दू के प्रत्येक फल को व्यक्तिगत रूप से नेट बैग या जालीदार कपड़े से ढकने से उसे चिड़ियों और गिलहरियों के कुतरने से बचाया जा सकता है। इससे फल को पर्याप्त हवा मिलती रहती है और वह सुरक्षित भी रहता है। यह उपाय छोटे बगीचों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जहां फलों की संख्या सीमित होती है। नेट बैग खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि, वह सांस लेने योग्य और मजबूत हो, जिससे बारिश या तेज हवा में भी फट न जाए।

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5. जैविक रिपेलेंट का छिड़काव – Spray Organic Repellents in Hindi

कई घरेलू और बाजार में मिलने वाले जैविक रिपेलेंट्स जैसे लाल मिर्च पाउडर, लहसुन का अर्क, नीम तेल या सिरके का घोल बेलों और पत्तियों पर छिड़का जा सकता है। इनकी गंध और स्वाद जानवरों को खराब लगती है, जिससे वे बेलों से दूर रहते हैं। यह उपाय पूरी तरह प्राकृतिक है और फलों को किसी रासायनिक नुकसान से भी बचाता है। ध्यान रखें कि रिपेलेंट केवल पत्तियों या बेलों पर छिड़के, फलों के अंदर न जाए। हर 5–7 दिन में दोबारा छिड़काव करने से असर बना रहता है।

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6. आवाज करने वाले उपकरण लगाएँ – Use Sound Deterrents in Hindi

तेज़ आवाज़ या असामान्य ध्वनि से पक्षी डरते हैं और उस क्षेत्र से दूर रहते हैं। आप बेलों के पास टीन के खाली डिब्बे, घंटियाँ या हल्की हवा से हिलने वाले मेटल ऑब्जेक्ट लटका सकते हैं। इनसे उठने वाली आवाज़ चिड़ियों को डराने का काम करती है। इसके अलावा बैटरी-ऑपरेटेड ऑडियो रिपेलेंट्स का उपयोग भी कर सकते हैं, जिनसे जानवरों को अनजानी आवाज़ें सुनाई देती हैं।

7. कुत्ते या बिल्ली का उपयोग – Use Pet Presence in Hindi

पालतू जानवरों, खासकर कुत्तों और बिल्लियों की उपस्थिति से गिलहरी और चिड़ियाँ स्वाभाविक रूप से डरती हैं। यदि आपके घर में कोई पालतू है, तो उसे बेलों के आस-पास खुला छोड़ने से जानवर बेल के पास जाने से बचते हैं। कुत्ते की भौंकने की आवाज़ या बिल्ली की हलचल, दोनों ही गिलहरी और पक्षियों के लिए खतरे की घंटी होती हैं। यह उपाय न केवल प्राकृतिक है, बल्कि बार-बार की देखभाल की जरूरत भी नहीं होती।

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8. इलेक्ट्रॉनिक रिपेलेंट्स लगाएँ – Install Ultrasonic Repellents in Hindi

बाजार में उपलब्ध अल्ट्रासोनिक रिपेलेंट्स ऐसे यंत्र होते हैं जो बहुत ही उच्च फ्रीक्वेंसी की ध्वनि उत्पन्न करते हैं, जो इंसान नहीं सुन सकते, लेकिन जानवरों को असहज कर देती है। ये बैटरी या सोलर एनर्जी से चलते हैं और बारिश में भी काम कर सकते हैं। इन्हें बेलों के पास लगाएं और ध्यान रखें कि उनकी ध्वनि सीधी दिशा में फलों की ओर जा रही हो। यह उपाय थोड़ी लागत वाला है लेकिन लंबे समय तक कारगर रहता है, खासकर जब आपके पास समय पर निगरानी करने का अवसर न हो।

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9. मल्टीक्रॉप कवरिंग करें – Grow Companion Plants in Hindi

कद्दू के आस-पास तुलसी, पुदीना, गेंदा या लैवेंडर जैसे पौधे लगाने से गंध के माध्यम से गिलहरी और चिड़ियाँ दूर रहती हैं। इन पौधों की खुशबू कई कीट और जानवरों को अप्रिय लगती है, जिससे वे बेलों से दूर रहते हैं। यह तरीका न केवल सुरक्षा देता है, बल्कि गार्डन की सुंदरता और बायोडायवर्सिटी भी बढ़ाता है। साथ ही, यह विधि पूरी तरह प्राकृतिक होती है और केमिकल्स से बचाव करती है। आप इन पौधों को पॉट्स में भी उगा सकते हैं और बेलों के पास रख सकते हैं।

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10. सुबह और शाम की निगरानी रखें – Regular Monitoring in Hindi

कद्दू की बेलों और फलों की रोज़ सुबह और शाम निरीक्षण करना नुकसान से बचने का सबसे आसान लेकिन बेहद कारगर तरीका है। अगर समय रहते कटाव या चोंच के निशान दिखें, तो आप तुरंत उपाय कर सकते हैं। साथ ही, निगरानी से यह भी समझ आता है कि कौन-सा जानवर नुकसान पहुँचा रहा है, गिलहरी, चिड़ी या कोई और। इसके अनुसार उपायों में बदलाव करना आसान होता है। यह तरीका उन लोगों के लिए खास उपयोगी है, जो हर दिन अपने गार्डन की देखभाल करते हैं।

निष्कर्ष:

बरसात के मौसम में बेल पर लगे कद्दू को गिलहरियों और चिड़ियों से बचाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन सही उपाय अपनाकर फलों को सुरक्षित रखा जा सकता है। जाली से ढकाव, जैविक रिपेलेंट और नियमित निगरानी जैसे उपाय प्राकृतिक और प्रभावी हैं। इन तरीकों से न केवल नुकसान रोका जा सकता है, बल्कि फलों की क्वालिटी और मात्रा भी बेहतर बनी रहती है।

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