How To Protect Flowers From Cold Winds And Hailstones In Hindi: सर्दियों में जब ठंडी हवा और रात के ओले फूलों पर अटैक करते हैं, तो हमारी प्यारी गार्डनिंग की मेहनत एक ही रात में डैमेज हो जाती है। खासकर नाज़ुक फ्लावर जैसे गुलाब, गेंदा या पेटुनिया को अचानक आने वाली कोल्ड विंड और बर्फीले ओले सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन टेंशन लेने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बिना कोई कॉस्टली केमिकल या अन्य चीजें यूज किए, घर में उपलब्ध नैचुरल तरीके अपनाकर आप अपने प्लांट्स को आसानी से प्रोटेक्ट कर सकते हैं।
अगर आप सोच रहे हैं कि सर्दियों में फूलों की देखभाल कैसे करें या सर्दियों में फूलों के पौधों को ठंडी हवाओं और ओलों से कैसे बचाएं, तो इस आर्टिकल में आपको इसके सिंपल और इफेक्टिव देसी उपाय मिलेंगे जिनसे आपके फूल ठंड में भी हेल्दी और खिलते रहेंगे।
ठंडी हवाओं और ओले का फूलों पर प्रभाव – Effect Of Cold Winds And Hailstones On Flowers In Hindi
कोल्ड हवाएं और ओले बागवानी के लिए चुनौती बन जाते हैं, क्योंकि ये फूलों को नुकसान पहुँचा सकते हैं। ऐसी स्थिति में पौधों की देखभाल और सुरक्षा बहुत जरूरी होती है ताकि फूल स्वस्थ और सुंदर बने रहें। ठंडी हवाओं और ओले से फूलों को निम्न नुकसान हो सकते हैं, जैसे –
- पंखुड़ियों का जमना और फटना – ठंडी हवा फूलों के अंदर मौजूद पानी को जमा देती है, जिससे पंखुड़ियों की सेल फट जाती हैं और फूल तुरंत मुरझा जाते हैं।
- कली का खिलने से पहले ही टूट जाना – ओले सीधा कली पर गिरते हैं और उसके खुलने से पहले ही उसे नुकसान पहुँचा देते हैं।
- डंठल (स्टेम) में क्रैक आना – तेज ठंडी हवाओं के कारण पौधे का तना कठोर होकर फट सकता है, जिससे फूल तक पानी और पोषण नहीं पहुँच पाता।
- फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया धीमी पड़ना – ठंड के कारण पौधा ऊर्जा नहीं बना पाता, जिससे फूल कमजोर हो जाते हैं और जल्दी झड़ जाते हैं।
- जड़ों का ठंडा पड़ जाना – रात में मिट्टी ठंडी हो जाती है, जिससे जड़ें पोषण ऊपर नहीं भेज पातीं और फूलों की ग्रोथ रुक जाती है।
- फंगल और बैक्टीरियल रोगों का खतरा बढ़ना – ठंड और नमी मिलकर पौधों में इंफेक्शन पैदा करते हैं जिससे फूल सड़ने लगते हैं।
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ठंडी हवाओं और ओलों से फूलों को कैसे बचाएं, जानें घरेलू उपाय – How To Protect Flowers From Cold Winds And Hailstones In Hindi
आपने बहुत शौक से गार्डनिंग की है लेकिन रात में ओले और ठंड से प्लांट्स पर इफेक्ट पड़ रहा है तो ये उपाय जरूर आजमाएं-
1. सूखी पत्तियों की मोटी परत बिछाएं – Spread Thick Layer of Dry Leaves in Hindi
ठंडी रातों में पौधों की जड़ों को बचाना सबसे जरूरी होता है, क्योंकि जड़ें ही सबसे पहले ठंड से प्रभावित होती हैं। ऐसे में मिट्टी के ऊपर सूखी पत्तियां, घास या भूसे की मोटी परत बिछाने से जमीन की गर्मी बाहर नहीं निकलती और टेंपरेचर स्थिर बना रहता है। यह नैचुरल ब्लैंकेट का काम करती है। अगर ओले गिरें तो पत्तियां उन्हें सीधे पौधे की जड़ों तक पहुँचने से रोकती हैं। इस उपाय के लिए पेड़ों की गिरी पत्तियां ही काफी होती हैं, कोई खर्च नहीं आता। बस ध्यान रहे कि पत्तियां गीली या सड़ी न हों, वरना उनमें कीड़े लग सकते हैं और फंगस भी फैल सकती है।
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2. पौधों को बोरी या जूट बैग से ढकें – Cover Plants with Sack or Jute Bag in Hindi
जब रात में ठंड ज्यादा होने की संभावना हो, तो पौधों को बोरी, जूट बैग या पुराने कॉटन कपड़े से ढक देना चाहिए। यह एक तरह का नेचुरल शील्ड बनाता है, जो ठंडी हवा को सीधे पौधे तक पहुँचने से रोकता है। ध्यान रखें कि ढक्कन पौधे को टच न करे बल्कि ऊपर से ढीला रहे, ताकि हवा भीतर घूमती रहे और घुटन न हो। सुबह सूरज निकलते ही इसे हटा देना चाहिए, ताकि पौधे को ताज़ी हवा और रोशनी मिल सके। यह तरीका गमले वाले पौधों और छोटे पौधों के लिए बहुत फायदेमंद है, खासकर गुलाब, अफ्रीकन डेज़ी और गेंदा जैसे फूलों में।
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3. मिट्टी में गोबर खाद की गर्मी का उपयोग करें – Use Warmth of Cow Dung Manure in Soil in Hindi
सड़ी हुई गोबर खाद ठंड के मौसम में पौधों के लिए हीटर जैसा काम करती है। इसमें मौजूद सूक्ष्म जीव धीरे-धीरे गर्मी पैदा करते हैं, जो मिट्टी को रातभर ठंडा नहीं होने देते। जब जड़ों को सही तापमान मिलता है तो पौधा फ्रॉस्ट या ओलों के असर से जल्दी नहीं मरता। इसके अलावा गोबर खाद पौधे को पोषक तत्व भी देती है, जिससे उसकी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। ध्यान रहे कि ताज़ी गोबर का उपयोग न करें, वरना जड़ों को नुकसान हो सकता है। इसे हल्की परत में ही फैलाएं ताकि मिट्टी में हवा का प्रवाह बना रहे।
4. पौधों के चारों ओर ऊँची बाड़ लगाएं – Put High Fence Around Plants in Hindi
खुले स्थानों में तेज ठंडी हवा फूलदार पौधों के लिए सबसे बड़ा खतरा होती है। ऐसे में पौधों के चारों ओर लकड़ी, बांस, प्लास्टिक शीट या गत्ते जैसी चीजों से ऊँची बाड़ लगाकर हवा की रफ्तार को कम किया जा सकता है। बाड़ को पौधे के चारों ओर गोलाकार या यू-शेप में लगाना सबसे बेहतर रहता है ताकि हवा सीधे ना टकराकर किनारे से निकल जाए। यह उपाय खासकर उन पौधों के लिए आवश्यक है जिनके तने पतले और कमजोर होते हैं, जैसे डहेलिया, गेंदा और सूरजमुखी। इससे पौधे टूटते नहीं और सुरक्षित रहते हैं।
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5. पानी का छिड़काव करके ओले पिघलाएं – Melt Hail by Sprinkling Water in Hindi
अगर सुबह उठकर पौधों पर ओले या बर्फ जमी हुई दिखाई दे तो इसे तुरंत हाथ से हटाना गलत होता है, क्योंकि इससे पत्तियां टूट सकती हैं। इसके बजाय हल्के पानी का छिड़काव करना चाहिए। पानी धीरे-धीरे बर्फ को पिघला देता है और पत्तियों को तापमान शॉक से बचाता है। ध्यान रखें पानी बहुत ठंडा न हो बल्कि सामान्य तापमान वाला हो। यह तरीका खेतों में भी किसानों द्वारा अपनाया जाता है और छोटे होम गार्डन में भी उतना ही कारगर है। इससे पौधे जल्दी रिकवर हो जाते हैं और मुरझाते नहीं हैं।
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6. गमलों को दक्षिण दिशा वाली दीवार के पास रखें – Keep Pots Near South Facing Wall in Hindi
अगर आपके पौधे गमलों में हैं तो उन्हें ठंडे मौसम में घर की दक्षिण दिशा वाली दीवार के पास रखना सबसे बेहतर तरीका है। दक्षिण दिशा वाली दीवार दिन भर धूप से गर्म होती है और रात में धीरे-धीरे गर्मी छोड़ती है। इससे पास रखे पौधों को हल्की नैचुरल हीट मिलती रहती है। यह तरीका छोटे पौधों और नाजुक फूलों के लिए बहुत असरदार होता है, जैसे पेटुनिया, बेगोनिया और गुलाब। बस इतना ध्यान रखें कि गमले दीवार से ज्यादा सटे न हों, ताकि हवा का हल्का प्रवाह बना रहे।
7. रात में हल्का धुआं करें – Do Light Smoke at Night in Hindi
गांवों में आज भी फसलों को ठंढी हवाओं और ओलों से बचाने के लिए “धुआं उपाय” अपनाया जाता है। रात में सूखी पत्तियों, लकड़ियों या गोबर के कंडों को हल्का-हल्का सुलगाकर बगीचे के पास रखा जाता है। इससे एक हल्की धुएं की परत ऊपर बन जाती है, जो ठंडी हवा को जमीन तक पहुंचने से रोकती है। ध्यान रहे कि धुआं ज्यादा घना न हो, वरना पौधे भी दम घुटने से खराब हो सकते हैं। यह तकनीक खासकर बड़े गार्डन या खेतों के लिए फायदेमंद है। इससे तापमान अचानक गिरने पर भी पौधे सुरक्षित रहते हैं।
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8. मल्टी लेयर नेट का प्रयोग करें – Use Multi Layer Net in Hindi
अगर आप अपने पौधों को पहले से नेट या ग्रीन शेड से कवर करते हैं तो ठंड के मौसम में उसे सिंगल लेयर की बजाय डबल लेयर में लगाएं। यह ठंडी हवा को सीधे अंदर नहीं आने देता और अंदर की गर्मी जल्दी बाहर नहीं निकलती। यह एक तरह का छोटा मिनी-ग्रीनहाउस इफेक्ट पैदा करता है। छत, बालकनी या खुले बरामदे में रखे गमले वाले पौधों के लिए यह तरीका बहुत उपयोगी रहता है। इससे पौधे सुरक्षित रहते हैं और फूल भी झड़ते नहीं हैं।
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9. तुलसी या नीम का घोल स्प्रे करें – Spray Basil or Neem Solution in Hindi
सिर्फ बाहरी सुरक्षा ही नहीं, पौधों की अंदरूनी ताकत भी बढ़ाना जरूरी है। इसके लिए हफ्ते में एक बार तुलसी, नीम या गिलोय की पत्तियों को पानी में उबालकर उसका घोल ठंडा करके स्प्रे करें। इससे पौधों की इम्युनिटी बढ़ती है और वे ठंड, फंगल इंफेक्शन और वायरस के अटैक से खुद को बचा लेते हैं। यह नेचुरल एंटीबायोटिक की तरह काम करता है। खासकर उन पौधों के लिए जरूरी है जो पहले से कमजोर हैं या जिनके पत्ते जल्दी पीले पड़ते हैं।
10. सूखी घास या कपड़े से स्टेम लपेटें – Wrap Stem with Dry Grass or Cloth in Hindi
फ्रॉस्ट का असर अक्सर पौधों के तने (स्टेम) पर सबसे ज्यादा पड़ता है, जिससे उनमें क्रैकिंग हो सकती है। इसे रोकने के लिए पौधे की डंडी को सूखी घास, बोरे के टुकड़े या पुराने कॉटन कपड़े से हल्के से लपेट दें। यह प्राकृतिक थर्मल प्रोटेक्शन का काम करता है और ठंडी हवा को सीधे तने तक पहुंचने नहीं देता। लपेटन बहुत टाइट नहीं होनी चाहिए ताकि हवा भी पास होती रहे। यह तरीका खासकर गुलाब, हिबिस्कस और डहेलिया जैसे लंबे पौधों के लिए बहुत कारगर है।
निष्कर्ष:
सर्दियों में ठंडी हवाएं और अचानक पड़ने वाले ओले हमारे फूलों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन जाते हैं, लेकिन अगर समय रहते सही नैचुरल उपाय अपनाए जाएं तो किसी भी पौधे को नुकसान नहीं पहुंचता। सूखी पत्तियों की परत, जूट बैग कवर, गोबर खाद की गर्मी, धुएं की हल्की परत या तुलसी-नीम स्प्रे जैसे घरेलू तरीके न केवल पौधों को ठंड से बचाते हैं, बल्कि उनकी इम्युनिटी भी बढ़ाते हैं। ध्यान रखने वाली सबसे जरूरी बात यह है कि ठंड आने से पहले ही तैयारी कर ली जाए। जितनी जल्दी सुरक्षा शुरू करेंगे, उतने ही ज्यादा फूल ठंड में भी खिलते रहेंगे।
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