फलों में होने वाले कुछ सामान्य रोग और उनसे बचाव – Common Diseases On Fruit Trees In Hindi

एक बेहतर गार्डन में स्वस्थ और मजबूत फलों के पेड़ों को शामिल किया जाता है। किसी भी प्रकार के फल को सफलतापूर्वक उगाने और पूर्ण विकास के लिए, उन फलों के पौधों का स्वस्थ और मजबूत होना बहुत जरूरी है। स्वस्थ पेड़ बीमारी और संक्रमण से लड़ने में अधिक सक्षम होते हैं, लेकिन अक्सर देखा गया है कि हमारे गार्डन में लगे हुए फल के पेड़ किसी कारणवश रोगों या बीमारियों से संक्रमित हो जाते हैं, जो कि उन पेड़ों के विकास में बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न करते हैं, यदि आप भी इन फलों के पेड़ में होने वाली बीमारियों (फ्रूट ट्री डिजीज) से परेशान हैं, तो इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि फलों के पेड़ में कौन-कौन रोग होते हैं तथा फल वाले पौधों को उन रोगों अर्थात बीमारियों से कैसे बचाएं।

फलों के पेड़ों में होने वाले रोग और उनसे बचने के उपाय – Fruit Tree Diseases And Ways To Avoid Them In Hindi

यदि आप जानना चाहते हैं कि फलों के पेड़ में कौन–कौन से रोग या बीमारी होती हैं, जो कि पेड़ों के विकास और स्वस्थ फलों के उत्पादन में एक बड़ी बाधा बनती हैं, तो आइए जानते हैं फलों वाले पौधों में होने वाले रोगों (फ्रूट ट्री डिजीज) के नाम और उनसे बचने के उपाय के बारे में:

  1. पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery mildews)
  2. सिल्वर लीफ़ (Silver leaf)
  3. ब्राउन रोट (Brown rot)
  4. कैंकर (canker)
  5. लीफ कर्ल (leaf curl)
  6. कोरल स्पॉट (Coral spot)
  7. एप्पल स्कैब (apple scab)
  8. ग्रे मोल्ड (Grey mould (Botrytis cinerea)
  9. बैक्टीरियल कैंकर (Bacterial canker)
  10. ब्लासोम विल्ट (Blossom wilt)
  11. फायर ब्लाइट (Fire blight)
  12. वर्टिसिलियम विल्ट (Verticillium wilt)
  13. फाइटोप्थोरा रूट रॉट (Phytophthora root rots)
  14. ग्रेप शेंकिंग (Grape shanking)
  15. पॉकेट प्लम (Pocket plum)

पाउडरी मिल्ड्यू – Disease Of Fruit Tree Is Powdery Mildews In Hindi

पाउडरी मिल्ड्यू – Disease Of Fruit Tree Is Powdery Mildews In Hindi

पाउडरी मिल्ड्यू फंगस (fungus) के समूह का एक रूप है, जिसे ख़स्ता फफूंदी कहा जाता है। यह फंगल संक्रमण गार्डन के कई सजावटी पौधों और फल वाले पौधों को प्रभावित करता है। पाउडरी मिल्ड्यू फंगस रोग पौधे की नई ग्रोथ वाली सतह को कवर करता है। इस बीमारी से पौधे की पत्तियों, फलों, और फूलों पर सफ़ेद रंग के धब्बे आ जाते हैं।

प्रभावित होने वाले पौधे – सभी फलों के पौधे

पौधों को पाउडरी मिल्ड्यू से बचाने के उपाय –

  • पेड़ लगाने के लिए अच्छा स्थान चुनें।
  • फल वाले पौधों लगाने के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी का उपयोग करें।
  • पौधों पर वायु संचरण ठीक तरह से होने दें।
  • पत्तियों को गीला न करें।
  • फल वाले पौधे उगाने के लिए प्रतिरोधी किस्म के बीजों को चुने।
  • पेड़ से संक्रमित टहनियों को हटा दें।

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लीफ कर्ल – Fruit Tree Diseases Leaf Curl In Hindi

लीफ कर्ल - Fruit Tree Diseases Leaf Curl In Hindi

लीफ कर्ल विशेष रूप से फल वाले पौधे की पत्तियों का कवक रोग है, जो विभिन्न प्रकार के कीटों जैसे एफिड्स के कारण होता है। इस रोग के कारण फलों के पौधों के पत्ते झुर्रीदार, मोटे और अक्सर विकृत हो जाते हैं। लीफ कर्ल रोग के परिणाम स्वरूप रोगग्रस्त पत्तियां गिर जाती हैं, और फ्रूट ट्री की विकसित होने की क्षमता कम हो जाती है। यह रोग कभी-कभी पेड़ों की टहनियों और फलों को भी प्रभावित करते हैं।

प्रभावित पौधे – आड़ू (peach), बादाम (almond), अमृत ​​फल (nectarine), खुबानी (apricot) और अन्य पौधे

लीफ कर्ल से पौधों को बचाने के उपाय –

  • फल वाले पौधों की नई टहनियों को जहाँ तक संभव हो सूखा रखें।
  • पौधे की प्रतिरोधी किस्म को लगाएं।
  • पेड़ की संक्रमित पत्तियों को काटकर हटा दें।
  • गार्डन के पौधों पर सल्फर और कॉपर बेस्ड कवकनाशी (fungicide) का छिड़काव करें।
  • फलों के पौधों को नियमित रूप से पानी दें। आप पौधों को पानी देने के लिए स्प्रे पंप और वॉटर केन का इस्तेमाल कर सकते हैं।

(यह भी जानें: पौधों में जड़ सड़न रोग (रूट रॉट) के कारण और बचाने के उपाय…)

कैंकर – Canker Disease Of Fruit Tree In Hindi

कैंकर – Canker Disease Of Fruit Tree In Hindi

फल वाले पौधों को प्रभावित करने वाली कैंकर डिजीज, एक कवक के कारण होने वाली बीमारी है, जो सेब और कुछ अन्य फल वाले पेड़ों की छाल पर हमला करती है। इससे पौधों के तनों का कुछ हिस्सा धंस जाता है, परिणामस्वररूप शाखा नष्ट हो जाती है। यह रोग छोटी शाखाओं और तने को घेरकर नष्ट कर सकता है और कभी–कभी फल भी सड़कर गिर जाते हैं।

कैंकर रोग से प्रभावित पौधे – मुख्य रूप से सेब, नाशपाती, चेरी, बेर और अन्य साइट्रस फ्रूट ट्री

फलों को कैंकर रोग से बचाने के उपाय –

  • कैंकर रोग अम्लीय मिट्टी में अधिक प्रभावी होता है, इसलिए मिट्टी का ph बढ़ाएं।
  • पौधे की संक्रमित शाखा को पूरी तरह काट कर अलग कर दें।
  • फलों की अच्छी किस्म का चुनाव करें, क्योंकि कई किस्में इस रोग से अधिक प्रभावित होती हैं।
  • नर्सरी से पौधे लाते समय उनका सावधानीपूर्वक निरिक्षण करें।
  • कैंकर कवक नाइट्रोजन और उच्च आर्द्रता वाले वातावरण में बढ़ता है, इसलिए सर्दियों के दौरान नाइट्रोजन का प्रयोग न करें।

स्कैब – Scab Effected Fruit Plants In Hindi

स्कैब - Scab Effected Fruit Plants In Hindi

स्कैब वेंचुरिया इनएक्वालिस (Venturia Inaequalis) कवक के कारण होने वाली एक बीमारी है। यह सर्वाधिक सेब और कुछ अन्य फल वाले पेड़ों और झाड़ियों को प्रभावित करती है। स्कैब रोग के कारण पत्तियों पर हरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं, जो शुरुआत में मखमली होते हैं और बाद में काले पड़ जाते हैं, अंततः पत्तियां समय से पहले गिर जाती हैं। इसके अलावा स्कैब रोग के संक्रमण के कारण टहनियों पर फफोले और दरारें पड़ जाती हैं और फलों में ब्राउन या काले रंग के पपड़ीदार धब्बे बन जाते हैं, जैसे ही फल बड़े होते हैं, उनमें दरार आने लगती है।

प्रभावित होने वाले पौधे – सेब, नाशपाती, आड़ू (peaches) कुछ अन्य पेड़ और झाड़ियाँ

फलों को स्कैब से बचाने के उपाय –

  • फलों की प्रतिरोधी किस्मों का चुनाव करें।
  • संक्रमित टहनियों और गिरे हुए पत्तों को हटा दें, जिससे कि संक्रमण का प्रभाव कम हो सके।
  • जब पेड़ पर फल न लगे हों, तब जैविक कीटनाशक जैसे नीम तेल का छिड़काव करें।
  • गार्डन में पौधों के मध्य हवा का प्रवाह बनाएं, पौधों को अधिक पास पास न लगाएं।
  • फल वाले पेड़ों के तनों से कुछ इंच दूर खाद या मल्च की 3 से 4 इंच मोटी की परत फैलाएं, इससे मिट्टी के माध्यम से कवक या फंगस को फैलने से रोकने में मदद मिलती है।
  • पत्तियों को सूखा रखने के लिए मिट्टी में पानी डालें, पौधों को गीला न करें।

कोरल स्पॉट – Fruit Tree Disease Coral Spot In Hindi

कोरल स्पॉट – Fruit Tree Disease Coral Spot In Hindi 

कोरल स्पॉट कवक जनित बीमारी है, जो फल वाले पौधों की शाखाओं को प्रभावित करती हैं इससे प्रभावित शाखाओं की ग्रोथ रुक जाती है तथा प्रभावित टहनियां सूखने लगती हैं। संक्रमित शाखाओं पर गुलाबी रंग के छाले या फफोले दिखाई देने लगते हैं, जिसके परिणामस्वरूप फ्रूट ट्री पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता है।

प्रभावित पौधे : अखरोट, शहतूत और चौड़ी पत्ती वाले पेड़

पौधों को कोरल स्पॉट से बचाने के उपाय –

  • संक्रमित हिस्सों को पेड़ से काटकर अलग कर दें।
  • पेड़ की नियमित रूप से जाँच करें।
  • सही समय पर फल के पेड़ों की प्रूनिंग करते रहें, ध्यान रहे प्रूनिंग के दौरान प्रूनिंग टूल्स कीटाणु रहित होने चाहिए।
  • इस रोग से संक्रमित शाखाओं को गार्डन से दूर कर दें या जलाकर नष्ट कर दें।
  • यह रोग एक संक्रमित शाखा या पेड़ से दूसरी शाखा या पेड़ में स्थानांतरित होता है, अतः इसे नियंत्रित करने के लिए गार्डन की नियमित रूप से सफाई करते रहें।

(यह भी जानें: बरसात में पौधों में होने वाले प्रमुख रोग एवं रोकथाम के उपाय…)

ब्राउन रॉट – Disease Of Fruit Tree Brown Rot In Hindi

ब्राउन रॉट - Disease Of Fruit Tree Brown Rot In Hindi

ब्राउन रॉट फल वाले पेड़ों में होने वाला एक कवक रोग है। यह रोग सबसे पहले फल वाले पौधों के फूलों को प्रभावित करता है, फूल मुरझाकर गिरने लगते हैं और पत्ते भूरे रंग के होकर सिकुड़ जाते हैं। यह रोग पेड़ों की टहनियों और फलों में भी फैल सकता है, फलस्वरुप फल पौधे से गिर जाते हैं या मृत अवस्था में पेड़ से लटके रहते हैं। ब्राउन रॉट को भूरे रंग की सड़न के नाम से भी जाना जाता है।

प्रभावित पौधे – बादाम, सेब, नाशपाती, प्लम और चेरी सहित कई फलों वाले पेड़

पौधों को ब्राउन रोट से बचाने के उपाय –

  • सड़े, गले, मृत फलों और फूलों को काटकर पेड़ से दूर कर देना चाहिए।
  • पक्षियों को पेड़ से दूर रखने का प्रयास करें, क्योंकि यह रोग उनके द्वारा अधिक फैलता है।
  • फलों के पेड़ों पर नीम के तेल और कम्पोस्ट टी का छिड़काव करें।
  • फलों के पौधे उगाने के लिए प्रतिरोधी किस्म के बीज चुनें।
  • पेड़ों के आस पास साफ़ सफाई रखें।
  • हवा का प्रवाह ठीक तरह से बनाए रखने के लिए पेड़ों की कटाई-छटाई करें।
  • पौधों पर कवकनाशी (fungicide) या सल्फर पाउडर का छिड़काव करें।
  • फलों के पेड़ों के फूल, पत्तों आदि को गीला होने से बचाएं।

ब्लासोम विल्ट – Blossom Wilt Disease In Hindi

ब्लासोम विल्ट फलों के पेड़ों में अक्सर होने वाला एक रोग है। यह रोग मोनिलिनिया लैक्सा और मोनिलिनिया फ्रक्टिजेना (Monilinia laxa and Monilinia fructigena) कवक और कभी-कभी मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण होता है। यह रोग फलों के पेड़ों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाता है इस रोग के परिणामस्वरुप फलों के पेड़ के पत्ते सिकुड़कर सूखने लगते हैं ब्राउन पड़ जाते हैं और फल खराब होने लगते हैं।

प्रभावित पौधे : बेर, नाशपाती, प्लम, चेरी और सेब

पौधों को ब्लासोम विल्ट रोग से बचाने के उपाय –

  • फलों के पेड़ों से संक्रमित भागों को हटा दें।
  • पौधों की नियमित रूप से जाँच करें।
  • पेड़ों से रोगग्रस्त फलों को तोडकर नष्ट कर दें।
  • फलों के पेड़ों पर कवकनाशी का छिड़काव करें।
  • संक्रमण से बचाने के लिए पेड़ों की नम मौसम में कटाई-छटाई करते रहें, तथा संक्रमित भागों को काटने के बाद प्रूनिंग टूल्स को कीटाणुरहित करें।

(यह भी जानें: पपीता में होने वाले रोग और नियंत्रण के उपाय…)

सिल्वर लीफ डिजीज – Silver Leaf Disease Of Fruit Tree In Hindi

सिल्वर लीफ डिजीज - Silver Leaf Disease Of Fruit Tree In Hindi

सिल्वर लीफ, फ्रूट ट्री से संबंधित एक कवक रोग है। यह रोग घावों के माध्यम से पेड़ों में फैलता है, जो मुख्य रूप से छटाई (प्रूनिंग) के कारण होता है। इस रोग के प्रभाव से गर्मियों के दौरान पत्तियों पर चांदी की परत चढ़ जाती है, जिसके कारण पत्तियां और शाखायें मर जाती हैं और जब प्रभावित शाखाओं को काटा जाता है, तो केंद्र में एक गहरा दाग देखा जा सकता है।

प्रभावित पौधे – प्लम, सेब, खुबानी (apricots), चेरी, रोडोडेंड्रोन (Rhododendron) और लैबर्नम (Laburnum)

पौधों को सिल्वर लीफ रोग से बचाने के उपाय –

  • पौधों की नियमित रूप से छटाई करते रहना चाहिए।
  • संक्रमित शाखा और पत्तियों को काट कर अलग कर देना चाहिए और जलाकर नष्ट कर देना चाहिए।
  • प्रत्येक कटिंग के बाद प्रूनिंग टूल को कीटाणु रहित करें।
  • इस रोग से प्रभावित पेड़ों को पर्याप्त पानी दें।
  • पानी देते समय पेड़ की पत्तियों को गीला होने से बचाएं।

इस आर्टिकल में आपने जाना कि फलों के पेड़ में होने वाले रोग कौन-कौन से हैं और इन रोगों से बचाव के उपाय क्या है। आशा करते हैं यह लेख आपको पसंद आया होगा, इस लेख से सम्बंधित आपके जो भी सवाल या सुझाव हों, उन्हें कमेंट में लिखकर अवश्य बताएं।

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