लौकी में होने वाले रोग और उनकी रोकथाम – Bottle Gourd Plant Diseases And Prevention In Hindi

बॉटल गॉर्ड अर्थात् लौकी, भारतीय स्वादिष्ट व्यंजनों में अधिकतर उपयोग की जाने वाली विटामिन्स तथा फाइबर से भरपूर कुकुरबिटेसी (Cucurbitaceae) परिवार की सब्जी है। बेल के रूप में बढ़ने वाला लौकी का पौधा गर्म तापमान में उगता है। हालांकि यह पौधा कम देखभाल के कारण आसानी से घरों में उगाया जाता है, लेकिन कुछ विपरीत परिस्तिथियों में लौकी के पौधे में रोग या बीमारी हो जाती है, जिसके कारण वह ठीक तरह से वृद्धि नहीं कर पाता और फल भी नहीं लग पाते। यदि आप भी अपने टेरेस या होम गार्डन में लगे हुए लौकी के पौधे को स्वस्थ व रोग मुक्त रखना चाहते हैं, तो आइए जानते हैं लौकी में होने वाले रोग कौन-कौन से हैं और इन रोगों से लौकी के पौधे को कैसे बचाएं? लौकी के पौधे में लगने वाले रोग, उनकी रोकथाम और उपचार से सम्बंधित जानकारी के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।

लौकी के पौधे में लगने वाले रोग – Bottle Gourd Plant Disease In Hindi

यदि आपने टेरिस गार्डन या होम गार्डन में लौकी का पौधा उगाया है, तो लौकी में कौन कौन से रोग लगते हैं और उनकी रोकथाम कैसे की जाए? इसके बारे में जानकारी होना अतिआवश्यक है। आइए जानते हैं, लौकी के पौधे में लगने वाले रोग जो कि निम्न हैं:-

  1. डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew)
  2. पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew)
  3. डैम्पिंग ऑफ (Damping Off)
  4. बैक्टीरियल लीफ स्पॉट (Bacterial Leaf Spot)
  5. सेप्टोरिया लीफ स्पॉट (Septoria Leaf Spot)
  6. वर्टिसिलियम विल्ट (Verticillium Wilt)
  7. एंगुलर लीफ स्पॉट (Angular Leaf Spot)
  8. कुकुम्बर मोजेक वायरस (Cucumber Mosaic Virus)
  9. फ्यूजेरियम विल्ट (Fusarium Wilt)
  10. रूट रोट (Root Rot)

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डाउनी मिल्ड्यू रोग – Downy Mildew Of Bottle Gourd In Hindi

डाउनी मिल्ड्यू अर्थात कोमल फफूंदी लौकी के पौधे में होने वाली एक गंभीर बीमारी है, जो कि स्यूडो पेरोनोस्पोरा क्यूबेंसिस (Pseudo Peronospora Cubansis) फंगस के कारण होती है। यह बीमारी लौकी के पौधे को किसी भी ग्रोइंग स्टेज में प्रभावित कर सकती है। इस रोग के कारण लौकी के पौधे की पत्तियों पर ब्राउन और पीले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं, फिर यह पत्तियों की शिराओं तक फ़ैल जाता है, जिसके कारण पत्तियां पीली होकर गिर जाती हैं।

लौकी के पौधे को डाउनी मिल्ड्यू से बचाने के उपाय – How To Prevent Bottle Gourd Downy Mildew Disease In Hindi

लौकी के पौधे में यह बीमारी नमी की मात्रा और पानी की अनियमितता के कारण होती है, इसलिए पौधे को स्वस्थ रखने के लिए, आपको कुछ उपाय करने चाहिए। लौकी में होने वाले डाउनी मिल्ड्यू रोग के नियंत्रण के उपाय निम्न हैं:-

  • इस रोग की रोकथाम के लिए लौकी के पौधे को अधिक पानी देने से बचें या पौधे को ओवरवाटरिंग से बचाएं।
  • पौधे में पानी देते समय पत्तियों को गीला करने से बचें।
  • लौकी के पौधे के आस पास हवा का प्रवाह बनाए रखने के लिए पौधे की खराब पत्तियों की प्रूनिंग करें।
  • लौकी उगाते समय रोगमुक्त बीजों को चुनें।
  • डाउनी मिल्ड्यू रोग के लक्षण दिखाई देने पर लौकी के पौधे पर जैविक कवकनाशी (fungicide) का स्प्रे करें।

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पाउडरी मिल्ड्यू रोग – Powdery Mildew Disease Of Bottle Gourd Plant In Hindi

खस्ता फफूंदी या पाउडरी मिल्ड्यू रोग लौकी के पौधे को प्रभावित करने वाला प्रमुख रोग है, जो कि स्फेरोथेका फुलिजिनिया (sphaerotheca fuliginea) फंगस के कारण होता है। यह रोग लौकी के पौधे की पत्तियों, तनों और नई ग्रोथ वाली सतहों को कवर प्रभावित करता है। इस रोग की शुरुआत में पौधे की पत्तियों में सफ़ेद या भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते है, फिर जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है, पत्तियां भूरी होकर सूख जाती हैं। पाउडरी मिल्ड्यू से प्रभावित पौधे की ग्रोथ रुक जाती है और लौकी सही तरीके से विकसित नहीं हो पाती हैं।

पाउडरी मिल्ड्यू रोग के नियंत्रण के उपाय – Bottle Gourd Powdery Mildew Disease Prevent And Control In Hindi

आमतौर पर लौकी के पौधे में यह बीमारी, मौसम के उतार चढ़ाव के कारण होती है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए आप कुछ उपाय अपना सकते हैं। लौकी के पौधे में लगने वाले पाउडरी मिल्ड्यू रोग की रोकथाम और नियंत्रण के उपाय निम्न हैं:-

  • लौकी के पौधे को पूर्ण सूर्यप्रकाश वाले स्थान पर लगाएं।
  • लौकी के पौधों के आस पास हवा का प्रवाह ठीक तरह से बनाये रखने के लिए, पौधे के अधिक घने भाग वाली पत्तियों की प्रूनिंग करें। प्रूनिंग के प्रत्येक कट के बाद प्रूनर को कीटाणु मुक्त करें।
  • उमस भरी मिट्टी में बीज लगाने से बचें।
  • पाउडरी मिल्ड्यू रोग के लक्षण दिखाई देने पर पौधे की पत्तियों पर 40% दूध और 60% पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • लौकी के पौधे पर नीम के तेल या जैविक कीटनाशक साबुन के घोल का स्प्रे करें।
  • नाइट्रोजन इस रोग के प्रति अधिक संवेदनशील होता है, इसलिए पौधे पर नाइट्रोजन युक्त खाद के स्थान पर जैविक खाद का उपयोग करें।

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सेप्टोरिया लीफ स्पॉट – Bottle Gourd Leaf Diseases Septoria Leaf Spot In Hindi

सेप्टोरिया लीफ स्पॉट मुख्यतः लौकी के पौधे की पत्तियों का रोग है, जो सेप्टोरिया कुकुर्बिटासीरम (Septoria Cucurbitacerum) के कारण होता है। सेप्टोरिया लीफ स्पॉट रोग पहले लौकी के पौधे की पुरानी पत्तियों को और अधिक फैलने पर नई पत्तियों को प्रभावित करता है। इस रोग के कारण पत्तियों की निचली सतह पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, धब्बे बड़े हो जाने पर पत्तियां पीली रंग की होकर मुरझाकर गिर जाती हैं। इस रोग का प्रभाव पौधे के तनों और फूलों पर भी देखा जा सकता है।

लौकी को सेप्टोरिया लीफ स्पॉट से बचाने के उपाय – Septoria Leaf Spot Disease Prevent And Control In Hindi

लौकी के पौधे को सेप्टोरिया लीफ स्पॉट से बचाने तथा रोग की रोकथाम के उपाय निम्न हैं:-

  • पौधे पर इस रोग के शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर, जैविक कवकनाशी (fungicide) का छिड़काव करें।
  • पहले से सेप्टोरिया लीफ स्पॉट रोग से संक्रमित मिट्टी में इस पौधे को न लगाएं।
  • इस रोग से संक्रमित हिस्से को काट कर, बचे हुए मलवे को नष्ट कर दें।
  • लौकी के पौधे को अधिक पानी देने से बचें, अर्थात जब मिट्टी सूखी हुई दिखे, तभी पौधे को पानी दें।
  • पौधे की समय-समय पर कटाई-छटाई करते रहें, जिससे पौधे के आसपास हवा का प्रवाह बना रहे।

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वर्टिसिलियम विल्ट – Bottle Gourd Diseases Verticillium Wilt In Hindi

वर्टिसिलियम विल्ट - Bottle Gourd Diseases Verticillium Wilt In Hindi

यह लौकी के पौधे में होने वाला एक फंगल रोग है, जो वर्टिसिलियम डाहलिया (Verticillium Dahlia) फंगस के कारण होता है। इस रोग के कारण पौधे की पत्तियां पीली होने के बाद मुरझाकर सूखने लगती हैं और गिर जाती हैं। संक्रमण अधिक बढ़ जाने पर पूरा पौधा प्रभावित हो जाता है, अंततः पौधा मर भी सकता है। वर्टिसिलियम विल्ट के संक्रमण से पौधे की ग्रोथ रुक जाती है। यह रोग ठंडे मौसम के प्रति अधिक अनुकूल होता है।

वर्टिसिलियम विल्ट से बचाव और नियंत्रण के उपाय – Prevent Verticillium Wilt Disease In Bottle Gourd In Hindi

लौकी के पौधे में यह रोग मौसम के उतार चढ़ाव के कारण होता है। आइए जानते वर्टिसिलियम विल्ट से बचने के उपाय, और रोकथाम के तरीके के बारे में:-

  • मध्यम गर्म तापमान होने पर ही लौकी के बीज ग्रो करें।
  • लौकी के पौधे को उस स्थान या उन पौधों के साथ न लगाएं, जो इस रोग के प्रति अतिसंवेदनशील हों।
  • पहले से रोगग्रस्त मिट्टी में इस पौधे के बीज न लगाएं।
  • वर्टिसिलियम विल्ट रोग की प्रतिरोधी किस्म को लगाएं।
  • खरपतवार को कम कर, इस रोग के जोखिम को कम करने के लिए लौकी के पौधे की मल्चिंग करें।
  • इस रोग से संक्रमित हिस्से को काट कर नष्ट कर दें, कटाई करते समय प्रत्येक कट के बाद प्रूनर को कीटाणुरहित करें।

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बैक्टीरियल लीफ स्पॉट – Bacterial Leaf Spot Disease Of Bottle Gourd In Hindi

यह लौकी के पौधे में बैक्टीरिया के कारण होने वाली एक गंभीर बीमारी है, जो कि जेन्थोमोनास कैम्पेस्ट्रिस (Xanthomonas Campestris) के कारण होती है। इस बीमारी का प्रभाव पौधे की पत्तियों, फल और तनों पर होता है। बैक्टीरियल लीफ स्पॉट के कारण पौधे की पत्तियों पर भूरे, काले या पीले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं, धीरे-धीरे यह संक्रमण पूरे पौधे में फ़ैल जाता है। हालांकि बैक्टीरियल लीफ स्पॉट रोग से प्रभावित लौकी के फल खाने योग्य होते हैं।

बैक्टीरियल लीफ स्पॉट रोग नियंत्रण के तरीके – Bottle Gourd Bacterial Leaf Spot Disease Control In Hindi

बैक्टीरियल लीफ स्पॉट रोग गीले मौसम के दौरान तथा पहले से ही इस रोग से संक्रमित पौधों के माध्यम से फैलता है। इस रोग के संक्रमण को कम करने के लिए, आपको लौकी के पौधे की विशेष देखभाल करनी होगी। लौकी के पौधे को बैक्टीरियल लीफ स्पॉट से बचाने के उपाय निम्न हैं:-

  • लौकी के पौधे में पानी डालते समय पत्तियों को गीला न करें।
  • पहले से ही बैक्टीरियल लीफ स्पॉट रोग से संक्रमित मिट्टी में पौधों को न लगाएं, बीज लगाने से पहले मिट्टी कीटाणु रहित बना लें।
  • यह रोग बीज जनित भी हो सकता है, इसलिए लौकी के रोगप्रतिरोधी किस्म के बीजों को चुनें।
  • लौकी के पौधे को गार्डन में, पर्याप्त धूप वाले स्थान पर लगायें।
  • इस बीमारी से बचने के लिए लौकी के पौधे को अधिक बार पानी देने से बचें।
  • बैक्टीरियल लीफ स्पॉट से संक्रमित लौकी के पौधों पर कॉपर युक्त फंगीसाइड का छिड़काव करें।

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एंगुलर लीफ स्पॉट – Angular Leaf Spot Disease Of Bottle Gourd Plant In Hindi

एंगुलर लीफ स्पॉट - Angular Leaf Spot Disease Of Bottle Gourd Plant In Hindi

यह रोग विशेषकर लौकी की पत्तियों में होने वाला रोग है, जो स्यूडोमोनास लैक्रिमन (Pseudomonas Lachrymans) बैक्टीरिया के कारण होता है। यह रोग शुरूआती समय में लौकी के पौधे की पत्तियों पर होता है, संक्रमण बढ़ने पर यह तनों और फूलों को भी प्रभावित करता है। इस रोग के कारण पौधे की पत्तियों की शिराओं के बीच पीले रंग के धब्बे आने लगते हैं और अंततः पत्तियां सूखकर गिर जाती हैं। इस रोग से प्रभावित लौकी के फल भी पूरी तरह विकसित नहीं हो पाते और गिर जाते हैं।

लौकी में एंगुलर लीफ स्पॉट रोग की रोकथाम के तरीके – Angular Leaf Spot Prevent And Control in Bottle Gourd In Hindi

यह रोग संक्रमित मलवे के माध्यम से फैलता है, इस रोग से लौकी के पौधे को बचाने के लिए आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा, जो कि निम्न हैं:-

  • रोग संक्रमित मिट्टी या गार्डन की मिट्टी में इस पौधे को न लगाएं, मिट्टी को स्टरलाइज करें।
  • गार्डन की अच्छी तरह सफाई करें, जिससे संक्रमण अधिक न फैले।
  • इस रोग से संक्रमित पौधे को गार्डन से हटा कर नष्ट कर दें।
  • पौधों पर पानी डालते समय पत्तियों को गीला करने से बचें।
  • बीज लगाते समय रोगमुक्त बीजों को चुनें।
  • लौकी के पौधे को एक ही स्थान पर अधिक बार लगाने से बचें।

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इस लेख में आपने जाना कि लौकी के पौधे में होने वाले रोग कौन-कौन से हैं और इन रोगों से लौकी के पौधे को कैसे बचाएं। आशा करते हैं यह लेख आपको पसंद आया होगा, इस लेख से सम्बंधित आपके जो भी सवाल या सुझाव हों, हमें कमेंट में अवश्य बताएं।

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