अगर आप घर पर बागवानी करने का शौक रखते हैं, तो आपको पौधे उगाने या तैयार करने की विधियों की जानकारी होना जरूरी है। पौधे केवल बीज, कटिंग या आलू जैसे कंद से नहीं उगाए जाते, बल्कि पौधे उगाने की और भी कई विधियाँ हैं। जिनमें टिशू कल्चर, लेयरिंग आदि नए पौधे तैयार करने की अनोखी और नई तकनीक हैं। आज के इस लेख में हम आपको पौधे उगाने या तैयार करने की 7 सबसे प्रमुख विधियों की जानकारी डिटेल में देने जा रहे हैं, पौध प्रसारण की विधियां (Plant Propagation methods in hindi) जानने के लिए इस लेख को लास्ट तक जरूर पढ़ें।
पौधे उगाने या पादप प्रवर्धन की विधियाँ – Plant Propagation Methods In Hindi
प्लांट्स को उगाने की सबसे कॉमन विधि (types of plant propagation in hindi) निम्न हैं:
- पौधे उगाने की कटिंग विधि (Cutting)
- बीज से पौधे उगाना (Seeds)
- डिवीजन मेथड (Division)
- लेयरिंग विधि (Layering)
- ग्राफ्टिंग विधि या कलम बांधना (Grafting)
- बडिंग विधि (Budding)
- टिशू कल्चर (Tissue Culture)
नोट – बीज, कटिंग, डिवीजन, लेयरिंग और ग्राफ्टिंग, पौधे उगाने की 5 काफी प्रचलित और पुरानी विधियाँ (5 Methods Of Propagating Plants) हैं। जबकि टिशू कल्चर नई और वैज्ञानिक विधि है, जिससे नए पौधे तैयार किये जाते हैं।
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नए पौधे तैयार करने की 7 सबसे कॉमन विधि – 7 Methods Of Plant Propagation With Description In Hindi
चलिए पौधों को उगाने की सबसे कॉमन विधियों (naye paudhe taiyar karne ki vidhi) को डिटेल में समझते हैं:
1. कटिंग से पौधे उगाने की विधि – Cutting Plant Propagation Method In Hindi
प्रमुख रूप से इस विधि में पौधे की टहनी को कुछ इंच लम्बाई में काटकर मिट्टी में लगा दिया जाता है, जिससे एक नया पौधा तैयार होता है। कटिंग विधि (cutting method) तीन तरह की होती है:
- स्टेम कटिंग (stem cutting) – इस मेथड में पौधे के तने की कम से कम 6 इंच लम्बी कटिंग ली जाती है और उसे मिट्टी से भरे गमले में लगा दिया जाता है। कुछ दिनों में कटिंग मिट्टी में अच्छे से जड़ें विकसित करने लगती है और उसकी नई ग्रोथ शुरू हो जाती है। गुलाब, गुड़हल, पुदीना, मनी प्लांट आदि स्टेम कटिंग से उगने वाले पौधे हैं।
- लीफ कटिंग (leaf cutting) – बहुत से पौधों को आप सिर्फ पत्ती से भी उगा सकते हैं। इस विधि में पौधे के पत्ते को काटकर पानी या सीधे मिट्टी में लगा दिया जाता है। कुछ ही दिनों में पत्ते से जड़ें निकलने लगती हैं। स्नेक प्लांट, जेड प्लांट, बेगोनिया, अफ्रीकन वायलेट आदि पत्ते (leaf cutting) से उगने वाले पौधे हैं।
- रूट कटिंग (root cutting) – इस विधि में पौधे की मिट्टी को खोदकर उसकी एक स्वस्थ जड़ को 3 इंच लम्बाई में काट लेते हैं। अगर जड़ पतली है तो उसे मिट्टी में सीधा रख कर (horizontally) 1 सेंटीमीटर मिट्टी की परत से ढक देते हैं और अगर जड़ मोटी है तो, उसे मिट्टी में खड़े में (vertically) लगाया जाता है। जहाँ से जड़ को काटा था उस सिरे से तना (shoots) निकलता है और धीरे-धीरे एक नया पौधा तैयार हो जाता है। गुलाब, फ्लॉक्स, रास्पबेरी, ब्लैकबेरी, साल्विया आदि पौधे जड़ या रूट कटिंग विधि से उग जाते हैं।
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2. बीज से पौधा उगाने की विधि – Grow Plants From Seeds At Home In Hindi
किसी भी पौधे को उगाने की यह सबसे कॉमन विधि है। इस विधि में बस पौधे के बीजों को मिट्टी में लगा दिया जाता है। कुछ समय बाद उसके अंकुर (seedling) निकल आते हैं। बीज अंकुरित होने के बाद इन छोटे पौधों को गमले या बगीचे में लगा दिया जाता है, जिससे पौधा तैयार होता है।
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3. पौधे उगाने की डिवीजन मेथड – Plant Propagation By Division Method In Hindi
कई बारहमासी (perennials) पौधे जो सालों-साल चलते हैं, डिविजन मेथड से उगाये जाते हैं। इस विधि में मुख्य पौधों के बाजु में जो छोटे-छोटे पौधे उगते हैं, उन्हें उखाड़कर अलग गमले में लगाया जाता है। या कंद से उगने वाले पौधे भी डिविजन मेथड में ही शामिल हैं। पौधे उगाने की डिविजन विधि के निम्न प्रकार होते हैं:
- रनर या स्टोलन (Runners) – कुछ झाड़ीदार पौधे जैसे- स्ट्रॉबेरी, रास्पबेरी, ब्लैकबेरी आदि के तने मिट्टी की सतह पर फैले होते हैं, मिट्टी के सम्पर्क में आने से इनकी नोड्स में से जड़ें निकलनी शुरू हो जाती हैं, और नया पौधा तैयार होने लगता है।
- सकर्स (Suckers) – एलोवेरा, स्नेक प्लांट जैसे कुछ पौधों के बीच में से छोटे-छोटे पौधे निकलते हैं, जिन्हें सकर्स कहा जाता है। इन सकर्स को अलग करके मिट्टी में लगा दिया जाता है, जिससे नया पौधा तैयार होता है।
- ऑफसेट (Offset) – कुछ पौधे (जैसे पीस लिली, स्नेक प्लांट, केला इत्यादि) जब पूरी तरह से परिपक्व हो जाते हैं, तब उनकी जड़ों से ही नए पौधे उगने लगते हैं, जिन्हें ऑफ़सेट कहा जाता है। इन ऑफ़सेट को अलग कर नए गमले में लगा देते हैं, जिससे नए पौधे तैयार हो जाते हैं।
- बल्ब या कंद (Bulb) – ट्यूलिप, रैननकुलस, प्याज, आलू, अदरक आदि बल्ब या कंद द्वारा उगाए जाने वाले पौधे हैं। इन बल्ब को मिट्टी में लगाने से नए पौधे उगते हैं।
(और पढ़ें: डिवीजन और सेपरेशन मेथड से पौधे कैसे उगाएं…)
4. नए पौधे तैयार करने की लेयरिंग विधि – Layering Method Of Vegetative Propagation In Hindi
इस तकनीक में पौधे की जमीन के नजदीक वाली और झुकी हुई लचीली शाखा को मोड़कर मिट्टी में दबा दिया जाता है। इससे कुछ दिनों में ही उस शाखा में से जड़ें बनने लगती हैं और नया पौधा तैयार होने लगता है। पौधा बनने के बाद शाखा के उस हिस्से को काट दिया जाता है, जो मुख्य पौधे से जुड़ा है। अब इसे नए पौधे के रूप में विकसित होने दिया जाता है या उखाड़कर गमले में लगा देते हैं। इसे ‘लेयरिंग विधि’ कहा जाता है। इस तरह लेयरिंग विधि में एक पौधे से कई पौधे तैयार किए जा सकते हैं। लेयरिंग मेथड से स्ट्राबेरी, गुलाब और बोगनविलिया के पौधे उगाये जा सकते हैं।
(और पढ़ें: जानें लेयरिंग विधि द्वारा एक पौधे से कई पौधे तैयार कैसे करें…)
5. पौधे तैयार करने की ग्राफ्टिंग विधि – Grafting Method Of Plant Propagation In Hindi
ग्राफ्टिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें दो पौधों को जोड़ कर एक नया पौधा तैयार किया जाता है। इस ग्राफ्टिंग मेथड में एक पौधा जड़ सहित (root stock) लिया जाता है और दूसरे पौधे को बिना जड़ के कलम के रूप में (Scion) लिया जाता है। अब सायन (Scion) अर्थात कलम वाले भाग को रूटस्टॉक (root stock) पौधे के तने में जोड़ दिया जाता है। इससे वो दोनों एक पौधे के रूप में ग्रो होने लगते हैं। गुलाब, सेब, आम, जामुन और संतरे जैसे कई बारहमासी पौधे ग्राफ्टिंग विधि (grafting method) से तैयार किये जाते हैं।
(और पढ़ें: ग्राफ्टिंग क्या है, और यह कैसे की जाती है…)
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6. पौध प्रसारण की बडिंग विधि – Budding Method Of Plant Propagation In Hindi
बडिंग विधि में भी एक पौधा जड़ सहित (root stock) लिया जाता है और दूसरे पौधे की कलम के गाँठ वाले हिस्से को लिया जाता है। जड़ वाले पौधे के तने में चाकू की मदद से T आकार का 2 सेंटीमीटर लम्बा कट बनाते हैं। अब दूसरे पौधे से कलम लेते हैं और उसके गाँठ वाले हिस्से को 1 सेंटीमीटर तक छील कर उसके अंदर मौजूद सफ़ेद हिस्से को निकाल देते हैं। अब जो 1 सेंटीमीटर लम्बी छाल होती है उसे जड़ वाले पौधे के T शेप में लगा देते हैं। इससे कुछ दिनों बाद उस जगह से नई टहनी निकलने लगती है और नया पौधा बनने लगता है।
7. पौध प्रवर्धन की टिशू कल्चर विधि – Tissue Culture Method Of Plant Propagation In Hindi
यह पौधे उगाने की सबसे नई तकनीक है। इस विधि में पौधे के किसी भाग जैसे पत्ती, फल या फूल को लेकर उसे लैब में ग्रो किया जाता है। पौधे के उस भाग को लैब में विशेष अनुकूल परिस्थितयों जैसे उचित तापमान और लाइट में रखा जाता है। इससे नया पौधा तैयार होने लगता है। इस विधि में पौधे के ऊतक (tissue) या कोशिका (cell) को उगाया (culture) जाता है, इस वजह से इसे ‘टिशू कल्चर विधि’ (Tissue Culture Method) कहा जाता है।
(और पढ़ें: पौधों की वृद्धि के लिए 10 शानदार टिप्स…)
आज के इस लेख में हमने आपको पौधे उगाने या तैयार करने की कटिंग, लेयरिंग, ग्राफ्टिंग, बडिंग और टिशू कल्चर विधि के बारे में विस्तार से बताया है। पौधे उगाने या पौध प्रसारण की विधियों से जुड़े इस लेख में अगर आपको कोई भी डाउट हो तो उसे कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं।
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