आपने अक्सर सुना होगा कि, कुछ पौधों की जड़ें व तने बहुत ही कोमल होते हैं, जिन्हें डिस्टर्बेंस बिलकुल पसंद नहीं होता, अन्यथा प्लांट्स की ग्रोथ पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। नाजुक जड़ व कोमल तने वाले पौधों को कभी भी प्रत्यारोपण (transplant) विधि से नहीं लगाया जाता, बल्कि इनके बीज मिट्टी में डायरेक्ट लगाए जाते हैं। लेकिन हम सभी सही जानकारी के अभाव में ट्रांसप्लांटिंग पसंद न करने वाले पौधों को भी प्रत्यारोपित कर देते हैं, परिणाम स्वरूप हमारे द्वारा लगाए गए पौधे अच्छी तरह से ग्रो नहीं कर पाते हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि, कौन से पौधों को प्रत्यारोपण पसंद नहीं होता अर्थात् किन प्लांट्स को डायरेक्ट मेथड से लगाएं, सीडलिंग प्रत्यारोपण या ट्रांसप्लांटिंग से होने वाले नुकसान तथा कौन से पौधों की सीडलिंग (seedling) को ट्रांसप्लांट या प्रत्यारोपित नहीं करना चाहिए, जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
टॉप 25 पौधे जो कभी भी प्रत्यारोपण पसंद नहीं करते हैं – Top 25 Plants That Not Grow By Transplant Method In Hindi
अधिकांश पौधों को आप एक से अधिक विधियों जैसे- डायरेक्ट सीड सोइंग मेथड, ग्राफ्टिंग, कटिंग तथा ट्रांसप्लांटिंग विधि द्वारा लगा सकते हैं, लेकिन कुछ सीडलिंग (छोटे पौधे) ऐसे होते हैं जो केवल डायरेक्ट मेथड द्वारा ही उगाए जाने पर बेहतर ग्रोथ करते हैं। अगर इन सीडलिंग को ट्रांसप्लांट किया जाता है, तो इनकी ग्रोथ रुक सकती है और ऐसा करने पर कई बार पौधे मुरझाकर नष्ट भी हो सकते हैं। सीधी बुआई या प्रत्यक्ष विधि से पौधों को उगाने के लिए उनके बीज को सीधे गार्डन या गमले की मिट्टी में लगाया जाता है, ताकि वे बेहतर तरीके से बढ़ सकें। केवल डायरेक्ट सीड सोइंग मेथड (Direct Seed Sowing Method) से उगाए जाने वाले छोटे पौधे (सीडलिंग) जो कभी भी प्रत्यारोपण पसंद नहीं करते हैं, निम्न प्रकार हैं।
पौधों का नाम |
बीज लगाने का समय |
मिट्टी में बीज लगाने की गहराई |
बीज अंकुरण तापमान |
अंकुरण के लिए लाइट/डार्कनेश |
सीड अंकुरण का समय (दिन में) |
हार्वेस्टिंग/ब्लूमिंग टाइम |
बेबी कॉर्न (Baby Corn) |
गर्मी का समय |
0.5-1 इंच |
25-30°C |
डार्क |
6-10 |
10-11 हफ्ते |
पालक (Spinach) |
ठण्ड का समय |
0.5 इंच |
15-25°C |
डार्क |
4-14 |
4-6 हफ्ते |
चुकंदर (Beetroot) |
शुरूआती पतझड़/ वसंत/अंतिम गर्मी |
0.5 इंच |
15-25°C |
लाइट |
6-14 |
50-80 दिन |
लौकी (Bottle Gourd) |
वसंत/गर्मी |
1 इंच |
20–25ºC |
लाइट |
6-14 |
8-10 हफ्ते |
गाजर (Carrot) |
बरसात और ठण्ड का समय |
0.5 सेमी |
15-26°C |
डार्क |
7-21 |
10-12 हफ्ते |
बीन्स (Beans) |
गर्मी का समय |
0.5-1 इंच |
20-28°C |
डार्क |
6-14 |
7-8 हफ्ते |
खीरा (Cucumber) |
गर्मी का समय |
0.5 इंच |
15-21°C |
डार्क |
4-10 |
7-8 हफ्ते |
भिण्डी (Okra) |
गर्मी/बरसात |
0.5-1 इंच |
18-30°C |
डार्क |
5-10 |
60-70 दिन |
स्क्वैश (Squash) |
मध्यम वसंत से गर्मी |
0.5-1 इंच |
21-30°C |
डार्क |
7-14 |
55-60 दिन |
लाल भाजी (Red amaranth) |
मध्यम गर्मी |
0.5 सेमी |
18-24°C |
लाइट |
4-10 |
6-8 हफ्ते |
स्विस चार्ड (Swiss Chard) |
ठण्ड से वसंत का समय |
0.5 सेमी |
15-28°C |
लाइट |
7-14 |
50-60 दिन |
जुकीनी (Zucchini) |
मध्यम वसंत से गर्मी |
0.5-1 इंच |
21-30°C |
लाइट |
7-14 |
55-60 दिन |
धनिया (Coriander) |
गर्मी से पतझड़ |
1 सेमी |
18-24°C |
अप्रत्क्ष धूप |
7-21 |
4-6 हफ्ते |
अनिथ (Anith) |
गर्मी और पतझड़ |
0.5 इंच |
20-30°C |
डार्क |
10-18 |
70-90 दिन |
सेलेरी (Celery) |
पतझड़ और शुरुआती ठण्ड |
0.5 इंच |
15-25°C |
लाइट |
12-15 |
4-5 महीने में |
डंडेलियन (Dandelion) |
शुरूआती वसंत/ पतझड़ |
0.5 इंच |
10-25°C |
लाइट |
10-14 |
70-90 दिन |
डिल (Dill) |
मध्यम वसंत से गर्मी |
मिट्टी की पतली परत |
15-21°C |
लाइट/डार्क |
10-14 |
90 दिन |
सौंफ (Fennel) |
वसंत |
मिट्टी की पतली परत |
15-21℃ |
डार्क |
10-15 |
180 दिन |
मिजुना (Mizuna) |
अंतिम ठण्ड |
¼ इंच |
10-18°C |
डार्क |
4-8 |
30-40 दिन |
राकेट रकोला (Rocket Rucola) |
वसंत और पतझड़ |
1 सेमी |
20-30°C |
लाइट |
7-14 |
5-6 हफ्ते |
शतावरी (Asparagus) |
शुरूआती वसंत से बरसात |
1-2 इंच |
20-30°C |
लाइट |
1 महीना |
6-10 इंच होने पर |
कैलिफोर्निया (California) |
शुरुआती वसंत |
¼ इंच |
10-23°C |
लाइट |
10-21 |
55-75 दिन |
सेलोसिया (Celosia) |
वसंत |
1/8 इंच |
21-27°C |
लाइट |
14 |
गर्मी, पतझड़ |
सूरजमुखी (Sunflower) |
शुरूआती वसंत |
½ इंच |
21-29°C |
लाइट/डार्क |
7-10 |
गर्मी |
कॉक्सकॉम्ब (Cockscomb) |
वसंत |
1/8 इंच |
21-27°C |
लाइट |
2 सप्ताह |
गर्मी, पतझड़ |
इन सीडलिंग को ट्रांसप्लांट क्यों नहीं करना चाहिए – Why Some Seedlings Should Not Be Transplanted In Hindi
ऊपर बताए गये पौधे केवल प्रत्यक्ष विधि या डायरेक्ट मेथड से उगना पसंद करते हैं, इन्हें प्रत्यारोपण पसंद नहीं होता और ट्रांसप्लांट किए जाने पर पौधों की वृद्धि रुक सकती है। इसीलिए इन पौधों को केवल डायरेक्ट विधि से ही गमले या ग्रो बैग की मिट्टी में लगाएं। उपर्युक्त बताए गये पौधों को ट्रांसप्लांट न करने के निम्न कारण हैं, जैसे:
- इन छोटे पौधों की जड़ें कमजोर व नाजुक होती हैं, जो ट्रांसप्लांट करने पर डैमेज हो सकती हैं और सीडलिंग नष्ट हो सकती है।
- कुछ सीडलिंग ऐसी होती है, जिनके तनें (stem) कोमल होते हैं तथा प्रत्यारोपित करने पर टूट सकते हैं।
- अधिकांश पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, चौलाई की भाजी आदि की जड़ें रेशेदार होती हैं, जो बहुत जल्दी नष्ट हो सकती हैं।
- चुकंदर, गाजर व मूली जैसे कंद वाले पौधे भी ट्रांसप्लांटिंग पसंद नहीं करते हैं, ऐसा करने पर उनकी ग्रोथ धीमी हो सकती है या सीडलिंग खराब होने का डर रहता है। इसलिए इन पौधों को डायरेक्ट विधि द्वारा लगाना ही सही रहता है।
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पॉटिंग सॉइल |
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गमले या ग्रो बैग |
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वर्मीकम्पोस्ट |
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गोबर खाद |
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रॉक फास्फेट |
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प्लांट ग्रोथ प्रमोटर |
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नीम तेल |
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स्टिकी ट्रैप |
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प्रूनर |
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स्प्रे पंप |
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वॉटर केन |
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शेड नेट |
निष्कर्ष – Conclusion
उपर्युक्त आर्टिकल में आपने उन सीडलिंग के बारे में जाना, जिन्हें केवल डायरेक्ट मेथड या सीधी बुआई से ही लगाया जाता है और ट्रांसप्लांट किये जाने पर इन पौधों को काफी नुकसान हो सकता है, कई बार तो सीडलिंग मुरझाकर मर भी सकती है, इसीलिए गार्डन में पौधे लगाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि, पत्तेदार व रूटी वेजिटेबल के साथ-साथ ऊपर बताए गए पौधों को भी सिर्फ डायरेक्ट मेथड से ही लगाएं। यह लेख आपको कैसा लगा कमेंट में जरूर बताएं।