होम गार्डन के गमले या ग्रो बैग में लगे पेड़ पौधों में अनेक प्रकार के रोग व बीमारियाँ होती हैं, जिनमें से कुछ डिजीज पौधों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाती हैं, लेकिन कुछ पेड़-पौधों के लिए काफी हानिकारक हो सकती हैं। उन्ही बीमारियों में से एक है पाउडरी मिल्ड्यू रोग जो लगभग हर प्रकार के पौधों में हो सकता है तथा यह पौधे के अनेक हिस्सों को प्रभावित करता है, जिसके कारण पौधे की ग्रोथ पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि, अगर आपके पौधे पाउडरी मिल्ड्यू डिजीज (Powdery mildew in Hindi) से प्रभावित हैं, तो आप उन्हें कैसे पहचान सकते हैं। पाउडरी मिल्ड्यू या पाउडरी फफूंदी रोग क्या है, इसके लक्षण तथा पौधों को इससे बचाने के उपाय व तरीके (powdery mildew treatment) जानने के लिए आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
पाउडरी मिल्ड्यू क्या है – What Is Powdery Mildew Disease In Hindi
घर पर गमले या गार्डन की मिट्टी में लगे पेड़ पौधों की पत्तियों, तनों सहित अन्य भाग को प्रभावित करने वाला पाउडरी मिल्ड्यू (powdery mildew) रोग एक प्रकार का कवक रोग है, जो विभिन्न प्रकार के पौधों में कवक (fungus) की कई अलग-अलग प्रजातियों के कारण होता है। इसे पाउडरी फफूंदी रोग भी कहा जाता है। विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे जैसे- झाड़ियाँ, बेल वाले पौधे, फल-फूल, सब्जियाँ, घास और खरपतवार इत्यादि इस रोग से प्रभावित हो सकते हैं। कद्दू वर्गीय (cucurbitaceae) परिवार की सब्जियों जैसे- स्क्वैश, खीरा, लौकी, तरबूज और कद्दू आदि में पाउडरी फफूंदी मुख्य रूप से पोडोस्फेरा ज़ैंथी (podosphaera xanthii) कवक के कारण फैलता है।
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पाउडरी मिल्ड्यू रोग के लक्षण – Symptoms Of Powdery Mildew Disease In Plants In Hindi
खस्ता फफूंदी या पाउडर फफूंदी रोग से प्रभावित पौधों में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया सही से न होने के कारण संक्रमित पत्तियाँ अक्सर पीली-सफ़ेद (chlorotic) दिखाई देने लगती हैं। होम गार्डन में लगे पौधों की पत्तियों पर हल्के पीले धब्बे आना और पत्तियों या फूलों पर फफोले आना, इत्यादि पाउडरी मिल्ड्यू रोग के शुरुआती लक्षण हैं। पाउडरी मिल्ड्यू डिजीज से प्रभावित पौधों में निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं, जैसे:
- आमतौर पर पौधे की पत्तियां पीली और मुरझाई हुई दिखाई देती हैं।
- गार्डन में लगे पौधे में फूल कम संख्या में होते हैं तथा फल की उपज और गुणवत्ता घटने लगती हैं।
- पौधों की पत्तियों, कलियों, तनों या युवा फलों पर सफेद या ब्राउन रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।
- पाउडर फफूंदी रोग के कारण पौधों में लीफ कर्ल रोग होने की सम्भावना भी होती है, जिसके कारण पत्तियां मुड़ी हुई दिखाई देती हैं।
- पाउडरी मिल्ड्यू से संक्रमित फल और फूल अक्सर विकृत या खराब हो जाते हैं।
- अगर यह रोग गंभीर है, तो फफूंदी वाले पौधे के हिस्से बौने और विकृत हो सकते हैं।
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पाउडरी मिल्ड्यू रोग कब फैलता है – When Does Powdery Mildew Disease Spread In Plants In Hindi
गार्डन या गमले की मिट्टी में उगाए गये पौधों में पाउडरी मिल्ड्यू रोग का संक्रमण 20°C-27°C के आसपास तापमान के साथ आर्द्र (humid) परिस्थितियों में फैलता है। गर्म, शुष्क परिस्थितियों में नए बीजाणु (spore) बनते हैं, जो पौधों में संक्रमण हवाओं द्वारा फैलाते हैं। होम गार्डनिंग में अधिक घने, छायादार तथा गंदे स्थानों में लगे पौधों में फफूंदी रोग सबसे ज्यादा फैलता है। हालाँकि, पाउडर फफूंदी रोग ठंडे तथा बरसात वाले स्थानों पर कम फैलता है और 32°C से अधिक तापमान होने पर इसका प्रभाव कम हो जाता है।
नोट – पाउडरी मिल्ड्यू रोग सीधे धूप में लगे पौधों की तुलना में छायादार पौधों को अधिक प्रभावित करता है।
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पाउडरी मिल्ड्यू रोग फैलने से कैसे रोकें – How To Prevent Powdery Mildew Disease On Plants In Hindi
टेरिस गार्डन में लगे पेड़-पौधों में पाउडर फफूंदी रोग कवक के कारण होता है, इसीलिए इन हानिकारक कवकों को दूर करने के लिए तथा पौधों को पाउडरी मिल्ड्यू रोग से बचाने के लिए उचित फंगीसाइड्स (fungicides) का उपयोग करना चाहिए। मार्केट में आपको कई प्रकार के फंगीसाइड मिल जाएंगे, जिनका उपयोग आप अपने पौधों पर स्प्रे के रूप में कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप अपने घर पर भी पौधों के लिए कवकनाशी (फंगीसाइड) तैयार कर सकते हैं। आइये जानते हैं खस्ता फफूंदी या पाउडर फफूंदी रोग दूर करने के लिए घर पर कवकनाशी कैसे बनाएं, के बारे में।
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गोबर खाद |
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कोकोपीट |
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प्लांट ग्रोथ प्रमोटर |
पाउडरी मिल्ड्यू डिजीज रोकने के घरेलू उपाय – Powdery Mildew Disease Treatment At Home In Hindi
अपने होमगार्डन में गमले की मिट्टी में लगे पेड़-पौधों को पाउडर फफूंदी रोग से बचाने के लिए आप विभिन्न प्रकार की सामग्रियों से घर पर आसानी से प्रभावी कवकनाशी बना सकते हैं, कवकनाशी बनाने की विधि तथा उपयोग करने के तरीके निम्न हैं, जैसे:
फंगीसाइड बनाने के लिए जरूरी चीजें:
- बेकिंग सोडा
- गैर-डिटर्जेंट लिक्विड साबुन
- माउथवॉश
- नीम तेल, इसके अलावा
- स्प्रे पंप, आदि।
इस्तेमाल करने की मेथड:
- फंगीसाइड या कवकनाशी बनाने के लिए लगभग 3 लीटर पानी में एक बड़ा चम्मच बेकिंग सोडा और आधा चम्मच गैर-डिटर्जेंट लिक्विड साबुन मिलाएं। अब इस तैयार मिश्रण को पौधों पर कवकनाशी के रूप में स्प्रे करें। यह पौधों के लिए सबसे प्रभावी तथा अच्छा कवकनाशी होता है।
- दैनिक रूप में उपयोग किया जाने वाला आपका माउथवॉश भी पाउडर फफूंदी के कीटाणुओं को मारने में काफी प्रभावी हो सकता है। माउथवॉश का पानी के साथ मिश्रण तैयार कर पौधों की पत्तियों पर स्प्रे करें।
- नीम तेल, पाउडर फफूंदी, जंग, ब्लैकस्पॉट, बोट्रीटिस, डाउनी मिल्ड्यू और अन्य बीमारियों के नियंत्रण के लिए उपयोग किया जाता है। कवकनाशी के रूप में नीम तेल का इस्तेमाल करने के लिए हर 7 से 14 दिनों में लगभग 2-3 चम्मच नीम तेल को पानी के साथ मिलाकर रोगग्रस्त पौधों पर छिड़काव करें। इसके अतिरिक्त पौधे की रोग प्रतिरोधी किस्मों को लगाना, वायु परिसंचरण में सुधार के लिए पौधों को व्यवस्थित करना, पौधों के रोगग्रस्त हिस्सों को हटाना और संक्रमित पत्तियों व शाखाओं को नष्ट करना भी रोग के प्रसार को कम कर सकता है या रोक सकता है।
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निष्कर्ष – Conclusion
अगर आपके होम गार्डन में लगे हुए पौधों या पॉटेड प्लांट्स में भी ऊपर बताए गये विभिन्न प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं, तो यह पाउडरी मिल्ड्यू का संकेत है जो आपके पौधे की ग्रोथ को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है, लक्षण दिखाई देने पर तुरंत पौधों को इससे बचाने के लिए उचित उपचार करना चाहिए। होममेड फंगीसाइड्स भी आपके पौधों को पाउडर फफूंदी रोग से बचाने के लिए प्रभावी होते हैं। गार्डनिंग से जुड़े और भी उपयोगी लेख पढ़ने के लिए Organicbazar.net पेज पर जाएं। इस आर्टिकल से संबंधित आपके जो भी सुझाव या सवाल हैं, हमें कमेंट में जरूर बताएं।