क्रूसिफेरस परिवार के अंतर्गत फूलगोभी, पत्ता गोभी, ब्रोकली, ब्रसेल्स स्प्राउट आदि सब्जियां आती हैं। यह अधिकतर ठण्ड के मौसम में उगने वाली सब्जियां हैं। कभी-कभी मौसम के उतार चढ़ाव और पानी की अधिकता या कमी जैसे कई कारणों से इन गोभी वर्गीय या क्रूसिफेरस सब्जियों के पौधों में विभिन्न प्रकार के रोग लग जाते हैं, जिसके कारण सब्जी का सही से उत्पादन नहीं हो पाता है। यदि आपने भी अपने घर पर गोभी परिवार की सब्जियों के पौधे उगाए हैं और उन्हें रोग या बीमारी से बचाते हुए अच्छी पैदावार चाहते हैं, तो इस लेख को पूरा पढ़ें, जहाँ आप जानेगें, गोभी वर्गीय या क्रूसिफेरस सब्जियों के पौधों में होने वाले रोग या बीमारी कौन-कौन सी हैं और फूल गोभी और पत्ता गोभी के पौधों को रोगों से बचने के उपाय क्या हैं। आइये जानते हैं गोभी वेजिटेबल प्लांट में लगने वाले रोग या बीमारियों के नाम, उनके लक्षण, कारण और रोकथाम के उपाय के बारे में:
क्रूसिफेरस सब्जियों में लगने वाले रोग – Cruciferous Vegetables Diseases In Hindi
गोभी वर्गीय या क्रूसिफेरस वेजिटेबल प्लांट में लगने वाले रोग या बीमारी निम्न हैं:-
- डेम्पिंग ऑफ (Damping Off)
- क्लब रूट ऑफ़ क्रूसिफेरस (Club Root Of Crucifers)
- अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट (Alternaria Leaf Spot)
- ब्लैक रॉट (Black Rot)
- डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew)
- पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew)
- व्हाईट रस्ट (White Rust)
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डेम्पिंग ऑफ – Damping Off Disease Of Cruciferous Vegetables In Hindi
प्रभावित पौधे – ब्रोकोली, ब्रसेल्स स्प्राउट, पत्ता गोभी, फूलगोभी और अन्य क्रूसिफेरस सब्जियां
डेम्पिंग ऑफ क्रूसिफेरस सब्जियों में होने वाली एक बीमारी है, यह आमतौर पर पाइथियम एफ़िनिडर्मेटम (Pythium Aphinidermatum) और राइज़ोक्टोनिया (Rhizoctonia) जैसे मिट्टी के कवक (fungi) के कारण होती है। डेम्पिंग ऑफ बीमारी फैलाने वाली कवक पौधों में मिट्टी, बीज, पानी आदि के माध्यम से फैलती है।
डेम्पिंग ऑफ रोग के लक्षण – Symptoms of Damping Off Disease In Hindi
क्रूसिफेरस सब्जियों में डेम्पिंग ऑफ बीमारी दो अवस्था में होती है, पहली बीज अंकुरण के पहले अर्थात प्री जर्मिनेशन (pre-germination) और दूसरी अंकुरण पश्चात् पोस्ट जर्मिनेशन (Post germination)। अंकुरण के पहले यह बीमारी बीज से अंकुर निकले के पहले ही उसे नष्ट कर देती है, और पोस्ट जर्मिनेशन के समय, यह बीमारी अंकुरित हुए पौधों या बढ़ती हुई अवस्था में पौधों को नष्ट कर देती है। इस बीमारी के परिणामस्वरूप बीज गल या सड़ जाते है। संक्रमित बीज के अंकुर पीले हरे होते है एवं उन पर मिट्टी की सतह के पास एक भूरा धब्बा पाया जाता है।
पौधों में डेम्पिंग ऑफ रोग होने के कारण – Causes Of Damping Off Plant Disease In Hindi
- उच्च आर्द्रता या अधिक वर्षा के कारण नमी का उच्च स्तर
- मिट्टी में नमी की अधिकता
- तापमान में कमी
- खराब जल निकासी वाली मिट्टी
डेम्पिंग ऑफ रोग की रोकथाम के उपाय – How To Prevent Damping Off Disease In Hindi
इस बीमारी से संक्रमित हो जाने पर सब्जी के पौधे को बचाने का कोई उपाय नहीं है। अतः संक्रमित बीजों या पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर दें। आप संक्रमण से अपनी क्रूसिफेरस सब्जियों को बचाने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं।
- बीज लगाने के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी का उपयोग करें।
- बीजों को उचित दूरी पर लगाएं।
- बीज लेते समय रोग मुक्त और उच्च क्वालिटी के बीजों को चुनें।
- नमी और तापमान के स्तर को अनुकूल बनाए रखें।
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क्लब रूट ऑफ़ क्रूसिफेरस – Club Root Of Crucifers Vegetable In Hindi
प्रभावित पौधे – ब्रोकोली, ब्रसेल्स स्प्राउट, गोभी, फूलगोभी, चीनी गोभी (Chinese cabbage), सरसों, मूली, शलजम
क्लबरूट एक कवक रोग है, जो क्रूसिफेरस परिवार में कई सब्जी के पौधों को प्रभावित करता है। यह रोग प्लास्मोडियोफोरा ब्रासिका वोरोनिन (Plasmodiophora Brassicae Woronin) कवक के कारण होता है। यह बीमारी पौधों में पानी के माध्यम से फैलती है। क्लब रूट का प्रभाव 7 से नीचे पीएच वाली मिट्टी पर विशेष रूप से होता है, लेकिन अक्सर देखा गया है, कि यह रोग भारी मिट्टी और कम कार्बनिक पदार्थों वाली मिट्टी पर कम प्रभावित होता है।
क्लब रूट बीमारी के लक्षण – Symptoms of Club Root Disease In Hindi
- पौधा ठीक तरह से नहीं बढ़ पाता अर्थात पौधे में बौनापन आता है।
- पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं और गर्मी के दिनों में मुरझा जाती हैं।
- पौधे की जड़ों में सूजन या स्वेलिंग (Swelling) दिखाई देती है।
क्रूसिफेरस पौधों में क्लब रूट होने के कारण – Causes Of Club Root Crucifers Plant Disease In Hindi
- तापमान में उतार चढ़ाव
- मिट्टी में अधिक नमी या गीली मिट्टी
- अम्लीय मिट्टी या 5-6.0 पीएच वाली मिट्टी होना
क्लब रूट रोग के उपाय व रोकथाम – How To Prevent Club Root Disease In Hindi
- इस रोग का प्रभाव अम्लीय मिट्टी में अधिक होता है, अतः मिट्टी की अम्लीयता कम करने के लिए चूना पाउडर मिलाकर मिट्टी का PH स्तर बढ़ा दें।
- रोग मुक्त क्रूसिफेरस सब्जियों के बीजों को चुनें।
- पहले से जिस मिट्टी में यह संक्रमण हुआ है, उसमें क्रूसिफेरस सब्जियां न लगाएं।
- पौधों से संक्रमित हिस्से को काटकर अलग कर दें।
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अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट रोग – Alternaria Leaf Spot Disease Of Cruciferous In Hindi
प्रभावित पौधे – पत्ता गोभी, फूलगोभी, केल, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, ब्रोकोली और सरसों।
अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट या अल्टरनेरिया लीफ ब्लाइट (alternaria leaf blight) क्रूसिफेरस सब्जियों की पत्तियों में होने वाला एक रोग है, जो अल्टरनेरिया ब्रैसिसिकोला कवक के कारण होता है। यह रोग पौधों में हवा या कीट के माध्यम से फैलता है, लेकिन अच्छी बात यह है कि इस बीमारी से प्रभावित या संक्रमित पौधे की सब्जी बिक्री और खाने योग्य होती है।
क्रूसिफेरस प्लांट में अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट रोग के लक्षण – Symptoms of Alternaria Leaf Spot In Hindi
- गोभी पर छोटे, गहरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।
- गोलाकार धब्बे बढ़ते हैं और लगभग 1 मिलीमीटर के हो जाते हैं।
- धब्बे अपने केंद्र से फैलते हैं। अंत में यह धब्बे फैलकर आपस में एक दूसरे से मिल जाते हैं, जिससे पत्तियां मुरझा या सूख जाती हैं।
- लीफ स्पॉट रोग से संक्रमित पौधे के तनों, फलियों और बीजों पर भी रैखिक धब्बे दिखाई देते हैं।
अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट रोग के कारण – Causes Of Alternaria Leaf Spot In Hindi
क्रूसिफेरस सब्जियों में अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट रोग निम्न कारणों से फैलता है:
- मिट्टी के तापमान में बदलाव होने के कारण।
- उच्च आर्द्रता या लगातार ओस गिरने के कारण।
- मौसम में उतार चढ़ाव के कारण।
लीफ स्पॉट रोग की रोकथाम के उपाय – How To Prevent Alternaria Leaf Spot In Hindi
- संक्रमित हिस्सों पर जैविक कवकनाशी (fungicide) का छिड़काव करें।
- पौधों की मल्चिंग करें, जिससे यह संक्रमण फैल न पाए।
- पौधे की नियमित रूप से जाँच करें और संक्रमित हिस्से को काटकर अलग कर दें।
- एक ही स्थान या जगह पर बार-बार एक ही तरह के पौधे न उगाएं।
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ब्लैक रॉट रोग – Cruciferous Vegetables Disease Black Rot In Hindi
प्रभावित पौधे – पत्ता गोभी, फूलगोभी, केल और मूली
क्रूसिफेरस पौधों में ब्लैक रॉट एक बैक्टीरिया के कारण होने वाली सबसे गंभीर बीमारी है, जो ज़ैंथोमोनस कैंपेस्ट्रिस पीवी (Xanthomonas Campestris Pv.) नाम बैक्टीरिया के कारण होती है। यह बीमारी पौधों को उनकी ग्रोइंग अवस्था या विकास की स्थिति में प्रभावित करती है।
ब्लैक रॉट रोग के लक्षण – Symptoms of Black Rot In Hindi
- पौधे की पत्ती के किनारों पर पीले से हल्के भूरे रंग के धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं।
- संक्रमित पत्तियों की शिराएँ काली होकर पत्तियां बाद में भूरी पड़ जाती हैं।
- फिर पत्तियां सूख जाती हैं और उनके किनारों पर गहरे घाव बन जाते हैं।
पौधों में ब्लैक रॉट रोग लगने के कारण – Causes Of Black Rot Disease In Hindi
क्रूसिफेरस सब्जियों में ब्लैक रॉट रोग होने के निम्न कारण हो सकते हैं, जैसे:
- उच्च आर्द्र मौसम
- मिट्टी में उच्च नमी
- बार-बार बारिश होने पर
ब्लैक रॉट रोग के उपाय व रोकथाम – How To Prevent Black Rot Disease In Hindi
एक बार क्रूसिफेरस पौधों में ब्लैक रॉट रोग होने के बाद इसके इलाज के लिए कोई उपाय नहीं है। हालांकि, जब रोग की गंभीरता कम होती है, तब इस रोग से बचाव के उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- पौधे पर पर कॉपर युक्त कवकनाशी (fungicide) का छिड़काव करें।
- बैक्टीरिया मुक्त क्रूसिफेरस सब्जियों के बीजों का उपयोग करें।
- बैक्टीरिया से मुक्त मिट्टी में बीज लगाएं या बीज लगाने से पहले मिट्टी को स्टरलाइज कर लें।
- पौधे से संक्रमित हिस्से को हटाकर नष्ट कर दें।
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डाउनी मिल्ड्यू रोग – Crucifers Plant Disease Downy Mildew In Hindi
प्रभावित पौधे – मूली, पत्ता गोभी, फूलगोभी और सरसों
डाउनी मिल्ड्यू कवक (फंगस) पेरोनोस्पोरा पैरासिटिक (Peronospora Parasitica) के कारण होने वाला रोग है। यह रोग संक्रमित पौधों से या हवा के माध्यम से फैलते हैं।
डाउनी मिल्ड्यू रोग के लक्षण – Symptoms of Downy Mildew In Hindi
- क्रूसिफेरस पत्तियों की निचली सतह पर बैंगनी ब्राउन रंग के छोटे धब्बे और ऊपरी सतह पर छोटे, हल्के पीले रंग के धब्बे बन जाते हैं।
- कुछ समय बाद धब्बे आपस में जुड़ जाते हैं और पत्तियाँ समय से पहले ही मुरझा कर सूख जाती हैं।
- पौधे के तने पर गहरे ब्राउन रंग के घाव दिखते हैं, जो बाद में फंगस की वृद्धि करते हैं।
पौधों में डाउनी मिल्ड्यू रोग के कारण – Causes Of Downy Mildew Disease In Hindi
क्रूसिफेरस सब्जियों में डाउनी मिल्ड्यू रोग होने तथा फैलने के निम्न कारण होते हैं जैसे:
- मिट्टी में नमी की अधिकता।
- मिट्टी के पीएच स्तर में कमी, या मिट्टी अधिक एसिडिक होने के कारण।
- यह रोग मध्यम तापमान की स्थिति में तेजी से फैलता है।
डाउनी मिल्ड्यू रोग की रोकथाम के उपाय – How To Prevent Downy Mildew Disease In Hindi
गोभी परिवार के पौधों को डाउनी मिल्ड्यू रोग से बचाने के लिए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे:
- पौधे की पत्तियों पर जैविक कवकनाशी या नीम तेल के घोल का छिड़काव करें।
- मिट्टी के PH स्तर को बढायें, या मिट्टी में चूना मिलाएं।
- संक्रमण के शुरूआती लक्षणों की जांच करें।
- पौधे पर पानी डालते समय पत्तियों को गीला न करें।
- गार्डन में स्वच्छता का ध्यान रखें, विशेषकर रोगग्रस्त पत्तियों को गार्डन से हटा कर नष्ट कर दें।
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पाउडरी मिल्ड्यू रोग – Powdery Mildew Disease Of Cruciferous Vegetables In Hindi
प्रभावित पौधे – पत्ता गोभी, फूलगोभी और अन्य गोभी वर्गीय सब्जियां
पाउडरी मिल्ड्यू, क्रूसिफेरस सब्जियों के पौधे में होने वाला एक कवक रोग हैं, जिसे ख़स्ता फफूंदी भी कहा जाता है। यह रोग कई प्रकार के कवकों के कारण होता है। पाउडरी मिल्ड्यू रोग क्रूसिफेरस सब्जियों के साथ साथ गार्डन के अन्य पौधों को भी प्रभावित करता है।
पाउडरी मिल्ड्यू रोग के लक्षण – Symptoms of Powdery Mildew Disease In Hindi
- पौधे की पत्तियों और तनों की ऊपरी सतह पर, सफेद रंग के पाउडर रूपी धब्बे और पत्तियों पर बैंगनी से लाल रंग के धब्बे भी बन सकते हैं।
- ये धब्बे बाद में फूलों पर भी आ जाते हैं।
- पत्ती के किनारे ऊपर की ओर मुड़ जाते हैं।
- पौधे ठीक तहर से नहीं बढ़ पाते और संक्रमित पौधे सड़ने लगते हैं।
पौधों में पाउडरी मिल्ड्यू रोग होने के कारण – Causes Of Powdery Mildew Disease In Hindi
- मध्यम तापमान की स्थिति में
- उच्च आर्द्रता के साथ शुष्क मौसम में
पाउडरी मिल्ड्यू रोग के उपाय व रोकथाम – How To Prevent Powdery Mildew Disease In Hindi
क्रूसिफेरस सब्जियों के पौधे को पाउडरी मिल्ड्यू रोग से बचाने के लिए आप निम्न उपाय अपना सकते हैं:
- पत्तियों पर बेकिंग सोडा का स्प्रे करें।
- धूप वाले स्थान पर पौधे लगाएं।
- संक्रमित हिस्से की कटाई करते समय प्रत्येक कट के बाद, प्रूनिंग टूल को कीटाणुरहित करें।
- पौधे की गीली घांस से मल्चिंग करें या आप पौधे की टॉप ड्रेसिंग के लिए जैविक खाद की परत बिछाएं।
- पौधे को सुबह के समय पानी दें, ताकि मिट्टी सूखने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
- मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा को कम करें।
- संक्रमित हिस्से की कटाई के बाद उस मलवे को नष्ट कर दें।
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व्हाइट रस्ट रोग – Cruciferous Vegetables Disease White Rust In Hindi
प्रभावित पौधे – ब्रोकली, फूलगोभी, पत्ता गोभी और इंडियन सरसों
व्हाईट रस्ट, जिसे व्हाइट ब्लिस्टर भी कहा जाता है, यह पत्ता एवं फूल गोभी में होने वाली एक आम बीमारी है, जो ओमीसेटे एल्बुगो कैंडिडा (Omycete Albugo Candida) या अन्य कवकों के कारण होती है। इस रोग के प्रति संवेदनशील पौधों में आमतौर पर क्रूसिफेरस परिवार के पौधे शामिल होते हैं। इस बीमारी के कारण सब्जियों में रूट इंजरी (Root Injury) और गुणवत्ता में कमी आती है।
व्हाइट रस्ट रोग के लक्षण – Symptoms of White Rust In Hindi
- क्रूसिफेरस सब्जियों के पौधे की पत्तियों, तनों और फूलों की निचली सतहों पर सफेद, चमकदार उभरे हुए फफोले या छाले पड़ जाते हैं।
- पौधे की जड़ों में सूजन आती है।
- पौधे की पत्तियां अनियमित आकार की हो जाती हैं।
- कभी कभी इस रोग के कारण पौधे से सब्जियां प्राप्त नहीं हो पाती हैं।
पौधों में व्हाईट रस्ट रोग लगने के कारण – Causes Of White Rust Disease In Hindi
- आर्द्रता के कारण।
- मिट्टी में अधिक नमी के कारण।
- बार-बार बारिश होने से।
व्हाइट रस्ट रोग के उपाय व रोकथाम – How To Prevent White Rust Disease In Hindi
- व्हाईट रस्ट रोग, यदि एक बार पौधों में फ़ैल गया है, तो इसे कभी-कभी कम करना संभव नहीं होता।
- रोग से संक्रमित हिस्से को काट कर नष्ट कर दें।
- व्हाईट रस्ट से संक्रमित मिट्टी में, कम से कम 3 वर्ष तक क्रूसिफेरस सब्जियां न लगाएं।
- गार्डन में स्वच्छता बनाये रखें।
- पौधे की मिट्टी में पानी डालते समय पत्तियों को गीला न करें।
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इस आर्टिकल में आपने जाना कि गोभी वर्गीय सब्जियों में लगने वाले रोग कौन कौन से हैं, इन रोगों के लक्षण और नियंत्रण के उपाय क्या हैं। आशा करते हैं यह लेख आपको पसंद आया होगा, इस लेख से सम्बंधित जो भी सवाल या सुझाव हैं, उनको कमेंट में अवश्य बताएं।
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