होम गार्डन में या इनडोर प्लांटिंग के दौरान गमले में पौधे ग्रो करने के कई तरीके हैं, लेकिन कलम या स्टेम कटिंग से पौधे लगाना सबसे सरल तरीकों में से एक है। कटिंग से किसी भी पौधे को ग्रो करना बहुत ही आसान प्रक्रिया है, जिसमें सबसे पहले पौधे से कटिंग प्राप्त कर उसमें जड़ें ग्रो करने के बाद, कटिंग को गार्डन या गमले में ट्रांसप्लांट करना शामिल है। लेकिन गलत तरीके से कटिंग लगाना, आपके पौधे के विकसित होने की प्रक्रिया को बहुत धीमा या लगभग नामुमकिन बना सकता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको घर पर गमले में कटिंग लगाने के सही तरीके के बारे में विस्तार से बताएंगे। गमले में कटिंग कैसे लगाएं, कटिंग या कलम लगाने की विधि, स्टेम कटिंग से लगाये जाने वाले पौधे तथा किसी भी कटिंग लगाने का सही तरीका आदि जानने के लिए आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
पौधे की कटिंग के प्रकार – Types Of Plant Cuttings In Hindi
कटिंग से पौधा लगाने के लिए आपको सबसे पहले एक स्वस्थ पौधा चुनना होगा, जिसे आप कटिंग से अपने गार्डन में ग्रो करना चाहते हैं। उसके बाद आपको उस चुने हुए पौधे से स्टेम कटिंग लेनी है। पौधे की शाखाओं व तनों के आधार पर कटिंग मुख्यतः चार प्रकार की होती हैं :
- सॉफ्टवुड कटिंग (softwood cutting)
- ग्रीनवुड कटिंग (Greenwood Cutting)
- सेमी हार्डवुड कटिंग (Semi Hardwood Cutting)
- हार्डवुड कटिंग (hardwood cutting)
सॉफ्टवुड कटिंग – Softwood Cutting In Hindi
जब नये उगे हुए पौधों के नरम और लचीले तने स्टेम कटिंग के लिए काटे जाते हैं, तब इसे सॉफ्टवुड कटिंग कहा जाता है। सॉफ्टवुड कटिंग आमतौर पर वसंत या गर्मियों की शुरुआत में ली जाती है। इन कटिंग को रूटिंग हार्मोन्स के बिना ग्रो किया जा सकता है, लेकिन रूटिंग हार्मोन सॉफ्टवुड कटिंग में जड़ों को तेजी से बढ़ने में मदद करता है।
सॉफ्टवुड कटिंग से उगाए जाने वाले पौधे: एस्टर, बटरफ्लाई बुश, हाइड्रेंजिया, साल्विया, पेटुनिया और वर्बेना
ग्रीनवुड कटिंग – Greenwood Cutting In Hindi
हर्बेसियस या ग्रीनवुड कटिंग ऐसे पौधों से ली गई कटिंग होती है, जो पूरे साल नरम रहते हैं। कोलियस प्लांट, बेल के पौधे और एवरग्रीन प्लांट्स से ली गई कटिंग ग्रीनवुड कटिंग के अंतर्गत आती हैं। साल के किसी भी समय ग्रीनवुड कटिंग ली जा सकती है। ग्रीनवुड कटिंग में जड़ें जल्दी बढ़ती हैं जिन्हें किसी रूटिंग हार्मोन के बिना ही आसानी से ग्रो किया जा सकता है।
सेमी हार्डवुड कटिंग – Semi Hardwood Cutting In Hindi
वसंत में उगे हुए नये पौधे के तने गर्मियों के समय जब आसानी से नहीं मुड़ते या थोड़े शख्त हो जाते हैं, तब पौधे से ली गयी कटिंग सेमी-हार्डवुड कटिंग कहलाती है। इस प्रकार की कटिंग में सॉफ्टवुड कटिंग की तुलना में जड़े आसानी से विकसित नहीं होती हैं। अजेलिया (azalea), हॉली (Holly) और मैगनोलिया (Magnolia) प्लांट्स की सेमी हार्डवुड कटिंग को आसानी से ग्रो किया जा सकता है। सेमी हार्डवुड कटिंग में तेजी से जड़ें विकसित करने के लिए रूटिंग हार्मोन का उपयोग किया जाता है।
सेमी हार्डवुड कटिंग से उगाए जाने वाले पौधे: अज़ेलिया (Azalea), कैमेलिया (Camelia), डैफने (Daphne), जैस्मीन (Jasmin), मैगनोलिया (Magnolia), रोडोडेंड्रोन (Rhododendron) आदि।
हार्डवुड कटिंग – Hardwood Cutting In Hindi
हार्डवुड कटिंग्स को मध्य से अंतिम ठण्ड के समय लिया जाता है, जब तना पूरी तरह सख्त हो जाता है, तथा पौधा फलने-फूलने के बाद कठोर और निष्क्रिय हो जाता है। हार्डवुड कटिंग में जड़ विकसित करना कठिन होता है। रूटिंग हार्मोन का उपयोग करके हार्डवुड कटिंग में जड़ ग्रोथ की सम्भावना को बढ़ाया जा सकता है।
हार्डवुड कटिंग से उगाए जाने वाले पौधे: अंजीर (Fig), अंगूर (Grapes) आदि।
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पौधों की कटिंग कैसे करें – How To Take Cuttings From Plants In Hindi
चुने हुए पौधे से एक स्वस्थ व बेहतर कटिंग लेने के लिए निम्न स्टेप्स फॉलो करें :
- सबसे पहले एक तेज धारदार व साफ-सुथरा प्रूनर लें, ताकि कटिंग लेते समय, पौधे या कटिंग में किसी भी प्रकार के संक्रमण का खतरा न हो।
- अब पौधे के सीधे तने को लगभग 6 इंच लम्बा काटें।
- ग्रीनवुड या सॉफ्टवुड कटिंग लेते समय ध्यान रखें, उसमें ऊपर की ओर 3-4 पत्तियां होनी चाहिए। कटिंग के निचले हिस्से से अतिरिक्त पत्तियां काटकर अलग कर दें।
- लीफनोड वाले पौधों की कटिंग लेते समय ध्यान रहे कि, कटिंग में कम से कम 3 लीफ नोड होना चाहिए।
- सेमी हार्डवुड या हार्डवुड कटिंग लेते समय उसे पौधे से तिरछा (45° कोण पर) काटें।
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कटिंग ग्रो करने का बेस्ट तरीका – Best Way To Grow Cuttings In Hindi
पौधे से एक हेल्दी स्टेम कटिंग लेने के बाद कटिंग को उसकी किस्म के अनुसार रूटिंग मीडियम में लगा दें, या जड़ों की तेजी से ग्रोथ के लिए कटिंग को पहले आवश्यकता अनुसार रूटिंग हार्मोन में डुबोएं, उसके बाद उसे पानी या मिट्टी में लगाएं। पौधे की कलम लगाने के लिए निम्न स्टेप्स फॉलो करें:
- स्टेम कटिंग को रूटिंग हार्मोन में डुबायें
- कटिंग को पानी में ग्रो करें या
- कटिंग को मिट्टी में ग्रो करें
स्टेम कटिंग को रूटिंग हार्मोन में डिप करें – Dip Stem Cuttings In Rooting Hormone In Hindi
अनेक हर्बेसियस या सॉफ्टवुड पौधे की कटिंग्स को जड़ वृद्धि के लिए रूटिंग हार्मोन की आवश्यकता नहीं होती, वे आसानी से ही पानी में या रूटिंग मीडियम में जड़ें ग्रो कर सकते हैं। इसके विपरीत कुछ साइट्रस पौधे की कटिंग, रूटिंग हार्मोन के उपयोग के बिना जड़ ग्रो करने में असमर्थ होती हैं या बेहतर तरीके से जड़ें विकसित नहीं कर पाती। इसीलिए कटिंग की किस्म के अनुसार उन्हें रूटिंग हार्मोन में डुबोना चाहिए। सेमी हार्डवुड कटिंग को रूटिंग मीडियम में लगाने से 2-3 घंटे पहले रूटिंग हार्मोन में डुबोया जाता है, तथा हार्डवुड कटिंग को बेहतर जड़ ग्रोथ के लिए लगभग 12-24 घंटे तक रूटिंग हार्मोन में डुबाकर रखा जाता है। इसके विपरीत सॉफ्टवुड कटिंग्स को आप रूटिंग हार्मोन में डिप करने के तुरंत बाद उसे मिट्टी में लगा सकते हैं।
कटिंग को पानी में ग्रो करें – How To Grow Cuttings In Water In Hindi
कुछ एवरग्रीन प्लांट्स या ग्रीनवुड कटिंग्स को पानी में आसानी से ग्रो किया जा सकता है। हर्ब प्लांट्स के साथ-साथ कुछ सब्जियों जैसे- पाक चोई और अजवाइन और कुछ सामान्य हाउसप्लांट्स जैसे पोथोस, मनी प्लांट, इंग्लिश आइवी, फिलोडेंड्रोन, बेगोनिया आदि की कटिंग्स को पानी में लगाया जा सकता है। कटिंग को पानी में ग्रो करने के लिए निम्न टिप्स फॉलो करें:
- कटिंग के बेस या रूट सेक्शन को एक पानी से भरे बर्तन या जार में रखें या डुबाएं।
- पानी में लगे हुए कटिंग को आंशिक धूप वाले स्थान पर रखें।
- कटिंग लगे हुए बर्तन या जार का पानी नियमित रूप से हर 3-5 दिन में बदलते रहें।
- लगभग 1 सप्ताह बाद कटिंग में जड़ें आना शुरू हो जाएंगी।
- जब कटिंग में जड़ें लगभग 3-5 इंच लम्बी बढ़ जाएं, तो कटिंग को किसी ग्रोइंग मीडिया से भरे गमले या ग्रो बैग में ट्रांसफर कर दें।
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कटिंग को मिट्टी में ग्रो करें – How To Grow Cuttings In Soil In Hindi
अगर आप कटिंग को मिट्टी में ग्रो करना चाहते हैं, तो ध्यान रखें कटिंग लगाने के लिए अच्छी जलनिकासी वाली मिट्टी का उपयोग करें। मिट्टी में कटिंग लगाने के लिए निम्न विधि अपनाएं:
- सबसे पहले छोटे गमले में अच्छी जलनिकासी वाली मिट्टी भरें।
- मिट्टी में पेंसिल या अन्य टूल्स की मदद से कटिंग के आकार से थोड़ा बड़ा छेद करें।
- अब स्टेम कटिंग के आधे भाग (2-3 इंच) को छेद में लगा दें और मिट्टी को अच्छी तरह दबा दें।
- कटिंग लगाते समय ध्यान रखें, कटिंग में लगी हुयी पत्तियां मिट्टी को स्पर्श न करे।
- मिट्टी को स्प्रे पम्प की मदद से फब्बारे के रूप में पानी दें, ताकि मिट्टी नम हो जाए।
- कटिंग लगाए हुए गमले को आंशिक धूप वाले स्थान पर रखें।
- कटिंग में जड़ आने तक मिट्टी में समान रूप से नमी बनाए रखना सुनिश्चित करें।
- पौधे की किस्म और कटिंग के अनुसार लगभग 15-45 दिन के अन्दर कटिंग में नई ग्रोथ दिखना शुरू हो जाएगी।
- अच्छी तरह जड़ें विकसित हो जाने के बाद आप कटिंग को बड़े गमले या ग्रो बैग में ट्रांसप्लांट कर सकते हैं।
नोट- कटिंग में जड़ें निकलने का समय, कटिंग के प्रकार और पर्यावरणीय परिस्थितियों के साथ बदलता रहता है।
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कटिंग को ट्रांसप्लांट करें – Transplant The Cutting In Hindi
पानी या मिट्टी में कटिंग लगाने के बाद, जब कटिंग में जड़ें विकसित होने लगे और आपको उसमें नई वृद्धि दिखाई देने लगे, तब आप कटिंग को पॉटिंग मिक्स से भरे बड़े गमले या ग्रो बैग में ट्रांसप्लांट कर सकते हैं। कटिंग ट्रांसप्लांट करने के बाद किस्म के अनुसार पौधे को बढ़ने के लिए आवश्यक वातावरण प्रदान करें, और उसकी प्रॉपर तरीके से देखभाल करें।
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स्टेम कटिंग से उगने वाले पौधे – Plants Grown From Cuttings In Hindi
आप निम्न पौधों को कटिंग या कलम से ग्रो कर सकते हैं:
- गुलाब (Rose)
- पुदीना (Mint)
- हिबिस्कस या गुड़हल (Hibiscus)
- गार्डेनिया (Gardenia)
- जेड प्लांट (Jade plant)
- बटरफ्लाई बुश (Butterfly Bush)
- हाइड्रेंजिया (Hydrangea)
- एंजेल ट्रम्पेट (Angel’s Trumpet)
- मम्स (Mums)
- सोंग ऑफ़ इंडिया (Song of India)
- कनेर या ओलियंडर (Oleander)
- इंग्लिश आइवी (English Ivy)
- एरोहेड प्लांट (Arrowhead Plant)
- फिलॉडेंड्रॉन (Philodendron)
- डहेलिया (Dahlia)
- स्पाइडरवर्ट प्लांट (Spiderwort)
- अम्ब्रेला प्लांट (Umbrella Tree)
- स्नेक प्लांट (Snake Plant)
- मनी प्लांट (Money Plant)
- क्रोटन प्लांट (Croton)
- होया प्लांट (Hoya)
- ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit)
- अजेलिया (azalea)
- फिलाडेल्फस (philadelphus)
उपरोक्त आर्टिकल में आपने जाना कि पौधे की कटिंग को कैसे लगाना चाहिए, प्लांट कटिंग के प्रकार, कटिंग लगाने की विधि तथा कटिंग से उगाए जाने वाले पौधों के नाम इत्यादि के बारे में भी जाना।