एयर लेयरिंग क्या है और यह कैसे करते हैं – What Is Air Layering And How To Do It In Hindi

होम गार्डन या टेरिस गार्डन में एयर लेयरिंग (Air Layering) पौधों को विकसित करने की एक तकनीक है, जिसमें एक ही पेड़ या पौधे से कई सारे पौधे विकसित किये जा सकते हैं। अगर आप भी एयर लेयरिंग मेथड से पौधे तैयार करना चाहते हैं, लेकिन आपको इसके बारे में सही जानकारी नहीं है, तो यह लेख आपके लिए हेल्पफुल साबित हो सकता है। एयर लेयरिंग क्या है तथा यह कैसे करते हैं, एयर लेयरिंग करने की विधि क्या है और इसे करने का सही समय क्या होता है, जानने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। (what is Air Layering In Hindi)

एयर लेयरिंग क्या है – What Is Air Layering In Hindi

एयर लेयरिंग क्या है - What Is Air Layering In Hindi

घर पर गमले या गार्डन की मिट्टी में लगे पौधों की एयर लेयरिंग करने के लिए पौधे की टहनी या शाखा की छाल को चाकू की मदद से छील लिया जाता है। अब पौधे के छिले भाग पर एलोवेरा या हाइड्रोजन पेरोक्साइड का लेप करते हैं और फिर ऊपर से नम स्फैग्नम मॉस (sphagnum moss) घास या कोकोपीट को लगाकर पॉलीथिन बांध देते हैं। कुछ ही दिनों बाद टहनी से जड़ें निकलने लगती हैं और इस टहनी को जड़ के साथ अलग करके नए पौधे के रूप में लगा दिया जाता है। इस प्रकार एयर लेयरिंग की मदद से एक पौधे से कई पौधे तैयार किये जा सकते हैं।

नोट – जिस पेड़ या पौधे से छोटे पौधे एयर लेयरिंग की सहायता से विकसित किए जाते हैं, उस पेड़ या पौधे को मदर ट्री (mother tree) कहते हैं।

(यह भी जानें: ग्राफ्टिंग क्या है, और यह कैसे की जाती है….)

एयर लेयरिंग द्वारा उगाए जाने वाले पौधे – Plants Grown By Air Layering In Hindi

एयर लेयरिंग द्वारा उगाए जाने वाले पौधे - Plants Grown By Air Layering In Hindi

 

आप अपने गार्डन में एयर लेयरिंग विधि से बहुत सारे पौधे कम समय में तैयार कर सकते हैं। आइये जानते हैं, एयर लेयरिंग से तैयार किये जाने वाले पौधों के नाम के बारे में।

इस विधि से कई तरह के पौधे उगाये जाते हैं, जिसमें झाडियां, लता वाले पौधे और फल वाले पेड़ आदि शामिल हैं। आप फूलों के पौधों जैसे बोगनविलिया (Bougainvillea), हिबिस्कस (Hibiscus), टैबर्नेमॉन्टाना (Tabernaemontana), मैगनोलिया (Magnolia) आदि तथा पेड़ वाले पौधे जैसे साइट्रस प्लांट, आम, अमरूद आदि को लेयरिंग मेथड से अपने होम गार्डन में लगा सकते हैं।

(यह भी जानें: कम समय में उगने और फल देने वाले 10 शानदार पेड़….)

एयर लेयरिंग के फायदे – Benefits Of Air Layering In Hindi

पौधे तैयार करने के लिए एयर लेयरिंग विधि के निम्न लाभ देखने को मिलते हैं, जैसे:

  • पौधे निर्माण की अन्य विधियों की तुलना में एयर लेयरिंग में बहुत कम काम और मेहनत शामिल है।
  • इस विधि से क्लोन (Clones) और मूल पौधे (parent plants) दोनों में ही नई वृद्धि को प्रोत्साहन मिलता है।
  • पूर्ण आकार के पेड़ कई वर्षो के बजाय कुछ ही महीनों के भीतर तैयार किये जा सकते हैं।
  • इस विधि से पौधे तैयार करने पर मूल पेड़ या मदर ट्री को कोई नुकसान नहीं होता है।
  • आप इस विधि से मदर ट्री या मूल पौधों की समान प्रतियां बनाने में सक्षम हैं।
  • अन्य विधियों की तुलना में एयर लेयरिंग तेज और मजबूत जड़ विकास को प्रोत्साहन देती है।

गार्डनिंग के लिए आवश्यक सामग्री यहाँ से खरीदें:

गमला या ग्रो बैग
पॉटिंग मिट्टी
कोको पीट
कोको कॉइन
वर्मीकम्पोस्ट
रॉक फास्फेट
नीम तेल
स्प्रे पंप

एयर लेयरिंग कैसे करते हैं – How To Do Air Layering In Plants In Hindi

चलिए जानते हैं, एयर लेयरिंग कैसे करें और एयर लेयरिंग करने की विधि क्या है:

  • एयर लेयरिंग करने के लिए पौधे (मदर ट्री) से ऐसी स्वस्थ शाखा को चुनें, जो न तो बहुत छोटी हो और न ही बहुत पुरानी हो।
  • अब पौधे की शाखा के जिस भाग में लेयरिंग करना है, वहां से पुरानी, परिपक्व पत्तियों को हटा दें।
  • गार्डन में लगे पेड़ की टहनी या शाखा की छाल को चाक़ू की मदद से (लगभग 3-5 सेमी.) गोलाकार रूप से हटा दें और पौधे के आंतरिक ऊतक को बाहर निकाल दें।
  • अब छिले हुए हिस्से में ब्रश की मदद से रूटिंग हार्मोन लगाएं, जिससे कि जड़ें तेजी से विकसित हों। रूटिंग हार्मोन के स्थान पर आप एलोवेरा जेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • इसके बाद शाखा के छिले भाग को स्फैग्नम मॉस, काई या कोको पीट से ढक दें, क्योंकि ये कट लगाये गई शाखा पर नमी बनाये रखते हैं। इसके अलावा बरसात के मौसम में कई लोग कट के चारों ओर मिट्टी का इस्तेमाल भी करते हैं।
  • इसके बाद स्फैग्नम मास या कोको पीट को पारदर्शी पॉलीथीन से ढक दें और पॉलीथीन को दोनों तरफ धागे से बांध दें। पारदर्शी पॉलीथीन का इस्तेमाल करने से शाखा की ग्रोथ को आप आसानी से देख पाएंगे।
  • आपको स्फैग्नम मास के दोनों तरफ पॉलीथीन को ऐसे बांधना है, जो एक रैपर में ढकी हुई टॉफ़ी की तरह दिखे। बता दें कि, इस तरह की दिखने वाली संरचना को गूटी कहा जाता है।
  • अब गूटी में वायु प्रवाह (Aeration) के लिए एक ब्लेड से चीरा लगा दें।
  • आपके पौधे की प्रजाति के अनुसार 2-3 सप्ताह या कुछ महीनों में गूटी से जड़ें निकलती हुई दिखाई देने लगेंगी।
  • अब जड़ निकली शाखा को काटकर जड़ सहित गार्डन की मिट्टी में लगाएं।

(यह भी जानें: गार्डनिंग के लिए कोकोपीट के लाभ और सम्पूर्ण जानकारी…)

एयर लेयरिंग कब करें – When To Air Layering In Hindi

घर पर गार्डन में पौधों की एयर लेयरिंग करने का सही समय बारिश या मानसून का मौसम होता है। बता दें कि, ज्यादातर सभी प्रकार की लेयरिंग जुलाई के महीने में की जाती है और 1 से 2 महीने बाद जब शाखा में जड़ें निकल आती हैं, तो इसे अगस्त-सितंबर के महीने में काटकर गार्डन या गमले की मिट्टी में लगा दिया जाता है।

FAQ

प्रश्न 1. प्लांट एयर लेयरिंग क्या है?

उत्तर: एयर लेयरिंग नए पेड़ों और झाड़ियों को मूल पौधे से जुड़े तनों से उगाने या ग्रो करने की एक विधि है। जड़ों के बनने की क्रिया को प्रोत्साहित करने के लिए तने को नम काई से लपेटा जाता है।

प्रश्न 2. एयर लेयरिंग के लिए नोड्स के बीच की दूरी क्या है?

उत्तर: पहला रिंग कट एक पुराने लीफ नोड के ठीक नीचे होता है। लीफ नोड के नीचे दो रिंग कट बनाएं। दो छल्लों के बीच की दूरी शाखा के व्यास का कम से कम 1 से 2 गुना होनी चाहिए। रिंग कट बनाने के बाद चाक़ू की मदद से छाल को अलग कर दें।

प्रश्न 3. कौन से फलों के पेड़ की एयर लेयरिंग हो सकती हैं? – What Fruit Trees Can Be Air Layered?

उत्तर: लगभग सभी फलदार पेड़ की एयर लेयरिंग की जा सकती है, कुछ प्रमुख फल वाले पेड़ निम्न है, जिनकी एयर लेयरिंग की जा सकती है।

  • बादाम (Almond)
  • सेब (Apple)
  • खुबानी (Apricot)
  • एवोकाडो (Avocado)
  • चेरी (Cherry)
  • साइट्रस फ्रूट Citrus)
  • अंजीर (Fig)
  • कीवी (Kiwi)
  • लोकाट (Loquat)
  • आम (Mango)
  • आडू (Peach)
  • नाशपाती (Pear)
  • तेंदू (Persimmon)
  • आलूबुखारा (Plum)
  • अनार (Pomegranate)

उम्मीद है कि, यह लेख आपको अच्छा लगा होगा। गार्डनिंग से रिलेटेड और भी उपयोगी लेख पढ़ने के लिए Organicbazar.net पेज पर जाएं। इस आर्टिकल से संबंधित आपके जो भी सवाल या सुझाव हों, हमें कमेंट में जरूर बताएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *