पौधों को ट्रांसप्लांटिंग शॉक से कैसे बचाएं – How To Protect Plants From Transplanting Shock In Hindi 

आमतौर पर गार्डन में पौधे उगाने की प्रमुख दो विधियाँ हैं- डायरेक्ट और ट्रांसप्लांटिंग मेथड। डायरेक्ट मेथड में बीज को सीधे गमले या ग्रो बैग में लगा दिया जाता है, लेकिन प्रत्यारोपण विधि में सीडलिंग तैयार करने के बाद उन्हें ग्रो बैग में लगाया जाता है। हालांकि सीडलिंग को ट्रांसप्लांट करना आसान है, ट्रांसप्लांटिंग के समय जब हम पौधों को ट्रे से निकालकर दूसरे गमले में लगाते हैं, तब उन्हें एक शॉक लगता है, जिसके प्रभाव से पौधे मुरझा जाते हैं और अंततः मर भी सकते हैं। हालाँकि कुछ उपायों को अपनाकर प्रत्यारोपण झटके को कम किया जा सकता हैं, जिनके बारे में हम इस लेख में चर्चा करेंगे। पौधों में ट्रांसप्लांटिंग शॉक क्या होता है, प्रत्यारोपण झटके के कारण तथा पौधों को ट्रांसप्लांटिंग शॉक से कैसे बचाएं, बचाने के उपाय या इस शॉक को कम करने के तरीके जानने के लिए आर्टिकल पूरा पढ़ें।

ट्रांसप्लांटिंग शॉक क्या होता है – What Is Transplanting Shock In Hindi 

ट्रांसप्लांटिंग शॉक क्या होता है - What Is Transplanting Shock In Hindi 

आमतौर पर पौधे को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ट्रांसफर करने की प्रक्रिया ट्रांसप्लांटेशन कहलाती है। जब हम किसी पौधे को उसके स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते हैं, तो यह उसके लिए एक झटके जैसा होता है, क्योंकि वह पौधे के लिए नया स्थान, नई मिट्टी और नया गमला होता है और अचानक से हुए इस परिवर्तन को पौधा सहन नहीं कर पाता है, जिससे वह ट्रांसप्लांटिंग शॉक का शिकार हो जाता है।

ट्रांसप्लांटिंग से पौधे जड़ें परेशान होती हैं और वे पानी और पोषक तत्वों तुरंत अवशोषित नहीं कर पाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप पौधा कीटों और बीमारियों के प्रति संवेदनशील हो जाता है। हालाँकि ट्रांसप्लांटेशन से पहले कुछ उपायों को अपनाकर इस शॉक को कम किया जा सकता है। आगे हम जानेंगे उन उपायों के बारे में।

(यह भी जानें: ट्रांसप्लांट मेथड से पौधे उगाने के लिए ग्रोइंग चार्ट….)

ट्रांसप्लांट शॉक के कारण – Causes Of Transplant Shock In Hindi 

ट्रांसप्लांट शॉक के कारण - Causes Of Transplant Shock In Hindi 

पौधों में प्रत्यारोपण शॉक के प्रमुख कारण निम्न हैं:-

  • पौधे की जड़े ख़राब होना या उसका कमजोर होना।
  • पौधे को जरूरत से ज्यादा गहराई पर लगा देना।
  • जड़ों का अधिक समय तक हवा के संपर्क में होना या फिर सूख जाना।
  • पुराने गमले या सीडलिंग ट्रे से निकालते वक्त जड़ों को किसी तरह नुकसान पहुंचना या चोट लगना।
  • ट्रांसप्लांटिंग के बाद उन्हें अच्छी मिट्टी में न लगाया जाना।
  • पौधे को उसकी अनुकूल ग्रोइंग कंडीशन जैसे हवा, पानी, धूप, तापमान आदि पर्याप्त न मिलना।

ट्रांसप्लांटिंग शॉक के लक्षण – Symptoms Of Transplanting Shock In Plants In Hindi 

ट्रांसप्लांटिंग शॉक के लक्षण - Symptoms Of Transplanting Shock In Plants In Hindi 

पौधे को ट्रांसप्लांट करने के बाद वह प्रत्यारोपण शॉक का शिकार हुआ है या नहीं, इस बात को जानने के लिए आप निम्न परिवर्तनों की जांच कर सकते हैं:-

  • पौधे की पत्तियां झुलसने लगती हैं।
  • पत्तियों के किनारे पर ब्राउन या पीले पड़ जाते हैं।
  • कभी-कभी प्रत्यारोपण के झटके से प्रभावित पौधे की पत्तियां मुड़ जाती हैं और मुरझाई हुई पत्तियाँ गिरने लगती हैं।
  • परिणामस्वरूप पौधे की वृद्धि रुक जाती है और वह सूख भी सकता है।

(यह भी जानें: पौधों को ट्रांसप्लांट करने के टिप्स….)

पौधों को ट्रांसप्लांटिंग शॉक से बचाने के तरीके – Ways To Protect Plants From Transplanting Shock In Hindi

पौधों को ट्रांसप्लांटिंग शॉक से बचाने के तरीके - Ways To Protect Plants From Transplanting Shock In Hindi

अधिकांश लोग ट्रांसप्लांट शॉक को नॉर्मल ही लेते हैं, लेकिन यह आपके पौधे के खराब होने का कारण भी बन सकता हैं इसलिए ट्रांसप्लांट करने से पहले सीडलिंग को हार्ड करना चाहिए। ट्रांसप्लांट करने से एक से दो सप्ताह पहले सीडलिंग ट्रे को प्रतिदिन 2 से 4 घंटे की धूप दिखाएँ, इससे पौधे बाहरी वातावरण के अनुकूल हो जाएंगे और ट्रांसप्लांट करने पर अधिक प्रभावित नहीं होंगे। पौधों को ट्रांसप्लांटिंग शॉक से बचाने के अन्य तरीके निम्न हैं:-

  • सुनिश्चित करें, कि पौधों को कंटेनर या सीडलिंग ट्रे से बाहर निकालते समय जड़ों को ज्यादा परेशान न करें, क्योंकि इससे रूट बॉल के डिस्टर्ब होने की संभावना ज्यादा होती है।
  • ट्रांसप्लांट करने के बाद पौधों को पर्याप्त पानी दें, रोपाई के तुरंत बाद पानी देने से पौधा नए वातावरण में ढल जाता है।
  • सीडलिंग को ट्रे से निकालने से पहले पौधे को पानी दें, यह रूट बॉल को नम रखता है, जिससे जड़ों के खराब होने की संभावना कम होगी।
  • ट्रांसप्लांट करते समय पौधे की अधिक से अधिक जड़ें निकालने का प्रयास करें, क्योंकि पौधे की स्वस्थ वृद्धि के लिए रूट बॉल में छोटी जड़ें बहुत आवश्यक होती हैं।
  • यदि ट्रांसप्लांट किए जा रहे पौधों की कोई मृत छाल, पत्तियाँ पीली या सूखी हों तो उन्हें हटा दें।
  • बादल वाले दिन या देर शाम से समय ट्रांसप्लांट करने से पौधे को ट्रांसप्लांटिंग शॉक से बचाया जा सकता है।
  • ट्रांसप्लांट किए जा रहे पौधे की ग्रोइंग कंडीशन के अनुकूल मिट्टी के प्रकार और जल निकासी पर विचार करें।
  • नए लगाए गए पौधों का नियमित रूप से निरीक्षण करें, कि उनमें कोई कीट और बीमारी का संक्रमण तो नहीं है, क्योंकि वे उनके लिए अतिसंवेदनशील होते हैं।

(यह भी जानें: सीडलिंग ट्रांसप्लांट करने के लिए उपयोगी टूल्स….)

ट्रांसप्लांट शॉक को कम करने के तरीके – Ways To Reduce Transplant Shock Of Plant In Hindi 

ट्रांसप्लांट शॉक को कम करने के तरीके - Ways To Reduce Transplant Shock Of Plant In Hindi 

आमतौर पर इन सभी बातों का ध्यान रखने के बाबजूद भी पौधे को प्रत्यारोपण शॉक या झटका लग सकता है, लेकिन आप निम्न तरीके अपनाकर ट्रांसप्लांटिंग शॉक को कम कर सकते हैं:-

  • प्रत्यारोपित पौधों को ट्रिम करने से उन्हें अधिक ऊर्जा बचाने में मदद मिलती है। ट्रिमिंग से पौधे को दोबारा विकास करने लगते हैं और जल्दी रिकवर हो जाते हैं।
  • रूटबॉल को सूखने से बचाने के लिए गमले की मिट्टी को हमेशा नम रखें। इससे वह नई जगह पर जल्दी स्थापित होने लगेंगी।
  • ट्रांसफर करने के बाद पौधे को कुछ दिनों के लिए सीधी धूप में न रखे। जब पौधा अपनी जड़ें स्थापित कर ले और वृद्धि करने लगे, तब आप गमले को धूप में रख सकते हैं।

(यह भी जानें: सीडलिंग में खाद कब और कैसे दें….)

अक्सर पूंछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर – Related FAQ And Their Answer In Hindi 

अक्सर पूंछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर - Related FAQ And Their Answer In Hindi 

प्रश्न:- सीडलिंग को ट्रांसप्लांट कब करना चाहिए?

उत्तर:- जब छोटे पौधे 4 से 6 इंच लम्बाई के हो जाते हैं और उनमें बीज पत्र के बाद पत्तियों का नया सेट (True Leaves) तैयार हो जाता है, तब आप उन्हें ग्रो बैग या गार्डन की मिट्टी में ट्रांसफर कर सकते हैं।

(यह भी जानें: सीड ट्रे से सीडलिंग को ट्रांसप्लांट कब करें, जानें सही समय…)

प्रश्न:- क्या पौधे प्रत्यारोपण के झटके से उबर सकते हैं?

उत्तर:- हाँ, उचित देखभाल करने पर पौधे प्रत्यारोपण शॉक से उबर सकते हैं।

प्रश्न:- किसी पौधे को प्रत्यारोपण के सदमे से उबरने में कितना समय लगता है?

उत्तर:- पौधे को ट्रांसप्लांटिंग शॉक से उबरने में लगभग 2 से 3 सप्ताह का समय लग सकता है।

इस लेख में आपने जाना पौधों में ट्रांसप्लांटिंग शॉक क्या होता है, प्रत्यारोपण झटके के कारण तथा पौधों को ट्रांसप्लांटिंग शॉक से कैसे बचाएं, बचाने के उपाय या इस शॉक को कम करने के तरीके के बारे में। अगर आपको हमारा लेख पसंद आया हो, तो इसे अन्य लोगों के साथ शेयर करें तथा लेख के संबंध में आपके जो भी सुझाव हैं, हमें कमेंट में बताएं।

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