होम गार्डन में पेड़ पौधे लगाने के लिए मुख्यतः डायरेक्ट मेथड तथा ट्रांसप्लांट मेथड का उपयोग किया जाता है, लेकिन अधिकांश लोगों को इनके बीच का अंतर पता नहीं होता और वे अपनी पसंदीदा विधि से ही किसी भी पौधे को लगाने का प्रयास करते हैं। बीजों को गलत तरीके से लगाए जाने पर कई बार बीज अंकुरण सही से नहीं हो पाता या स्वस्थ सीडलिंग प्राप्त नहीं होती, फलस्वरूप आपके द्वारा उगाये गए पौधे मर जाते हैं। आज इस आर्टिकल में हम आपको बीज लगाने की डायरेक्ट मेथड और सीडलिंग ट्रांसप्लांट मेथड क्या है के बारे में विस्तार से बताएंगे, प्रत्यक्ष विधि तथा प्रत्यारोपण विधि में अंतर एवं इनके फायदे व नुकसान जानने के लिए आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
बीज लगाने की प्रत्यक्ष विधि क्या है – What Is The Direct Method Of Planting Seeds In Hindi
होम गार्डन या किचिन गार्डन में बीज से पौधे उगाने के लिए बीजों को सीधे गमले या गार्डन की मिट्टी में लगाने को बीज लगाने की प्रत्यक्ष विधि कहते हैं। इसे सीधी बुआई या डायरेक्ट मेथड भी कहा जाता है। अधिकतर बड़े बीजों को तथा नाजुक जड़ों व तने वाले पौधों को डायरेक्ट मेथड से लगाया जाता है। प्रत्यक्ष विधि से बीज लगाने के लिए आउटडोर गार्डन की मिट्टी में या कंटेनरों में बीजों को निश्चित दूरी पर लगाया जाता है, ताकि पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके। कंटेनर गार्डनिंग के दौरान प्रत्यक्ष विधि से बीज लगाना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि विपरीत परिस्थितियों में आप गमलों को किसी सुरक्षित स्थान पर रख सकते हैं।
(यह भी जानें: डायरेक्ट मेथड से पौधे उगाने के लिए ग्रोइंग चार्ट…)
सीडलिंग ट्रांसप्लांट मेथड क्या है – Transplant Method Of Planting Seeds In Hindi
सीड्स लगाने की वह विधि, जिसमें पौधे उगाने के लिए बीजों को आउटडोर गार्डन या गमले में लगाने से पहले इनडोर सीडलिंग ट्रे या छोटे गमलों में पौध (सीडलिंग) तैयार किये जाते हैं तथा जब पौधे (सीडलिंग) थोड़े बड़े हो जाते हैं, तब सीडलिंग को बाहर गार्डन में या बड़े गमलों में प्रत्यारोपित किया जाता है, ट्रांसप्लांट मेथड कहलाती है। ट्रांसप्लांट मेथड को बीज लगाने की अप्रत्यक्ष विधि, प्रत्यारोपण विधि तथा सीडलिंग मेथड भी कहा जाता है। सीडलिंग मेथड से पौधे लगाने के लिए आप स्वयं ही घर के अन्दर बीज लगाकर सीडलिंग ट्रांसप्लांट कर सकते हैं या फिर अपने पास की नर्सरी से पौधा खरीदकर भी पौधे लगा सकते हैं।
नोट – बीज अंकुरण के बाद जब सीडलिंग लगभग 3-4 इंच बड़ी हो जाए तब आप इसे आउटडोर गार्डन या बड़े गमलों में ट्रांसप्लांट करें।
(यह भी जानें: ट्रांसप्लांट मेथड से पौधे उगाने के लिए ग्रोइंग चार्ट…)
डायरेक्ट सोइंग और ट्रांसप्लांटिंग विधि में अंतर – Difference Between Direct Sowing And Seedling Transplant Method In Hindi
होम गार्डन में या गमलों में पेड़-पौधे लगाने के लिए बीज लगाने की विधियों का अपना अलग महत्व होता है। अधिकांश पौधों को प्रत्यक्ष और प्रत्यारोपण दोनों विधियों से लगाया जा सकता है, लेकिन इन दोनों विधियों के बीच कुछ अंतर होता है, जिनमें से बीज लगाने के लिए किसी एक सही विधि को चुनने पर आपको लाभ प्राप्त हो सकता है। अगर आप अपने गार्डन में जल्दी पेड़-पौधे उगते हुए देखना चाहते हैं, तो आप ट्रांसप्लांट मेथड को अपना सकते हैं वहीं अगर आप डायरेक्ट गार्डन में बीज लगाना चाहते हैं, तो डायरेक्ट मेथड का चुनाव सबसे अच्छा होगा। इनके उपयोग से होने वाले फायदों को एवं इनके बीच के अंतर को जानकर आप किसी एक बेस्ट मेथड का उपयोग पेड़-पौधे लगाने के लिए कर सकते हैं।
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डायरेक्ट सीडलिंग वर्सेज ट्रांसप्लांटिंग मेथड:-
बीज लगाने के लिए मुख्य रूप से उपयोग की जाने वाली डायरेक्ट और ट्रांसप्लांट मेथड में निम्न लिखित अंतर होते हैं।
डायरेक्ट मेथड |
ट्रांसप्लांट मेथड |
बीज सीधे आउटडोर गार्डन में या गमले की मिट्टी में लगाते हैं। |
बीजों को पहले इनडोर सीडलिंग ट्रे या छोटे गमलों में अंकुरित कर सीडलिंग तैयार हो जाने के बाद आउटडोर गार्डन में या बड़े गमले में ट्रांसप्लांट किया जाता है। |
डायरेक्ट मेथड से बीजों को एक निश्चित दूरी पर लगाया जाता है। |
ट्रांसप्लांट मेथड में सीडलिंग तैयार करने के लिए बीजों को छोटे स्थान पर भी उगाया जा सकता है। |
अधिकांशतः उन पौधों को प्रत्यक्ष विधि से लगाया जाता है जिनके बीज बड़े होते हैं। |
अधिकांशतः उन पौधों को ग्रो करने के लिए ट्रांसप्लांट मेथड बेस्ट होती है, जिनके बीज काफी छोटे होते हैं। |
कमजोर जड़ों व नाजुक तनों वाले पौधे सीधी बुआई से लगाने पर लाभान्वित होते हैं। |
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डायरेक्ट मेथड के उपयोग से आप केवल ग्रोइंग सीजन पर ही बीज लगा सकते हैं, अन्यथा बीज सड़ जाएंगे। |
ट्रांसप्लांट मेथड के उपयोग से आप सीजन से पहले भी इनडोर सीड जर्मिनेट कर सीडलिंग तैयार कर सकते हैं। |
प्रत्यक्ष विधि से बीज लगाने पर आपको ग्रोइंग सीजन में ही फलों व फूलों की प्राप्ति होगी। |
बीज को सीजन से पहले ही प्रत्यारोपण विधि से ग्रो कर आप शुरूआती ग्रोइंग सीजन में ही फल-फूल प्राप्त कर सकते हैं। |
डायरेक्ट मेथड से बीज लगाने पर आपको पौधों पर सीमित उत्पादन प्राप्त होगा। |
प्रत्यारोपण से बीज लगाकर आप अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। |
गार्डन की मिट्टी में सीधी बुआई से बीज लगाने पर मिट्टी में मौजूद रोगजनक सीडलिंग को नुकसान पहुंचा सकते हैं। |
ट्रांसप्लांट मेथड से बीज लगाने पर तैयार सीडलिंग को रोगों से बचाया जा सकता है। |
डायरेक्ट मेथड से बीज लगाने के फायदे – Advantages Of Direct Seed Sowing Method In Hindi
होमगार्डन में सही समय पर सीधी बुआई से बीज लगाने पर विभिन्न प्रकार के फूल, सब्जियां तथा हर्ब्स प्लांट बेहतर ग्रोथ करते हैं, प्रत्यक्ष विधि से बीज लगाने के निम्न फायदे हो सकते हैं:
- जड़ों का बेहतर विकास होता है।
- प्रत्यक्ष विधि से बीज लगाने पर कोमल तनों तथा नाजुक जड़ों वाले पौधे अच्छी तरह ग्रो करते हैं।
- डायरेक्ट मेथड से बीज उगाना, ट्रांसप्लांटिंग की तुलना में अधिक सस्ता होता है।
- ट्रांसप्लांट विधि की अपेक्षा सीधी बुआई बहुत ही आसान व सरल है।
- प्रत्यक्ष विधि से बीज लगाने पर पौधे उगने में अधिक समय लग सकता है, लेकिन इसमें अधिक कार्य करने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे आपके समय की भी बचत होती है।
ट्रांसप्लांट विधि से बीज लगाने के फायदे – Advantages Of Transplanting In Hindi
होमगार्डन में बीज से विभिन्न प्रकार के फूल, सब्जियां तथा हर्ब्स प्लांट को अप्रत्यक्ष विधि या प्रत्यारोपण से लगाने के कई फायदे होते हैं जिनमें से कुछ निम्न हैं:
- सीजन से पहले इनडोर सीडलिंग तैयार कर ग्रोइंग सीजन में पौधों पर जल्दी फल-फूल की प्राप्ति होते है।
- सीजन से पहले पौध (सीडलिंग) तैयार कर लम्बे समय तक, अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है।
- नर्सरी से पौधे खरीदकर ट्रांसप्लांट करने से आपके समय की बचत होती है।
- ट्रांसप्लांटिंग विधि से आपके पास कमजोर सीडलिंग को हटाने का विकल्प होता है, जिससे आपको मजबूत पौधों की प्राप्ति सुनिश्चित होती है।
- प्रत्यारोपण विधि, सीडलिंग को कीट व मिट्टी जनित रोगों से बचाने में मदद करती है।
- हम तैयार सीडलिंग से मजबूत पौधे चुनकर उन्हें बढ़ने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान कर सकते हैं।
- प्रत्यारोपण विधि से सीडलिंग तैयार कर हम पौधों की जड़ों के फैलाव तथा स्वस्थ ग्रोथ के लिए उचित दूरी पर तैयार सीडलिंग को ट्रांसप्लांट कर सकते हैं।
सीडलिंग ट्रांसप्लांट करने का सही समय – Right Time To Transplant Seedlings In Hindi
अगर आपने अपने घर में फ्लावर, वेजिटेबल तथा हर्ब्स प्लांट आदि उगाने के लिए सीडलिंग तैयार की है, तो इसे सावधानीपूर्वक गार्डन या बड़े आकार के गमलों में उस स्थान पर ट्रांसप्लांट करना चाहिए, जहाँ सीडलिंग को बेहतर ग्रोथ करने के लिए आवश्यक सभी परिस्थितियां प्राप्त हो सकें। सीडलिंग को हमेशा शाम के समय ट्रांसप्लांट किया जाना चाहिए, ताकि प्रत्यारोपित पौधों को अच्छी तरह स्थापित होने के लिए रात का ठण्डा मौसम मिल सके और अगली सुबह धूप होने से पहले सीडलिंग, ट्रांसप्लांटिंग के झटके से उबर सकें। प्रत्येक पौधे को ट्रांसप्लांट करने का समय पौधे की किस्म, आकार और रोपाई की स्थिति के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। लेकिन छोटे पौधे प्रत्यारोपण आसानी से सह सकते हैं, इसीलिए सीड जर्मिनेशन के बाद लगभग 4-6 सप्ताह में जब पौधे 3-4 इंच बड़े हो जाएं और सीडलिंग में ट्रू लीफ विकसित हो जाएं, तब आप पौधे ट्रांसप्लांट कर सकते हैं।
डायरेक्ट और सीडलिंग ट्रांसप्लांट मेथड से उगने वाले सब्जियां – Vegetables that grow Direct and Seedling Transplant Method in Hindi
डायरेक्ट और सीडलिंग ट्रांसप्लांट मेथड से लगाई जाने वाली सब्जियां निम्न हैं:-
ट्रांसप्लांट मेथड से लगाए जाने पौधे |
डायरेक्ट मेथड से लगाए जाने वाले पौधे |
शकरकंद (Sweet potato) |
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नोल खोल (कोहलबी) Knol Khol (kohlrabi) |
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निष्कर्ष – Conclusion
इस आर्टिकल को पढ़कर आप जान गए होगें कि होम गार्डन में बीज से पौधे उगाने की डायरेक्ट मेथड तथा ट्रांसप्लांट मेथड क्या है, इनके बीच के अंतर, तथा प्रत्यक्ष और प्रत्यारोपण विधि से बीज लगाने के फायदे एवं सीडलिंग को ट्रांसप्लांट करने का सही समय क्या है।