Cocopeat in hindi नारियल कॉयर डस्ट, जिसे कोकोपीट के रूप में भी जाना जाता है, जो एक उत्तम मृदा कंडीशनर है। गार्डनिंग में बेहतर रिजल्ट प्राप्त करने और अच्छी किस्म के उत्पादन के लिए मिट्टी के साथ कोकोपीट का उपयोग करना बेहद लाभकारी होता है। कोकोपीट (Cocopeat) पौधों के लिए आवश्यक नमी (Moisture), जल निकासी (Drainage) और वायु संचारण (Aeration) का अद्भुत संयोजन प्रदान करता है, जिसके कारण गार्डनिंग और इनडोर पौधों को लगाने के लिए इसकी लोकप्रियता और अधिक बढ़ जाती है। इस लेख के माध्यम से आप कोकोपीट क्या होता है, गार्डनिंग में कोकोपीट का उपयोग कब और कैसे करें, Cocopeat अर्थात नारियल कॉयर डस्ट के उपयोग से पौधों को होने वाले फायदे क्या हैं तथा गार्डनिंग में इसका इस्तेमाल करते समय कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए, के बारे में जानेगें।
कोकोपीट क्या है – What Is Cocopeat In Hindi
Cocopeat, नारियल की भूसी (coconut husk) या जटाओं से प्राप्त एक धूलयुक्त उत्पाद है, इसे नारियल कॉयर (coconut coir) तैयार करने की प्रक्रिया के दौरान प्राप्त किया जाता है। नारियल की भूसी में मौजूद रेशे (जटाओं) को निकाल लेने के बाद, बचा हुआ धूल वाला हिस्सा कोकोपीट कहलाता है, इसे कॉयर डस्ट (coir dust) या कॉयर पिथ (coir pith) के नाम से भी जाना जाता है। कोकोपीट पूर्ण रूप से आर्गेनिक उत्पाद है। कहा जाए तो गार्डनिंग के लिए हाइड्रेटेड कोकोपीट को कोको मिट्टी (coco soil) कहा जाता है। कोकोपीट मिट्टी में पौधों का रोपण करने से गार्डनिंग में अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यह कई रूपों में उपलब्ध है, जैसे- ईंट (brick),ब्लॉक और कोको कॉइन आदि।
कोकोपीट स्वाभाविक रूप से एंटी-फंगल (anti-fungal) होता है, जो बीज के रोपण के लिए फायदेमंद है। कोकोपीट को गार्डनिंग के लिए मिट्टी में सुधार करने, पॉटिंग मिश्रण तैयार करने (potting mix) और हाइड्रोपोनिक उत्पादन (hydroponic production) के लिए उपयोग में लाया जाता है। कोकोपीट सधारण मिट्टी की तुलना में, बहुत अधिक पानी को सोखकर रखता है और पौधों की जड़ों को पर्याप्त पानी और हवा प्रदान करता है।
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कोकोपीट कैसे बनता है – How To Made Cocopeat In Hindi
नारियल से भूसी (husks) निकालने की प्रक्रिया के दौरान, जो चूर्ण या छोटे-छोटे कण नीचे गिरते हैं, या फिर जब हम नारियल की जटाओं को हथौड़े से पीटते हैं या पीसते हैं, तो हमें अच्छी मात्रा में नारियल डस्ट मिलती है और इसी डस्ट को कोकोपीट या कॉयर डस्ट (coir dust) कहा जाता है। औधोगिक स्तर पर कोकोपीट को बनाने के लिए नारियल के खोल को लम्बे समय के लिए पानी में रखा जाता है और फिर इसे पानी से निकालकर कई महीनों तक धूप में सुखाया जाता है। सूखने के बाद इसे बुरादे के रूप में परिवर्तित किया जाता है। इस प्रकार तैयार बुरादे को संपीडित कर क्यूब, ईटों के आकार में तैयार कर मार्केट में बेचा जाता है।
गार्डनिंग में कोकोपीट का उपयोग कब करें – When To Use Cocopeat For Plants In Hindi
ब्रिक्स में मिलने वाली कोकोपीट को पानी में डालकर पाउडर में बदल लिया जाता है, अब जानतें हैं कोको पीट पाउडर का उपयोग कैसे करें? कोकोपीट का उपयोग हाइड्रोपोनिक्स (hydroponics) और मिट्टी रहित गार्डनिंग करने में उच्च स्तर पर किया जाता है। इसके अलावा होम गार्डनिंग और इनडोर पौधों को उगाने के लिए इसका उपयोग करना फायदेमंद होता है। बीज को ग्रो करने के लिए कोकोपीट के साथ आर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र को मिलाकर मिट्टी रहित पॉटिंग मिश्रण तैयार किया जाता है। सब्जियों और मौसमी फूलों के बीज सीडलिंग ट्रे (seedling trays) में अंकुरित करने के लिए कोकोपीट का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इसे किसी भी मौसम में मिट्टी के साथ मिश्रित किया जा सकता है। गार्डन की मिट्टी के साथ मिश्रित करने पर लगभग 3 से 4 वर्षों तक इसका पुनः उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होती है। कोकोपीट ब्लॉक को अच्छी तरह से पानी में भिगोकर उपयोग करना चाहिए। कोकोपीट फ़र्टिलाइज़र नहीं है, अतः इसके साथ जैविक खाद को मिक्स करके इस्तेमाल करना चाहिए।
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मिट्टी में कोकोपीट का उपयोग कैसे करें – How To Use Coco Peat For Plants In Hindi
कोकोपीट को मिट्टी में मिलाने से पहले, इसे पानी में भिगोना चाहिए, ताकि यह पूरी तरह से नम बना रहे। पानी में भिगोने पर इसका आयतन 5 से 6 गुना तक बढ़ जाता है। cocopeat में पोषक तत्व नहीं पाए जाते हैं, अतः इसे फ़र्टिलाइज़र के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाता है। आप इसे केवल पॉटिंग मिश्रण या गार्डन की मिट्टी तैयार करते समय मिट्टी में मिक्स कर सकते हैं।
उपयोग करने से पहले कोकोपीट ब्लॉक या कोकोपीट पाउडर को पानी से भरे एक बड़े टब या बाल्टी में डालें और इसे अच्छी तरह से पानी को सोखने दें। जब यह पूरी तरह से पानी सोख ले, तब इसे पानी से निकालकर निचोड़ दें। इसके बाद कोकोपीट को पुनः साफ़ पानी में भिगोकर निकाल लें और पानी को इसमें से अच्छी तरह से निकाल दें। आप 50-50% कोकोपीट और मिट्टी के मिश्रण में आर्गेनिक खाद मिलाकर गार्डन या गमले की मिट्टी तैयार कर सकते हैं।
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कोकोपीट का उपयोग करने के फायदे – Coco Peat Benefits In Hindi
होम गार्डनिंग में कोकोपीट इस्तेमाल करने के निम्न फायदे हैं, जो कि निम्न हैं, जैसे:-
- कोकोपीट मिट्टी की जल ग्रहण क्षमता में वृद्धि में सहायक (High water holding capacity of Cocopeat) – कोकोपीट, मिट्टी और अन्य माध्यम की तुलना में बहुत अधिक जल स्टोर करके रख सकता है। 1 kg कोकोपीट 8 से 12 लीटर पानी सोक सकता है, इसलिए इसे मिट्टी के साथ मिलाने से पौधे को एक बार पानी पिलाया जाए, तो उसे लंबे समय तक पानी देने की आवश्यकता नहीं होती है।
- पोषक तत्वों का अच्छा स्टोरेज है, कोकोपीट (good nutrients storage Cocopeat) – फाइबर का अच्छा स्रोत होने के साथ-साथ, इसमें पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने के लिए स्टोरेज क्षमता अधिक होती है। यदि आप मिट्टी में कोकोपीट के साथ फर्टिलाइज़र का इस्तेमाल करते हैं, तो कोकोपीट, पोषक तत्वों को लम्बे समय तक स्टोर करके रखने और पौधों को आवश्यकतानुसार पोषक तत्व प्रदान करने में मदद करता है।
- मिट्टी को हवा युक्त बनाने में सहायक, कोकोपीट (Cocopeat is Good aeration) – मिट्टी को हवा युक्त बनाने के लिए मिट्टी में कोकोपीट को मिश्रित किया जाना जाना चाहिए, इसे अच्छी तरह से मिट्टी में मिलाने से पौधों की जड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन प्राप्त होती है, जिससे पौधे स्वस्थ होते हैं और जल्दी वृद्धि करते हैं।
- कोकोपीट उचित जल निकासी में सहायक (Cocopeat helps in Proper drainage) – कोकोपीट, मिट्टी में जलभराव की स्थिति पैदा नहीं होने देता है, जिसके कारण पौधों की जड़ और तने सड़ नहीं पाते हैं और साथ ही पौधों का अच्छे से विकास होता है।
- कोकोपीट का स्टोरेज और हैंडलिंग है, आसान (Easy storage and handling of Cocopeat) – यह अत्यधिक संपीड़ित होने के कारण, इसे लंबे समय तक आसानी से संग्रहीत किया जा सकता है, अतः इसे स्टोर करना और संभालना आसान होता है।
- कोकोपीट पर्यावरण के अनुकूल है (cocopeat is Eco friendly) – कोकोपीट का उपयोग पर्यावरण के अनुकूल होता है, क्योंकि इसके निर्माण और उपयोग करने की पूरी प्रक्रिया में किसी भी हानिकारक रसायन का उपयोग नहीं किया जाता है। अतः यह किसी भी तरह से प्रदूषण का कारण नहीं बनता है।
- कोकोपीट के भौतिक और जैव रासायनिक गुणों के आधार पर यह बैक्टीरिया और कवक के विकास के लिए प्रतिरोधी होता है अर्थात इसमें बैक्टीरिया और कवक विकसित नहीं होते हैं।
- चूँकि, कोकोपीट धीरे-धीरे विघटित होता है, अतः यह दीर्घकालिक लाभ प्रदान करता है। एक बार कोकोपीट का उपयोग करने के पश्चात् बार-बार इसका उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होती है। एक बार मिट्टी में कोकोपीट मिलाने के बाद 4 वर्षों तक इसके पुनः प्रयोग की आवश्यकता नहीं होती है, 4 वर्षों बाद यह विघटित होना शुरू हो जाता है, और फिर इसे नए कोकोपीट द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है।
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कोकोपीट का इस्तेमाल करते समय सावधानियां – Precautions While Using Cocopeat In Hindi
असल में कोकोपीट का निर्माण नारियल के रेशों के अपघटित होने के बाद होता है, जिसमें कई महीनों का समय लगता है, इसलिए नारियल के रेशों या डस्ट को घर पर निकालकर सीधे गमले या गार्डन की मिट्टी में मिलाना सही नहीं है। यदि आप बगैर अपघटित हुई नारियल की डस्ट या नारियल के बुरादे को मिट्टी में मिलाते हैं, तो यह अपघटित होने के लिए मिट्टी से नाइट्रोजन ग्रहण करेगा, जिससे पौधों को पर्याप्त नाइट्रोजन नहीं मिलेगी और पौधे की ग्रोथ रुक जाएगी।
कोकोपीट का निर्माण समुद्री इलाको में ज्यादातर होता है, क्योंकि उन इलाकों में नारियल उगते हैं। अतः कोकोपीट बनाने के लिए नारियल के भूसे को समुद्री पानी में कई महीनों तक भिगो कर रखा जाता है, जिससे कोकोपीट में लवण की उच्च मात्रा पाई जाती है, जो पौधों के लिए हानिकारक होती है। अतः इसे उपयोग करने से पहले पानी से भरे पात्र में भिगोकर रखना चाहिए, जिससे कि कोकोपीट से साल्ट निकल जाए। इसके अलावा यदि कोकोपीट का निर्माण समुद्री क्षेत्र के अलावा अन्य क्षेत्र में होता जहां के पानी में साल्ट की मात्रा कम पाई जाती है, ऐसी जगह पर निर्मित कोकोपीट में साल्ट की मात्रा कम हो सकती है।
FAQ
1. क्या घर पर कोकोपीट बनाया जा सकता है – Can I Make Cocopeat At Home In Hindi
उत्तर:- कोकोपीट को घर पर आसानी से बनाया जा सकता है, इसके लिए नारियल की भूसी (coconut husk) या जटाओं को कैंची से छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। कटे हुए टुकड़ों को मिक्सर या ग्राइंडर की मदद से पीस लें। पीसने के बाद रेशों को हटा दें और धूल को इकट्ठा कर लें। फिर धूल एकत्रित करने के बाद इसमें पर्याप्त पानी मिलाएं, और कुछ घंटों के लिए रखा रहने दें। कुछ समय बाद घोल शराबी रंग का हो जाता है, अब इस घोल से बुरादे को निचोड़कर पानी को फेंक दें। इसके बाद पुनः इस नारियल के बुरादे को साफ पानी में डालकर 1 से 2 दिनों के लिए रखा रहने दें। ऐसा करने से कोकोपीट में उपस्थित हानिकारक लवण निकल जाते हैं और इससे पौधों को नुकसान नहीं पहुँचता है।
1 से 2 दिन के बाद फूली हुई कोकोपीट को निचोड़कर अतिरिक्त पानी निकाल दें। अब इस कोकोपीट को 1 दिन के लिए धूप में सूखने के लिए रख दें। सूखने के बाद आप कोकोपीट का उपयोग कर सकते हैं।
2. क्या कोकोपीट मिट्टी से बेहतर है – Is Cocopeat Better Than Soil In Hindi
उत्तर:- कोकोपीट में मिट्टी के समान पोषक तत्व नहीं पाए जाते हैं। पोषक तत्वों को प्रदान करने के लिए कोकोपीट के साथ आपको आर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र मिलाना आवश्यक होता है। आर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र मिलाने के बाद कोकोपीट उच्च गुणवत्ता के पौधों को विकसित करने में मददगार होता है। अतः इसे मिट्टी रहित पॉटिंग मिश्रण के रूप में उपयोग लाया जा सकता है।
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