पौधे लगाने का सही तरीका क्या है, जानें पूरी जानकारी – What Is The Best Way And Method To Grow Plants In Hindi 

पौधे उगाने की बेस्ट विधि से जुड़ा यह लेख उन गार्डनर के लिए बहुत जरूरी है, जो पौधे उगाने की अलग-अलग विधियों में से सबसे सही और आसान विधि के बारे में जानना चाहते हैं। पौधे लगाने या उगाने के कई तरीके या विधियाँ होते हैं, जैसे ग्राफ्टिंग से, बीज से और कलम से आदि। आपके लिए पौधा लगाने का सही तरीका कौन सा है, यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप एक नए गार्डनर है या एक एक्सपर्ट गार्डनर है। आज हम आपको पौधे लगाने की सही विधि और हर विधि के फायदे और नुकसान भी बताने जा रहे हैं, तो इन सभी जानकारियों के लिए यह लेख लास्ट तक जरूर पढ़ें।

पेड़ पौधे उगाने की विधियाँ – Best Plant Propagation Methods In Hindi

पौधा लगाने की सही विधि कौन सी है (What is the best method for growing plants in Hindi), इसे जानने से पहले आप पौधे उगाने की सबसे कॉमन विधि (Plant Propagation Methods) और उनके फायदे व नुकसान के बारे में जानना होगा, जो कि निम्न हैं:

  1. बीज विधि – Advantages And Disadvantages Of Seed Propagation In Hindi 

बीज विधि - Advantages And Disadvantages Of Seed Propagation In Hindi 

किसी भी पौधे को उगाने का सबसे अधिक सामान्य तरीका और प्रचलित विधि है, बीजों को उगाना। इस विधि में बीजों को मिट्टी में लगा दिया जाता है और इस तरह एक नया पौधा तैयार हो जाता है।

  • फायदे – बीज विधि से पौधे उगाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको लगभग हर सब्जी, फल, फूल, हर्ब या अन्य पौधे के बीज बड़ी आसानी से मिल जाते हैं और आप इन्हें थोड़ी देखरेख के साथ बड़ी संख्या में ग्रो कर सकते हैं।
  • नुकसान – कई पौधे जैसे मनीप्लांट, स्नेक प्लांट तथा और भी कई पौधे बीज से नहीं उगते हैं। तथा कई बार नए गार्डनर बीज को अच्छे से अंकुरित नहीं कर पाते हैं।

(यह भी पढ़ें: सफलतापूर्वक बीजों को अंकुरित करने की जानकारी…)

  1. कटिंग विधि – Pros And Cons Of Cutting Propagation In Hindi 

कटिंग विधि - Pros And Cons Of Cutting Propagation In Hindi 

अनेक पौधे जैसे मनीप्लांट, स्नेकप्लांट, स्पाइडर प्लांट, एलोवेरा, गुलाब, कनेर, गुड़हल और कुछ हर्बल प्लांट्स कटिंग के माध्यम से जल्दी और ज्यादा आसानी से उग जाते हैं।

  • फायदे – गुलाब, गुड़हल जैसे पौधे कटिंग से ही कम समय में उगते हैं, बीज से उगने में उन्हें बहुत अधिक समय लग जाता है। एलोवेरा जैसे पौधे बीज से नहीं उगते हैं, उन्हें केवल कटिंग से तैयार किया जाता है।
  • नुकसान – कई बार जिस पौधे को आप उगाना चाहते हैं, उसकी कटिंग आसानी से आसपास नहीं मिलती है, ऐसे में आपको नर्सरी से ही पौधा लाना पड़ता है।

(यह भी पढ़ें: किसी भी पौधे की कटिंग कैसे लगाएं, जानें सही तरीका…)

  1. हाइड्रोपोनिक बागवानी – Advantages And Disadvantages Of Hydroponic In Hindi 

हाइड्रोपोनिक बागवानी - Advantages And Disadvantages Of Hydroponic Growing In Hindi 

यह पौधे उगाने की एक नई तकनीक है, इसमें मिट्टी का प्रयोग किये बिना, कोकोपीट, पर्लाइट, रेत या अन्य माध्यमों का प्रयोग कर पानी में पौधे उगाये जाते हैं।

  • फायदा – हाइड्रोपोनिक तकनीक से पौधे उगाने का फायदा यह होता है कि इसमें मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ती हैं और ग्रोइंग मीडियम में रोगजनक न होने की वजह से पौधा रोगों से भी सुरक्षित रहता है।
  • नुकसान – हाइड्रोपोनिक विधि का नुकसान यह है कि इसका पूरा सिस्टम जमाना थोड़ा महंगा पड़ता है, इसमें बार-बार खाद डालनी पड़ती है, और इस तरीके में पौधों की देखरेख अधिक करनी पड़ती है।
  1. डिवीजन मेथड – Advantages And Disadvantages Of Division Propagation In Hindi 

डिवीजन मेथड - Advantages And Disadvantages Of Division Propagation In Hindi 

एलोवेरा, स्नेक प्लांट, पीस लिली, केला जैसे पौधों के नजदीक से ही अन्य छोटे पौधे उगते हैं, जिनको उखाड़कर उनसे नए पौधे तैयार किये जाते हैं। इस विधि को डिवीजन मेथड कहा जाता है। इस विधि का फायदा यह होता है कि एक बार पौधा तैयार होने के बाद उसी पौधे से अन्य पौधे तैयार किये जा सकते हैं।

(यह भी पढ़ें: डिवीजन और सेपरेशन मेथड से पौधे कैसे उगाएं…)

  1. लेयरिंग विधि – Layering Method Benefits And Limitation In Hindi 

Layering Method Benefits And Limitation In Hindi 

इस लेयरिंग विधि में गमलों या जमीन में लगे पौधों की झुकी हुई लचीली शाखा को मोड़कर जमीन में दबा दिया जाता है और मिट्टी के अंदर कुछ ही दिनों में उस शाखा में जड़ें बनने लगती हैं और नया पौधा बनने लगता है। जब उस शाखा से पौधा बन जाता है, उसके मुख्य पौधे से जुड़े हिस्से को काट दिया जाता है और इस तरह एक नया पौधा तैयार होने लगता है। इसे ‘लेयरिंग विधि’ कहा जाता है। लेयरिंग विधि में एक पौधे से अनेक पौधे बनाये जा सकते हैं।

  • फायदा – इसका फायदा यह है कि लेयरिंग मेथड से स्ट्रॉबेरी, गुलाब और बोगनविलिया के पौधे उगाये जा सकते हैं।
  •  नुकसान – इस विधि की कमी यह है कि इसके द्वारा पौधा उगाना हर किसी के लिए आसान नहीं है, इसमें स्किल, समय और देखरेख की जरूरत पड़ती है।
  1. ग्राफ्टिंग विधि या कलम बांधना – Advantages And Disadvantages Of Grafting Propagation In Hindi

ग्राफ्टिंग विधि या कलम बांधना - Advantages And Disadvantages Of Grafting Propagation In Hindi

पौधे उगाने की इस ग्राफ्टिंग विधि में एक पौधे की कटिंग को लेकर दूसरे पौधे के तने में लगा दिया जाता है, इससे कुछ ही दिनों में दोनों के ऊतक आपस में ग्रो होने लगते हैं। दोनों तनों के जोड़ से एक नया तना निकलता है और पौधा तैयार होने लगता है।

  • फायदा – ग्राफ्टिंग विधि द्वारा तैयार किये गये पौधों में फल-फूल जल्दी लगने लगते हैं और पौधों की रोगों से लड़ने की ताकत भी बढ़ जाती है।
  • नुकसान – ग्राफ्टिंग तकनीक की कमी यह है कि इस प्रक्रिया को बहुत ध्यान से करना होता है, जिसे करने में नए गार्डनर को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

(यह भी पढ़ें: गार्डनिंग टूल्स और उनके उपयोग की जानकारी…)

इस लेख में हमने आपको पेड़ पौधे लगाने की विधि और सही तरीका बताया है, साथ ही उन विधि के फायदे और कमी भी आपको इस लेख में बताई हैं। इन फायदे-नुकसान को समझने के बाद पौधा लगाने का जो भी तरीका आपको सही लगे, आप उसे चुन सकते हैं और पौधे तैयार कर सकते हैं।

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