फूलगोभी एक ठंडे मौसम की सब्जी है, जो जिसे सितंबर से फरवरी माह के बीच सबसे अधिक उगाया जाता है। आमतौर पर फूलगोभी को उगाया तो ठंड में ही जाता हैं, लेकिन अधिक नमी, उमस, तापमान परिवर्तन जैसे बहुत से कारणों से इसमें कई रोग लग जाते हैं। इनमें से कुछ को तो कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन कुछ रोग पूरा पौधा ख़राब कर सकते हैं। इसलिए इसे लगाने से पहले फूलगोभी के रोग और उनका उपचार की जानकारी होना बहुत जरूरी हैं। इससे आप न सिर्फ स्वस्थ गार्डनिंग कर पाएंगे, बल्कि सही समय पर अपनी फूलगोभी के रोग का नियंत्रण कर सकेंगे। फूलगोभी में होने वाले या लगने वाले रोग और उनका उपचार कैसे करें, रोगों की रोकथाम तथा बचाव के उपाय जानने के लिए आर्टिकल पूरा पढ़ें। इसके अलावा आप जानेंगे कि फूलगोभी की बीमारियाँ और उनका नियंत्रण कैसे करें।
फूलगोभी के रोग और उनका उपचार – Disease Of Cauliflower And Their Treatment In Hindi
होम गार्डन में लगी फूलगोभी के पौधे में होने वाली बीमारियाँ निम्न हैं:-
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बैक्टीरियल सॉफ्ट रॉट – Bacterial Soft Rot In Cauliflower In Hindi
यह फूलगोभी में होने वाला एक बैक्टीरियल रोग है, जो बैक्टीरिया टूल्स और सिंचाई के पानी से आसानी से फैलता है। इस बीमारी के प्रभाव से पत्तियों और फूलों के सिरों पर घाव बन जाता है, जो फ़ैलने पर घावों की सतह से चिपचिपा तरल पदार्थ निकलने लगता है तथा हवा के संपर्क में आने पर ब्राउन या काला हो जाता है।
बचाने के उपाय – बैक्टीरियल सॉफ्ट रॉट के लिए कोई उपचार उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन रोग नियंत्रण के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी या रेज्ड बेड में पौधे लगाएं। गोभी के सिरों की कटाई तभी करें, जब वे पूरी तरह सूख जाएँ।
ब्लैकलेग – Blackleg Disease In Cauliflower In Hindi
ब्लैकलेग गोभी में होने वाली एक सामान्य बीमारी है, जो बैक्टीरिया की उपस्थिति के कारण फैलती है। पौधे पर गर्म, गीली स्थितियां को इस रोग को अनुकूल बनाती है। ब्लैकलेग के प्रभाव से फूल के गोभी पत्तों पर गोल या अनियमित आकार के ब्राउन रंग के घाव हो जाते हैं।
बचाव के उपाय – गार्डन में लगाने के लिए रोग मुक्त बीज का उपयोग करें तथा उन्हें गर्म पानी से उपचारित करें। पौधे लगाने के लिए नए पॉटिंग मिक्स का प्रयोग करें।
ब्लैक रॉट – Black Rot Disease In Cauliflower In Hindi
फूलगोभी में ब्लैक रॉट गर्म और आर्द्र परिस्थितियों के कारण होता है। इसके प्रभाव से पत्ती के किनारों पर अनियमित आकार के हल्के पीले धब्बे हो जाते हैं, जो वी-आकार में पत्ती के किनारे तक फ़ैल जाते हैं।
बचाव के उपाय – ब्लैक रॉट को नियंत्रित करने के लिए गार्डन में स्वच्छता बनाए रखें, रोग प्रतिरोधी किस्मों को लगाएं, खरपतवारों को नियंत्रित करें और रोगमुक्त बीजों का प्रयोग करें।
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क्लबरूट – Club root Disease In Cauliflower In Hindi
यह एक फूलगोभी का एक मृदाजनित रोग है, जो मिट्टी में उपस्थित नेमाटोड्स के कारण होता है। क्लबरूट के प्रभाव से पौधे की पत्तियां पीली हो जाती हैं, जो दिन में मुरझा जाती हैं और रात में आंशिक रूप से ठीक हो जाती हैं। पौधे की ग्रोथ धीमी होती हैं तथा जड़ें अनियमित आकार की और सूजी हुई होती हैं।
रोकथाम के उपाय – यह कवक मिट्टी में 10 वर्ष से अधिक समय तक जीवित रह सकता है इसलिए इसकी रोकथाम संभव नहीं है। आप जब भी गमले में बीज लगाएं, तो नए और स्टरलाइज पॉटिंग मिक्स का प्रयोग करें।
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डाउनी मिल्ड्यू – Downy Mildew Disease In Cauliflower In Hindi
यह फूलगोभी में होने वाला एक गंभीर रोग है, जो ठंडी, नम स्थितियों में अधिक फ़ैलता है। इसके प्रभाव से गोभी की पत्तियों की ऊपरी सतह पर छोटे कोणीय घाव होते हैं, जो बड़े होकर नारंगी या पीले हो जाते हैं। अंत में पत्तियों की निचली सतह पर सफेद रोएँदार विकास होने लगता है।
रोकथाम के उपाय – फूल गोभी के पौधे पर प्राकृतिक फंगीसाइड नीम ऑयल के स्प्रे से डाउनी मिल्ड्यू को नियंत्रित करना संभव है।
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पाउडरी मिल्ड्यू – Powdery Mildew Disease In Cauliflower In Hindi
यह फूलगोभी का एक कवक रोग है, जिसके कारण पौधे की ऊपरी और निचली पत्ती की सतहों पर छोटे सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं। यह घाव आपस में जुड़कर एक घनी पाउडर जैसी परत बनाते हैं, जो पत्तियों को ढक देती है। अंत में पत्तियां पूरी तरह से सफेद होकर पौधे से गिर जाती हैं।
रोकथाम के उपाय – फूलगोभी के पौधे में नाइट्रोजनरिच उर्वरक के अत्यधिक प्रयोग से बचें, यह पाउडरी मिल्ड्यू के विकास को बढ़ावा देता है। इसके अतिरिक्त पाउडरी मिल्ड्यू को पानी का स्प्रे, एप्सम साल्ट, सल्फरयुक्त जैविक खाद से नियंत्रित किया जा सकता है।
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व्हाइट रस्ट – White Rust Disease In Cauliflower In Hindi
व्हाइट रस्ट फूलगोभी का एक फंगल रोग है, जो हवा से फैल सकता है और शुष्क परिस्थितियों में लंबे समय तक जीवित रह सकता है। इसके प्रभाव से बीजपत्रों, पत्तियों, तनों और फूलों पर सफेद दाने दिखाई देते हैं, जो आपस में मिलकर बड़े हो जाते हैं। अंत में पत्तियां मोटी हो सकती हैं और पौधे से गिर सकती हैं।
बचाव के उपाय – होम गार्डन में फूलगोभी के रोग-मुक्त बीज बोएं, यदि संक्रमण फैलता हुआ दिखाई दे, तो नीम ऑयल का प्रयोग करें।
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फूलगोभी मोज़ेक – Cauliflower Mosaic Disease In Hindi
यह फूलगोभी में होने वाला एक वायरल रोग है, जो अधिकांशतः एफिड्स और अन्य उड़ने वाले कीटों के माध्यम से फैलता है। इस बीमारी के प्रभाव से फूलगोभी की पत्तियों शिराएँ दिखने लगती हैं। पौधे की वृद्धि रुक जाती है और गोभी का फूल का आकार छोटा होता है।
बचाव के उपाय – गार्डन स्टिकी ट्रेप लगाकर या उचित कीटनाशक का प्रयोग कर पौधों पर एफिड्स की आबादी को नियंत्रित करें तथा अनावश्यक खरपतवारों को नियंत्रित करें।
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रिंग स्पॉट – Ring Spot Disease In Cauliflower In Hindi
फूलगोभी में यह रोग आमतौर पर फॉल सीजन में विकसित होते हैं और सर्दियों में संक्रमण चरम पर होता है। इस रोग के संक्रमण से पत्तियों पर पानी के समान छोटे-छोटे रिंग जैसे बैंगनी धब्बे पड़ने लगते हैं। धीरे धीरे यह काले होने लगते हैं, अंततः अत्यधिक संक्रमित पत्तियां सूख सकती हैं और अंदर की ओर मुड़ सकती हैं।
बचाव के उपाय – गार्डन टूल्स को नियमित रूप से कीटाणुरहित करें, पुराने पॉटिंग मिक्स का प्रयोग करने से बचें। यदि पौधे में रोग की पहचान सही समय पर हो गई हो,तो जैविक कवकनाशी का प्रयोग करें।
डंपिंग ऑफ – Damping-Off Disease In Cauliflower In Hindi
यह फूलगोभी की सीडलिंग में होने वाला गंभीर रोग है, जो अधिक नमी और ठंडे तापमान के कारण होता है। इस रोग के प्रभाव से पूरी की पूरी सीडलिंग ख़राब हो सकती है। रोग के संक्रमण से छोटे पौधों को तना गलने लगता है, जिससे सीडलिंग नीचे गिरने लगती है।
बचाव के उपाय – सीडलिंग तैयार करते समय रोगमुक्त बीज का प्रयोग करें। सीडलिंग में फंगस की वृद्धि को रोकने के लिए जैविक फंगीसाइड का स्प्रे करें, मिट्टी अच्छी तरह गर्म होने पर ही बीज लगाएं।
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(यह भी जानें: सीडलिंग को डंपिंग ऑफ रोग से कैसे बचाएं….)
इस लेख में आपने जाना फूलगोभी के रोग और उनका उपचार कैसे करें, इन रोगों के रोग का नियंत्रण और बचाव के उपाय के बारे में। आशा करते हैं फूलगोभी की बीमारियाँ और उनका नियंत्रण से संबंधित हमारा लेख आपको अच्छा लगा हो। इस लेख के संबंध में आपके जो भी सुझाव हैं, हमें कमेंट बॉक्स में बताएं।