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Om Thakur

कोकोपीट कॉइंस का उपयोग कर कैसे करें बीज अंकुरित!

कई बार बीज को गार्डन की मिट्टी में लगाने के बाद वह अंकुरित नहीं होता है या फिर अंकुरण नष्ट हो जाता है। इसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए तथा बीज अंकुरण दर को बढ़ावा देने के लिए गार्डनिंग में कोकोपीट कॉइंस या पीट पेलेट का उपयोग किया जाता है।

कोकोपीट कोइन या कोको रिंग में बीज बहुत ही आसानी से अंकुरित हो जाता है और बीज खराब भी नहीं होता है। यदि आप भी होम गार्डन में पौधे लगाने के लिए बीज अंकुरित कर पौधे तैयार करना चाहते हैं तथा जानना चाहते हैं कि कोकोपीट कॉइंस या कोको कॉयर कॉइन क्या हैं? तो आईये जानते हैं कोकोपीट कॉइन के बारे में:

कोकोपीट कॉइन क्या है?

कोकोपीट कॉइंस या पीट पेलेट को विशेष रूप से सीडलिंग ट्रे में या किसी अन्य ग्रोइंग ट्रे में बीज बोने तथा उन्हें अंकुरित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे नारियल की भूसी को कंप्रेस्ड करके बनाया जाता है। यह बायो-डिग्रेडेबल एवं छिद्रपूर्ण (porous) होते हैं, जिसके कारण इनका उपयोग बीजों को सफलतापूर्वक अंकुरित करने के लिए किया जाता है।

कोकोपीट कॉइन के फायदे !

कोकोपीट कॉइन में बीज अंकुरित करना तथा बीज अंकुरित होने के बाद पौधे की जड़ों को बगैर कोई नुकसान पहुंचाए, मिट्टी में रोपित करना बहुत आसान है। ऐसें ही कुछ फायदे अगली स्लाइड में दिए गए हैं-

कोको पीट कॉइन को पानी में डालने पर यह कुछ ही समय में कई गुना तक फैल जाती है, जिससे यह तुरंत बीज लगाने के लिए तैयार हो जाता है। इसके आलावा इसमें बीज अंकुरण के दौरान जड़ें अच्छे से विकसित हो पाती हैं।

इसका उपयोग हाइड्रोपोनिक्स में किया जाता है अर्थात इसमें बीज अंकुरित करने के लिए मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती, केवल पानी की मदद से कोकोपीट कॉइन में बीज अंकुरित हो जाता है।

ये इको फ्रेंडली होते हैं क्योंकि कोकोपीट कॉइंस एवं उसकी सफ़ेद कवरिंग लेयर दोनों मिट्टी में आसानी से मिल जाते हैं और मिट्टी तथा पौधे को कोई नुकसान नही पहुंचाते।

कोको कॉइन लम्बे समय तक पानी स्टोर करके रखता है, जिससे पौधे सूखते नहीं है।

कोकोपीट कॉइन्स छिद्रयुक्त (Porous) होते हैं जिस कारण इनमें बीज अंकुरित करने से कोकोपीट कॉइन्स में ओवरवाटरिंग की समस्या नहीं हो पाती, और बीज अच्छे से जर्मीनेट हो पाता है।

ये कॉइन्स छिद्रयुक्त फाइबर सामग्री से बने होते हैं जिस कारण इनमें पौधे की जड़ें रेशेदार व सीधी सीधी विकसित होती हैं जबकि मिट्टी में बीज अंकुरित करने से पौधे की जड़ों के एक दूसरे में उलझने की संभावना अधिक होती है।

कोको कॉयर कॉइन (coco coir coin) एंटी फंगल होता है, अर्थात हानिकारक कीट और फंगस इससे दूर ही रहते हैं।

सीडलिंग ट्रे या कोई अन्य ग्रोइंग ट्रे लेकर उसमें कोकोपीट कोइन्स को सफ़ेद लेयर हटाए बिना रखें।

अब सीडलिंग ट्रे में रखे कोकोपीट कॉइन (coco peat coin) को नम बनाने के लिए वाटर केन से तब तक पानी डालें, जब तक वे फूल कर आकार में बड़े नहीं हो जाते। पानी डालने के बाद कोकोपीट कॉइन का आकार लगभग चार गुना बढ़ जाता है।

बीज लगाने के बाद कोकोपीट कॉइन्स में थोडा पानी और डालते हैं। इसके बाद नियमित रूप से कॉइन को चेक करते रहते हैं ताकि पानी की कमी न हो पाए।

बीज अंकुरण की प्रोसेस के दौरान ज्यादा धूप की आवश्यकता नहीं होती है, अतः आप कोकोपीट कॉइन को किसी प्रकाशित खिड़की या अन्य स्थान पर रख सकते हैं।

2 सप्ताह में कोकोपीट में बोया गया बीज जर्मीनेट हो जाता है। अब इस कोकोपीट कॉइन के अंकुरित पौधे को कॉइन सहित गमले या ग्रो बैग की मिट्टी में रोपित कर सकते हैं।

गमले या गार्डन की मिट्टी में अंकुरित पौधे को प्रत्यारोपित करने के बाद पौधे पर पानी डालें एवं पौधे को ऐसी जगह पर रखें जहाँ सूर्य की पर्याप्त रोशनी मिल सके।

कोकोपीट कॉइन में लगे बीज की देखभाल!

कोकोपीट कॉइन्स में बीज लगाने के बाद उसकी देखभाल बहुत जरूरी है वरना बीज समय पर अंकुरित नहीं हो पायेगा। इसलिए हमें कोको कॉइन में बीज लगाने के बाद कुछ देखभाल संबंधी बातों को ध्यान में रखना चाहिए:

सीडलिंग ट्रे को कवर करें!

सीडलिंग ट्रे को पतली पॉलिथीन से ढक दें ताकि कोई कीट आदि उसे नुकसान न पहुंचा सके।

पानी

कोकोपीट कॉइन में बीज लगाने से पहले आकार को बड़ा करने के लिए गर्म पानी (वार्म वाटर) का भी उपयोग कर सकते हैं जिससे वह जल्दी फूल जाता है। बीज लगाने के बाद कोको कोइन्स में नमी बनाए रखें।

सूरज की रोशनी !

कोकोपीट कॉइन को कम रोशनी एवं थोड़ी गर्म जगह पर रखें, क्योंकि इसको बीज अंकुरण के दौरान ज्यादा धूप की जरूरत नहीं होती है।

फर्टिलाइजर

कोकोपीट कॉइन में बीज अंकुरित करने के लिए किसी भी उर्वरक की जरूरत नहीं होती है, लेकिन जब पौधे को उगाने के लिये मिट्टी व कोकोपीट के मिश्रण में प्रत्यारोपित किया जाता है, तब गमले में लिक्विड जैव उर्वरकों का उपयोग किया जा सकता है।