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Om Thakur

बीज अंकुरण को प्रभावित करने वाले कारक

होम गार्डन की मिट्टी में बीज लगाए जाने पर उसे सफलतापूर्वक जर्मीनेट होने के लिए आवश्यक परिस्थितियों की जरूरत होती है, अन्यथा बीज उगने में असमर्थ रहता हैवातावरण अंकुरण प्रक्रिया के विपरीत होने पर बीज अंकुरित नहीं हो पाते और अगर बीज उगने लगते हैं तो वह पौधे तैयार होने से पहले ही मर जाते हैं,

इसीलिए पौधे लगाने के लिए सबसे आवश्यक व प्राथमिक चरण बीज अंकुरण की प्रक्रिया है, जो पौधे के स्वस्थ विकास को निर्धारित करता है। बीज से पौधा बनने की प्रक्रिया में बीज लगाते समय अनुकूल वातावरण की आवश्यकता होती है। अतः इस स्टोरी में हम बीज अंकुरण को प्रभावित करने वाले कारकों के विषय में जानेंगे:

बीज अंकुरण क्या है?

गार्डन या गमले की मिट्टी में अच्छी तरह बीज से पौधा बनने के लिए विभिन्न परिस्थितियों जैसे उचित मात्रा में पानी, ऑक्सीजन, तापमान और प्रकाश इत्यादि को पूरा किया जाता है, तब बीज का कोट खुल जाता है और बीज से एक रूट या रेडिकल उभरता है, जिससे बीज अंकुरित होते हैं, पौधे के विकास का यह प्रारंभिक चरण अंकुरण या जर्मिनेशन कहलाता है।

बीजों के अंकुरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक

अंकुरण के लिए विपरीत वातावरण और आवश्यक परिस्थितियों के अभाव में बीज अच्छी तरह नहीं उग पाते। आइये जानते हैं, बीज अंकुरण प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में :

पर्यावरणीय कारण या बाह्य कारण (Environmental Or External Factors Affecting Seed Germination)

आंतरिक कारण  (Internal Factors Affecting Seed Germination)

पर्यावरणीय कारण या बाह्य कारण

पर्यावरणीय कारण अर्थात् वे परिस्थितियाँ जिनको नियंत्रित करना हमारे वश में नहीं होता, लेकिन कुछ तरीकों को अपनाकर हम इनके प्रभावों को कम कर सकते हैं। बीज के अंकुरण दर को प्रभावित करने वाले कुछ प्रमुख पर्यावरणीय कारण अगली स्लाइड में दिए गये हैं:

वातावरणीय तापमान (Temperature)

अधिकतर बीजों को अंकुरित होने के लिए 18℃-30℃ के मध्यम तापमान की आवश्यकता होती है। लेकिन कुछ ऐसे बीज भी हैं, जिन्हें विशेष रूप से 5℃-40℃ के बीच कम या उच्च तापमान की आवश्यकता होती है। बीज अंकुरण के लिए आदर्श तापमान न मिलने पर बीज नष्ट हो सकते हैं या बीज अंकुरण प्रक्रिया धीमी हो सकती है।

आर्द्रता या नमी (Humidity)

मिट्टी में कम या अधिक नमी का होना बीज के अंकुरण में बाधा खड़ी कर सकता है क्योंकि मिट्टी या ग्रोइंग मीडियम में नमी की कमी के कारण बीज रासायनिक क्रियाएं शुरू नहीं कर पाएगा, इसके विपरीत अत्याधिक नमीं से बीजों के सड़ने की सम्भावना होती है।

वायु (Wind)

अच्छे अंकुरण के लिए बीजों को उचित गहराई पर लगाया जाना चाहिए तथा मिट्टी या पॉटिंग मिक्स को पोरस (वातित) तथा ऊचित जल निकासी युक्त होना चाहिए, जिससे बीजों को पर्याप्त ऑक्सीजन (वायु) मिल सके।

प्रकाश (Sunlight)

अधिकतर बीजों को अँधेरे स्थान पर या इनडोर अंकुरित करने की सलाह दी जाती है, लेकिन कुछ बीज आंशिक धूप में अंकुरित होते हैं, इसीलिए अंकुरण के समय बीज को पर्याप्त सूर्यप्रकाश देना सुनिश्चित करें। प्रकाश की आवश्यकताएं पूरी न होने पर बीज सही से अंकुरित नहीं हो पाते हैं।

ग्रोइंग माध्यम (Growing Medium)

बीज अंकुरण की प्रक्रिया में हवा, पानी इत्यादि के अलावा एक और महत्वपूर्ण कारक है माध्यम, जिसमें हम अपने बीज को लगाते हैं। जैसे कई बीजों को मिट्टी के अलावा कोकोपीट, रेत, कोको कॉइन इत्यादि में अंकुरित किया जाता है। बीज अंकुरण के लिए अच्छी जलधारण क्षमता वाली जैविक खाद युक्त मिट्टी का उपयोग करना चाहिए।

आंतरिक कारण 

पर्यावरणीय या बाह्य कारणों के अतिरिक्त बीज की क्वालिटी (किस्म) भी बीज अंकुरण की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है, जैसे:

बीज परिपक्वता (seed maturity)

बीज जीवंतता (seed viability)

सीड निष्क्रियता या बीज प्रसुप्ति (seed dormancy)

 बीज परिपक्वता (seed maturity)

अंकुरण के लिए सबसे जरूरी है, बीज की परिपक्वता। अगर आपके द्वारा लगाया गया बीज परिपक्व नहीं होगा तो उससे अंकुरण की आशा नहीं की जा सकती, इसीलिए बीज लगाते समय अच्छी गुणवत्ता वाले मैचयोर बीज का चुनाव करें, ताकि आपको जल्द ही नये अंकुर (युवा पौधे) की प्राप्ति हो सके।

सीड वाइटैलिटी (बीज जीवंतता)

किसी भी प्रकार के बीज को अंकुरित होने के लिए उसका जीवित होना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, कभी-कभी बीज को सही तरीके से स्टोर न किये जाने के कारण या बीज की भौतिक क्षति और टूटने-फूटने के कारण बीज मृत हो जाता है, ऐसे बीजों को लगाने के बाद कितनी ही अनुकूल परिस्थितियां उपलब्ध करा दी जाएं, लेकिन बीज अंकुरित नहीं होगा।

बीज प्रसुप्ति (seed dormancy)

यह वह स्थिति है जब अंकुरण के लिए बीज को चाहे कितना ही अनुकूल वातावरण क्यों न दे दिया जाए, बीज अंकुरित नहीं होगा। बीजों में प्रसुप्ति, बीज की अपरिपक्वता या कठोर आवरण के कारण हो सकती है, इसके अलावा वृद्धि निरोधकों की उपस्थिति भी इसका प्रमुख कारण हो सकता है।