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Om Thakur
मिर्च को प्रभावित करने वाले रोग, उनके लक्षण तथा नियंत्रण के उपाय !
वैसे तो मिर्च के पौधों में रोग लगना आम बात नहीं हैं लेकिन मिर्च में लगने वाले कीट या रोग अक्सर पौधे के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं, इन बीमारियों से न केवल मिर्च के फल-फूल प्रभावित होते हैं, बल्कि अत्यधिक गंभीर होने पर पूरा पौधा मर सकता है, तो आईये जानते हैं मिर्च में होने वाले रोग, उनके लक्षण एवं उपाय के बारे में:
लीफ कर्ल रोग!
चिली लीफ कर्ल, भारत में मिर्च का एक महत्वपूर्ण रोग है, जो मुख्य रूप से वायरस के कारण होता है, यह रोग पौधे की उपज को 50-100% तक कम कर सकता है। चिली लीफ कर्ल सफेद मक्खी (whiteflies) द्वारा फैलता है। इसके लक्षण अगली स्लाइड में दिए गए हैं-
लीफ कर्ल रोग के लक्षण !
पत्ती मरोड़ रोग से संक्रमित मिर्च के पौधे की पत्तियाँ मुड़ी हुई, ऊपर की ओर कर्ल दिखाई देती हैं। पत्तियों की शिराएं सूजी और मोटी दिखाई देती हैं, तथा पत्तियों पर छाले और पीलापन दिखाई देता है।
नए उत्पन्न होने वाले पत्ते आकार में बहुत छोटे और घने होते हैं।
लीफ कर्ल रोग से संक्रमित पौधा मुरझा जाता है।
लीफ कर्ल रोग से बचाव!
चूंकि चिली लीफ कर्ल रोग वायरस के कारण होता है, इसलिए इस रोग से अपने चिली प्लांट को बचाने के निम्न तरीके अपनाए जाने चाहिए।
स्वस्थ और असंक्रमित मिर्च के बीजों का प्रयोग करना चाहिए।
चिली कर्ल लीफ रोग के लक्षण दिखने पर रोगग्रस्त पौधों को तुरंत हटाकर जला देना चाहिए।
कीट वाहकों को नियंत्रित करने के लिए पौधों के पास स्टिकी ट्रैप लगाना चाहिए या मिर्च के पौधे पर आर्गेनिक पेस्टिसाइड (नीम तेल) का छिडकाव करना चाहिए।
बैक्टीरियल लीफ स्पॉट डिजीज
मिर्च के पौधों में होने वाला बैक्टीरियल लीफ स्पॉट एक गंभीर जीवाणु जनित रोग है, यह जीवाणु बीज, मृत पौधों और पौधे की शखाओं इत्यादि के माध्यम से बहुत तेजी से फैलता है। यह रोग मुख्य रूप से पुराने पौधों पर दिखाई देता है लेकिन जल्द ही नये पौधों को भी प्रभावित करने लगता है।
बैक्टीरियल लीफ स्पॉट के लक्षण !
पौधे की पत्तियों पर छोटे छोटे ब्राउन रंग के धब्बे आना।
पत्तियों के किनारे सूखने लगना।
मिर्च के पौधे में पीले, पानी से लथपथ घाव दिखाई देना, इत्यादि।
बैक्टीरियल लीफ स्पॉट से बचाव!
मिर्च के पौधे लगाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले तथा उपचारित बीज चुनें।
पौधों को उचित दूरी पर लगाना सुनिश्चित करें, ताकि पौधों में वायु का प्रवाह अच्छे से हो सके।
किसी भी प्रकार के रोगग्रस्त पौधे को गार्डन या होमगार्डन से हटा दें।
एक मृत पौधे से जीवाणु, पानी के छींटे से पौधों में फ़ैल सकता है, इसलिए अच्छी तरह से पौधों की जड़ों पर पानी देना चाहिए।
बैक्टीरियल सॉफ्ट रोट !
चिली में होने वाला यह रोग जीवाणु संक्रमण द्वारा होता है, जो मुख्य रूप से मिर्च की फली को प्रभावित करता है। यह बीमारी बरसात के समय ज्यादातर गीले मौसम के कारण होती है, और कुछ बैक्टीरियल कीट भी मिर्च के पौधों में यह बीमारी फैलाते हैं। इसके लक्षण निम्न हैं:
इस रोग के कारण मिर्ची की फली सड़ जाती हैं, और वह गलने लगती है।
मिर्च से दुर्गन्ध आने लगती है।
बैक्टीरियल सॉफ्ट रोट से बचाव!
इस जीवाणु जनित बीमारी बैक्टीरियल सॉफ्ट रोट से मिर्च के पौधे को बचाने के लिए आप निम्न तरीके अपना सकते हैं:
मिर्ची के पौधे की पत्तियों को मिट्टी से स्पर्श न होने दें।
बैक्टीरियल सॉफ्ट रोट रोग फैलाने वाले कीट को खत्म करने के लिये उचित कीटनाशक जैसे नीम तेल या होममेड पेस्टीसाइड का इस्तेमाल करें।
काली मिर्च मोजेक वायरस !
यह वायरस चिली के पौधों में एफिड्स और व्हाइटफ्लाईज के कारण फैलता है, इन कीटों द्वारा मुख्य रूप से पौधे की पत्तियों व तने को प्रभावित किया जाता है, जिसके कारण गलन के साथ-साथ पत्तियां मुड़ जाती हैं। इसके लक्षण हैं:
पौधे की पत्तियों पर मोजेक पैटर्न (Mosaic Pattern) में हरे-पीले रंग के धब्बे आना।
पत्तियों का मुड़ना एवं पौधों की रुकी हुई ग्रोथ।
मिर्च की पैदावार कम हो जाना।
काली मिर्च मोजेक वायरस से बचाव!
मिर्च मोजेक वायरस को खत्म करने का कोई अचूक इलाज नहीं है, लेकिन इस वायरस से मिर्ची को बचाने के लिए आप निम्न उपाय अपना सकते हैं:
गमले या गार्डन की मिट्टी में लगे मिर्च के पौधों को एफिड्स जैसे कीटों से सुरक्षित रखें।
पौधों में किसी भी प्रकार का संक्रमण पाये जाने पर उसे तुरंत दूर करें, इसके लिए आप पौधों की प्रूनिंग कर सकते हैं।
मिर्च के पौधे लगाने के लिए मोजेक वायरस प्रतिरोधी बीजों का चयन करें।
काली मिर्च विल्ट रोग !
मिर्च विल्ट, मिर्ची के पौधे में होने वाला एक प्रकार का रोग है, जो वाटर मोल्ड (water mold insect) नामक जीव के कारण होता है। इस रोग के कारण पौधों में लीफ ब्लाइट, फल तथा जड़ सड़न इत्यादि समस्याएं होती हैं।
काली मिर्च विल्ट के लक्षण !
रोगग्रस्त पौधे पर ब्राउन या काले रंग के धब्बे तथा सफ़ेद लाइन पड़ जाना।
नरम तथा पिलपिले फल।
मिर्च विल्ट रोग से प्रभावित पौधों में दिखाई देने वाले लक्षण निम्न हैं:
पौधों का मुरझाना, इसके अलावा पौधे नष्ट भी हो सकते हैं।
काली मिर्च विल्ट से बचाव!
इस रोग से पौधों को बचाने के लिए आप निम्न तरीके अपना सकते हैं, जैसे:
ग्रो बैग या गमले की मिट्टी में लगे पौधों को अधिक पानी देने से बचें।
होमगार्डन या टेरिस गार्डन में लगे मिर्ची के संक्रमित पौधों को तुरंत हटा दें।
ग्रे मोल्ड रोग
यह एक सामान्य कवक संक्रमण है, जो बोट्रीसिस सिनेरिया (Botrytis cinerea) नामक कवक के कारण होता है, ये बीजाणु सामान्यतः तनावग्रस्त पौधों पर या पौधों के तनों पर हमला करते हैं।
ग्रे मोल्ड रोग के लक्षण !
पौधे के प्रभावी भागों पर मोल्ड।
मिर्ची के संक्रमित भाग पर छोटे काले बीज जैसे धब्बे।
ग्रे मोल्ड से प्रभावित पौधों में निम्न लक्षण देखने को मिलते हैं, जैसे:
मिर्च, काली ब्राउन होने के साथ-साथ नरम हो जाती है।
ग्रे मोल्ड की गंभीर स्थिति के कारण पौधे का सूखकर या मुरझाकर नष्ट होना।
ग्रे मोल्ड रोग से बचाव!
ग्रे मोल्ड कोई विशेष कवकनाशी नहीं हैं, इस बीमारी को रोकने का केवल एक ही तरीका है नमी को नियंत्रित करना, इसके लिए आप निम्न तरीके अपना सकते हैं:
पौधे लगे गमले की मिट्टी में अत्यधिक नमीं से बचें।
गार्डन या होमगार्डन में साफ-सफाई रखें।
मिर्ची के पौधों को ऐसी जगह रखें, जहाँ वायु परिसंचरण अच्छे से हो सके।
एन्थ्रेकनोज रोग !
यह रोग कवक संक्रमण के कारण होता है, जो फलों के आकार, गुणवत्ता और उपज को प्रभावित करता है। मिर्च को प्रभावित करने वाले कुल 16 प्रकार के एन्थ्रेकनोज पाए जाते हैं, जो अलग जलवायु में पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं।
मिर्च पर गोलाकार डेन व काले धब्बे।
फलों का सड़ना।
मिर्ची के तनों तथा पत्तियों पर ब्राउन रंग के अनियमित धब्बे।
एन्थ्रेकनोज रोग से बचाव!
अन्य फंगल संक्रमणों की तरह एन्थ्रेकनोज रोग भी नमी की अधिकता के कारण पौधों में फैलता है, इसीलिए अपने होम गार्डन में लगे हुए मिर्च के पौधों को एन्थ्रेकनोज रोग से बचाने के लिए आप निम्न उपाय करें,
मिर्च के पौधे लगे हुए गमले की मिट्टी को अधिक गीला न होने दें।
इस रोग से बचने के लिए उचित जैविक कवकनाशी का प्रयोग करें।
अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में मिर्च के पौधे लगाएं।
मिर्च ब्लाइट रोग !
शिमला मिर्च या अन्य मिर्च वाले पौधों को ब्लाइट रोग (झुलसा रोग) फाफी नुकसान पहुंचा सकता है, जो मिट्टी में पैदा होने वाले रोगजनक फायटोफ्थोरा कैप्सिकी (Phytophthora capsici) के कारण उत्पन्न होता है। यह रोग पौधे के लगभग सभी भागों को प्रभावित करता है और उच्च आर्द्रता व तापमान के कारण तेजी से फैलता है।
मिर्च ब्लाइट रोग के लक्षण !
बीज अंकुरण में सड़न होना एवं जड़ें गहरे रंग की तथा पिलपिली हो जाती हैं।
पौधे के तने पर ब्राउन या काले रंग के धब्बे आना।
मिर्च ब्लाइट रोग से प्रभावित पौधों में निम्न लक्षण देखने को मिलते हैं, जैसे:
पत्तियों व मिर्च (फलों) पर पानी के सूखे हुए धब्बेदार निशान उभर आना।
पौधों की ग्रोथ में रुकावट, इत्यादि।
मिर्च ब्लाइट रोग से बचाव!
होम गार्डन में लगे मिर्च के पौधे में मिर्च ब्लाइट रोग का संक्रमण आपके पूरे पौधे को नष्ट कर सकता है, इसलिए पौधों को इस रोग से बचाने के लिए निम्न तरीके अपनाएं:
होम गार्डन के गमले में लगे मिर्च के पौधों को आवश्यक तापमान व आर्द्रता में रखना सुनिश्चित करें।
अगर वातावरण विपरीत है, तो अपने मिर्च के पौधों को उचित छाया प्रदान करें, इसके लिए आप शेडनेट का उपयोग कर सकते हैं।
गार्डन में मिर्च के पौधों के आस-पास साफ-सफाई होना सुनिश्चित करें।
मिट्टी को अत्यधिक गीला करने से बचें तथा पर्याप्त नमी बनाएं रखें।