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Om Thakur
सेम फली एक लता वाली फलीदार सब्जी है जिसके व्यंजन काफी पौष्टिक एवं लजीज होते हैं। इसे सेमी या लीमा बीन के नाम से भी जाना जाता है। इसमें आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस, प्रोटीन आदि जैंसे अनेक पौष्टिक तत्व होते हैं जो आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। तो आइये जानते हैं सेम फली को गमले में उगाने कि विधि के विषय में:
सेम फली उगाने की सामग्री !
उत्तम किस्म के बीज
गमला या ग्रो बैग
आर्गेनिक खाद
पानी
मिट्टी
गमला या ग्रो बैग में मिट्टी लें
आप सेम फली को 12x12, 15x15, 18x18, 24x24 इंच या अपनी सुविधा के अनुसार बड़े गमले या ग्रो बैग को चुन सकते हैं। गमले में उपयोगी मिट्टी भरकर, नमी के लिए पानी का छिड़काव करें।
सेम फली के बीज
पौधे तैयार करने के लिए आप सबसे पहले अच्छी क्वालिटी के सेम फली के सीड लें। इसके बाद तैयार की गई मिट्टी को सीडलिंग ट्रे या छोटे गमले भर लें। बीजों को सीडलिंग ट्रे पर फैलाएं और लगभग 1 सेमी तक उनके ऊपर मिट्टी डाल कर पानी का छिड़काव करें।
अंकुरण
सेम फली के सीड्स को जर्मिनेट होने में 7 से 14 दिन का समय लग सकता है।
सेम फली उगाने के लिए पानी
सेम फली लगे गमले की मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में पानी देना चाहिए। लेकिन जरूरत से ज्यादा पानी पौधों की जड़ों को सड़ा सकता है। इसलिए पौधों को उचित मात्रा में पानी दें।
आवश्यक खाद
आप लीमा बीन या सेमी के पौधों में तेजी से विकास के लिए जैविक उर्वरक जैसे वर्मीकम्पोस्ट, बोन मील, नाइट्रोजन युक्त उर्वरक, मस्टर्ड केक, नीम केक, पुरानी गोबर की खाद आदि का उपयोग कर सकते हैं।
उचित धूप
पर्याप्त सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में लीमा बीन का पौधा अच्छी तरह से ग्रो करता है, इसे कम से कम 5 से 6 घंटे की धूप मिलना चाहिए।
प्रमुख कीट
सेम फली के पौधे पर एफिड, लीफ हॉपर्स और माइट के प्रकोप को पानी की बौछार कर दूर किया जा सकता है या फिर आप नीम तेल और साबुन के घोल का छिडकाव कर कीट के प्रकोप को नियंत्रित कर सकते हैं।
जब सेम की फलियाँ पूर्ण आकार में पहुँच जाती हैं तब इनको सब्जी के रूप में तोड़ा जा सकता है। ये फलियाँ बुवाई से 85 से 90 दिनों के बाद हार्वेस्ट कर सकते हैं।