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Om Thakur

वर्मीकम्पोस्ट को बनाने की विधि, उपयोग और फायदे !

पौधे की अच्छी ग्रोथ के लिए कुछ लोग अलग-अलग तरह की रासायनिक खाद का प्रयोग करते है, जिससे पौधे की ग्रोथ तो हो जाती है, लेकिन इससे मिट्टी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है एवं हमारी हेल्थ पर भी इसके दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं।

वर्मीकम्पोस्ट एक आर्गेनिक खाद है जो पौधे की जड़ों को आवश्यक पोषक तत्व सही मात्रा में प्रदान करती है। सब्जियों और अन्य पौधों के लिए पूर्ण रूप से जैविक खाद के रूप में वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग आर्गेनिक गार्डनिंग में अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

वर्मीकम्पोस्ट क्या है?

केंचुआ के मल या केंचुआ कास्टिंग को वर्मीकम्पोस्ट या केंचुआ खाद कहा जाता है। वर्मीकम्पोस्टिंग वह प्रक्रिया है, जिसमें विशेष रूप से केंचुओं और अन्य सूक्ष्मजीवों (कृमि) के माध्यम से जैविक कचरे का अपघटन किया जाता है, और उन्हें लाभदायक मिट्टी में बदला जाता है। अपघटन के बाद बने मिट्टी उत्पाद को वर्मीकम्पोस्ट कहा जाता है।

वर्मी कम्पोस्ट कैसे बनाते हैं?

वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए आप एक हवादार नम पात्र या किसी समतल भूमि का चुनाव करें। वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए उस स्थान का चयन करें जहाँ सीधी धूप न पड़े और हवायुक्त छायादार क्षेत्र हो।

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इस पात्र में 2 इंच मोटी रेत या बजरी बिछाएं और उसके ऊपर 6 इंच मोटी काली या दोमट मिट्टी की परत बिछा दें। ध्यान रहे मिट्टी में कांच, पत्थर और धातु के दुकड़े नहीं होने चाहिए।

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अब इस मिट्टी पर आसानी से अपघटित होने वाले पदार्थ या आधे अपघटित पदार्थ जैसे- नारियल की बूछ, सब्जी की छिलके, गन्ने के पत्ते, ज्वार के डंठल और केले जैसे अपशिष्ट की 2 इंच मोटी परत बिछाएं।

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इसके ऊपर 2 इंच मोटी अपघटित गोबर खाद की परत बिछाएं। ध्यान रखें कि गोबर ताजा न हो।

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अब इसपर केचुओं को डालकर, गोबर और अन्य अपशिष्ट की 6 इंच मोटी परत से ढक दें।

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अपशिष्ट डालने की बाद इसे मोटी टाट पट्टी या बोरे से ढकें, जिससे हवा अवरुद्ध न हो और नमी अधिक समय तक बनी रहे।

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ध्यान रखें यह पूरा मिश्रण पर्याप्त नमी युक्त होना चाहिए। तथा तापमान 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट होना चाहिए।

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नमी बनाये रखने के लिए इसपर प्रतिदिन पानी छिड़कते रहें, और प्रतिसप्ताह ऊपरी गोबर खाद और कचड़े को पलटकर हल्का करते रहें।

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यदि 30 दिन बाद छोटे छोटे केंचुएँ दिखाई देने लगें तो इसपर पुनः कूड़े-कचड़े की 2 इंच मोटी परत बिछा दें और पानी छिडकें।

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लगभग 2 महीने में वर्मी कम्पोस्ट या केंचुआ खाद बनकर तैयार हो जाएगी। यह दिखने में चायपत्ती जैसी गहरे काले रंग की और मिट्टी से हल्की होगी।

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वर्मीकम्पोस्ट बनाते समय सावधानियां !

मिश्रण में पर्याप्त नमी होनी चाहिए एवं ध्यान रखें खाद के मिश्रण को बहुत अधिक पानी नहीं देना चाहिए, इससे मिट्टी में वायु प्रवाह अवरुद्ध हो सकता है।

मिट्टी में किसी भी प्रकार के पत्थर, कांच, प्लास्टिक या धातु के टुकड़े नहीं होने चाहिए।

इस खाद को बनाते समय तापमान 30 से 35 डिग्री सेंटीग्रेट से अधिक नहीं होना चाहिए।

अपशिष्ट के मिश्रण में किसी भी प्रकार के रसायन या कीटनाशक मौजूद नहीं होना चाहिए, तथा इनके छिड़काव से बचना चाहिए।

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वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग कब करें?

वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग किसी भी मौसम में और पौधों की ग्रोथ के किसी भी चरण में इसका उपयोग किया जा सकता है। इसे पौधों की मिट्टी के साथ मिलाया जाता है। आप पौधे लगाने के लिए पौष्टिक मिट्टी तैयार करते समय या पौधे लगे गमले की मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाने के लिए इसे मिट्टी में डाल सकते हैं।

वर्मीकम्पोस्ट का प्रयोग कैंसे करें?

पौधे लगाने के लिए गमले की मिट्टी तैयार करते समय इसे मिट्टी के साथ लगभग 30% अनुपात में मिलाया जाता है। यदि आप पौधे लगे गमले की मिट्टी में इस जैविक खाद का उपयोग करना चाहते हैं, तो इसे आम तौर पर महीने में एक या दो बार, एक मुट्ठी वर्मीकम्पोस्ट को मिट्टी की ऊपरी सतह पर डाल सकते हैं।

केंचुआ खाद के फायदे !

इसके प्रयोग से पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और पौधों में अधिक मात्रा में फल और फूल लगते हैं।

मिट्टी की जल धारण करने की क्षमता में सुधार होता है

मिट्टी को वातित रखने और पौधों की जड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए केंचुआ खाद फायदेमंद होती है।

वर्मीकम्पोस्ट खाद का प्रयोग करने से उत्पादन क्षमता में 15 से 20% की वृद्धि हो जाती है।

यह तरह से आर्गेनिक और पर्यावरण के अनुकूल है इसमें किसी भी प्रकार के रसायन नहीं होते हैं।

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