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Om Thakur

होम गार्डनिंग शुरू करने के टॉप-12 टिप्स !

अपने आस-पास सुंदर और मन मोहक पौधे तथा फूल सभी को भाते हैं, इसीलिए आजकल होम गार्डनिंग शुरू करने की इच्छा रखने वालों की कमी नहीं है, लेकिन सही जानकारी के अभाव में गार्डनिंग शुरू नहीं कर पाते। तो आईये जानते हैं गार्डनिंग के टॉप -12 टिप्स !

उचित स्थान !

गार्डनिंग शुरू करने के लिए जरूरी है अच्छी जगह का चयन करना, जहाँ गमले या ग्रो बैग की मिट्टी में लगे पौधों को अनुकूल वातावरण मिल सके। 

उत्तम किस्म के बीज !

घर में गार्डनिंग करने के लिए जगह का चयन करने के बाद, आपको पौधे लगाने के लिए अच्छी किस्म के बीजों का चुनाव करना होगा, ताकि आपको भविष्य में अच्छे और स्वस्थ पौधे प्राप्त हो सकें।

गमले या ग्रो बैग  में उगाएँ पौधे !

यदि आप बागवानी की शुरूआत कर रहे हैं, तो पौधों के आकार के आधार पर गमले या ग्रो बैग में पौधे लगा सकते हैं। इसके अलावा गमले में पौधे लगाने से हमें निम्न प्रॉफिट होते हैं:

ग्रो बैग या गमले वजन में काफी हल्के होते हैं, तथा इन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाना आसान होता है।

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गार्डनिंग टूल्स का करें प्रयोग !

आप अपने घर पर गार्डन में पौधे लगाते समय, पौधों की प्रूनिंग करने के दौरान तथा होम गार्डन में कई उपयोगी कार्यो को करने के लिए गार्डनिंग टूल्स का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो आपके काम को और भी आसान बनाएंगे।

पौधों की ग्रोथ के लिए मिट्टी !

उपजाऊ और उर्वरा शक्ति वाली मिट्टी में ही पौधों का विकास तेजी से होता है, इसीलिए सबसे अच्छी मिट्टी या पॉटिंग मिक्स में पौधे लगाएं। यदि आप अपने गार्डन या गमले में पौधे लगाने के लिए हार्ड या चिपचिपी मिट्टी का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आपके पौधों का विकास रुक सकता है।

पौधे लगाने का सही तरीका!

गमले या ग्रो बैग की तली में अतिरिक्त जल निकासी छिद्र होना चाहिए।

मिट्टी में बीज को उसके डायमीटर की दुगुनी गहराई पर लगाएं।

गमले की मिट्टी में बीज लगाने के बाद स्प्रे पंप की मदद से पानी दें।

पॉट में मिट्टी भरते समय, पॉट को ऊपर से 2 से 3 इंच खाली छोड़ें, जिससे की पौधों को पानी देते समय मिट्टी बाहर न बहे।

सही समय पर दें पानी !

पानी की कमी के कारण पौधा सूखने पर नष्ट हो सकता है, अतः इसे जरूरत पड़ने पर समय-समय पर पानी देते रहें। गमले में फब्बारे के रूप में इतना पानी दें की नमी बनी रहे।

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मल्चिंग करें !

पौधे लगे गमले की मिट्टी की नमी तथा उपजाऊ क्षमता बनाए रखने के लिए, मिट्टी की सतह को घास-फूंस, पुआल आदि से ढकना मल्चिंग कहलाता है। घांस की कतरन, पुआल, पेड़ की सूखी पत्तियों और छोटे कंकड़ आदि को मल्चिंग के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। मल्चिंग से मिट्टी की नमी बनी रहती है।

जैविक खाद का करें प्रयोग !

पौधों में निम्न आर्गेनिक उर्वरक का उपयोग कर आप हरे-भरे पौधे प्राप्त कर सकते हैं:

केले के छिलके, अंडे के छिलके और प्याज के छिलकों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

चाँवल के पानी का प्रयोग भी जैविक फर्टीलाइजर के रूप में किया जा सकता है।

जैविक खाद के रूप में आप वर्मीकम्पोस्ट, गोबर खाद, नीम केक और मस्टर्ड केक आदि प्रयोग कर सकते हैं।

पौधों की छंटाई !

पौधों के विकास व वृद्धि के लिए पौधे से क्षतिग्रस्त भाग जैसे पत्ते, तने आदि को हटाना प्रूनिंग कहलाती है:

गार्डन या गमले में लगे पौधे हेल्दी होते हैं।

छंटाई से पौधों को सुन्दर आकार दिया जा सकता है।

पौध से डैमेज भाग अलग हो जाते हैं, जिससे पौधी की ग्रोथ जल्दी से बढ़ती है।

जैविक कीटनाशक का करें प्रयोग !

घर या गार्डन में लगे पौधों में कई प्रकार के कीट लगा जाते हैं जो पौधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इन कीटों से छुटकारा पाने के लिए प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है और प्लांट को कीटों से बचाया जा सकता है। कीटों से पौधों को बचाने के लिए नीम तेल का प्रयोग कर सकते हैं।

खरपतवार नियंत्रण के तरीके !

कभी कभी पौधे के आस पास अनावश्यक रूप से पौधे उग आते हैं, जो मुख्य पौधे के विकास को बाधित करते हैं।

मिट्टी को मल्च करें।

समय समय पर पौधों की निराई करें।

खरपतवार की वृद्धि रोकने के लिए जैविक खाद का उपयोग करें।