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टमाटर एक ऐसा पौधा है, जिसे सीडलिंग तैयार करने से लेकर परिपक्व होने और यहाँ तक कि पौधे में टमाटर लगने तक कई कीटों का सामना करना पड़ता है।
यह पौधा कीट व रोगों के प्रति अतिसंवेदनशील होता है, जिससे इसे कीड़ों से बचाने के लिए देखभाल करना जरूरी होता है।
यह छोटे-छोटे काले, सफ़ेद और हरे रंग के उड़ने वाले कीड़े होते हैं, जो टमाटर के पौधे की पत्तियों और तने का रस चूसते हैं, जिससे पौधे की वृद्धि रुक जाती है।
कटवर्म मिट्टी में रहने वाले कैटरपिलर होते हैं, जो क्रीम और ब्राउन रंग के होते हैं। यह कीट टमाटर के तनों को नुकसान पहुंचाते हैं।
बीटल की कई प्रजातियाँ टमाटर के पौधों को नुकसान पहुँचाती हैं, इनमें से कुछ कीट पौधे को कम नुकसान पहुँचाते हैं और कुछ पूरे पौधे को नष्ट कर देते हैं।
लाल मकड़ी या मकड़ी के घुन टमाटर के पौधे में होने वाले छोटे कीड़ों में से एक हैं, जो पौधे की पत्तियों से रस चूसते हैं तथा इन पत्तियों पर जाले का निर्माण करते हैं।
यह हरे रंग की कैटरपिलर होती है, जिसके शरीर पर वी शेप की काले या सफ़ेद रंग की धारियां बनी होती हैं। एक वयस्क हॉर्नवॉर्म टमाटर की पत्तियों और तनों को तेजी से खाती है।
कीटों का प्रभाव दिखने पर पत्तियों पर जैविक कीटनाशक साबुन तथा नीम तेल का स्प्रे करें या फिर आप स्टिकी ट्रैप भी इतेमाल कर सकते है।