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Om Thakur

रैनी सीजन में फूलों की देखभाल कैसे करें?

बारिश का मौसम शुरू हो चुका है और ऐसे में आप अपने गार्डन में तेज़ बरसात से फूलों के पौधों की सुरक्षा करना चाहते हैं, जिससे इस रैनी सीजन में भी आपका होम गार्डन सुन्दर और मनमोहक फूलों से सजा रहे।

वर्षा का पानी पौधो की ग्रोथ बढ़ाने के लिए फायदेमंद होता है और फूल वाले पौधों में अच्छी फ्लावरिंग होती है, लेकिन यदि तेज बारिश के दौरान पौधों की उचित देखरेख न की जाए, तो ये फूलों के पौधों के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। तो आईये जानते हैं बरसात में पौधों की देखभाल के जरुरी टिप्स !

फूल वाले पौधों को सहारा दें !

बेल या लता वाले फूलों के पौधों को लकड़ी के डंडे या क्रीपर नेट से सहारा दें, ताकि तेज हवा के दौरान पौधे सुरक्षित रहें। इसके अतिरिक्त आप पौधों को हवा और तेज बारिश से बचाने के लिए शेड नेट का इस्तेमाल कर सकते हैं।

पौधों को उचित स्थान पर रखें

मानसून के दौरान फूल के पौधे लगे गमलों को ऊँचे स्थान पर रखें, ताकि वहां बारिश का पानी एकत्रित न हो। इसके अलावा पौधे लगे गमले या ग्रो बैग को ड्रेनेज मेट पर रख सकते, जिससे अगर पानी गमलो में भर भी जाता है तो वह आसानी से बाहर निकल सके और पौधों में ओवरवाटरिंग न हो।

पौधों को आवश्यकता अनुसार पानी दें

रैनी सीजन में फूल वाले पौधों को पानी देने की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि बारिश से पौधों को पानी मिलता रहता है और साथ ही वातावरण में नमी रहने से पौधे की मिट्टी नम बनी रहती है। आप बारिश में पौधों को पानी तब दे सकते हैं, जब बहुत दिनों तक पानी न गिरे और पौधे लगे गमले की मिट्टी 2 इंच की गहराई तक सूखी हो।

पौधों को कीट और रोगों से बचाएं

मानसून सीजन में कीट जैसे मिली बग, एफिड्स, लीफ हॉपर, स्लग आदि फूलों के पौधों को बुरी तरह से प्रभावित कर सकते हैं। इसीलिए इन कीटों से बचाव के लिए एक अच्छे प्रभावी कवकनाशी का इस्तेमाल करें। फूलों के पौधों को रोगों से बचाने के लिए, उसके रोगग्रस्त भागों को हटा दें और संक्रमित भाग पर नीम तेल का स्प्रे करें।

खरपतवार को नियंत्रित करें

रैनी सीजन गार्डन में फूलों के पौधों के आस-पास खरपतवार ज्यादा उगती है, जिससे पौधों को हानि पहुँचाने वाले कीट यहाँ पर छिप सकते हैं। खरपतवार मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्वों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, फलस्वरूप हमारे पौधों को पोषक तत्व कम मिलने के कारण पौधे खराब होने लगते हैं। खरपतवार को खुरपा या वीडिंग टूल्स की मदद से निकाल दें।

बारिश में फूलों की करें डेड हेडिंग

बारिश के समय पौधों में नए और अधिक फूल खिलने के लिए पुराने मुरझाये, मृत या डैमेज फूलों को आधार सहित पौधे से हटा दिया जाता है, जिसे फूलों की डेडहेडिंग करना कहते हैं। डेडहेडिंग (deadheading) करने से पौधे की ऊर्जा व्यर्थ नहीं जाती, जिससे पौधों में ज्यादा से ज्यादा फूल खिलते हैं और पौधा सुंदर भी दिखने लगता है।

पौधों को खाद और उर्वरक दें

घर पर गमले या गार्डन की मिट्टी में लगे फूलों के पौधों को बारिश शुरू होने से 10-15 दिन पहले जैविक खाद और उर्वरक देना चाहिए, क्योंकि बारिश के पानी से उर्वरक मिट्टी में अच्छे से अवशोषित हो जाते हैं। इसके अलावा आप पौधों को इस समय लिक्विड खाद भी दे सकते हैं।

फूलों को पर्याप्त रोशनी में रखें

बरसात के दौरान जब भी धूप निकले तो पौधों को धूप जरूर दिखाएँ। बरसात में पौधों को पर्याप्त धूप दिखाने से पौधों में रोग आदि लगने का खतरा कम रहता है और प्लांट भी सुरक्षित बने रहते हैं।

फूलों के पौधों को उचित दूरी पर लगाएं

बरसात के दौरान फ्लावर प्लांट पास-पास लगे होने के कारण उनमें वायु का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता है। फलस्वरूप पौधे की पत्तियां अधिक समय तक गीली रहती हैं, जिससे उनमें कई प्रकार के रोग और कीट लगने लगते हैं। इन सभी समस्याओं से पौधों को बचाने के लिए उन्हें उचित दूरी पर लगाएं

वर्षा का पानी एकत्रित करें

बारिश का पानी सभी पौधों लिए फायदेमंद होता है, इसीलिए बरसात (बारिश) के पानी को एकत्रित कर लें, क्योंकि जब बारिश न हो तब फूल वाले पौधों को पानी दिया जा सके। पौधों को पानी देने के लिए आप वॉटर केन या स्प्रे पंप का इस्तेमाल कर सकते हैं।