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Om Thakur
सर्दियों में गार्डन की मिट्टी में सुधार कैसे करें?
यह एक फैक्ट है कि जब मिट्टी का तापमान 7°C (45°F) से नीचे चला जाता है, तब मिट्टी के भीतर पाए जाने वाले उपयोगी सूक्ष्मजीवों पर विपरीत असर होता है। अधिक ठंड की स्थिति में मिट्टी के भीतर माइक्रोबियल एक्टिविटी धीमी हो जाती हैं और इसके कारण मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में कमी आती हैं।
यही वजह है कि बरसात का सीजन खत्म हो जाने के बाद सर्दियों के मौसम में पौधे लगाने के लिए या जो पौधे पहले से लगे हैं उनकी मिट्टी में सुधार करने की आवश्यकता होती है। तो आइये जानते हैं सर्दियों के समय मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने के सरल तरीके:
मिट्टी से मृत पौधों को हटाएं
ग्रोइंग सीजन ख़त्म हो जाने के बाद मिट्टी से मृत या सूख चुके वार्षिक पौधों के अवशेषों जैसे जड़ों, तनों और पत्तों आदि को हटा दें। इस समय कई वार्षिक पौधों में फल या फूल लगना बंद हो जाता है, इसीलिए उन्हें जड़ समेत उखाड़कर अलग कर देना ही सही रहता है।
मिट्टी से खरपतवारों को हटाएं
यदि सर्दियों के समय होम गार्डन की मिट्टी में खरपतवार के पौधे उग रहे हैं, तो तुरंत उन्हें हाथ से या गार्डन टूल (जैसे- वीडर, खुरपा) की मदद से मिट्टी में से निकालकर अलग कर दें। खरपतवार के पौधे मिट्टी से नमी और पोषक तत्वों को खींचते हैं, जिसके कारण मुख्य पौधों की ग्रोथ धीमी हो जाती है।
मिट्टी की गुड़ाई करें
गुड़ाई करने से मिट्टी की निचली परतें ऊपर आ जाती हैं। निचली मिट्टी को धूप लगने से मृदा जनक रोगों के होने का खतरा भी कम हो जाता है। गुड़ाई करने से निचली मिट्टी को हवा भी लगती है। मिट्टी में हवा का संचार बने रहने से पौधे की जड़ें अच्छे से ग्रोथ कर पाती हैं।
मिट्टी में सुधार के लिए कवर क्रॉप लगाएं
कवर क्रॉप खरपतवारों को बढ़ने से रोकती हैं, मिट्टी के कटाव को रोकती है और मिट्टी को उपजाऊ बनाती हैं। अरुगुला, राई, मटर, मूली आदि कवर क्रॉप हैं, जिन्हें आप मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए होम गार्डन में लगा सकते हैं।
मिट्टी में खाद मिलाएं
सर्दियों के समय मिट्टी को उपजाऊ बनाये रखने के लिए उसमें खाद (गोबर खाद, कम्पोस्ट खाद आदि) व उर्वरकों (बोन मील, नीम केक आदि) को मिलाना काफी जरूरी होता है। इसके अलावा इनके इस्तेमाल से मिट्टी ढीली (Loose) हो जाती है, और मिट्टी की पोषक तत्वों को सोखने की क्षमता भी बढ़ जाती है।
मिट्टी की मल्चिंग कर दें
मल्चिंग में पत्तियों या अन्य कार्बनिक या अकार्बनिक पदार्थों का उपयोग करके जमीन को ढक दिया जाता है। ऐसा करने से मिट्टी में खरपतवार नहीं उग पाती है। मल्चिंग करने से तेज ठंड पड़ने पर भी मिट्टी थोड़ी गर्म बनी रहती है और मिट्टी के अन्दर मौजूद लाभकारी माइक्रोब्स और कीट जैसे केंचुआ आदि को ठंड के खतरे से बचाया जा सकता है।