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Om Thakur
हरा मटर एक बहुत ही लोकप्रिय सब्जी है। यह काफी पौष्टिक होते हैं और इनमें उचित मात्रा में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं।
इसका उपयोग आलू मटर, मटर पनीर और मटर कचौड़ी जैसे व्यंजन तैयार करने के लिए किया जाता हैं। इसमें विटामिन A, C, K, आयरन और मैगनीज जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं। आज इस स्टोरी में हम जानेंगे कि घर पर आसानी से मटर कैसें उगाएँ?
फूल गोभी उगाने की सामग्री !
उत्तम किस्म के बीज
गमला या ग्रो बैग
आर्गेनिक खाद
पानी
मिट्टी
गमला या ग्रो बैग में मिट्टी लें
आप मटर को 12 x 12, 15 x 12, 15 x 15 इंच या अपनी सुविधा के अनुसार बड़े गमले या ग्रो बैग को चुन सकते हैं। गमले में उपयोगी मिट्टी भरें। आप इसमें मिट्टी भरकर, नमी के लिए पानी का छिडकाव करें।
मटर के पौधे तैयार करने के लिए आप सबसे पहले उत्तम क्वालिटी के बीज लें। इसके बाद तैयार की गई मिट्टी को सीड सीडलिंग ट्रे या छोटे गमले में भर लें। बीजों को सीडलिंग ट्रे पर फैलाएं और लगभग 1-2 सेमी तक उनके ऊपर मिट्टी डाल कर पानी का छिड़काव करें।
अंकुरण
मटर के बीज को लगाने के एक सप्ताह के बाद बीज अंकुरित और दो सप्ताह के बाद उसमें दो पत्ते निकल आते हैं।
मटर उगाने के लिए पानी
मटर लगे गमले की मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में पानी देना चाहिए। जरूरत से ज्यादा पानी पौधों की जड़ों को सड़ा सकता है। इसलिए पौधों को उचित मात्रा में पानी दें।
आवश्यक खाद
आप मटर के पौधों में तेजी से विकास के लिए जैविक उर्वरक जैसे वर्मीकम्पोस्ट, बोन मील, नाइट्रोजन युक्त उर्वरक, मस्टर्ड केक, नीम केक, पुरानी गोबर की खाद आदि का उपयोग कर सकते हैं।
उचित धूप
पर्याप्त सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में मटर का पौधा अच्छी तरह से ग्रो करता है, इसे कम से कम 6 से 7 घंटे की धूप मिलना चाहिए।
प्रमुख रोग
इसमें लीफ माइनर, फली छेदक, माहू, सफ़ेद विलगन, और उख्टा या जड़ सडन आदि की समस्या होती है, इनकी रोकथाम के लिए अपने हरे मटर के पौधे में कीट, फंगल या किसी अन्य संक्रमण के शुरुआती लक्षणों की तलाश करें। ऐसी बीमारियों के किसी भी लक्षण के दिखते ही नीम ऑयल का छिड़काव करें।
आप बुआई के 40-50 दिनों बाद पहली बार हरा मटर हार्वेस्ट कर सकते हैं और अगले तीन महीने बाद तक मटर को 3 बार तक तोड़ सकते हैं।