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गर्मी के मौसम में गार्डन के पौधों को विशेष रूप से देखभाल की जरूरत होती है, इस समय का अधिक तापमान और तेज धूप पौधों को जला देती है।
जिससे समर सीजन में इन पौधों को धूप से बचाना तथा बार-बार पानी देना पड़ता है। गर्मियों के गार्डन की इन्ही समस्या को कम करने के लिए कोकोपीट का उपयोग किया जाता है।
नारियल की भूसी में मौजूद रेशे को निकाल लेने के बाद, बचा हुआ धूल वाला हिस्सा कोकोपीट कहलाता है, इसे कॉयर डस्ट या कॉयर पिथ के नाम से भी जाना जाता है।
कोकोपीट क्या है:
कोकोपीट को मिट्टी में मिलाने से पहले, इसे पानी में भिगोना चाहिए, ताकि यह नम रहे। उसके बाद आप 50-50% कोकोपीट और आर्गेनिक खाद मिलाकर मिट्टी तैयार करें।
उपयोग कैसे करें:
गर्मियों में कोकोपीट के द्वारा आप गमले की मिट्टी की संरचना में सुधार कर सकते हैं। यह एक ऐसा मीडियम है, जो उच्च जल धारण क्षमता वाला होता है।
मिट्टी की संरचना में सुधार
गर्मियों में, सूरज की तेज धूप पड़ने से मिट्टी जल्दी सूख जाती है, जिससे पौधों में लगातार नमी बनाए रखना मुश्किल हो सकता है ऐसे में आप कोकोपीट से मल्चिंग कर सकते हैं।
पौधों की मल्चिंग
हाइड्रोपोनिक सिस्टम के लिए कोकोपीट एक लोकप्रिय ग्रोइंग मीडियम है, यह पौधे उगाने का एक मिट्टी रहित तरीका है।
हाइड्रोपोनिक सिस्टम
यदि आप पौधों को कोई अधिक प्रभावी फर्टिलाइजर देने जा रहे हैं, तो आप कोकोपीट के साथ मिक्सचर बनाकर पौधे की टॉप ड्रेसिंग कर सकते हैं।
टॉप ड्रेसिंग