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Om Thakur

रैनी सीजन में शलजम के पौधे की केयर कैसे करें?

बारिश का पानी शलजम की ग्रोथ बढ़ाने के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन यदि तेज बारिश के दौरान शलजम की उचित देखरेख न की जाए, तो यह प्लांट के लिए नुकसानदायक हो सकता है। तो आइये जानते हैं बारिश के मौसम में शलजम की केयर कैसे करें:

मिटटी तैयार करें !

बारिश में शलजम के बीज बोने से पहले मिटटी तैयार की जाती है, इसके लिए आप 50% मिटटी, 30% गोबर खाद, 10% रेत एवं 10% नीम केक के मिश्रण से बढ़िया पोटिंग साइल तैयार कर सकते हैं।

उचित खाद दें !

बरसात में शलजम के बीजों के अंकुरण के समय PGP लिक्विड फ़र्टिलाइज़र, रूट की ग्रोथ के आर्गेनिक पोटाश एवं प्रोम फ़र्टिलाइज़र का उपयोग करें।

उचित समय पर पानी दें !

बरसात में शलजम के पौधे को पानी देने की जरुरत तो नहीं होती लेकिन जब बारिश कुछ दिनों तक न हो और मिट्टी सूखी दिखे, तो मिट्टी में नमी बनाये रखने के लिए उचित मात्रा में पानी अवश्य दें।

उचित सूर्यप्रकाश एवं तापमान

बारिश में शलजम के पौधे को ग्रो करने के लिए पूर्ण सूर्य प्रकाश की आवश्यकता होती है। लेकिन वर्षा ऋतु में सूर्य प्रकाश कम ही प्राप्त हो पाता है, अतः इसको ग्रो करने के लिए तापमान 10°C से 32°C के बीच में होना सुनिश्चित करें।

भारी बारिश से बचाव !

भारी बारिश के कारण शलजम प्लांट के आसपास जल-भराव की समस्या उत्पन्न हो जाती है, इससे बचाव के लिए आप शलजम लगे ग्रो बैग या गमले में ड्रेनेज होल बनायें तथा ग्रो बैग को ड्रेनेज मेट पर रखें।

कीटों एवं रोगों से बचाव ! 

बारिश के मौसम में शलजम को स्लग और स्नेल नामक कीट से बचाव के लिए, पौधे लगे ग्रो बैग के चारों ओर नमक का छिड़काव कर सकते हैं। इसके अलावा रोगों से बचाने के लिए शलजम प्लांट पर नीम तेल का स्प्रे करें।

खरपतवार को हटायें

रैनी सीजन में शलजम के आस-पास खरपतवार ज्यादा उगती है, जिससे प्लांट को हानि पहुँचाने वाले कीट यहाँ पर छिप सकते हैं। अतः इस समय उगने वाली खरपतवार को खुरपा या वीडिंग टूल्स की मदद से निकाल दें।

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