by samiksha tiwari
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जब इनडोर पौधों को खाद देने की बात आती है, तो अक्सर गार्डनर इन बातों को लेकर सोच में पड़ जाते हैं कि उनके पौधे के लिए सबसे अच्छी खाद कौन सी होगी? कब खाद डालें? और खाद डालते समय किन गलतियों से बचना चाहिए? एक अच्छे गार्डनर को सबसे पहले इन सवालों के जबाव खोजना चाहिए, क्योंकि इन बातों को नज़रअंदाज करना आपके इनडोर पौधों के स्वास्थ्य और विकास को प्रभावित कर सकते है।
घर के अंदर पौधों को खाद या उर्वरक देने का सबसे अच्छा समय ग्रोइंग सीजन होता है, जो आमतौर पर वसंत से गर्मियों के बीच होता है।
इंडोर पौधों को आम तौर पर संतुलित उर्वरक की आवश्यकता होती है जिसमे नाइट्रोजन (एन), फास्फोरस (पी) और पोटेशियम (के) उचित अनुपात में हो इसके लिए आप लिक्विड सीवीड, प्लांट ग्रोथ प्रमोटर और बायो NPK फ़र्टिलाइज़र इस्तेमाल कर सकते हैं।
इनडोर प्लांट में खाद डालने से पहले फर्टिलाइजर पैकेजिंग पर दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें और उनका पालन करें, क्योंकि फर्टिलाइजर का ज्यादा इस्तेमाल पोषक तत्वों को जलाकर जड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है।
इनडोर पौधों को खाद देने के विभिन्न तरीके हैं, जिनमें तरल उर्वरक, धीमी गति से अवशोषित होने वाले उर्वरक या जैविक विकल्प शामिल हैं। आप उस विधि को चुनें जो आपके पौधे के अनुकूल हो।
विशेषज्ञ की राय है कि उर्वरक देने से एक या दो दिन पहले पौधों में पानी डालने की सलाह दी जाती है, क्योंकि नम मिट्टी उर्वरक से जलने के जोखिम को रोकती है और पोषक तत्व जड़ों द्वारा बेहतर अवशोषित होते हैं।
जब भी आप पौधों को खाद दें तो इस बात का ध्यान रखें कि खाद जड़ों में दे न की पत्तियों या तनों पर ऐसा करने से पत्तियां जल सकती हैं। यदि आप गलती से पत्तियों पर खाद लगा देते हैं, तो एक नम कपड़ा लें और धीरे से पोंछ दें।
इनडोर पौधों की पोषक तत्वों की आवश्यकता अलग-अलग मौसमों के दौरान हो सकती है, जैसे गर्मियों के दौरान अधिक पोषक तत्व प्रदान करना और सर्दियों की अवधि में कम।
इनडोर पौधों की जरूरतों के अनुसार अपने निषेचन का समय निर्धारित करें। पोषक तत्वों की आपूर्ति का ध्यान रखें, हालांकि इनडोर पौधों को बार-बार खाद की जरूरत नहीं पड़ती, इसलिए पौधे की जरूरत को समझकर ही खाद डालें।
पौधे की अच्छी देखभाल करने का मतलब सिर्फ खाद देना नहीं है, यह केवल उन्हें मजबूत बनने में मदद करता है, इसके अलावा उन्हें स्वस्थ रखने के लिए उचित रोशनी, नमी का स्तर, उचित पानी और छंटाई आदि जैसी अन्य बातों पर भी ध्यान दें।