Om Thakur
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जब भी हम पौधे लगाते हैं तो उनकी वृद्धि के लिए सबसे आवश्यक पोषक तत्व नाइट्रोजन होता है। नाइट्रोजन तत्व पौधों के विकास के लिए इतना ज्यादा आवश्यक होता है कि, इसे किंग ऑफ प्लांट न्यूट्रीएंट्स कहा जाता है।
पृथ्वी पर वायुमंडल में लगभग 78% नाइट्रोजन पाया जाता है। लेकिन पर्याप्त मात्रा में होने के बाद भी कई बार पौधों में नाइट्रोजन की कमी हो जाती है और जिसके कारण पौधों का विकास रुक सकता है।
पौधे की पत्तियों में क्लोरोफिल पाया जाता है जो इसकी पत्तियों को हरा रंग प्रदान करता है और प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में सहायक होता है। क्लोरोफिल का सबसे मुख्य घटक नाइट्रोजन होता है।
नाइट्रोजन की उपस्थिति में भी पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन बनाते हैं। यदि पौधों को नाइट्रोजन उचित मात्रा में नहीं मिलता है, तो आपके पौधे नष्ट हो सकते हैं।
जब पौधे में नाइट्रोजन की कमी होती है तो इसका असर सबसे पहले उसकी पत्तियों में दिखाई देता है। नाइट्रोजन की कमी के कारण पौधे की पत्तियां पीली या हल्के सफेद रंग की होने लगती हैं, जिसके कारण पौधे का विकास रुक सकता है।
पेड़-पौधों में नाइट्रोजन की कमी के कारण फल बड़े होने से पहले ही गिरने लगते हैं या छोटे ही रह जाते हैं।
पौधों में नाइट्रोजन की कमी को दूर करने के लिए, आप मिट्टी में पुरानी गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बोन मील, नाइट्रोजन और फास्फोरस का बहुत ही अच्छा प्राकृतिक स्रोत है। इसके उपयोग से भी आप पौधों में नाइट्रोजन की कमी को पूरा कर सकते हैं।
वर्मीकम्पोस्ट में मिट्टी की तुलना में 7 गुना नाइट्रोजन होता है और इसके अलावा यह मिट्टी में अन्य पौषक तत्वों जैसे फास्फोरस, पोटाश, मैग्नीशियम व कैल्शियम की कमी को भी पूरा करता है।