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by samiksha tiwari
मानसून में खराब हो रहे, आपके फ्लॉवर प्लांट् तो बस करें ये आसान काम!
मानसून का मौसम चारो तरफ ताज़गी भरी बारिश और हरियाला लाता है, लेकिन यह हमारे प्यारे फूलों और अन्य पौधों पर भरी भी पड़ता है।
जहां एक तरफ खुशनुमा वातावरण हो दूसरी ओर जल-भराव वाली मिट्टी, अत्यधिक नमी और फंगल रोग जो हमारे पौधों को मुरझाया हुआ और खराब कर सकते हैं। हालाँकि, आप कुछ आसान टिप्स को फॉलो कर पौधों को होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं।
मानसून के दौरान बारिश के कारण हमारे गमलों में पानी भरने की समस्या आती है, जिससे पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं, इसके लिए गमलों में पर्याप्त जल निकासी छेद बनाएं और उन्हें ड्रेनेज मेट पर रखें।
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यदि आपके गार्डन में फूल वाले पौधों की शाखाएं रोगग्रस्त हैं या पत्तियां पीली हो रही हैं, तो उन्हें तुरंत प्रूनिंग कैंची की मदद से हटा दें, जिससे पौधे को फिर से रिग्रोथ करने में मदद मिलेगी।
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मानसून में फंगल रोगों से बचाव के लिए पौधों के बीच उचित वायु संचार होना आवश्यक है। इसके लिए पौधों के बीच पर्याप्त दूरी रखें और कुछ दिनों के अंतराल पर पौधे के पत्तो की छँटाई करें।
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मानसून में अत्यधिक नमी के कारण फूलों के पौधों में फफूंदी और पत्तियों पर धब्बे पड़ने लगते हैं, जिसे नियंत्रित करने के लिए आप जैविक कीटनाशक नीम तेल या साबुन के घोल का स्प्रे कर पौधों को रोगो से बचा सकते हैं।
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बारिश के दौरान मिट्टी में नमी के स्तर को नियंत्रित करने के लिए आप फूलों या अन्य पौधों के चारों ओर गीली घास, छोटे पत्थर, सूखे पत्ते और लकड़ी के टुकड़े डाल कर मल्चिंग करें।
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मानसून के दौरान, फूल वाले पौधों को तनाव से उबरने के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। आप उनके स्वस्थ विकास को बढ़ावा देने और अधिक फूल प्राप्त करने के लिए जैविक उर्वरक 'एनपीके' का उपयोग कर सकते हैं।
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मानसून के साथ वातावरण में नमी बढ़ने के कारण गार्डन के पौधों के आसपास हरी घास और खरपतवार उगने लगती हैं। इसलिए, इन्हें नियमित गार्डन से हटाना बहुत ज़रूरी है। ऐसा न करने पर ये पौधे के विकास में बाधा बन सकते हैं।
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मानसून बदलो से घिरे दिनों को लाता है, तब यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है की आप अपने फूलो के पौधों को ऐसे स्थानों पर रखें जहा उन्हें कुछ घंटो की सीधी धुप मिल सके।
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